पुल निर्माण कला का आविष्कार कैसे हुआ और किसने किया Naeem Ahmad, July 7, 2022March 4, 2024 संभवतः संसार के सबसे पहले पुल का निर्माण प्रकृति ने स्वयं ही किया था। अचानक ही कोई पेड़ गिरकर किसी धारा के आरपार गिर गया होगा। उस रास्ते से निकलने वाले लोगो का इस पेड़ पर होकर उस धारा को पार करने का रास्ता मिल गया और इस प्रकार संसार के पहले पुल का जन्म हुआ।लिखित प्रमाणों के अनुसार ईसा से 2230 वर्ष पूर्व बेबीलोन की यूफ्रटीज नदी पर लकडी के शहतीरो का पुल बनाया गया था। यह विश्व का प्रथम पुंल माना जाता है। इसके बाद ईसा से 600 वर्ष पूर्व इटली की आनियो नदी पर पत्थरों से पुंल निर्माण किया गया। प्राचीन चीन में भी कई नदियों पर झूला-पुंल के निर्माण का उल्लेख मिलता है।पुल निर्माण की कला कैसे विकसित हुईभारत में लगभग 5000 और 3500 वर्ष ईसा पूर्व के ग्रंथ रामायण मे सेतु-निर्माण का स्पष्ट उल्लेख मिलता है। इससे स्पष्ट है कि पुंल-निर्माण कला का उपयोग भारत में भी प्राचीन काल से होता रहा है। रामायण में सेतु-निर्माण के दौरान समस्या भी आती है, जिसे दूर किया जाता है और पत्थर पानी की सतह पर तैरने लगते है। इसका अर्थ यह है कि पुंल-निर्माण में किसी न किसी तकनीक का उस समय अवश्य इस्तेमाल किया गया था। राम की सेना के सदस्य नल और नील सेतु-निर्माण कला में पारंगत थे। अतः उन्ही ने सेतु-निर्माण किया।डायनेमो का आविष्कार किसने किया और डायनेमो का सिद्धांतपेरू की प्राचीन इंका सभ्यता के जमाने में भी पुंल-निर्माण का प्रचलन था। उस जमाने मे पुंल लगभग 200 फुट तक लम्बे हुआ करते थे। रोमनों ने सडक-निर्माण के साथ-साथ पुल-निर्माण के कार्य को भी विकसित किया। सडक-निर्माण के दौरान मार्ग में आने वाली नदियों और घाटियों की बाधाओं को उन्होंने पुल बनाकर दूर करने का प्रयास किया और वे उसमें सफल भी रहे। रोमनों ने 100 ईसा के लगभग डैन्यूब नदी पर एक पुल का निर्माण किया। यह पुल 150 फुट ऊंचे खंम्भो पर अवस्थित था। और इसके दोनों ओर लकड़ी की मेहराबें लगी हुई थी। रोमन साम्राज्य के समाप्त होने के बाद लगभग एक हजार वर्ष तक यूरोप में पुल निर्माण के क्षेत्र में कोई प्रगति नहीं हुई। बारहवीं सदी में अवश्य कुछ पुंल बने जो आर्नो फ्लोरेंस और एल्ब नदी पर बनाएं गए थे। इंग्लेंड में बने पहले पुल का निर्माण संभवतः रोमनो ने ही किया था।पुल1176 में पीटर द कोलचर्च ने इंग्लैंड में एक पत्थर के पुल का निर्माण कराया। यह पुल लगभग 900 फुट चौड़ा था, और इसमें 19 मेहराबें थी। जहाजों को निकलने के लिए रास्ता देने के लिए पुल का एक हिस्सा ऊपर खींचकर उठाया जा सकता था। यह पुंल लगभग छः सौ वर्षो तक काम में आता रहा।ट्रांसफार्मर का आविष्कार किसने किया और यह कैसे काम करता हैपुल-निर्माण की तकनीक के विकास का क्रांतिकारी कदम इटली ने उठाया। आधुनिक पुल-निर्माण के वैज्ञानिक बुनियादी सिद्धातों के ज्ञान की शुरुआत पंद्रहवीं और सोलहवीं शताब्दी से अर्थात लियोनार्दो दा विंची के कार्यों से मानी जा सकती है, परंतु पुंल निर्माण में लोहे का प्रयोग पूरी तरह इस्तेमाल अठारहवी सदी के अंत में ही हुआ। ढलवा लोहे का पहला मेहराबदार पुल 1770 में इंग्लैंड में बनाया गया। कुछ समय बाद इसी ढंग के पुंल जर्मनी और फ्रांस में निर्मित हुए। इसके बाद झूलने वाले पुलों का दौर शुरू हुआ। ये पुल जंजीरों के सहारे बनाए जाते थे, जो झूलते रहते थे। अमेरिका में बने कुछ झूला-पुंल विशेष रूप से उल्लेखनीय है।रेफ्रिजरेटर का आविष्कार किसने किया और कब हुआमेसाचुसेट्स मे मेरिमाक नदी पर सन् 1809 मे 240 फुट लम्बा झूला-पुंल आज भी मौजूद है। टॉमस टेल्फोर्ड ने बगोर मे मेनार्ड का प्रसिद्ध झुला-पुंल सन 1819-25 में बनाया, जो 580 फुट लम्बा था। न्यूयार्क आर न्यूजर्सी के मध्य हडसन झूला पुंल अमेरिका का आश्चर्यजनक ब्रिज है। यूरोप में इसी समय के आसपास पहला लोहे की जंजीर वाला झूलता पुंल जेनेवा में बना। इसे स्विस इंजीनियर हेनरी ड्रफोर और उसके फ्रांसीसी साथी मार्क सेक्वा ने बनाया।कैलेंडर का आविष्कार किसने किया और कब हुआअधिकांश आधुनिक झूला पुलों में इस्पात के मोटे रस्से लगे होते हैं। जो सैकड़ों तारों को ऐंठा कर बनाएं जाते हैं। क्योंकि इस तरह के रस्से झूला पुंल के लिए ज्यादा उपयोगी रहते है उन्नीसवीं शताब्दी के मध्य तक झूला पुल काफी लोकप्रिय रहे। केंचीदार पुंल की आरंभिक जानकारी चीनियों को भी थी। इस ढंग के पुल में दोनों ओर से लंबी लंबी कैंचिया मध्य में लाकर धरन (Fulcrum) के सहारे जोड दी जाती है। स्कॉटलेंड में फार्थ नदी पर बना एक ऐसा ही केंचीदार पुल है। क्यूबेक का सेंट लारेंस पुंल 1800 फुट लम्बा है। इसकी दोनों ओर की केंचिया दोनों किनारो पर से शुरू होती है।बिजली का आविष्कार किसने किया और कब हुआजिस जगह बहुत ज्यादा विस्तार की जरूरत नही होती वहां गाडर के ब्रिज उपयागी होते ह। गाडर के पुल देखने में तो सुंदर ओर आकर्षक नही लगते। गाडर पुलों की शुरुआत तब से हुई जब पिटवा लोहे की तकनीक विकसित हुई। जब जार्ज स्टीफेसन के पुत्र रॉबर्ट ने सबसे पहले इस नयी तकनीक के आधार पर मेनाइ जलसंधि पर ब्रिटानिया गार्डर पुंल का निर्माण किया तो संसार के अधिकांश इंजीनियरों का ध्यान इस नयी तकनीक की संभावनाओं पर केंद्रित हो गया। यह ब्रिज 1846-50 में बना। इसमे पिटवा लोहे की प्लेटों और ऐगलेरन से बनी नलीदार गर्डरो का उपयोग किया गया था।रेफ्रिजरेटर का आविष्कार किसने किया और कब हुआमेहराबदार पुल देखने में बहुत सुंदर लगते हैं। अतः अधिकतर इंजीनियर मेहराबदार पुल बनाने में ज्यादा दिलचस्पी लेते रहे है। पत्थर और ईंट से बने मेहराबदार पुलो का विस्तार ज्यादा नही हो पाता था। लोहे ओर इस्पात के प्रयोग के बाद इनका विस्तार कर पाना सभव हो गया। लोहे का महराबदार बडा पुंल 1864 में कोब्लज में राइन नदी पर बना। इस पुंल में तीन लम्बे विस्तार थे। इसमें प्रत्येक विस्तार की लम्बाई 35 फूट थी। इस समय एक विस्तार का सबसे बडा मेहराबदार पुल आस्ट्रेलिया का सिडनी हार्बर पुल है।घड़ी का आविष्कार किसने किया और कब हुआसंसार का सबसे ऊंचा ब्रिज नार्वे ओर स्वीडन के मध्य स्वाइन संड नदी पर बना है। यह पुल 1946 में बना। पुल और सुरंग का यह अद्वितीय संयोजन अमेरीका के वर्जीनिया क्षेत्र में चेसापेक खाडी के आरपार 1963 में बनकर तैयार हुआ। यह पुंल-सुरंग लगभग साढे सत्रह मील लम्बा है। इसमे 2 मील लम्बा ‘घोडी-पुल’ पानी की सत्तह से 30 फुट ऊचा है। इसके मध्य मे चार कृत्रिम द्वीप हैं। इन्ही पर आधारित होकर दो सुरंगें जाती हैं। बीच में एक प्राकृतिक द्वीप भी पडता है। इस तरह पुल और सुरंग का यह बडा अनूठा संयोजन बन पडा है।हमारे यह लेख भी जरूर पढ़ें:—-[post_grid id=”8586″]Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new 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