पैराशूट वायुसेना का एक महत्त्वपूर्ण साधन है। इसकी मदद से वायुयान से कही भी सैनिक उतार जा सकते है। इसके अलावा यह हिल्स स्टेशनों पर पर्यटकों के रोमांचकारी मनोरंजन का साधन भी है। पैराशूट की कल्पना संभवतः सबसे पहले विश्व विख्यात चित्रकार, वैज्ञानिकलियोनार्दो दा विंची (1452-1519) ने की थी, परंतु पैराशूट का आविष्कार करने का श्रेय सेबेस्टियन लेनॉरमेड नामकफ्रांस एक व्यक्ति को जाता है।
लियोनार्दो दा विंची को पैराशूट साधन का प्रेणता अवश्य माना जाता है, क्योंकि पैराशूट के सिद्धांत का प्रतिपादन सबसे पहले उन्होंने ही किया था। इस पर परीक्षण संबधी कोई कार्य उन्होने किया या नही, इसका कही काई उल्लेख नहीं मिलता। लेनॉरमेंड (फ्रांस) ने 1783 में अपने बनाए हुए पैराशूट का प्रदर्शन एक टावर से कूद कर किया था।
पैराशूट का आविष्कार किसने किया और कब हुआ
लेकिन फ्रांस के हवाबाज जे पी ब्लेकॉड ने सन् 1785 में सबसे पहले पैराशूट का सफल प्रदर्शन किया था। उसने पैराशूट की रस्सियों से एक टोकरी बांध कर उसमें एक कुत्ते को बैठाकर गुब्बारे की सहायता से काफी ऊंचाई से गिराया था। 1793 में ब्लेकॉड स्वयं एक गुब्बारे से काफी ऊंचाई पर जाकर पैराशूट की मदद से नीचे उतरा था, जिसमें उसका एक पैर टूट गया था। 1837 में एक व्यक्ति रॉबट काकिंग ने पैराशूट में कुछ महत्त्वपूर्ण सुधार किए।

1912 में कैप्टन नाम के एक साहसी व्यक्ति ने पहली बार उड़ते हुए हवाई जहाज से छलांग लगायी ओर पैराशूट की मदद से जमीन पर सकुशल उतरा। उसके पैराशूट से उतरने के कई सफल परीक्षण फ्रांस और पौलेंड के हवाबाजों ने किए। प्रथम विश्वयुद्ध के अंतिम चरण में अनेक हवाई जहाजों के पायलट पैराशूट से कूदे और कई जगह इस विधि से सैनिक भी उतारे गए।
पैराशूट से कूदने के लिए कसी विशेष स्थान की जरूरत नहीं पडती। दूसरे दुर्घटनाग्रस्त होते हवाई जहाज से पैराशूट द्वारा कूद कर प्राण-रक्षा भी की जा सकती है। हवाई जहाज के साथ-साथ पैराशूट का उपयोग भी तेजी से बढता गया। युद्ध मे पैराशूट का बहुत अधिक महत्त्व है। आजकल हर देश की वायुसेना में पैराशूट से उतरने वाले सैनिकों की टुकडी रहती है। यद्ध के दौरान शत्रु सेना को घेरने के लिए सैनिकों को पैराशूट से उतार दिया जाता है। बाढ़ग्रस्त अकाल ग्रस्त या बर्फ से घिरे लोगों को रसद दवाईयां कपड़े तथा अन्य जरूरत का सामान भी पैराशूटों मे बांधकर पहुचाया जा सकता है।
पैराशूट सामान्य तौर पर छतरीनुमा आकार में फेलकर लगभग 24 फुट हो जाता है। इस फैलाव से हवा इसमें से सरलता से बाहर निकल नहीं पाती और पैराशूट हिंडोले की तरह झूलता हुआ मनुष्य या बोझे को लेकर आसानी से जमीन पर उतर आता है। कभी-कभी जेट-विमान धरती पर उतरने और अपनी रफ्तार कम करने के लिए पैराशूट का इस्तेमाल करते हैं। मौसम की जानकारी प्राप्त करने के लिए जिन उपकरणों को गुब्बारों द्वारा ऊंचाई पर भेजा जाता है उन्हें परीक्षण के बाद पैराशूट की मदद से जमीन पर उतार लिया जाता है।
पैराशूट को एक विशेष ढंग से लपेटकर बंडल-सा बनाया जाता है जिसे बेल्ट की सहायता से पीठ पर बांध लेते हैं। जब छाताधारी वायुयान से कूदता है तो कुछ नीचे आने के बाद डोरी को झटका देकर पैराशूट खोल देता है। पैराशूट खुलते ही छतरी की तरह फैल जाता है। वायुयान में कूदने से पहले या तुरंत बाद पैराशूट खोलने
में उसके हवाई जहाज के पंखों आदि में अटक जाने का डर रहता है। अतः उडते हवाई जहाज से कुछ निचाई पर आने के बाद ही पैराशूट खोला जाता हैं। कुछ विशेष किस्म के पैराशूट कुछ देर बाद अपने आप ही खुल जाते हैं। पैराशूट के ऊपरी भाग में एक छोटा-सा छेंद बना होता है। इसमें से छतरी में भरी हवा धीरे-धीरे निकलती रहती है। इस छेंद की व्यवस्था से पैराशूट के तेज हवा या कसी और वजह से उलटने का डर नही होता। पैराशूट का कपडा रेशम या नायलोन के महीन मजबूत धागों से बुना जाता है।