बरूआ सागर का किला – बरूआसागर झील का निर्माण किसने और कब करवाया Naeem Ahmad, July 10, 2021March 11, 2023 बरूआ सागर झाँसी जनपद का एक छोटा से कस्बा है। यह मानिकपुरझांसी मार्ग पर है। तथा दक्षिण पूर्व दिशा पर स्थित हैं। झांसी से बरूआसागर की दूरी 19 किलोमीटर है। बरूआ सागर रेलवे स्टेशन से बरूआ सागर का किला दो मील दूर है।Contents1 बरूआसागर का इतिहास1.0.1 बरूआ सागर झील1.0.2 घुघुआ मठ1.0.3 जराह की मठ2 बरूआ सागर का किला2.1 हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:—–बरूआसागर का इतिहासबरूआ सागर एक ऐतिहासिक स्थल है। इस स्थल पर सन् 1744 में पेशवा की सेनाओं का युद्ध बुन्देला सैनिकों से हुआ था। इस युद्ध में ज्योति बाहु की मृत्यु हो गयी थी। ये महाराजा माधव जी सिन्धियाँ के बड़े भाई थे। इस स्थान का नाम बरूआ सागर है जो एक विशाल सरोवर के नाम पर रखा गया है। यहाँ निम्नलिखित दर्शनीय स्थल है।बरूआ सागर झीलयहाँ का बरूआ सागर झील या बरूआसागर ताल सुप्रसिद्ध है। बरूआसागर झील का निर्माण आज से लगभग 270 वर्ष पूर्व हुआ था। इस सरोवर का निर्माण राजा उदित सिंह ने कराया था। तथा इस सरोवर का सम्बन्ध बेतवा नदी से है। इसमे जलाशय तक पहुँचने के लिए सीढ़ियाँ बनी हुई है। राजा उदित सिंह ने इस सरोवर का निर्माण बहुत ही अच्छी तरह कराया था। इसी नहर से थोडा दूर हटकर अनेक थार्मिक स्थल उपलब्ध होते है।घुघुआ मठये चन्देल कालीन पुराने मन्दिर है। इनकी संख्या दो है। और इन मन्दिरों के समीप चार कमरे बने हुये है। जिनमें अलग-अलग दरवाजे है। इनमें से तीन मन्दिरों में गणेश की प्रतिमाए है। और चौथे मन्दिर में दुर्गा की प्रतिमा है। यही से तीन मील दूर पश्चिम की ओर एक थार्मिक स्थल है। जिसे जराह की मठ के नाम से जाना जाता हैं।जराह की मठजराह की मठ में मुख्य रूप से शिव मन्दिर है। जहाँ पर शिव और पार्वती की मूर्ति स्थापित है। इसके पूर्वी दिशा की ओर एक ऊँचा स्तम्भ है। और एक इमारत है। जिसका छज्जा उत्तर दक्षिण की ओर है इसकी छत बहुत ही सुन्दर है। तथा यह अष्टकोणिक हैं। इसका निर्माण गुप्तककाल के बाद हुआ था। दुर्गा मन्दिर के समीप एक अभिलेख भी इस युग का मिला है।बरूआ सागर का किलाऐतिहासिक साक्ष्य इस बात के उपलब्ध होते है कि गुप्त सम्राज्य के पश्चात यहाँ गुर्जर प्रतिहारों का राज्य रहा। उसी वंश के शासको ने जराह मठ का निर्माण कराया जिसे लोग बरूआ सागर मठ के नाम से जानते है। इस मठ का मुख्य मन्दिर खजुराहो जैसा प्रतीत होता है। तथा इसकी मूर्तियाँ भी उसी कोटि की है। तथा स्तम्भों में अनेक देवी देवताओं की मूर्तियाँ बनी हुई है इस मन्दिर का मुख्य आकर्षण मुख्य द्वार है। इस द्वार पर अनेक मूर्तियाँ बनी हुई हैं तथा मन्दिर का कलश और शिखर कमल की आकृति के है।बरूआ सागर का किलाइस कले के बारें में कहा जाता है कि यह महारानी लक्ष्मी बाई का ‘समर पैलेस’ हुआ करता था। झांसी की गर्मी की परेशानी से बचने के लिए रानी लक्ष्मीबाई कुछ समय यहां पर हरियाली के बीच गुजारती थीं। बुंदेला राजा उदित सिंह द्वारा बनवाए गए इस किले में पांच खंड हैं। इन खंडों में छोटे-बड़े कई कमरे बने हैं। यहां के लोगों का मानना है कि इस किले में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई केवल गर्मियों के दिनों में रहने आया करती थीं।यहां के लोगों में प्रसिद्ध एक दंतकथा के अनुसार कहते है कि किले में तीन सुखे कुएं मौजूद हैं। इन कुओं से जुड़ी दंतकथा यह है। कि जब महारानी लक्ष्मीबाई को किसी अपराधी को सजा देनी होती थी। तो वह उसे सजा के तौर पर इस किले में भेज दिया करती थी और अपराधी को भूखा प्यासा कुएं के अंदर छोड़ दिया जाता था। यहां पर लोग इसे मौत का कुआं पुकारते हैं। किन्तु अब यह दुर्ग नष्ट हो गया है। अब इसके भग्नावशेष ही शेष है। इसलिए दुर्ग के सन्दर्भ में वे साक्ष्य उपलब्ध नहीं होते जिनसे विशेष जानकारी मिल सके।हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:—– चौरासी गुंबद कालपी – चौरासी गुंबद का इतिहास चौरासी गुंबद यह नाम एक ऐतिहासिक इमारत का है। यह भव्य भवन उत्तर प्रदेश राज्य केजालौन जिले में यमुना नदी श्री दरवाजा कालपी – श्री दरवाजे का इतिहास भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के जालौन जिले में कालपी एक ऐतिहासिक नगर है, कालपी स्थित बड़े बाजार की पूर्वी सीमा रंग महल कहा स्थित है – बीरबल का रंगमहल उत्तर प्रदेश राज्य के जालौन जिले के कालपी नगर के मिर्जामण्डी स्थित मुहल्ले में यह रंग महल बना हुआ है। जो गोपालपुरा का किला जालौन – गोपालपुरा का इतिहास गोपालपुरा जागीर की अतुलनीय पुरातात्विक धरोहर गोपालपुरा का किला अपने तमाम गौरवमयी अतीत को अपने आंचल में संजोये, वर्तमान जालौन जनपद रामपुरा का किला और रामपुरा का इतिहास जालौन जिला मुख्यालय से रामपुरा का किला 36 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। 46 गांवों की जागीर का मुख्य जगम्मनपुर का किला – जगम्मनपुर का इतिहास उत्तर प्रदेश राज्य के जालौन जिले में यमुना के दक्षिणी किनारे से लगभग 4 किलोमीटर दूर बसे जगम्मनपुर ग्राम में यह तालबहेट का किला किसने बनवाया – तालबहेट फोर्ट हिस्ट्री इन हिन्दी तालबहेट का किला ललितपुर जनपद मे है। यह स्थान झाँसी - सागर मार्ग पर स्थित है तथा झांसी से 34 मील कुलपहाड़ का किला – कुलपहाड़ का इतिहास इन हिन्दी कुलपहाड़ सेनापति महल कुलपहाड़ भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के महोबा ज़िले में स्थित एक शहर है। यह बुंदेलखंड क्षेत्र का एक ऐतिहासिक पथरीगढ़ का किला किसने बनवाया – पाथर कछार का किला का इतिहास इन हिन्दी पथरीगढ़ का किला चन्देलकालीन दुर्ग है यह दुर्ग फतहगंज से कुछ दूरी पर सतना जनपद में स्थित है इस दुर्ग के धमौनी का किला किसने बनवाया – धमौनी का युद्ध कब हुआ और उसका इतिहास विशाल धमौनी का किला मध्य प्रदेश के सागर जिले में स्थित है। यह 52 गढ़ों में से 29वां था। इस क्षेत्र बिजावर का किला किसने बनवाया – बिजावर का इतिहास इन हिन्दी बिजावर भारत के मध्यप्रदेश राज्य केछतरपुर जिले में स्थित एक गांव है। यह गांव एक ऐतिहासिक गांव है। बिजावर का बटियागढ़ का किला किसने बनवाया – बटियागढ़ का इतिहास इन हिन्दी बटियागढ़ का किला तुर्कों के युग में महत्वपूर्ण स्थान रखता था। यह किला छतरपुर से दमोह और जबलपुर जाने वाले मार्ग राजनगर का किला किसने बनवाया – राजनगर मध्यप्रदेश का इतिहास इन हिन्दी राजनगर मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में खुजराहों के विश्व धरोहर स्थल से केवल 3 किमी उत्तर में एक छोटा सा पन्ना का इतिहास – पन्ना का किला – पन्ना के दर्शनीय स्थलों की जानकारी हिन्दी में पन्ना का किला भी भारतीय मध्यकालीन किलों की श्रेणी में आता है। महाराजा छत्रसाल ने विक्रमी संवत् 1738 में पन्ना सिंगौरगढ़ का किला किसने बनवाया – सिंगौरगढ़ का इतिहास इन हिन्दी मध्य भारत में मध्य प्रदेश राज्य के दमोह जिले में सिंगौरगढ़ का किला स्थित हैं, यह किला गढ़ा साम्राज्य का छतरपुर का किला हिस्ट्री इन हिन्दी – छतरपुर का इतिहास की जानकारी हिन्दी में छतरपुर का किला मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में अठारहवीं शताब्दी का किला है। यह किला पहाड़ी की चोटी पर चंदेरी का किला किसने बनवाया – चंदेरी का इतिहास इन हिन्दी व दर्शनीय स्थल भारत के मध्य प्रदेश राज्य के अशोकनगर जिले के चंदेरी में स्थित चंदेरी का किला शिवपुरी से 127 किमी और ललितपुर ग्वालियर का किला हिस्ट्री इन हिन्दी – ग्वालियर का इतिहास व दर्शनीय स्थल ग्वालियर का किला उत्तर प्रदेश के ग्वालियर में स्थित है। इस किले का अस्तित्व गुप्त साम्राज्य में भी था। दुर्ग बड़ौनी का किला किसने बनवाया – बड़ौनी का इतिहास व दर्शनीय स्थल बड़ौनी का किला,यह स्थान छोटी बड़ौनी के नाम जाना जाता है जोदतिया से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर है। दतिया का इतिहास – दतिया महल या दतिया का किला किसने बनवाया था दतिया जनपद मध्य प्रदेश का एक सुप्रसिद्ध ऐतिहासिक जिला है इसकी सीमाए उत्तर प्रदेश के झांसी जनपद से मिलती है। यहां कालपी का इतिहास – कालपी का किला – चौरासी खंभा हिस्ट्री इन हिंदी कालपी का किला ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अति प्राचीन स्थल है। यह झाँसी कानपुर मार्ग पर स्थित है उरई उरई का किला किसने बनवाया – माहिल तालाब का इतिहास इन हिन्दी उत्तर प्रदेश के जालौन जनपद मे स्थित उरई नगर अति प्राचीन, धार्मिक एवं ऐतिहासिक महत्व का स्थल है। यह झाँसी कानपुर एरच का किला किसने बनवाया था – एरच के किले का इतिहास हिन्दी में उत्तर प्रदेश के झांसी जनपद में एरच एक छोटा सा कस्बा है। जो बेतवा नदी के तट पर बसा है, या चिरगांव का किला किसने बनवाया – चिरगांव किले का इतिहास का इतिहास चिरगाँव झाँसी जनपद का एक छोटा से कस्बा है। यह झाँसी से 48 मील दूर तथा मोड से 44 मील गढ़कुंडार का किला का इतिहास – गढ़कुंडार का किला किसने बनवाया गढ़कुण्डार का किला मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ जिले में गढ़कुंडार नामक एक छोटे से गांव मे स्थित है। गढ़कुंडार का किला बीच मनियागढ़ का किला – मनियागढ़ का किला किसने बनवाया था तथा कहाँ है मनियागढ़ का किला मध्यप्रदेश के छतरपुर जनपद मे स्थित है। सामरिक दृष्टि से इस दुर्ग का विशेष महत्व है। सुप्रसिद्ध ग्रन्थ मंगलगढ़ का किला किसने बनवाया था – मंगलगढ़ का इतिहास हिन्दी में मंगलगढ़ का किला चरखारी के एक पहाड़ी पर बना हुआ है। तथा इसके के आसपास अनेक ऐतिहासिक इमारते है। यहहमीरपुर जैतपुर का किला या बेलाताल का किला या बेलासागर झील हिस्ट्री इन हिन्दी, जैतपुर का किला उत्तर प्रदेश के महोबा हरपालपुर मार्ग पर कुलपहाड से 11 किलोमीटर दूर तथा महोबा से 32 किलोमीटर दूर सिरसागढ़ का किला – बहादुर मलखान सिंह का किला व इतिहास हिन्दी में सिरसागढ़ का किला कहाँ है? सिरसागढ़ का किला महोबा राठ मार्ग पर उरई के पास स्थित है। तथा किसी युग में महोबा का किला – महोबा दुर्ग का इतिहास – आल्हा उदल का महल महोबा का किलामहोबा जनपद में एक सुप्रसिद्ध दुर्ग है। यह दुर्ग चन्देल कालीन है इस दुर्ग में कई अभिलेख भी कल्याणगढ़ का किला मानिकपुर चित्रकूट उत्तर प्रदेश, कल्याणगढ़ दुर्ग का इतिहास कल्याणगढ़ का किला, बुंदेलखंड में अनगिनत ऐसे ऐतिहासिक स्थल है। जिन्हें सहेजकर उन्हें पर्यटन की मुख्य धारा से जोडा जा भूरागढ़ का किला – भूरागढ़ दुर्ग का इतिहास – भूरागढ़ जहां लगता है आशिकों का मेला भूरागढ़ का किला बांदा शहर के केन नदी के तट पर स्थित है। पहले यह किला महत्वपूर्ण प्रशासनिक स्थल था। वर्तमान रनगढ़ दुर्ग – रनगढ़ का किला या जल दुर्ग या जलीय दुर्ग के गुप्त मार्ग रनगढ़ दुर्ग ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक दृष्टि से अत्यन्त महत्वपूर्ण प्रतीत होता है। यद्यपि किसी भी ऐतिहासिक ग्रन्थ में इस दुर्ग खत्री पहाड़ विंध्यवासिनी देवी मंदिर तथा शेरपुर सेवड़ा दुर्ग व इतिहास उत्तर प्रदेश राज्य के बांदा जिले में शेरपुर सेवड़ा नामक एक गांव है। यह गांव खत्री पहाड़ के नाम से विख्यात मड़फा दुर्ग के रहस्य – जहां तानसेन और बीरबल ने निवास किया था मड़फा दुर्ग भी एक चन्देल कालीन किला है यह दुर्ग चित्रकूट के समीप चित्रकूट से 30 किलोमीटर की दूरी पर रसिन का किला प्राकृतिक सुंदरता के बीच बिखरे इतिहास के अनमोल मोती रसिन का किला उत्तर प्रदेश के बांदा जिले मे अतर्रा तहसील के रसिन गांव में स्थित है। यह जिला मुख्यालय बांदा अजयगढ़ का किला किसने बनवाया था व उसका इतिहास अजयगढ़ की घाटी का प्राकृतिक सौंदर्य अजयगढ़ का किला महोबा के दक्षिण पूर्व में कालिंजर के दक्षिण पश्चिम में और खुजराहों के उत्तर पूर्व में मध्यप्रदेश कालिंजर का किला – कालिंजर का युद्ध – कालिंजर का इतिहास इन हिन्दी कालिंजर का किला या कालिंजर दुर्ग कहा स्थित है?:--- यह दुर्ग बांदा जिला उत्तर प्रदेश मुख्यालय से 55 किलोमीटर दूर बांदा-सतना ओरछा का किला – ओरछा दर्शनीय स्थल – ओरछा के टॉप 10 पर्यटन स्थल शक्तिशाली बुंदेला राजपूत राजाओं की राजधानी ओरछा शहर के हर हिस्से में लगभग इतिहास का जादू फैला हुआ है। ओरछा भारत के पर्यटन स्थल उत्तर प्रदेश पर्यटनऐतिहासिक धरोहरेंबुंदेलखंड के किले