उत्तर प्रदेश के जालौन जिले की कालपी तहसील के कालपी नगर में मुहल्ला अदल सराय में पाहूलाल मंदिर स्थित है। वर्तमान में यह मुहल्ला बड़ा बाजार नाम से जाना जाता है। परन्तु अदल सराय
कालपी के प्राचीन 52 मुहल्लों में से एक था। इस मंदिर का निर्माण श्री पाहूलाल खत्री द्वारा किया गया था अतः इसे पाहूलाल मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर के गर्भगृह में बिहारी जी की मूर्ति स्थापित है अस्तु यह बिहारी जी के मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।
पाहूलाल मंदिर का इतिहास
इस मंदिर का निर्माण लाला पाहूलाल खत्री ने अपनी ‘मानता (मन्नत) के आधार पर कराया। कालपी निवासी मेहरे वंशोदभव लाला पाहूलाल ठाकुरदास, गौरी शंकर और हीरालाल चार भाई थे जिनमें से लाला ठाकुर दास के ही कन्हई प्रसाद नाम का एक पुत्र था और उसी पर सबकी वंशवृद्धि हेतु आशा थी। एक-दिन दैवयोग से बालक कन्हई प्रसाद हवेली के चार मंजिले छज्जे से नीचे गिर पड़ा जिसके कारण पूरे परिवार के समक्ष अन्धकार हो गया।
ताला पाहूलाल ईश्वर में आस्था रखने वाले व्यक्ति थे अतः उन्होंने यह मानता मानी के यदि बालक कन्हई प्रसाद स्वस्थ हो जावेगा तो वे गोपाल बिहारी जी की मठ बनवायेगे और सन 1785 (संवत1841) में इस मंदिर का शिलान्यास हुआ तथा 60 वर्षों के अनवरत निर्माण के पश्चात् सन 1844 में (सवंत 1901) मंदिर में गोपाल जी की प्राण प्रतिष्ठा हुई।
श्री रूपकिशोर टण्डन के अनुसार अदल सराय स्थित यह मन्दिर सवंत 1903 तदनुसार सन 1847 ई० में बनकर तैयार हुआ। श्री विन्देदीन पाठक के अनुसार इस मंदिर का निर्माण सवंत 1802 तदनुसार सन 1746 ई० में हुआ। अर्जुन सिंह तथा श्री अखिलेश विद्यार्थी के अनुसार भी इस मंदिर का निर्माण सन 1746 ई० तदनुसार संवत 1802 में हुआ था।श्री प्रतापनारायण पाण्डे के अनुसार यह एक प्राचीन मंदिर है।
इस मंदिर में एक शिलालेख भी प्राप्त हैं। यह शिलालेख देवनागरी लिपि में है तथा इस पर निम्नानुसार अंकित है
“ओ गणेशाय नमः श्री गोपाल जी का मंदिर बनवाया लाला पाहूलाल हीरालाल , ठाकुरदास, गौरीशंकर खत्री मेंहरे निवासी कालपी के पुरा अदल सराय। गुरू नित्यानन्द जी। कारीगर गयाप्रसाद मिती कुआँर सुदी 11 रानौ संवत 1802।
उपर्युक्त शिलालेख से स्पष्ट है कि इस गोपाल जी के मंदिर का निर्माण कालपी के मुहल्ला अदल सराँय के निवासी लाला पाहूलाल, हीरालाल, ठाकुरदास, गौरीशंकर खत्री ने अपने गुरू नित्यानन्द जी महाराज के निर्देशन में गयाप्रसाद कारीगर द्वारा कवाँर सुदी 11संवत 1802 तदनुससार ई० सन ० 1746 में कराया।

श्री पाहूलाल मंदिर का वास्तुशिल्प
यह मंदिर विशाल व विस्तृत है। इसका मुख पूर्व की ओर है व यह एक शिखराकार मंदिर है। इसके अन्दर विस्तृत आँगन है। मंदिर के गर्भगृह में मंदिर के अधिष्ठता देव स्थापित है। इसी गर्भगृह के ऊपर विशाल शिखर है। इस गर्भगृह के उत्तरी तथा दक्षिणी ओर भी एक एक सहायक गर्भगृह कक्ष स्थापित है। इन तीनों कक्षों के बाहर पूर्व की ओर दालान रूपी मण्डप स्थित है तथा इस मण्डप के पश्चात पूर्व की ओर एक विस्तृत आँगन है। इस आँगन के उत्तरी ओर एक दालान स्थित है। जिसमें भी कई प्रकार की मूर्तियां प्रतिष्ठित हैं। इस विशाल खुले आँगन के पूर्व की और पुन एक दालान है। खुले आँगन के दाक्षणी और भी एक दालान स्थित है। यह सम्पूर्ण मंदिर पृथ्वी से छः फुट ऊंचे चबूतरे पर स्थित है।
गर्भगृह के ऊपर जहां विशाल शंकु आकार का शिखर स्थित है वहीं उत्तरी एवं दक्षिणी सहायक गर्भगृहों पर आमलका कृति शिखर स्थित है जोकि ऊपर केन्द्र में कमल दल से आवेषित हैं। मुख्य शिखर पर चारों दिशाओं में तीन तीन मेहरबदार दरवाजों से युक्त कोबिले स्थित है एवं गोल गुम्बदाकार शिखरों के चारों दिशाओं में भी चार चार द्वारों से युक्त छोटी छोटी कोबिले स्थित है। मंदिर की सभी दिलाने मेहराब दार दरवाजों से युक्त है। एवं आंगन में खुलते हैं। मंदिर के पूर्वी द्वार पर गणपति जी की मूर्ति एवं मंदिर के उत्तरी द्वार पर भगवान बुद्ध की मूर्ति स्थपित है। इस देवालय को यदि मूर्तियों का एक अनुपम संग्रहालय कहा जाये तो अतिश्योक्ति न होगी।
श्री पाहूलाल मंदिर की मूर्ति शिल्पकला
इस मंदिर के गर्भगृह में श्यामवर्ण की गोपाल जी की प्रतिमा व श्वेत वर्ण की राधाजी की प्रतिमा स्थापित है। गोपालजी की प्रतिमा बासूँरी वादन मुद्रा में डेढ़ टांग पर आधारित त्रिभंग मुद्रा में सुन्दर मूर्ति है, एवं राधा जी की मूर्ति अत्यन्त मनोहारी प्रसन्न मुद्रा की मूर्ति है। गोपालजी की, राधाजी की चार चार मूर्तियाँ केन्द्रीय गर्भगृह में एक सिंहासन पर आरूढ़ है। सिंहासन के आधार पर उत्तरी एव दाक्षणी और दोनो अग्रपादों के आधार पर बैठ मुद्रा मे सिंह अंकित है।
गर्भगृह के दक्षिणी उपग्रह कक्ष में एकादश शिवलिंग स्थापित है एव गर्भगृह के उत्तरी उपगर्भगृह कक्ष में दीवारों पर चारों ओर पत्थरों से निर्मित देवी मूर्तियों स्थापित हैं। गर्भगृह़ की मूर्तियों को एवं शिवलिंग को छोड़कर पाहूलाल मंदिर में जितनी भी मूर्तियां स्थापित हैं, वे सभी लाल बलुआ पत्थर पर अंकित है। इस देवालय में कुल 93 मूर्तियाँ हैं। जिनकी स्थिति नाम सहित संग्लन पृष्ठ पर अंकित है। इन मूर्तियों में दशानन, भगवान विष्णु आदि की मूर्तियाँ अद्वितीय है।
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