बांसगांव का मेला कब लगता है – बांसगांव का इतिहास Naeem Ahmad, August 1, 2022February 27, 2024 बांसगांव भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के गोरखपुर जिले का एक कस्बा और नगर पंचायत है। यह नगर यहां बसे श्रीनेत वंशीय राजपूतों के लिए जाना जाता है। मूल रूप से यह कहा जाता है, इस स्थान पर श्रीनेत वंशीय राजपूतों का कब्जा था, जो अभी भी अभी भी अपनी कुलदेवी मां दुर्गा के प्राचीन मंदिर में बलिदान (रक्त) चढ़ाने के लिए अश्विन के महीने में इकट्ठा होकर अपनी विजय का जश्न मनाते हैं। कहते है कि श्रीनेत वंशीय उनवल स्टेट के राजा थे। सरकारी अभिलेखों के मुताबिक आमी नदी के किनारे जिला मुख्यालय से लगभग 25 किमी की दूरी पर बसे संग्रामपुर कस्बे को सन् 1160 में ‘स्टेट’ का दर्जा मिला था और आज भी इसे संग्रामपुर के नाम से कम उनवल स्टेट के नाम से ही अधिक जाना जाता है। लगभग 40 हजार की आबादी वाला और लगभग 15 वर्ग किमी क्षेत्रफल में बसा यह कस्बा ग्रामीण व शहर की मिश्रित संस्कृति को समेटे हुए है।बांसगांव का मेला कब लगता हैबांसगांव का मेलाबांसगांव गोरखपुर का एक प्रमुख स्थान है। बांसगांव में शारदीय नवरात्र के अवसर पर मुख्य रूप से दुर्गाष्टमी और रामनवमी के दिन मेला लगता है। बांसगांव में एक सुन्दर, कलात्मक पुराना मां दुर्गा मंदिर है जिसमें मां दुर्गाजी की प्रतिमा प्रतिष्ठापित है। बांसगांव में एक प्राचीन परंपरा देखी गई है। जिसे श्रीनेत वंशीय राजपूतों द्वारा निभाया जाता है। परंपरा को अनुसार श्रीनेत परिवारों को महिलाएं अष्टमी (नवरात्रि पूजा के दूसरे दिन) के दिन देवी दुर्गा मंदिर में पूजा करने जाती है। और श्रीनेत परिवारों को पुरूष गांव में मौजूद मंदिर में देवी दुर्गा को नवमी को दिन (नवरात्रि पूजा के अंतिम दिन) अपना रक्त चढ़ाते है। दुर्गाजी को उनवल स्टेट के नेत्रवंशी राजा बेलपत्र पर अपना रक्त लगाकर चढाते है। जो बलि का प्रतीक हो सकता है।लोहंदी महावीर का मेला मिर्जापुर उत्तर प्रदेशबांसगांव का मेला यहां के लोगों को लिए जहां आस्था का पर्व लेकर आता है वहीं यह मनोरंजन और खुशियां भी लाता है। बांसगांव मेले में यहां बड़ी संख्या में खरीदारी की दुकानें लगती है, मनोरंजन के लिए छोटे बड़े झूले होते हैं, सर्कस, भूत बंगला, मौत का कुआं आदि मनोरंजन भी यहां उपलब्ध होते हैं। इसके अलावा बांसगांव के मेले में खरीदारी के लिए चुड़ियों की दुकानें, खिलौनों की दुकानें, बर्तनों को दुकानें, महिलाओं के सिंगार सामग्री की दुकानें, वहां व्यंजनों को शौकीन लोगों को लिए हलवा पराठा की दुकानें, जलेबी की दुकानें, चाट कचौरी स्नैक्स आदि की दुकानें लगती है। बांसगांव का मेला खूब उत्साह के साथ चलता है। इस मेले मे लगभग 50 हजार दर्शनार्थी आते है। यातायात की सुविधा है। ठहरने के लिए मंदिर, धर्मशाला तथा नगर के होटल है।हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:—[post_grid id=”6671″]Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like this:Like Loading... Uncategorized उत्तर प्रदेश के मेलेत्यौहारमेले