देश की राजधानी दिल्ली से लगभग 300किलोमीटर की दूरी पर उतराखंड राज्य के कुमांऊ की पहाडीयोँ के मध्य बसा यह खुबसूरत शहर झीलों के शहर के नाम से भी प्रसिद्ध है। यह हिमालयन बेल्ट में ही स्थित है । नैनीताल अपने खुबसूरत परिदृश्यों ओर शांत परिवेश के कारण पर्यटकों के स्वर्ग के रूप में भी जाना जाता है। अपने इस लेख में हम नैनीताल की यात्रा करेगें और नैनीताल के पर्यटन स्थल, नैनीताल के दर्शनीय स्थल, नैनीताल टूरिस्ट पैलेस, नैनीताल भारत आकर्षक स्थल, नैनीताल में घुमने लायक जगह आदि कै साथ साथ नैनीताल के टॉप आकर्षक स्थलो के बारे में विस्तार से जानेगें।
नैनीताल मल्लीताल, नैनी झीलनैनीताल का इतिहास
नैनीताल की स्थापिता में कई कथाएँ प्रचलित है । नैंंनीताल को श्री स्कन्द पुराण के मानस खंड में तीन संतों की झील या त्रि-ऋषि-सरोवर के रूप में उल्लेखित किया
गया है । तीन संत जिनके नाम – अत्री, पुलस्त्य ओर पुलाह थे अपनी प्यास मिटाने के लिए नैनीता़ल में रूके थे परन्तु उन्हें कहीं भी पानी नहीं मिला तब उन्होंने एक गढ्ढा खोदा ओर मानसरोवर झील से लाए गए जल से गढ्ढे को भर दिया तब से यह नैनीताल नामक प्रसिद्ध झील अस्तित्व में आई एक अन्य कथा में कहा गया है कि हिन्दू देवी सती( भगवान शिव की पत्नी ) की बांई आंख इस जगह पर गिर गई थी जिससे इस आंख के आकार वाली नैनी झील का निर्माण हुआ
ब्रिटिश व्यापारी पी बेरून ने 1839 में यहाँ की सम्मोहित कर देने वाली खुबसूरती से प्रभावित होकर ब्रिटिश कलोनी स्थापित करके नैनींंताल को लोकप्रिय बना दिया । वैसे तो नैनीताल में घुमने योग्य कई प्रसिद्ध जगह है आइए में आपको कुछ प्रसिद्ध जगह से रूबरू कराता हूँ।
नैनीताल मल्लीताल, नैनी झील
नैनी झील(तल्लीताल व मल्लीताल)
नैनीताल का मुख्य आकर्षण यहाँ की नैनी झील है । इस झील में नौकायन का आनंद लेने के लिए लाखों देशी ओर विदेशी पर्यटक यहाँ आते है ।झील के पानी में आसपास के पहाड़ों का प्रतिबिंब दिखाई पड़ता है । रात के समय जब चारों ओर बल्बों की रोशनी होती है तब तो इसकी सुंदरता ओर बढ जाती है । झील के उत्तरी किनारे को मल्लीताल ओर दक्षिणी किनारे को तल्लीताल कहते है । यहाँ एक
पुल है जहाँ गांधी जी की प्रतिमा और पोस्ट आफिस है इसी पुल पर बस स्टेशन टैक्सी स्टेड और रेलवे रिजर्वेशन कांउटर भी है झील के दोनों किनारों पर बहुत सी दुकानें ओर खरीदारी कैन्द्र है जहाँ बहुत भीड़भाड़ रहती है । झील के उत्तरी छोर पर
नैना देवी मंदिर है । नैनींंताल के तल्लीताल डॉट से मछलियों का झुंड उनको खाना आदि देने वालों के लिए आकर्षण का केंद्र है।
नैनी झील को आप विडियो के माध्यम से भी देख सकते है:—
माल रोड
झील के एक ओर स्थित माल रोड जिसे अब गोविन्द बल्लभपंत मार्ग कहा जाता है । यहां बहुत सारे होटल रेस्टोरेंट ट्रेवल्स एजेंसी दुकाने ओर बैंक है । माल रोड मल्लीताल और तल्लीताल को जोडने का मुख्य रास्ता है । झील के दुसरी ओर ठंडी रोड है यह माल रोड की तरह व्यस्त नहीं है । ठंडी रोड पर वाहनों को लाना मना है
एरियल रोपवे
यह रोपवे नैनीताल का मुख्य आकर्षण है । यह स्नो व्यू प्वाइंट ओर नैनीताल को जोडता है । रोपवे मल्लीताल से शुरु होता है यहाँ दो ट्राली है जो सवारियों को लेकर जाती है
सात चोटियाँ
चीनी पीक (नैना पीक)
नैनापीक 2611 मीटर की उंचाई वाली पर्वत चोटी है । नैनींंताल से लगभग साढ़े पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित है । यहाँ एक ओर बर्फ से ढका हिमालय दिखाई देता है ओर दूसरी ओर नैनीताल शहर का भव्य दृश्य देखा जा सकता है
किलवरी
यह पर्वत चोटी 2527 मीटर की उचांई पर स्थित है । यह पिकनिक मनाने का सुंदर स्थल है यहाँ पर वन विभाग का एक विश्रामगृह भी है
लडियाकांटा
लडियाकाटा 2472 मीटर की उचांई पर यह पर्वत श्रेणी है । जो नैनीताल से लगभग साढ़े पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित है यहाँ से नैनीताल के ताल की झांकी अत्यंत सुंदर दिखाई देती है ।
देवपाटा और केमलसबैग
यह दोनों चोटियाँ साथ साथ है जिनकी उचांई क्रमशः 2435 मीटर ओर 2333 मीटर है । इस चोटी से भी नैनींंताल ओर समीप वाले इलाकों के दृश्य अत्यंत सुंदर लगते है।
डेरोथीसीट
वास्तव में यह अथांरपाटा पहाड़ी है । परंतु एक अंग्रेज़ ने अपनी डेरोथीसीट जो
हवाई जहाज से यात्रा करती हुई मर गई थी उसकी कब्र यहाँ बनवायी थी। उसकी कब्र डेरोथीसीट के नाम पर ही इस चोटी का नाम पड गया ।यह नैनींंताल से चार किलोमीटर की दूरी 2290 मीटर की उचांई पर स्थित है ।
स्नो व्यू और हनी बनी
नैनीताल से केवल ढाई किलोमीटर की दूरी ओर 2270 मीटर की उचाई पर हवाई पर्वत चोटी है । शेर का डाण्डा पहाड़ पर यह चोटी स्थित है । जहाँ से हिमालय का भव्य दृश्य साफ साफ दिखाई देता है । इसी तरह स्नो व्यू से लगी दूसरी चोटी हनीबनी है । जिसकी उचाई 2171 मीटर है । यहाँ से भी हिमालय के सुंदर दृश्य दिखाई देते है
नैनीताल के आसपास ही कुछ ही दूरी पर ओर भी बहुत सी झीलें है उनमें से कुछ प्रमुख पर रोशनी डालते है
भीमताल
यह नैनीताल से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है बहुत ही प्रसिद्ध ताल है। अंग्रेजों ने भीमताल को स्विट्ज़रलैंड से भी खुबसुरत माना था हरी भरी पहाड़ियों के आच्छादित मैदान व पहाड़ी प्राकृतिक के समावेश से बना यह क्षेत्र आगंतुकों को पहली नजर में भा जाता है । तभी अंग्रेज़ इइस जगह को स्नेहवश वेस्ट मोर लेण्ड आफ कुमाँऊ के नाम से पुकारते थे । भीमताल मुख्य रेलवे स्टेशन काठगोदाम से 20 किलोमीटर उत्तर पूर्व में स्थित है । इसके अलावा भीमताल में पर्यटक ट्रेकिंग के रूप में नलदुमयन्ती, पवन ऋषि आश्रम व दिडम्बा पर्वत, महाराज निन्द पैलेस जैसे एतिहासिक व धार्मिक स्थलों का भी भ्रमण कर सकता है साथ ही देश की पहाड़ी क्षेत्रो की प्रथम औधोगिक घाटी को भी जो कि भीमताल इलैक्ट्रोनिक घाटी के रूप में जानी जाती है
भीमताल को आप विडियों के माध्यम से भी देख सकते है:—
नौकुचियाताल
भीमताल से ही लगा एक और सुदंर प्राकृतिक झील नौकुचियाताल है ।भीमताल से चार किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह झील अपनी प्राकृतिक बनावट के कारण दर्शनीय है । नौ कोनों में बटी इस झील में ही कमल के फूलों का एक छोटा सा कमल तालाब है ।इसके अलावा नौकुचियाताल विभिन्न प्रजातियों की पक्षियों के प्राकृतिक बसेरे के रूप में भी जाना जाता है
सातताल
भीमताल से ही लगभग 10 किमी की दूरी पर स्थित सात झीलों का एक समूह है । जिसे सातताल के नाम से जाना जाता है ।इस झील समूह में राम लक्ष्मण सीता हनुमान नलदयन्ती गरूड़ व सूखा ताल प्रमुख है नलदमयन्ती ताल मछलियों की जल क्रिड़ा व चाय के पौधों की नर्सरी के लिए प्रसिद्ध है
सातताल के सुंदर दृश्यों को आप विडियों के माध्यम से भी देख सकते है:—
सडिया ताल या सरिता ताल
सरिता ता नैनीताल से कालाडूंगी रोड पर नैनीताल से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह झील एक प्राकृतिक झरने से बनी हुई है। हांलाकि यह ज्यादा बडी झील नही है। यहा पर आप बोटिंग और वाटर बॉल की सवारी का आनंद ले सकते है। यहा पर छोटे छोटे रेस्टोरेंट भी है जिन पर नाश्ते की उत्तम व्यवस्था है
सडिया ताल को आप विडियो के माध्यम से भी देख सकते है:–
नयना देवी मंदिर
नैना देवी मंदिर अथवा नयना देवी मंदिर नैनीताल में नैनी झील के उत्त्तरी किनारे पर स्थित है। 1880 में भूस्खलन से यह मंदिर नष्ट हो गया था। बाद में इसे दुबारा बनाया गया। यहां सती के शक्ति रूप की पूजा की जाती है। यह मंदिर हिंदू देवी, ‘नैना देवी’ को समर्पित है। नैना देवी की प्रतिमा के साथ भगवान श्री गणेश और काली माता की मूर्तियाँ भी इस मंदिर में प्रतिष्ठापित हैं। पीपल का एक विशाल वृक्ष मंदिर के प्रवेश द्वार पर स्थित है। मंदिर में दो नेत्र हैं जो नैना देवी को दर्शाते हैं। नैनी झील के बारे में माना जाता है कि जब शिव सती की मृत देह को लेकर कैलाश पर्वत जा रहे थे, तब जहां-जहां उनके शरीर के अंग गिरे वहां-वहां शक्तिपीठों की स्थापना हुई। कहा जाता है कि नैनी झील के स्थान पर देवी सती के नेत्र (नयन) गिरे थे। इसी से प्रेरित होकर इस मंदिर का नाम नयना देवी (नैना देवी) पड़ा।
नयना देवी मंदिर नैनीतालनयना देवी मंदिर के सुंदर दृश्य विडियों के माध्यम से भी देख सकते है:—
जामा मस्जिद नैनीताल
नैनीताल में स्थित जामा मस्जिद पुलिस स्टेशन मलिताल के पास है। 1882 में नैनीताल के आसपास सैन्य शिविरों में स्थित मुस्लिम सैनिकों के लिए ब्रिटिश युग के दौरान यह मस्जिद बनायी गयी थी। इसके मुख्य प्रवेश द्वार पर अरबी शिलालेख देख सकते है। मस्जिद के गुंबद और बनावट बहुत ही खुबसूरत और दर्शनीय है।
जामा मस्जिद नैनीताल
गुरूद्वारा गुरू सिंह सभा
गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा नैनीताल नैनीताल के शीर्ष धार्मिक स्थान में से एक है। यह तिब्बती बाजार से ठीक पहले नैनी देवी मंदिर के नजदीक स्थित है। यह स्थानीय लोगों और पर्यटकों के बीच भी बहुत लोकप्रिय है। गुरुद्वारा नैनी झील पर स्थित है। गुरुद्वारा अच्छी तरह से बनाए रखा गया है और यहां कुछ कमरे भी हैं। अगर आप नैनीताल में है, तो यहा अवश्य जाना चाहिए।
नैनीताल गुरूद्वारानैनीताल चिडियाघर
नेनीताल का चिडियाघर माल रोड से चर्च के पास से एक मार्ग नैंंनीताल पहाडी की चोटी की ओर जाता है। जो नैंंनीताल के चिडियाघर पर जाता है। चर्च के पास से चिडियाघर तक के लिए शेयर्ड सूमो चलती है। जो प्रति सवारी आने जाने का 40 रूपये किराया लेती है। यह मार्ग तंग और अधिक चढाई का होने के कारण नैंंनीताल प्रशासन ने वहा प्राइवेट कार को लेकर जाना प्रतिबंधित कर दिया है। चिडियाघर तक पहुंचने के सिर्फ दो ही साधन है। शेयर्ड सूमो या फिर पैदल। नैंंनीताल की पहाडी की चोटी पर बने इस चिडियाघर में आप अनेक प्रकार के पहाडी जानवर व पक्षियों को देख सकते है। जिसमे शेर, चीता, भालू, सफेद मोर और कई प्रकार की बर्डस आपको यहा देखने को मिलेगी।
नैनीताल जू में नाचते मोर का विडियो आप यहा देख सकते है:–
कब और कैसे
गर्मी का मौसम नैनीताल जाने के लिए सबसे अनुकूल मौसम है । वैसे शरद ऋतु में भी जाया जा सकता है यहाँ इतनी अधिक ठंड नहीं होती
मुख्य रेलवेस्टेशन काठगोदाम रेलमार्ग का मुख्य मार्ग है सड़क द्वारा हलद्वानी से यहाँ के लिए सीधे बस सेवा है
हवाई मार्ग से जाने के लिए
देहरादून और दिल्ली इसके सबसे नजदीक हवाई अड्डे है
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