नवाब शाहजहां बेगम के बाद भोपाल की बेगम साहबा, नवाब सुल्तान जहां बेगम जी० सी० एस० आई०, जी० सी० आई० है०,सी० आई मसनद पर बेठीं। इस बात को छः ही मास न हुए थे कि आपको अपने पति का वियोग सहन करना पड़ा। सन् 1904 में नवाब सुल्तान जहां बेगम मक्का की यात्रा के लिये तशरीफ ले गई। सन् 1905 में इन्दौर मुकाम पर आपने तत्कालीन प्रिन्स आफ वेल्स से मुलाकात की। सन् 1909 के दिसम्बर मास में तत्कालीन वायसराय लॉर्ड मिन्टो भोपाल पधारे।
नवाब सुल्तान जहां बेगम भोपाल रियासत
सन् 1910 में श्रीमती बेगम साहबा को के० सी० एस० आई० की उपाधि प्राप्त हुई। सन् 1911 में श्रीमती बेगम साहबा, श्रीमान सम्राट पंचम जॉर्ज के राज्यारोहण-उत्सव में सम्मिलित होने के लिए इंग्लैड पधारी। इसी समय आपने फ्रांस, जर्मनी, आस्ट्रीया, स्विटजरलैंड और तुर्की आदि आदि देशों की यात्रा की। तुर्की के सुल्तान ने बेंगम साहबा को अपनी मुलाकात का मान प्रदान किया। इतना ही नहीं आपने बेगम सहोदया को पेगम्बर साहब की दाढ़ी का बाल भी भेंट किया। सन् 1911 में श्रीमती दिल्ली दरबार में पधारी। सन् 1911 में लार्ड हार्डिग महोदय थी भोपाल पधारे।
नवाब सुल्तान जहां बेगमनवाब सुल्तान जहां बेगम का स्त्री शिक्षा की ओर विशेष ध्यान था। जब श्रीमान वर्तमान सम्राट पंचम जॉर्जदिल्ली दरबार के अवसर पर यहाँ पधारे थे। उस समय उनके आगमन को चिर-स्मरणीय बनाने के लिये श्रीमती बेगम साहाबा ने जो अपील प्रकाशित की थी, उसका सारांश यह है:-इस शुभ ‘अवसर को चिर-स्मरणीय बनाने के लिये हमें चाहिये कि, हम लड़कियों के लिये आर्दश स्कूल खोलें। इसके लिये मेरी राय में 12 लाख रुपयों की शुरू शुरू में आवश्यकता होगी। में इसके लिये राज्य से एक लाख रुपए और मेरे प्राइवेट खर्च से बीस हजार रुपया देती हूं। मेरी बहुओं (Daughter in low) ने भी इस संस्था के प्रति अपनी सहानुभूति दिखलाई है और उनमें से बड़ी ने 7000 और छोटी ने 5000 प्रदान किये हैं। आशा है मेरे इस कार्य के प्रति वे सब लोग सहानुभूति प्रकट करेंगे, जिन्हें स्त्री शिक्षा के लिये दिल में लगन है, फिर चाहे वे रईस हों, रानियाँ हों या साधारण मनुष्य हों। मुझे इसकी सफलता की पूरी पूरी आशा है।”
नवाब सुल्तान जहां बेगम के तीन पुत्र थे। नवाब नसरूल्ला खाँ बहादुर, नवाबजादा मोहम्मद अब्दुल्ला खान बहादुर, नवाबज़ादा हमीदुल्ला खान बहादुर। इनमें पहले पुत्र जंगल-विभाग बडे अफसर थे। दूसरे पुत्र राज्य की फौज के कमाँडर-इन-चीफ थे। इन्हें अंग्रेजी सरकार की ओर से “कमाण्डर ऑफ दी ऑर्डर ऑफ दी स्टार आँफ इण्डिया” की उपाधि प्राप्त है। तीसरे पुत्र फौज के लेफ्टिनेंट कर्नल थे। इसके साथ ही आप बेगम साहबा के चीफ सेक्रेटरी भी थे। आप प्रयाग विश्व-विद्यालय के ग्रेजूएट थे। 12 मई सन् 1930 में नवाब सुल्तान जहां बेगम की मृत्यु हो गई।
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