बछ बारस का पूजनबछ बारस पूजन कैसे करते है – बछ बारस व्रत कथा इन हिन्दीPost author:Naeem AhmadPost published:September 30, 2021Post category:भारत के प्रमुख त्यौहारPost comments:0 Comments कार्तिक कृष्णा द्वादशी को गोधूलि-बेला मे, जबगाये चर- कर जंगल से वापस आती हैं, उस समय उन गायों और बछडों की पूजा की जाती है। और दिन भर व्रत किया जाता है जिसे बछ बारस का व्रत या बछवॉछ व्रत कहते है। बछ बारश व्रत की पूजा विधि इस प्रकार है— बछ बारस व्रत के दिन खास तौर,से लड़के की माता सारा दिन निराहार रहती है। संध्या को घर के आँगन मे लीपकर चौक पूरा जाता है। उसी चौक मे गाय खड़ी करके चन्दन, अक्षत, धूप दीप, नैवेद्य आदि से उसकी विधिवत् पूजा की जाती है। अधिकांश कुल का आचार्य या कोई पंडित पूजा कराता है।Contents1 बछ बारस पूजन विधि इन हिन्दी1.1 हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:——-2 बछ बारस पूजन विधि इन हिन्दी बछ बारस व्रत की पूजा विधि में घान का चावल वर्जनीय है। काकुन के चावल से पूजा होती है। उसी से मंत्रात्क्षत दिया जाता है। कोदों का चावल और चने की दाल तथा काकुन के चावलों के भोजन का महत्त्व है। पूजा की अठवाई बेसन की बनती है। गेहूँ ओर धान के अतिरिक्त कोई अन्न खाना व्रत वालों के लिये वर्जनीय नहीं है, परन्तु पृथ्वी का गड़ा हुआ काई भी अन्न वर्जनीय है। गाय का दूध-मठ्ठा भी व्रत वालो को न खाना चाहिये।Trendingसंत तुकाराम का जीवन परिचय और जन्मबछ बारस का पूजनबछ बारश व्रत सभी के यहाँ नही होता। किसी-किसी के यहाँ होता है। किसी के यहाँ प्रति तीसरे महीने अर्थात् कार्तिक, माघ, वैशाख और श्रावण चारों महीनें की कृष्णा द्वादशी को होता है, परन्तु किसी-किसी के यहाँ श्रावण मास में चार बार पूजन होता है। बछवाँछ या बछ बारश दोनों शब्द वत्सवंश” के अपभ्रंश मालूम होते हैं। कार्तिक में वत्सवंश की पूजा का रिवाज सारे भारत वर्ष में है। मालूम होता है जिस किसी के यहाँ दीवाली के त्योहार में कोई खोट होने से पूजन नहीं हो सकता, उनके यहाँ धन-तेरस के पूर्व द्वादशी को पूजन हो जाता है। बछ बारस व्रत कथा की कल्पना भी इससे मिलता-जुलता आशय सूचित करती है।हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:——- ओणम पर्व की रोचक तथ्य और फेस्टिवल की जानकारी हिन्दी में विशु पर्व, केरल के प्रसिद्ध त्योहार की रोचक जानकारी हिन्दी में थेय्यम नृत्य फेस्टिवल की रोचक जानकारी हिन्दी में theyyam festival केरल नौका दौड़ महोत्सव - 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