बाघ की गुफाएं कहां स्थित है

बाघ की गुफाएं

भारतीय जन-जीवन को कला के माध्यम से चित्रित करने वाली बाघ की गुफाएं भी सौंदर्य-प्रेमियों एवं यात्रियों के लिए कम आकर्षक का केंद्र नहीं है। वास्तव में बाघ की गुफाओं में भारतीय संस्कृति ओर मानवीय जीवन-व्यापारों का चित्रण बड़ी कुशलता के साथ किया गया है। सबसे बड़ा सवाल है कि ये बाघ की गुफाएं कहां स्थित है। ये बाघ की गुफाएं भारत केमध्य प्रदेश राज्य में महू व इन्दौर शहरों से प्रायः 100 मील दक्षिण-पश्चिम में स्थित हैं।

बाघ की गुफाएं कहां स्थित है

मध्य प्रदेश के धार जिले से 97 किलोमीटर दूर विन्ध्य पर्वत के दक्षिणी ढलान पर बाघिनी नदी के किनारे स्थित है, इसी नदी के कारण इनका नाम बाघ की गुफाएं पड़ा है। प्रायः 1500 वर्ष पूर्व बाघ की गुफाएं बौद्ध-भिक्षुओं के निवास, मनन एवं चिंतन तथा धार्मिक कृत्यों के लिए बनाई गई थीं।अनुमान हैं कि बाघ की गुफाओं की कुल संख्या 9 थी किंतु अब केवल 4 गुफाएं ही अच्छी स्थिति में पाई जाती हैं।

बाघ की गुफाएं
बाघ की गुफाएं

जहाँ तक मूर्तिकला का प्रश्न है, बाघ की गुफाओं में प्रमुखत: भगवान बुद्ध एवं बोधिसत्व से संबंधित मूर्तियां हैं। मूर्तियां आकार में काफी बड़ी हैं, एवं अनुमान किया जाता है कि यह मूर्तिकला गुप्त काल के ‘स्वर्णयुग’ की होगी। इसके अतिरिक्त गुफाओं में कुछ नाग और यक्षों की मूर्तियां भी मिलती है। बाघ की गुफाओं की चित्रकारी जितनी आकर्षक है उतनी ही रहस्यमय भी। गुफा क्रमांक 4 के रंगमहल के बाहरी भाग की चित्रकारी कुछ अधिक स्पष्ट है। प्रथम दृश्य ही देखिये–करुणा की मूर्तिमती एक रमणी विषादमग्न है और स्यात्‌ उसकी सखी उसे धैर्य बँधा रही हैं। मन में सहसा जिज्ञासा होती है कि यह करुणा की देवी कौन हैं? उसके विषाद का कारण क्‍या है? किन्तु यह औत्सुक्य प्रश्न-चिन्हों के घेरे में ही सिमट कर रह जाता है। वैसे ही, संगीत और नृत्यों के दृश्य व राजसी जुलूस के दृश्य इत्यादि भी मन में एक अनुत्तरित समस्या का अंकुर बो देते हैं।

रंगमहल के भीतरी भाग में चित्रकारी की अनेक धुंधली रेखाएँ दृष्टिगत होती हैं जिन्हें ठीक से समझा नहीं जा सकता; किन्तु अनुमान किया जा सकता है कि अपने युग में ये चित्र-दृश्य सुन्दरता, सुकुमारता और आकर्षण से भरपूर होंगे। भारत में अजन्ता और बाघ की गुफाओं की चित्रकारी प्राय: एक ही काल की है, जो प्रमुखतः बौद्ध धर्म से प्रभावित है। बाघ की गुफाएं यद्यपि आज अपनी जीर्ण दशा में हैं तथापि ये भारत के प्राचीन गौरव की कहानी चित्रित करती हैं।

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