प्रिय पाठको अपनी इस पोस्ट में हम हिमालय की गोद में बरसो छुपे रहे एक ऐसे खुबसूरत स्थल की सैर करेगे। जिसके भारत में होने के बावजूद किसी को पता नही था। और खुबसूरत इतना की नाम सूनते ही मन रोमांचित हो उठता है। उसका नाम है ” फूलों की घाटी ” । जरा कल्पना किजिए की आप एक ऐसी जगह है जहा चारो तरफ रंग बिरंगे फूल अपनी खुबसूरती की छठा बखेर रहे हो। और गगन चूंंबी बर्फ से ढकी चोटिया उन्है देखकर मुस्करा रही हो तो वो नजारा कैसा होगा। जी हा! कुछ ऐसा ही नजारा होता है फूलो की घाटी का। अब यह नाम सुनकर आपका मन भी रोमांचित हो उठा होगा और साथ में मन में अनेक प्रश्नो का भी आदान प्रदान हो रहा होगा। आइए आज हम अपनी इस पोस्ट में फूलो की घाटी की सैर आपके मन में उभर रहे अनेक प्रश्नो के उत्तर के माध्यम से करेगें
फूलों की घाटी
फूलों की घाटी के सुंदर दृश्यफूलों की घाटी की 20 रोचक जानकारी
- फूलों की घाटी कहां स्थित है?
- फूलो की भारत के उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले में बद्रीनाथ धाम से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
- फूलो की घाटी किसे कहते है?
- दो पहाडो के बीच के हिस्से को घाटी कहते और जब उस घाटी में अनेक प्रकार के पौधो पर रंबिरंगे फूल खिलते है तो वह फूलो की घाटी कहलाती है
- फूलो की घाटी कितनी बडी है या फूलो की घाटी कितने क्षेत्रफल में फैली हुई है?
- फूलो की घाटी लगभग आधा किमी चौडी और 3 किलोमीटर लम्बी है। तथा 87 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैली हुई है।
- फूलो की घाटी पता कब चला?
- फूलो की घाटी का सन् 1931 पता चला
- फूलों की घाटी की खोज किसने की?
- फूलो की घाटी की खोज दून स्कूल के वनस्पति शास्त के प्राध्यापक रिचर्ड होल्सवर्थ ने अपने कुछ साथियो के साथ की थी। जब वह अपने साथियो के साथ किसी रिसर्च से वापस आ रहे थे तो रास्ता भटकने के कारण वह इस स्थान फर पहुंच गए। उनके साथी फ्रैंक स्माईथ को यह जगह भहुत भा गयी। उसके बाद भी फ्रैंक स्माइथ इस स्थान पर कई बार आएं और इस स्थान को valley of flowers फूलों की घाटी नाम दिया। तथा बाद में फ्रैंक स्माइथ ने इस घाटी पर एक पुस्तक भी लिखी और तब से यह घाटी पूरे विश्व में प्रसिद्ध हो गई। हजारो देशी विदेशी पर्यटक यहा भ्रमण करने आने लगे
- फूलो की घाटी में कितने प्रकार के फूल पाए जाते है?
- फूलो की घाटी में लगभग 300 से भी अधिक प्रजातियो रंगबिरंगे के फूल पाए जाते है
- फूलो की घाटी में कौन कौन से फूल पाए जाते है?
- फूलो की घाटी में पाए जाने वाले फूलो में प्रमुख है- एनीमोन, जर्मेनियम, मार्श, गेंदा, प्रिभुला, पोटेन्टिला, जिउम, तारक, लिलियम, हिमालयी नीला पोस्त, बछनाग, डेलफिनियम, रानुनकुलस, कोरिडालिस, इन्डुला, सौसुरिया, कम्पानुला, पेडिक्युलरिस, मोरिना, इम्पेटिनस, बिस्टोरटा, लिगुलारिया, अनाफलिस, सैक्सिफागा, लोबिलिया, थर्मोपसिस, ट्रौलियस, एक्युलेगिया, कोडोनोपसिस, डैक्टाइलोरहिज्म, साइप्रिपेडियम, स्ट्राबेरी एवं रोडोडियोड्रान इत्यादि प्रमुख हैं।
- फूलों की घाटी में फूल कब खिलते है?
- 15जुलाई से 15 अगस्त तक यह फूल इस पूरी घाटी में रंगोली की तरह सजे रहते है
- फूलो की घाटी कब जाए?
- फूलो के इस स्वर्ग को देखने के लिए 15 जून से 15 सितंबर तक जाया जा सकता है
- फूलो की घाटी कैसे जाएं?
- फूलो की घाटी जाने के लिए जोशीमठ से 19 किलोमीटर दूर गोविंद घाट पहुंचना पडता है। गोविंद घाट से फूलो की घाटी की दूरी 13 किलोमीटर है जो पैदल तय करनी पडती है। यही मार्ग गुरूद्वारा श्री हेमकुंट साहिब भी जाता है। आगे जाकर दोनो के मार्ग अलग अलग हो जाते है।
- सन् 1982 में फूलो की घाटी को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर घोषित किया गया।
- फूलो की घाटी नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान का भी एक हिस्सा है।
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