नागेश्वर महादेव भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंगो में से एक है। यह एक पवित्र तीर्थ है। नागेश्वर महादेव ज्योतिर्लिंग कहा है। यह एक विवादग्रस्त प्रश्न है। असली नागेश्वर महादेव कहा है? कुछ लोगो का मानना है की असली नागेश्वर ज्योतिर्लिंग हैदराबाद राज्य में है कुछ लोगो का मानना है कि असली ज्योतिर्लिंग उत्तराखंड में है। परंतु शिवपुराण को देखने से पता चलता है कि वह ज्योतिर्लिंग गोमती – द्वारका से बेट -द्वारका को जाते समय कोई बारहा तेरहा मील पूर्वोत्तर की ओर रास्ते में है। यह ज्योतिर्लिंग गुजरात के द्वारका से 15 किलोमीटर दूर एकांत में है। शिव महापुराण के अनुसार इसी को असली नागेश्वर ज्योतिर्लिंग माना गया। ज्यादातर लोगो का मानना भी यही है। इसीलिए ज्यादातर श्रृद्धालु यहा आते है। और अपनी इस पोस्ट में हम अपने पाठको को गुजरात के द्वारका के समीप स्थित इस ज्योतिर्लिंग यात्रा के बारे में बताएगें।
नागेश्वर महादेव मंदिर के सुंदर दृश्य
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग का महात्मय
आइये सबसे पहले हम जानतै है कि नागेश्वर महादेव ज्योतिर्लिंग का महत्व क्या है? इस ज्योतिर्लिंग का नाम नागेश है। जिसे नागेश्वर के नाम से जाना जाता है हिन्दू धर्म में नागेश्वर का अर्थ हो ता है ” नागो के इश्वर”। इसके दर्शन का बडा महात्मय माना जाता है। कहा गया है कि जो आदरपूर्वक इसकी उत्पति और माहात्मय को सुनेगा वह समस्त पापो से मुक्त होकर समस्त ऐच्छिक सुखो को भोगता हुआ अंत में परमपदो को प्राप्त करेगा ऐसा शिवपुराण में लिखा है।
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की कथा
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के महत्व को जानने के बाद अब हम इस पवित्र ज्योतिर्लिंग के प्रकट होने के पिछे प्रचलित कथा के बारे में जानेगें। जिस प्रकार नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के स्थिन को लेकर लोगो के कई मत है। इसी तरहा इस ज्योतिर्लिंग को लेकर अलग अलग स्थान की अलग अलग कथाएं है। गुजरात के द्वारका के समीप स्थित इस ज्योतिर्लिंग की कथा के अनुसार :- सुप्रिय नामक एक वैश्य था। जो बडा ही धर्मात्मा, सदाचारी तथा भगवान शिवजी का अनन्य परम भक्त था। एक बार वह नौका पर सवार होकर कही जा रहा था। अकस्मात दारूक नाम के एक राक्षस ने आकर उस नौका पर आक्रमण किया और उसमें बैठे हुए सभी यात्रियो को बंदी बनाकर अपने साथ अपनी पुरी ले गया। वहा जाकर उसने सुप्रिय सहीत सभी यात्रियो को कारावास में डाल दिया।
परंतु सुप्रिय की शिवार्चना कारावास में भी बंद नही हुई। वह तन्मय होकर भगवान शिवजी की आराधना करता रहा। साथ ही वह अन्य कैदियो को भी शिव भक्ती के लिए जाग्रत करता था। संयोगवश इसकी खबर राक्षस दारूक तक पहुंच गई । वह कारागार में आ धमका। सुप्रिय उस समय ध्यान अववस्था में लीन था। उसे देखकर दारूक क्रोध से आगबबूला हो गया और बोला- रे वैश्य! यह आंखे मूंदकर तू कैसा षड्यंत्र रच रहा है। ऐसा कहकर उसने ध्यानमग्न सुप्रिय को ठोकर मारी, परंतु उससे भी सुप्रिय का ध्यान भंग न हुआ। तब क्रोधित राक्षस दारूक ने अपने सेवको को आदेश दिया कि सुप्रिय की हत्या कर दे।
जब सुप्रिय की हत्या का प्रयास किया गया तो वहा अचानक भगवान शिव ने एक ऊंचे स्थान पर चमकते हुए सिंहासन में स्थित ज्योतिर्लिंग रूप में दर्शन दिए। उन्होने सुप्रिय को अपना पाशुपास्त्र भी दिया। उस पाशुपास्त्र से सुप्रिय ने समस्त राक्षसो का संहार किया तथा शिव धाम को चला गया। भगवान शिव के आदेशनुसार इस ज्योतिर्लिंग का नाम नागेश्वर पडा।
नागेश्वर महादेव मंदिर के सुंदर दृश्य
नागेश्वर महादेव मंदिर के दर्शन
यह मंदिर द्वारका से लगभग 15 किमीटर की दूरी पर स्थित है। यह मंदिर एकांत में बना हुआ है। यहा इस मंदिर के पास के चारो ओर न कोई गांव है न कोई बसीकत है। द्वारका से यहा के लिए आसानी से बस या आटो रिक्शा से आसानी से पहूंंचा जा सकता है। मंदिर की ओर बढते मार्ग मार्ग में दूर से ही मंदिर के प्रागण में स्थित विशाल प्रतिमा दिखाई देने लगती है। यह विशाल शिव जी की मूर्ति 125 फुट ऊंची तथा 25 फिट चौडी है। जो इस मंदिर की शोभा बढाती है। तथा अपने विशाल आकार के कारण श्रृद्धालुओ का आकर्षण का मुख्य केंद्र बनती है। मंदिर परिसर के साधारण मुख्य द्वार से प्रवेश करने पर सामने ही गहरे लाल रंग में नागेश्वर महादेव का मंदिर है मंदिर के सभा मंडप के नीचे गर्भगृह में नागेश्वर शिवलिंग है। जो चांदी की तरह चमकता हुआ है जिसके ऊपर चांदी की सांप की आकृति बंनी हुई है। इसका आकार मध्यम बडे वर्ग का है।
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नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की कथा
नागेश्वर महादेव मंदिर के समीप दर्शनीय स्थल
मंदिर से तीन दूर गोपी तालाब है। यह एक कच्चा सरोवर है। इस सरोवर में पिले रंग की मिटटी है। जिसे गोपीचंद कहते है। यहा पास में धर्मशाला नागेश्वर मंदिर पर आने वाले श्रृद्धालु के ठहरने हेतु यहा व्यवस्था रहती है। यही पर श्री गोपीनाथ जी का मंदिर तथा श्री बल्लभाचार्यजी की बैठक तथा श्री राधा- कृष्ण का मंदिर भी है।
नागेश्वर महादेव की 10 रोचक जानकारी
- नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने के लिए यहा के नियम के अनुसार धोती बांधकर दर्शन के लिए जाया जाता है।
- दर्शन के लिए धोतिया मंदिर समिति की तरफ से यहा मिलती है
- नागेश्वर ज्योतिर्लिंग का अभिशेक गंगा जल से किया जाता है।
- गंगा जल यहा मंदिर समिती की ओर से नि:शुल्क दिया जाता है।
- इस मंदिर का जीर्णोदार सुपर कैसेट के मालिक व गीतकार गुलशन कुमार ने 1996 शुरू कराया था
- निमार्णधीन अवधी में ही श्री गुलशन कुमार जी की हत्या हो गई।
- गुलशन कुमार की हत्या के बाद इस मंदिर के जीर्णोदार का कार्य उनके परिवार वालो ने पूर्ण कराया
- मंदिर के जीर्णोदार का खर्च गुलशन कुमार चेरिटेबल ट्रस्ट ने ग्रहण किया
- मंदिर के जीर्णोदार में 1.25 करोड रूपये का खर्च आया था।
- यह मंदिर सुबहह पांच बजे आरती के साथ खुलता है तथा रात्रि नौ बजे बंद हो जाता है।
- जो यात्री रूद्र अभिषेक करते है उन्ही यात्रियो को गर्भगृह में जाने की अनुमति होती है।
- रूद्र अभिषेक के लिए यहा शुल्क देकर मंदिर समिति से पर्ची कटवानी पडती है।
कहां ठहरे
द्वारका यात्रा पर जाने वाले अधिकांश यात्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग दर्शन करने अवश्य जाते है। बहुत से यात्री द्वारका धर्मशाला या होटल में ही अपना सामान छोड देते है। फिर दर्शन करके लौट आते है। वैसे नागेश्वर महादेव मे भी कई धर्मशालाएं है परंतु अधिकतर यात्री द्वारका में ही ठहरते है।
कैसे पहुंचे
गुजरात के राजकोट से पश्चिम रेलवे की तारभ्रगामा ओखा लाइन द्वारा द्वारका जाया जा सकता है। फिर बस या आटो द्वारा द्वारका से नागेश्वर पहुंचा जा सकता है।
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