पंढरपुर मंदिर दर्शन – पंढरपुर तीर्थ का इतिहास Naeem Ahmad, July 17, 2018August 11, 2018 पंढरपुर मंदिर महाराष्ट्र का प्रधान तीर्थ है। महाराष्ट्र के संतों के आराध्य है श्री पंढरीनाथ। देवशयनी और देवोत्थानी एकादशी को वाराकरी संप्रदाय के लोग यहा यात्रा करने आते है। इस यात्रा को“वारी देना”कहते है। उस समय यहां बहुत भीड़ होती है। भक्त पुंडरीक तो इस धाम के प्रतिष्ठाता है ही। इनके अतिरिक्त संत तुकाराम जी, नामदेव, शंका-बंका, नरहरि आदि संतो की यह.निवास भूमि रही है। पंढरपुर महाराष्ट्र की भीमा नदी के तट पर स्थित हैं, जिसे यहां चंद्रभागा नदी भी कहते है। तो अपने इस लेख मे हम पंढरपुर मंदिर की यात्रा, पंढरपुर दर्शन, पंढरपुर का इतिहास, पंढरपुर के दर्शनीय स्थल, और पंढरपुर के धार्मिक महत्व को समझते हुए पंढरपुर की यात्रा करेंगे।पंढरपुर मंदिर के सुंदर दृश्यContents1 पंढरपुर तीर्थ की धार्मिक पृष्ठभूमि2 पंढरपुर मंदिर दर्शन2.1 पंढरपुर मंदिर के आसपास के दर्शनीय स्थल2.2 2.2.0.1 पंढरपुर कैसे पहुंचेपंढरपुर तीर्थ की धार्मिक पृष्ठभूमिकहा जाता है कि भक्त पुंडरीक माता-पिता के परम सेवक थे। वे माता-पिता की सेवा में लगे हुए थे। उस समय भगवान श्रीकृष्ण उन्हें दर्शन देने के लिए पधारे। पुंडरीक ने भगवान को खडे होने के लिए एक ईंट सरका दी, परंतु वे माता-पिता की सेवा छोडकर उठे नही, क्योंकि वे जानते थे कि माता-पिता की सेवा से प्रसन्न होकर ही भगवान ने उन्हें दर्शन दिए थे।इससें भगवान और भी प्रसन्न हुए। माता-पिता की सेवा करने के बाद पुंडरीक भगवान के निकट पहुंचे और वरदान मागने के लिए प्ररेरित किए जाने पर उन्होंने मांगा कि– आप सदा यही इसी रूप में स्थित रहें। तभी से भगवान यहां विग्रह रूप में स्थित हैं।पंढरपुर मंदिर दर्शनश्री विट्ठलनाथ मंदिरपंढरपुर मंदिर मे पंढरपुर का यह मुख्य मंदिर है। यह एक विशाल मंदिर है। मंदिर मे कमर पर दोनों हाथ रखे भगवान पंढरीनाथ खडे है। मंदिर के घेरे मे ही श्री रखुमाई (रूक्मिणी जी) का मंदिर भी है। इसके अतिरिक्त बलराम जी, सत्यभामा, जाम्बवती तथा श्री राधा जी के मंदिर भी भीतर ही है।चोखामेला की समाधिश्री विट्ठल मंदिर मे प्रवेश करते समय द्वार के सामने चोखामेला की समाधि है। प्रथम सीढी पर ही श्री नामदेवजी की समाधि है, और द्वार के एक ओर आरवा भक्त की मूर्ति है।नारद की रेतीचंद्रभागा नदी के किनारे चंद्रभागा तीर्थ, सोमतीर्थ आदि स्थान है। यहां भी बहुत से मंदिर है। इस स्थान को नारद की रेती कहते है। यहा पर मुख्य मंदिर श्री नारदजी का है। यहा एक स्थान पर दस शिवलिंग है। इसके अलावा एक चबूतरे पर भगवान के चरण चिन्ह है। जिन्हें विष्णु पद कहते है।पंढरपुर मंदिर के सुंदर दृश्यजनाबाई की चक्कीपंढरपुर से लगभग पांच किलोमीटर दूर एक गांव मे जनाबाई की चक्की है, कहते है कि इस चक्की को भगवान ने अपने हाथो से चलाया था।पंढरपुर मंदिर के साथ साथ हमारे यह लेख भी जरूर पढे:–गंगासागर तीर्थ यात्रामहाबलेश्वर के दर्शनीय स्थलनागेश्वर महादेव ज्योतिर्लिंगअनुपपुर के दर्शनीय स्थलडाकोर टेम्पल हिस्ट्रीपंढरपुर मंदिर के आसपास के दर्शनीय स्थलगौरीशंकरपंढरपुर से शिंगणापुर जाते समय सडक से आधा मील दूर गौरीशंकर का मंदिर है। इसमें अर्धनारीश्वर की बडी सुंदर मूर्ति है। कहते है कि किसी ने मूर्ति का अंगूठा काटा तो वहा से रक्त निकला। कटे हुए स्थान पर हड्डी आज भी दिखती है।नरसिंहपुरपंढरपुर से कुर्दुवाडी स्टेशन लौट आए तो कुर्दुवाडी से 17 मील पर नरसिंहपुर गांव मिलता है। यह गांव भीमा और भीरा नदियों के बीच है। ये नदियां आगे जाकर मिल गई है। इस संगम स्थान को त्रिवेणी कहते है। यहा के लोग नरसिंहपुर को महाराष्ट्र का प्रयाग और पंढरपुर को काशी मानते है। कहा जाता हैं कि यह प्रहलाद जी की जन्मभूमि है। यहां देव ऋषि नारद जी का आश्रम था, जहां कयाधू के गर्भ से प्रहलाद उत्पन्न हुए थे। कुछ लोग इसे प्रहलाद जी की तपोभूमि मानते है।पंढरपुर कैसे पहुंचेमध्य रेलवे की मुंबई – पूना – रायचूर लाइन पर पूना से 185 किलोमीटर दूर कुर्दुवाडी स्टेशन है। स्टेशन से पंढरपुर लगभग ढाई किलोमीटर दूर है। यहां तक बसे व अन्य वाहन आसानी से उपलब्ध है।ठहरने के लिएपंढरपुर मे अनेक धर्मशालाएं है। यात्री पंडो के यहां भी ठहर सकते है। इसके अलावा अब यहा कई अच्छे गेस्टहाउस और होटल भी खुल गए है।पंढरपुर मंदिर, पंढरपुर दर्शन, पंढरपुर तीर्थ यात्रा, पंढरपुर का इतिहास, पंढरपुर की यात्रा से संबंधित हमारा यह लेख आपको कैसा लगा हमे कमेंट करके जरूर बताएं। यह जानकारी आप अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया पर भी शेयर कर सकते है। भारत के प्रमुख धार्मिक स्थल महाराष्ट्र के दर्शनीय स्थलमहाराष्ट्र के मंदिरमहाराष्ट्र दर्शनमहाराष्ट्र पर्यटनमहाराष्ट्र यात्रा