बलबीर सिंह का जन्म 10अक्टूबर 1924 को हरीपुर, जालंधर पंजाब में हुआ था। प्रसिद्ध हॉकी खिलाड़ी बलबीर सिंह का नाम आज भी शीर्ष खिलाड़ियों में लिया जाता है। वे अपने खेल जीवन की शुरूआत से ही भारत के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों में से एक समझे जाते रहे है। उनकी आज भी भारत में ही नहीं, विश्व में भी प्रशंसा होती है। उनकी हॉकी से ऐसे गोल निकलते थे, जिनका कोई जवाब नहीं। तीन बार उन्होंने ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीता — 1948 में 1952 तथा 1956 में। वे पंजाब सरकार में खेलों के निदेशक भी रहे। मोगा में एक इनडोर स्टेडियम का नाम उनके नाम पर रखा गया है। बलवीर सिंह को 1957 में पद्मश्री सम्मान से भी सम्मानित किया गया।
बलबीर सिंह की जीवनी इन हिन्दी
बलवीर सिंह हॉकी टीम के सेंटर फारवर्ड खिलाड़ी रहे तथा तीन बार ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया। वे हॉकी के बेहतरीन स्ट्राइकर समझे जाते रहे है। बलवीर सिंह की प्रारंभिक शिक्षा देव समाज स्कूल तथा डी. एम कॉलेज मोगा में हुई। उन्होंने अमृतसर के खालसा कॉलेज से स्नातक शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय की हॉकी टीम का नेतृत्व किया। 1945 में अंतर विश्वविद्यालय चैम्पियनशिप में बलवीरसिंह के नेतृत्व में पंजाब विश्वविद्यालय की टीम ने विजय प्राप्त की। जल्दी ही उनका पंजाब पुलिस में चयन हो गया। वे पंजाब पुलिस हॉकी टीम के सदस्य रहे और 1948 से 1960 के बीच कई उनके नेतृत्व में टीम ने देशभर में विजय प्राप्त की। उन्होंने पंजाब राज्य की उस टीम का नेतृत्व किया जिसने 1949 में राष्ट्रीय चैम्पियनशिप जीती थी।
बलबीर सिंह को पहली बार 1947 में भारतीय टीम में शामिल किया गया। तब उन्होंने भारत को श्रीलंका के खिलाफ विजय दिलाई। 1950 में अफगानिस्तान के खिलाफ, तथा सिंगापुर के खिलाफ तथा 1954 में मलेशिया के खिलाफ भारतीय टीम का नेतृत्व करते हुए उन्होंने टीम को विजय दिलाई। वे इंडिया वान्डर्स टीम के सदस्य भी थे। इस टीम ने न्यूजीलैंड, आस्ट्रेलिया, सिंगापुर तथा श्रीलंका के खिलाफ 1955 मे अनेक मैच खेले।
जब सन् 1958 में हॉकी को टोक्यो एशियाई खेलों में शामिल किया गया, तब बलबीरसिंह ने भारतीय टीम का नेतृत्व किया। उन्होंने तीन ओलंपिक खेलों में भाग लिया 1948 मे लंदन में, 1952 में हेलसिंकी में, तथा 1956 में मेलबर्न में। हेलसिंकी मे उन्होंने भारतीय हॉकी टीम की कप्तानी की और 13 में से 9 गोल उन्होंने खुद लगाए। मेलबर्न में भी पाकिस्तान के विरूद्ध 1956 में भारीय टीम ने स्वर्ण पदक जीता। उनकी इन्हीं उपलब्धियों के कारण उन्हें 1957 मे पद्मश्री से सम्मानित किया गया।
बलबीर सिंह
बलबीरसिंह ने जब हॉकी से संन्यास लिया तब खेल जगत में उनकी मांग कोच तथा मैनेजर के रूप में होने लगी। 1962 में अहमदाबाद में अंतरराष्ट्रीय हॉकी टूर्नामेंट में भारतीय टीम ने स्वर्ण पदक जीता, बलबीरसिंह उस टीम के मैनेजर थे। उनके मैनेजर पद पर रहने पर भारतीय टीम ने इन अवसरों पर विजय प्राप्त की — 1970 मे बैंकॉक एशियाई खेलों में रजत पदक जीता, 1971 में बार्सिलोना में विश्व हॉकी कप में कांस्य पदक जीता। 1982 में विश्व टूर्नामेंट, एम्सटर्डम में टीम ने कांस्य पदक जीता। 1982 में दिल्ली में हुए एशियाई खेलों में टीम ने रजत पदक जीता। जब भारतीय टीम ने 1975 में कुआलालंपुर में थर्ड वर्ल्ड कप टूर्नामेंट में स्वर्ण पदक जीता, तब बलवीरसिंह भारतीय टीम के मैनेजर, कोच तथा टीम के मुख्य चयनकर्ता थे। इस टूर्नामेंट में भारत ने 11 वर्ष बाद स्वर्ण पदक जीता था, जिसका श्रेय बलबीर जी को ही जाता है।
1982 में मेलबर्न में एसांडा वर्ल्डकप खेलने के वक्त भी भारतीय टीम के मैनेजर बलबीर सिंह थे। उन्हें अनेक बार उनकी उपलब्धियों के लिए सम्मानित किया गया। 1974 में वाशिंगटन में कैनेडी मेमोरियल इंटरनेशनल हॉकी टूर्नामेंट में बलबीर जी को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया। उसके छः साल बाद 1980 में मास्को ओलंपिक में उन्हें सम्मानित अतिथि के रूप में बुलाया गया। 1982 में दिल्ली में हुए एशियाई खेलों की मशाल बलबीर सिंह ने ही प्रज्वलित की थी।
बलबीरसिंह पंजाब राज्य खेल परिषद के सेक्रेटरी रहे तथा 1982 मे रिटायर होने तक वे पंजाब सरकार के खेल निदेशक के पद पर कार्य करते रहे। मोगा पंजाब में एख इनडोर स्टेडियम का नाम उन्हीं के नाम पर रखा गया है। उन्होंने एक किताब भी लिखी है जिसका नाम है — द गोल्डन हैट ट्रिक’ यह उनके खेल जीवन से जुडी पुस्तक है।
बलबीरसिंह के खेल जीवन की उपलब्धियां
• बलबीर सिंह ने तीन बार ओलंपिक मे भारत का प्रतिनिधित्व किया। इन तीनों ओलंपिक लंदन 1948, हेलसिंकी 1952, मेलबर्न 1956 मे भारत ने स्वर्ण पदक जीता।
• वे पंजाब विश्वविद्यालय के हॉकी टीम के कप्तान रहे।
• उन्होंने पंजाब राज्य की टीम का नेतृत्व किया।
• उनकी कप्तानी में भारतीय टीम ने 1950 में अफगानिस्तान के तथा 1954 में सिंगापुर व मलेशिया के विरुद्ध विजय प्राप्त की।
• 1958 में टोक्यो एशियाई खेलों में बलबीर सिंह भारतीय टीम के कप्तान रहे।
• उनके टीम मैनेजर रहते हुए भारतीय टीम का विजय रिकॉर्ड अच्छा रहा।
• 1975 मे थर्ड वर्ल्ड कप टूर्नामेंट, कुआलालम्पुर मे ं भारतीय टीम ने स्वर्ण पदक जीता तब टीम मैनेजर, कोच व मुख्य चयनकर्ता यही थे।
• वह पंजाब स्टेट स्पोर्ट्स काउंसिल के सेक्रेटरी रहे।
• वह 1982 में रिटायरमेंट तक पंजाब सरकार के खेल निदेशक रहे।
• 1957 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया।
• मोगा में उनके नाम पर स्टेडियम का नाम रखा गया है।