बाबा वैद्यनाथ मंदिर देवधर – श्री वैद्यनाथ धाम ज्योतिर्लिंग Naeem Ahmad, October 14, 2017February 24, 2023 शिवपुराण में वर्णित है कि भूतभावन भगवान शंकर प्राणियो के कल्याण के लिए तीर्थ स्थानो में लिंग रूप में वास करते है। जिस जिस पुण्य स्थान में भक्तजनो ने उनकी अर्चना की उसी उसी स्थान में वे आविर्भूत हुए। साथ ही वे ज्योतिर्लिंग के रूप में सदा के लिए अवस्थित हो गए। यू तो शिवलिंग असंख्य है फिर भी इनमें द्वादश ज्योतिर्लिंग सर्वप्रधान है। केवल शिवपुराण में ही नही रामायण, महाभारत और अन्य अनेक प्राचीन धर्मग्रंथों में भी ज्योतिर्लिंग सम्बंधी वर्णन भरा पडा है उन्ही पवित्र पावन द्वादश ज्योतिर्लिंगो में से है श्री बाबा वैद्यनाथ मंदिर में स्थापित ज्योतिर्लिंग । इसके अलावा यहा 51 शक्तिपीठो में से भी एक शक्तिपीठ है। यहा सती की देह से ह्रदय गिरा था। कुछ लोग इसे असली वैद्यनाथ न मानकर हैदराबाद राज्य के अंतर्गत परली गांव के शिव लिंग को वास्तविक वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग मानते है। परंतु द्वादश ज्योतिर्लिंग संबंधी जो वर्णन शिव पुराण में है। उसमे जसीडीह के पास वाले शिवलिंग को ही वास्तविक शिवलिंग माना गया है। जो आज भी भारत के राज्य झारखंड के प्रसिद्ध देवघर नामक स्थान पर अवस्थित है। यह स्थान संथाल परगने में पूर्व रेलवे के जसीडीह स्टेशन से तीन मील दूर एक ब्रांच लाइन पर है। चिताभूमि इसी स्थल को कहते है। यही पर सती का दाह संस्कार किया गया था।श्री वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग का महात्मयवैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग महान फलो को देने वाला है। इस स्थान की जलवायु बहुत अच्छी मानी जाती है। यहा भक्त अनेक रोगो से मुक्ती पाने के लिए भी आते है। मंदिर से थोडी दूरी पर एक तालाब है। जिसके ऊपर पक्के घाट बने हुए है। तालाब के पास ही धर्मशाला है। यहा लिंगमूर्ति ग्यारह अंगुल ऊची है। अब भी उस पर जरा सा गडढा है। यहा दूर दूर से लाकर जल चढाने का भारी महात्मय माना जाता है।यहा मार्ग में बहुत से यात्री कांवड लिए श्री बाबा वैद्यनाथ मंदिर जाते हुए देखे जा सकते है। कुष्ठ रोग से पीडित न जाने कितने ही रोगी रोगमुक्त होने के लिए यहा आते है। सावन के महिने और शिवरात्रि पर यहा बाबा के भक्तो की बहुत भीड होती है।श्री बाबा वैद्यनाथ की कहानीएक बार राक्षस राज रावण ने हिमालय पर जाकर भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या की । उसने अपने सिर काट काटकर शिवलिंग पर चढाने शुरू कर दिए। एक एक करके रावण ने अपने नौ सर चढा दिए। जब वह दसवां सिर चढाने लगा तो भगवान शिव जी प्रसन्न होकर प्रकट हो गए। तथा उससे वर मांगने को कहा। रावण ने कहा – हे प्रभु! मैं चाहता हूँ कि आप सदा सदा के लिए लंका में रहना आरंम्भ कर दे।बाबा वैद्यनाथ मंदिर के सुंदर दृश्यतब भगवान शंकर ने उसे अपना एक ज्योतिर्लिंग दिया और कहा – यह ले जाओ और इसे लंका में स्थापित कर दो। इससे मै सदा सदा के लिए लंका में रहना शुरू कर दूंगा। परंतु ध्यान रहे। इस लिंग को रास्ते में कहीं पृथ्वी पर मत रख देना। अगर तुमने इसे पृथ्वी पर रख दिया तो यह वही अचल हो जाएगा और तुम इसे लंका न ले जा सकोगे।देवता नही चाहते थे कि भगवान शिव सदा सदा के लिए लंका में जाकर बस जाएं। इसलिए जब रावण ज्योतिर्लिंग लेकर आकाश मार्ग से उडने लगा तो अकस्मात वरूणदेव ने उसके पेट में प्रवेश किया। इससे रावण को लघुशंका का अत्यधिक वेग हुआ। विवश होकर उसे पृथ्वी पर उतरना पड गया।पृथ्वी पर जहां रावण उतरा वहा विष्णु भगवान पहले ही एक ब्राह्मण का वेश बनाए खडे थे। रावण ने ब्राह्मण से प्राथना की कि वह थोडी देर के लिए ज्योतिर्लिंग को सभांल ले। विष्णुजी ने तत्काल उस लिंग को अपने हाथ में ले लिया।रावण के शरीर में तो साक्षात वरूणदेव बैठे थे। वे रावण की लघुशंका को जल्दी कहा पूरी होने देते। विष्णु जी ने कुछ देर प्रतिक्षा की फिर कहा – मैं क्या तुम्हारी प्रतिक्षा मै यहा खडा रहूगां। मै जा रहा हूँ। ऐसा कहकर उन्होने लिंग को पृथ्वी पर रख दिया और वहा से चले गए।बाद में जब रावण ने उस ज्योतिर्लिंग को उठाने का प्रयत्न किया तो वह न उठा। विवश होकर रावण ने वहां चंद्रकूप नामक कूप बनाया। उसने कुछ तीर्थो का जल लाकर एकत्रित किया। फिर उस कूप के जल से उस ज्योतिर्लिंग का अभिषेक किया। बाद में आकाशवाणी द्वारा भगवान शिव ने उसे आश्वासन दिया। रावण लंका लौट गया।रावण के जाने के बाद बैजू नामक भील ने इस लिंग को देखा तब उसी ने इसका प्रथम पूजन किया। वह जीवन भर इस ज्योतिर्लिंग का अनन्य भक्त बना रहा। इसी कारण इस ज्योतिर्लिंग का नाम बैजनाथ या वैद्यनाथ पडा। बाबा वैद्यनाथ धाम का एक नाम देवघर भी है।श्री देवघर के दर्शन – श्री बैजनाथ के दर्शन – श्री वैद्यनाथ के दर्शनश्री बाबा वैद्यनाथ मंदिर धाम के घेरे में 21 मंदिर है श्री बाबा वैद्यनाथ धाम का मुख्य मंदिर श्री वैद्यनाथ मंदिर ही है। यहा मंदिर के घेरे में ही पुष्पादि और अनेक तीर्थो का जल भी बिकता है। मुख्य मंदिर में बाबा वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग स्थापित है। यह ज्योतिर्लिंग ऊचाई में बहुत छोटा है। यह आधार पीठ से थोडा ही उभार लिए हुए है। इसके मंदिर की स्थापना कब हुई यह किसी को ज्ञातनही है परंतु माना जाता है कि यह बहुत प्राचीन है इस धाम में स्थित 21 मंदिरो गौरी मंदिर है जो एक शक्तिपीठ है। इस मंदिर में एक सिंहासन पर श्री जयदुर्गा और त्रिपुरसुंदरी की दो मूर्तिया विराजमान है।मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग का महात्मयसोमनाथ ज्योतिर्लिंग का महात्मयश्रु बाबा वैद्यनाथ मंदिर धाम में स्थापित मंदिरो की सूची इस प्रकार है। गौरी मंदिर गणपति मंदिर संध्या देवी मंदिर हनुमानजी का मंदिर सरस्वती का मंदिर बगला देवी का मंदिर आनंद भैरव मंदिर मानिक चौक चबूतरा कालिका मंदिर चंद्रकूप नीलकंठ महादेव मंदिर कार्तिकेय मंदिर ब्रह्माजी का मंदिर काल भैरव मंदिर मनसा देवी का मंदिर सूर्य मंदिर श्री राम मंदिर गंगा मंदिर हर गौरी मंदिर अन्नपूर्णा मंदिर लक्ष्मीनारायण मंदिरइसके अलावा श्री बाबा वैद्यनाथ मंदिर धाम के आस पास भी कई धार्मिक व दर्शनीय स्थल भी है।शिव गंगा सरोवरकहा जाता है कि रावण ने जल की आवश्यकता होने पर पदाघात से यह सरोवर उत्पन्न किया था। मंदिर के पास ही यह सरोवर है। यात्री इसमे स्नान करने के बाद ही दर्शन करने जाते है।तपोवनदेवघर से चार मील पूर्व एक पर्वत पर यह स्थान है। यहा शिखर पर एक शिव मंदिर है। इसके साथ ही शूलकुंड नामक एक कुंड भी है। स्थानिय लोग इसे महर्षि बाल्मिकि का तपोवन कहते है।बाबा वैद्यनाथ मंदिर कैसे जाएंपूर्वी रेलवे की हावडा पटना लाइन पर जसीडीह स्टेशन है जसीडीह से एक ब्रांच लाइन वैद्यनाथ धाम तक जाती है जसीडीह से वैद्यनाथ धाम स्टेशन चार मील दूर है। स्टेशन से मंदिर लगभग एक मील दूर है मंदिर तक पक्की सडक बनी हूई है। तथा कई प्रकार के छोटे यातायात साधन आसानी से उपलब्ध है। हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:– [post_grid id=’16950′]Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like this:Like Loading... भारत के पर्यटन स्थल भारत के प्रमुख धार्मिक स्थल झारखंड पर्यटनद्वादश ज्योतिर्लिंगभारत के प्रमुख मंदिरभारत के प्रसिद्ध शिव मंदिर