नवाब मुहम्मद अली शाह लखनऊ के 9वें नवाब Naeem Ahmad, June 14, 2022March 3, 2023 मुन्नाजान या नवाब मुहम्मद अली शाह अवध के 9वें नवाब थे। इन्होंने 1837 से 1842 तक लखनऊ के नवाब के रूप में शासन किया। नवाब मुहम्मद अली शाह के वालिद नवाब नसीरूद्दीन हैदर थे। इनके शासन काल में लखनऊ में खूब तरक्की हुई अनेक इमारतों का निर्माण हुआ। Contents1 नवाब मुहम्मद अली शाह का जीवन परिचय2 नवाब मुहम्मद अली शाह और उनकी बीबीयां3 हमारे यह लेख भी जरूर पढ़ें—– नवाब मुहम्मद अली शाह का जीवन परिचय नवाब नसीरुद्दीन हैदर का इस दुनिया से रुखसत होना ही था कि गद्दी के लिए हाय तौबा मचनी शुरू हो गयी। जिसका ज़िक्र मिर्जा रजब अली बेग ने अपनी किताब “फतानये इब्रत’ में किया है– “बाद दफ़न नसीरुद्दीन हैदर आधी रात को नसीरुद्दौला गददी पाने के लिए फरहतबख्श कोठी में तशरीफ ले आये। रेजिडेन्ट करनल छोटे साहब एवं रोशनुद्दौला व सुबाहन अली खाँ कमरे में सलाह कर रहे थे। उसी वक्त बादशाह बेगम फसर्दूबख्श मिर्जा और मुन्ताजान हाथी पर सवार होकर एक जुलूस के साथ दरवाजे पर आ पहुँचे। छोटे साहब ने दरवाजे पर पहुँच कर मना किया पर वे न मानी हाथी से उतरकर अन्दर आ गयीं। हंगामा हुआ और छोटे साहब घायल भी हो गये। बेगम ने मुन्नाजान को तख्त पर बिठाया। जो लोग हाजिर थे उनको नजरें दी गयीं। बाकी दूसरे दिन के लिए मुल्तवी रखी गया। मिर्जा इमाम बख्श सिपहसालार मुकर्रर हुए। रेजिडेन्ट साहब ने उसी वक्त फौज की तैयारी का हुक्म दिया बादशाह बेगम और नवाब रोशनुद्दौला में गर्मागर्म बहस हो रही थी। रेजिडेन्ट ने मिर्जा अली खाँ से कहा कि बेगम ने यह अच्छा नहीं किया। राज्य के लालच में न पड़ें, घर वापिस जायें सुबह देखा जायेगा। फिर रेजिडेंट ने मुस्तफा खाँ रिसालदार अब्दरर्हमान खाँ कंधारी के पोते को समझाया कहा कि बखुशी राज्य छोड़ दें वरना अच्छा न होगा। छोटे बड़े की खातिर में नहीं आया। इसके बाद मेगनीज के रिसाले की तोपें लाल बारादरी के सामने लगायी गयीं। कत्ले आम शुरू हुआ। बादशाह बेगम मुन्नाजान को लेकर खराब हालत में अल्मास बाग वापस आयी। वहाँ से गिरफ्तार होकर कई दिन तक मुन्नाजान के साथ रेजिडेन्सी में रहीं। अरबी उस्सानी मंगल के दिन, 1225 हिजरी को अंग्रेजी फौज कानपुर से आ गयी। वे एक टूटे बंगले में कैद की गयी और वहां से चुनारगढ़ के किले में भेजी गयी। इस प्रकार तमाम जान-माल का नुकसान हुआ। 8 जुलाई सन् 1837 को को नसीरुद्दौला गद्दी पर बैठे। नसीरुद्दौला का नाम बदल कर मुहम्मद अली शाह रखा गया। उन्हें एक खिताब भी हासिल हुआ–अबुल फतह मुईनुद्दीन सुल्तानेज़मा नौशेखाने आदिल। नसीरूदौला ने ताज के बाद मोहम्मद अली शाह का नाम ग्रहण किया। वह पहले से ही 60 वर्ष का था और कमजोर स्वास्थ्य का था। उन्होंने अंग्रेजों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखे और ईस्ट इंडिया कंपनी को अवध में बलों को बढ़ाने और आंतरिक प्रशासन में हस्तक्षेप करने की अनुमति दी जब कभी भी कानून और व्यवस्था में गिरावट आई। ब्रिटिश रेजिडेंट ने नई संधि का एक उपयुक्त मसौदा तैयार किया जिसने कंपनी को व्यापक अधिकार दिए लेकिन कुछ कारणों से कोर्ट ऑफ डायरेक्टर्स ने इसकी पुष्टि नहीं की। हुसैनाबाद के सौंदर्यीकरण के लिए नवाब मुहम्मद अली शाह को भविष्य में याद किया जाएगा। उसने सतखंड का निर्माण शुरू किया और हुसैनाबाद टैंक का निर्माण किया। सड़कों का सुधार किया गया। हुसैनाबाद इमामबाड़ा और शाहजहानाबाद की जामा मस्जिद से बड़ी योजना के साथ, हुसैनाबाद टैंक के सामने, नवाब मुहम्मद अली शाह लखनऊ को एक नया बुबुल बनाना चाहते थे। वह राज्य प्रशासन को और बेहतर बनाने के लिए वांछित परिवर्तन नहीं ला सके, लेकिन अपने खराब स्वास्थ्य के बावजूद उन्होंने पूरी कोशिश की। उनकी प्रजा उन्हें पसंद करती थी। वह अपने उत्तराधिकारी के लिए खजाने में पर्याप्त राशि बचाने में सफल रहे, उनके अपने बेटे अमजद अली शाह का नाम उनके जीवनकाल में रखा गया था। वृद्ध राजा की मृत्यु जल्दी हो गई और उन्होंने अपनी कई परियोजनाओं को अधूरा छोड़ दिया। नवाब मुहम्मद अली शाह नसीरुद्दीन हैदर के वजीर रोशनुद्दौला मुहम्मद अली शाह के भी वज़ीर रहे लेकिन केवल 3 माह तक ही। नवाब ने रोशनुद्दौला को हटाकर हकीम मेंहदी को अपना वज़ीर बनाया। रोशनुद्दौला कम्पनी सरकार का कुत्ता था। तमाम हेरफेर के कारण उस पर 20 लाख का जुर्माना हुआ और वजीर साहब जेल में पहुँच गये उनका तीन लाख का मकान भी मुहम्मद अली शाह ने अपने कब्जे में कर लिया मगर जल्दी ही घूस देकर वह कैद से भाग निकला और उसे उसके आकाओं ने शरण दी। मुहम्मद अली शाह को नये गवर्नर जनरल लार्ड आकलैंड ने 25 जुलाई, 1837 को नवाब होने पर बधाई पत्र भी भेजा था। नवाब मुहम्मद अली शाह एक योग्य शासक के रूप में उभर कर सामने आये। रज्जब अली सरूर ‘फसानये इब्रत’ में लिखते हैं कि बरवकक्त तख्तनशीनी हर आदमी अपनी-अपनी जगह पर खुश था, बागी लोगों की गिरफ्तारी शुरू हुई, 27 अक्टूबर को सुबहान अली खाँ, एहसान हुसेन खाँ, मुजफ्फर हुसैन खाँ, खादिम हुसैन, बन्दा हुसैन और कुदरत हुसैन गिरफ्तार होकर कैद खाने भेजे गये। धनिया व दुलबी कहारिन भी गिरफ्तार हुई। मुहम्मद अली शाह को इमारतें बनवाने का भी बड़ा शौक था जिसका ज़िक्र किताब अफ़जलुत तवारीख में मुन्शी राम सहाय ने किया है। नवाब मुहम्मद अली शाह द्वारा बनवाई कुछ इमारतें:– इमामबाड़ा हुसेनाबाद. 1253 हिजरी दरवाज़ा इमामबाड़ा. 1254 हिजरी सड़क हुसैनाबाद 1254 हिजरी जरीह (ताजिया) 1254 हिजरी हुसैनाबाद कुआं 1254 हिजरी रसदगाह 1254 हिजरी हुसैनाबाद का हम्माम 1255 हिजरी सराय हुसेनाबाद 1255 हिजरी तालाब नौखण्डा 1255हिजरी मस्जिद हुसेनाबाद 1255 हिजरी गेंद खाना 1255 हिजरी इस प्रकार नवाब मुहम्मद अली शाह एक कुशल शासक के रूप में सदैव याद किए जायेंगे। कम्पनी सरकार भी उनसे खुश ही रही, कारण रकम मिलती ही थी लेकिन अन्दर ही अन्दर वह उन्हें भी बराबर खोखला करती रही। 4 रबी उस्सनी, तदनुसार सोमवार, 16 मई 1842 को उनका इन्तकाल हो गया। नवाब मुहम्मद अली शाह और उनकी बीबीयां मोहम्मद अली की मुख्य पत्नी खेतू बेगम थी। उनकी पूरी उपाधि नवाब मलिका मुक़क़दरा उज़मा मुमताज-उस-ज़मानी नवाब जहान आरा बेगम थीं। उनकी मृत्यु के बाद उन्हें हज़रत मरियम मकानी की एक और उपाधि दी गई। वह देहली के एक कुलीन परिवार से आती थी। उनके पिता कमर-उद-दीन खान के पोते थे। उसकी शादी पर, उसे मेहर दी गई थी। 6 लाख, 7 लाख रुपये की संपत्ति और उचित रखरखाव भत्ता। जब राजा कैसरबाग में रहने लगे, तो बेगम ने हुस्न बाग में रहने की इच्छा जताई। वह एक धर्मपरायण महिला थीं और सभी का सम्मान करती थीं। राज्य के मामलों में उनका हस्तक्षेप नगण्य था और जब उन्हें ऐसा करने के लिए कहा जाता था तब ही उनका विरोध होता था। अमजद अली शाह उनसे और इसलिए उनके बेटे वाजिद अली शाह से सलाह लेते थे। उसे हैजा बिमारी ने पकड़ लिया और 20 अक्टूबर, 1850 को उसकी मृत्यु हो गई। हालांकि एक 60 वर्षीय व्यक्ति नवाब मुहम्मद अली शाह ने महिलाओं में अपनी रुचि बनाए रखी। प्रिंट में कम से कम सात नाम सामने आए जो उनकी माध्यमिक पत्नियां थी और बेगम बादशाह खानम का एक और नाम सूची में जोड़ा गया है। नवाब मलिके-ए-जहाँ हमीदा सुल्तान फकर-उल-ज़मानी का नवाब मुहम्मद अली शाह के दिल में एक विशेष स्थान था, जो उनके द्वारा गवर्नर जनरल को लिखे गए एक पत्र से स्पष्ट होता है। मिर्जा हुमायूं बखत उनके पुत्र थे। उन्हें 9000 रुपये प्रतिमाह पेंशन और 4800 रुपये मासिक भत्ता दिया गया। उसने जामा मस्जिद के निर्माण के लिए उसे 10,000 रुपये भी दिए। मुहम्मद अली की मृत्यु के बाद, नए राजा नवाब अमजद अली शाह ने उसकी पेंशन और संपत्ति को लेकर उसे परेशान किया। इस बार बेगम और उनके बेटे के बीच फिर से संपत्ति का विवाद खड़ा हो गया, लेकिन सुलह हो गई। अपने बेटे की मृत्यु के साथ, बेगम फिर से अपनी बड़ी बहू के खिलाफ संपत्ति विवाद में उलझ गई, जिसने नए राजा के समर्थन से अपने पति के हिस्से के लिए दावा किया। बेगम, नवाब और निवासी के बीच एक लंबा पत्र व्यवहार हुआ। बेगम विद्रोह के बाद और 1865 में वापसी के बाद मक्का की तीर्थयात्रा पर गईं; उन्हें यह जानकर आश्चर्य हुआ कि लखनऊ के दौलतपुर में उनकी संपत्ति पर अंग्रेजों का कब्जा था। ऐसा लगता है कि संपत्ति के मुकदमों ने उसे अंत तक कभी नहीं छोड़ा। इस बार वह अपना केस लंदन के प्रिवी काउंसिल में ले गईं लेकिन वह हार गईं। बेगम अब दिल से टूट चुकी थी, बीमार थी और अपना शेष जीवन मक्का में बिताना चाहती थी। वह मुंबई पहुंची लेकिन जहाज पर चढ़ने के दिन ही उसकी मृत्यु हो गई। उनके पार्थिव शरीर को नजरबंदी के लिए कर्बला भेज दिया गया। ऐसा कहा जाता था कि बेगम ने अपनी चल संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा बंबई में छोड़ दिया था। हमारे यह लेख भी जरूर पढ़ें—– राधा कुंड यहाँ मिलती है संतान सुख प्राप्ति – radha kund mthura राधा कुंड :- उत्तर प्रदेश के मथुरा शहर को कौन नहीं जानता में समझता हुं की इसका परिचय कराने की शाकुम्भरी देवी सहारनपुर – शाकुम्भरी देवी का इतिहास – शाकुम्भरी माता मंदिर प्रिय पाठको पिछली पोस्टो मे हमने भारत के अनेक धार्मिक स्थलो मंदिरो के बारे में विस्तार से जाना और उनकी लखनऊ के दर्शनीय स्थल – लखनऊ पर्यटन स्थल – लखनऊ टूरिस्ट प्लेस इन हिन्दी गोमती नदी के किनारे बसा तथा भारत के सबसे बडे राज्य उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ दुनिया भर में अपनी इलाहाबाद का इतिहास – गंगा यमुना सरस्वती संगम – इलाहाबाद का महा कुम्भ मेला इलाहाबाद उत्तर प्रदेश का प्राचीन शहर है। यह प्राचीन शहर गंगा यमुना सरस्वती नदियो के संगम के लिए जाना जाता है। वाराणसी (काशी विश्वनाथ) की यात्रा – काशी का धार्मिक महत्व प्रिय पाठको अपनी उत्तर प्रदेश यात्रा के दौरान हमने अपनी पिछली पोस्ट में उत्तर प्रदेश राज्य के प्रमुख व धार्मिक ताजमहल का इतिहास – आगरा का इतिहास – ताजमहल के 10 रहस्य प्रिय पाठको अपनी इस पोस्ट में हम भारत के राज्य उत्तर प्रदेश के एक ऐसे शहर की यात्रा करेगें जिसको मेरठ के दर्शनीय स्थल – मेरठ में घुमने लायक जगह मेरठ उत्तर प्रदेश एक प्रमुख महानगर है। यह भारत की राजधानी दिल्ली से लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गोरखपुर पर्यटन स्थल – गोरखपुर के टॉप 10 दर्शनीय स्थल उत्तर प्रदेश न केवल सबसे अधिक आबादी वाला राज्य है बल्कि देश का चौथा सबसे बड़ा राज्य भी है। भारत बरेली के दर्शनीय स्थल – बरेली के टॉप 5 पर्यटन स्थल बरेली उत्तर भारत के राज्य उत्तर प्रदेश का एक जिला और शहर है। रूहेलखंड क्षेत्र में स्थित यह शहर उत्तर कानपुर के दर्शनीय स्थल – कानपुर के टॉप 10 पर्यटन स्थल कानपुर उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक आबादी वाला शहर है और यह भारत के सबसे बड़े औद्योगिक शहरों में से झांसी टूरिस्ट प्लेस – टॉप 5 टूरिस्ट प्लेस इन झाँसी भारत का एक ऐतिहासिक शहर, झांसी भारत के बुंदेलखंड क्षेत्र के महत्वपूर्ण शहरों में से एक माना जाता है। यह अयोध्या का इतिहास – अयोध्या के दर्शनीय स्थल और महत्व अयोध्या भारत के राज्य उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख शहर है। कुछ सालो से यह शहर भारत के सबसे चर्चित मथुरा दर्शनीय स्थल – मथुरा दर्शन की रोचक जानकारी मथुरा को मंदिरो की नगरी के नाम से भी जाना जाता है। मथुरा भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का एक चित्रकूट धाम की महिमा मंदिर दर्शन और चित्रकूट दर्शनीय स्थल चित्रकूट धाम वह स्थान है। जहां वनवास के समय श्रीराजी ने निवास किया था। इसलिए चित्रकूट महिमा अपरंपार है। यह प्रेम वंडरलैंड एंड वाटर किंगडम मुरादाबाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश का मुरादाबाद महानगर जिसे पीतलनगरी के नाम से भी जाना जाता है। अपने प्रेम वंडरलैंड एंड वाटर कुशीनगर के दर्शनीय स्थल – कुशीनगर के टॉप 7 पर्यटन स्थल कुशीनगर उत्तर प्रदेश राज्य का एक प्राचीन शहर है। कुशीनगर को पौराणिक भगवान राजा राम के पुत्र कुशा ने बसाया पीलीभीत के दर्शनीय स्थल – पीलीभीत के टॉप 6 पर्यटन स्थल उत्तर प्रदेश के लोकप्रिय ऐतिहासिक और धार्मिक स्थानों में से एक पीलीभीत है। नेपाल की सीमाओं पर स्थित है। यह सीतापुर के दर्शनीय स्थल – सीतापुर के टॉप 5 पर्यटन स्थल व तीर्थ स्थल सीतापुर - सीता की भूमि और रहस्य, इतिहास, संस्कृति, धर्म, पौराणिक कथाओं,और सूफियों से पूर्ण, एक शहर है। हालांकि वास्तव अलीगढ़ के दर्शनीय स्थल – अलीगढ़ के टॉप 6 पर्यटन स्थल,ऐतिहासिक इमारतें अलीगढ़ शहर उत्तर प्रदेश में एक ऐतिहासिक शहर है। जो अपने प्रसिद्ध ताले उद्योग के लिए जाना जाता है। यह उन्नाव के दर्शनीय स्थल – उन्नाव के टॉप 5 पर्यटन स्थल उन्नाव मूल रूप से एक समय व्यापक वन क्षेत्र का एक हिस्सा था। अब लगभग दो लाख आबादी वाला एक बिजनौर पर्यटन स्थल – बिजनौर के टॉप 10 दर्शनीय स्थल बिजनौर उत्तर प्रदेश राज्य का एक प्रमुख शहर, जिला, और जिला मुख्यालय है। यह खूबसूरत और ऐतिहासिक शहर गंगा नदी मुजफ्फरनगर पर्यटन स्थल – मुजफ्फरनगर के टॉप 6 दर्शनीय स्थल उत्तर प्रदेश भारत में बडी आबादी वाला और तीसरा सबसे बड़ा आकारवार राज्य है। सभी प्रकार के पर्यटक स्थलों, चाहे अमरोहा का इतिहास – अमरोहा पर्यटन स्थल, ऐतिहासिक व दर्शनीय स्थल अमरोहा जिला (जिसे ज्योतिबा फुले नगर कहा जाता है) राज्य सरकार द्वारा 15 अप्रैल 1997 को अमरोहा में अपने मुख्यालय इटावा का इतिहास – हिस्ट्री ऑफ इटावा जिला आकर्षक स्थल प्रकृति के भरपूर धन के बीच वनस्पतियों और जीवों के दिलचस्प अस्तित्व की खोज का एक शानदार विकल्प इटावा शहर एटा का इतिहास – एटा उत्तर प्रदेश के पर्यटन, ऐतिहासिक, धार्मिक स्थल एटा उत्तर प्रदेश राज्य का एक प्रमुख जिला और शहर है, एटा में कई ऐतिहासिक स्थल हैं, जिनमें मंदिर और फतेहपुर सीकरी का इतिहास, दरगाह, किला, बुलंद दरवाजा, पर्यटन स्थल विश्व धरोहर स्थलों में से एक, फतेहपुर सीकरी भारत में सबसे अधिक देखे जाने वाले स्थानों में से एक है। बुलंदशहर का इतिहास – बुलंदशहर के पर्यटन, ऐतिहासिक धार्मिक स्थल नोएडा से 65 किमी की दूरी पर, दिल्ली से 85 किमी, गुरूग्राम से 110 किमी, मेरठ से 68 किमी और नोएडा का इतिहास – नोएडा मे घूमने लायक जगह, पर्यटन स्थल उत्तर प्रदेश का शैक्षिक और सॉफ्टवेयर हब, नोएडा अपनी समृद्ध संस्कृति और इतिहास के लिए जाना जाता है। यह राष्ट्रीय गाजियाबाद का इतिहास – गाजियाबाद में घूमने लायक पर्यटन, दर्शनीय व ऐतिहासिक भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश में स्थित, गाजियाबाद एक औद्योगिक शहर है जो सड़कों और रेलवे द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा बागपत का इतिहास – हिस्ट्री ऑफ बागपत पर्यटन, धार्मिक, ऐतिहासिक स्थल बागपत, एनसीआर क्षेत्र का एक शहर है और भारत के पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बागपत जिले में एक नगरपालिका बोर्ड शामली का इतिहास – शामली हिस्ट्री इन हिन्दी – शामली दर्शनीय स्थल शामली एक शहर है, और भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश में जिला नव निर्मित जिला मुख्यालय है। सितंबर 2011 में शामली सहारनपुर का इतिहास – सहारनपुर घूमने की जगह, पर्यटन, धार्मिक, ऐतिहासिक सहारनपुर उत्तर प्रदेश राज्य का एक प्रमुख जिला और शहर है, जो वर्तमान में अपनी लकडी पर शानदार नक्काशी की रामपुर का इतिहास – नवाबों का शहर रामपुर के आकर्षक स्थल ऐतिहासिक और शैक्षिक मूल्य से समृद्ध शहर रामपुर, दुनिया भर के आगंतुकों के लिए एक आशाजनक गंतव्य साबित होता है। मुरादाबाद का इतिहास – मुरादाबाद के दर्शनीय व आकर्षक स्थल मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले के पश्चिमी भाग की ओर स्थित एक शहर है। पीतल के बर्तनों के उद्योग संभल का इतिहास – सम्भल के पर्यटन, आकर्षक, दर्शनीय व ऐतिहासिक स्थल संभल जिला भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का एक जिला है। यह 28 सितंबर 2011 को राज्य के तीन नए बदायूं का इतिहास – बदायूंं आकर्षक, ऐतिहासिक, पर्यटन व धार्मिक स्थल बदायूंं भारत के राज्य उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख शहर और जिला है। यह पश्चिमी उत्तर प्रदेश के केंद्र में लखीमपुर खीरी का इतिहास – लखीमपुर खीरी जिला आकर्षक स्थल लखीमपुर खीरी, लखनऊ मंडल में उत्तर प्रदेश का एक जिला है। यह भारत में नेपाल के साथ सीमा पर स्थित शाहजहांपुर का इतिहास – शाहजहांपुर दर्शनीय, ऐतिहासिक, पर्यटन व धार्मिक स्थल भारत के राज्य उत्तर प्रदेश में स्थित, शाहजहांंपुर राम प्रसाद बिस्मिल, शहीद अशफाकउल्ला खान जैसे बहादुर स्वतंत्रता सेनानियों की जन्मस्थली रायबरेली का इतिहास – रायबरेली पर्यटन, आकर्षक, दर्शनीय व धार्मिक स्थल रायबरेली जिला उत्तर प्रदेश प्रांत के लखनऊ मंडल में स्थित है। यह उत्तरी अक्षांश में 25 ° 49 'से 26 वृन्दावन धाम – वृन्दावन के दर्शनीय स्थल, मंदिर व रहस्य दिल्ली से दक्षिण की ओर मथुरा रोड पर 134 किमी पर छटीकरा नाम का गांव है। छटीकरा मोड़ से बाई नंदगाँव मथुरा – नंदगांव की लट्ठमार होली व दर्शनीय स्थल नंदगाँव बरसाना के उत्तर में लगभग 8.5 किमी पर स्थित है। नंदगाँव मथुरा के उत्तर पश्चिम में लगभग 50 किलोमीटर बरसाना मथुरा – हिस्ट्री ऑफ बरसाना – बरसाना के दर्शनीय स्थल मथुरा से लगभग 50 किमी की दूरी पर, वृन्दावन से लगभग 43 किमी की दूरी पर, नंदगाँव से लगभग 9 सोनभद्र आकर्षक स्थल – हिस्ट्री ऑफ सोनभद्र – सोनभद्र ऐतिहासिक स्थल सोनभद्र भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का दूसरा सबसे बड़ा जिला है। सोंनभद्र भारत का एकमात्र ऐसा जिला है, जो मिर्जापुर जिले का इतिहास – मिर्जापुर के टॉप 8 पर्यटन, ऐतिहासिक व धार्मिक स्थल मिर्जापुर जिला उत्तर भारत में उत्तर प्रदेश राज्य के महत्वपूर्ण जिलों में से एक है। यह जिला उत्तर में संत आजमगढ़ हिस्ट्री इन हिन्दी – आजमगढ़ के टॉप दर्शनीय स्थल आजमगढ़ भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश का एक शहर है। यह आज़मगढ़ मंडल का मुख्यालय है, जिसमें बलिया, मऊ और आज़मगढ़ बलरामपुर का इतिहास – हिस्ट्री ऑफ बलरामपुर – बलरामपुर पर्यटन स्थल बलरामपुर भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में बलरामपुर जिले में एक शहर और एक नगरपालिका बोर्ड है। यह राप्ती नदी ललितपुर का इतिहास – ललितपुर के टॉप 5 पर्यटन स्थल ललितपुर भारत के राज्य उत्तर प्रदेश में एक जिला मुख्यालय है। और यह उत्तर प्रदेश की झांसी डिवीजन के अंतर्गत बलिया का इतिहास – बलिया के टॉप 10 दर्शनीय स्थल बलिया शहर भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित एक खूबसूरत शहर और जिला है। और यह बलिया जिले का सारनाथ का इतिहास – हिस्ट्री ऑफ सारनाथ इन हिन्दी उत्तर प्रदेश के काशी (वाराणसी) से उत्तर की ओर सारनाथ का प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थान है। काशी से सारनाथ की दूरी श्रावस्ती का इतिहास – हिस्ट्री ऑफ श्रावस्ती – श्रावस्ती दर्शनीय स्थल बौद्ध धर्म के आठ महातीर्थो में श्रावस्ती भी एक प्रसिद्ध तीर्थ है। जो बौद्ध साहित्य में सावत्थी के नाम से कौशांबी का इतिहास – हिस्ट्री ऑफ कौशांबी बौद्ध तीर्थ स्थल कौशांबी की गणना प्राचीन भारत के वैभवशाली नगरों मे की जाती थी। महात्मा बुद्ध जी के समय वत्सराज उदयन की संकिसा का प्राचीन इतिहास – संकिसा बौद्ध तीर्थ स्थल बौद्ध अष्ट महास्थानों में संकिसा महायान शाखा के बौद्धों का प्रधान तीर्थ स्थल है। कहा जाता है कि इसी स्थल त्रिलोक तीर्थ धाम बड़ागांव – बड़ा गांव जैन मंदिर खेडका का इतिहास त्रिलोक तीर्थ धाम बड़ागांव या बड़ा गांव जैन मंदिर अतिशय क्षेत्र के रूप में प्रसिद्ध है। यह स्थान दिल्ली सहारनपुर सड़क शौरीपुर बटेश्वर श्री दिगंबर जैन मंदिर – शौरीपुर का इतिहास शौरीपुर नेमिनाथ जैन मंदिर जैन धर्म का एक पवित्र सिद्ध पीठ तीर्थ है। और जैन धर्म के 22वें तीर्थंकर भगवान आगरा जैन मंदिर – आगरा के टॉप 3 जैन मंदिर की जानकारी इन हिन्दी आगरा एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक शहर है। मुख्य रूप से यह दुनिया के सातवें अजूबे ताजमहल के लिए जाना जाता है। आगरा धर्म कम्पिल का इतिहास – कंपिल का मंदिर – कम्पिल फेयर इन उत्तर प्रदेश कम्पिला या कम्पिल उत्तर प्रदेश के फरूखाबाद जिले की कायमगंज तहसील में एक छोटा सा गांव है। यह उत्तर रेलवे की अहिच्छत्र जैन मंदिर – जैन तीर्थ अहिच्छत्र का इतिहास अहिच्छत्र उत्तर प्रदेश के बरेली जिले की आंवला तहसील में स्थित है। आंवला स्टेशन से अहिच्छत्र क्षेत्र सडक मार्ग द्वारा 18 देवगढ़ का इतिहास – दशावतार मंदिर, जैन मंदिर, किला कि जानकारी हिन्दी में देवगढ़ उत्तर प्रदेश के ललितपुर जिले में बेतवा नदी के किनारे स्थित है। यह ललितपुर से दक्षिण पश्चिम में 31 किलोमीटर लखनऊ गुरुद्वारा गुरु तेगबहादुर साहिब हिस्ट्री इन हिन्दी – लखनऊ का गुरुद्वारा इतिहास उत्तर प्रदेश की की राजधानी लखनऊ के जिला मुख्यालय से 4 किलोमीटर की दूरी पर यहियागंज के बाजार में स्थापित लखनऊ नाका गुरुद्वारा – गुरुद्वारा सिंह सभा नाका हिण्डोला लखनऊ हिस्ट्री इन हिन्दी नाका गुरुद्वारा, यह ऐतिहासिक गुरुद्वारा नाका हिण्डोला लखनऊ में स्थित है। नाका गुरुद्वारा साहिब के बारे में कहा जाता है गुरु का ताल आगरा -आगरा गुरुद्वारा गुरु का ताल हिस्ट्री इन हिन्दी आगरा भारत के शेरशाह सूरी मार्ग पर उत्तर दक्षिण की तरफ यमुना किनारे वृज भूमि में बसा हुआ एक पुरातन गुरुद्वारा बड़ी संगत नीचीबाग बनारस का इतिहास – वाराणसी गुरुद्वारा हिस्ट्री इन हिन्दी गुरुद्वारा बड़ी संगत गुरु तेगबहादुर जी को समर्पित है। जो बनारस रेलवे स्टेशन से लगभग 9 किलोमीटर दूर नीचीबाग में रसिन का किला प्राकृतिक सुंदरता के बीच बिखरे इतिहास के अनमोल मोती रसिन का किला उत्तर प्रदेश के बांदा जिले मे अतर्रा तहसील के रसिन गांव में स्थित है। यह जिला मुख्यालय बांदा खत्री पहाड़ विंध्यवासिनी देवी मंदिर तथा शेरपुर सेवड़ा दुर्ग व इतिहास उत्तर प्रदेश राज्य के बांदा जिले में शेरपुर सेवड़ा नामक एक गांव है। यह गांव खत्री पहाड़ के नाम से विख्यात रनगढ़ दुर्ग – रनगढ़ का किला या जल दुर्ग या जलीय दुर्ग के गुप्त मार्ग रनगढ़ दुर्ग ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक दृष्टि से अत्यन्त महत्वपूर्ण प्रतीत होता है। यद्यपि किसी भी ऐतिहासिक ग्रन्थ में इस दुर्ग भूरागढ़ का किला – भूरागढ़ दुर्ग का इतिहास – भूरागढ़ जहां लगता है आशिकों का मेला भूरागढ़ का किला बांदा शहर के केन नदी के तट पर स्थित है। पहले यह किला महत्वपूर्ण प्रशासनिक स्थल था। वर्तमान कल्याणगढ़ का किला मानिकपुर चित्रकूट उत्तर प्रदेश, कल्याणगढ़ दुर्ग का इतिहास कल्याणगढ़ का किला, बुंदेलखंड में अनगिनत ऐसे ऐतिहासिक स्थल है। जिन्हें सहेजकर उन्हें पर्यटन की मुख्य धारा से जोडा जा महोबा का किला – महोबा दुर्ग का इतिहास – आल्हा उदल का महल महोबा का किला महोबा जनपद में एक सुप्रसिद्ध दुर्ग है। यह दुर्ग चन्देल कालीन है इस दुर्ग में कई अभिलेख भी सिरसागढ़ का किला – बहादुर मलखान सिंह का किला व इतिहास हिन्दी में सिरसागढ़ का किला कहाँ है? सिरसागढ़ का किला महोबा राठ मार्ग पर उरई के पास स्थित है। तथा किसी युग में जैतपुर का किला या बेलाताल का किला या बेलासागर झील हिस्ट्री इन हिन्दी, जैतपुर का किला उत्तर प्रदेश के महोबा हरपालपुर मार्ग पर कुलपहाड से 11 किलोमीटर दूर तथा महोबा से 32 किलोमीटर दूर बरूआ सागर का किला – बरूआसागर झील का निर्माण किसने और कब करवाया बरूआ सागर झाँसी जनपद का एक छोटा से कस्बा है। यह मानिकपुर झांसी मार्ग पर है। तथा दक्षिण पूर्व दिशा पर चिरगांव का किला किसने बनवाया – चिरगांव किले का इतिहास का इतिहास चिरगाँव झाँसी जनपद का एक छोटा से कस्बा है। यह झाँसी से 48 मील दूर तथा मोड से 44 मील एरच का किला किसने बनवाया था – एरच के किले का इतिहास हिन्दी में उत्तर प्रदेश के झांसी जनपद में एरच एक छोटा सा कस्बा है। जो बेतवा नदी के तट पर बसा है, या उरई का किला किसने बनवाया – माहिल तालाब का इतिहास इन हिन्दी उत्तर प्रदेश के जालौन जनपद मे स्थित उरई नगर अति प्राचीन, धार्मिक एवं ऐतिहासिक महत्व का स्थल है। यह झाँसी कानपुर कालपी का इतिहास – कालपी का किला – चौरासी खंभा हिस्ट्री इन हिंदी कालपी का किला ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अति प्राचीन स्थल है। यह झाँसी कानपुर मार्ग पर स्थित है उरई कुलपहाड़ का किला – कुलपहाड़ का इतिहास इन हिन्दी कुलपहाड़ सेनापति महल कुलपहाड़ भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के महोबा ज़िले में स्थित एक शहर है। यह बुंदेलखंड क्षेत्र का एक ऐतिहासिक तालबहेट का किला किसने बनवाया – तालबहेट फोर्ट हिस्ट्री इन हिन्दी तालबहेट का किला ललितपुर जनपद मे है। यह स्थान झाँसी - सागर मार्ग पर स्थित है तथा झांसी से 34 मील टीले वाली मस्जिद यह है लखनऊ की प्रसिद्ध मस्जिद लक्ष्मण टीले वाली मस्जिद लखनऊ की प्रसिद्ध मस्जिदों में से एक है। बड़े इमामबाड़े के सामने मौजूद ऊंचा टीला लक्ष्मण परीखाना लखनऊ के रंगीन मिजाज नवाब की ऐशगाह लखनऊ का कैसरबाग अपनी तमाम खूबियों और बेमिसाल खूबसूरती के लिए बड़ा मशहूर रहा है। अब न तो वह खूबियां रहीं मच्छी भवन लखनऊ का अभेद्य किला और 1857 गदर का गवाह लक्ष्मण टीले के करीब ही एक ऊँचे टीले पर शेख अब्दुर्रहीम ने एक किला बनवाया। शेखों का यह किला आस-पास फिरंगी महल लखनऊ – फिरंगी महल क्या है? गोल दरवाजे और अकबरी दरवाजे के लगभग मध्य में फिरंगी महल की मशहूर इमारतें थीं। इनका इतिहास तकरीबन चार सौ सतखंडा पैलेस लखनऊ के नवाब की अधूरी ख्वाहिश सतखंडा पैलेस हुसैनाबाद घंटाघर लखनऊ के दाहिने तरफ बनी इस बद किस्मत इमारत का निर्माण नवाब मोहम्मद अली शाह ने 1842 पिक्चर गैलरी लखनऊ का निर्माण किसने करवाया था? सतखंडा पैलेस और हुसैनाबाद घंटाघर के बीच एक बारादरी मौजूद है। जब नवाब मुहम्मद अली शाह का इंतकाल हुआ तब इसका छतर मंजिल क्या है – छतर मंजिल को किसने बनवाया? अवध के नवाबों द्वारा निर्मित सभी भव्य स्मारकों में, लखनऊ में छतर मंजिल सुंदर नवाबी-युग की वास्तुकला का एक प्रमुख मोती महल लखनऊ – नवाबों के शहर का एम्फीथिएटर मुबारिक मंजिल और शाह मंजिल के नाम से मशहूर इमारतों के बीच 'मोती महल' का निर्माण नवाब सआदत अली खां ने खुर्शीद मंजिल लखनऊ का इतिहास या ला मार्टीनियर कालेज खुर्शीद मंजिल:- किसी शहर के ऐतिहासिक स्मारक उसके पिछले शासकों और उनके पसंदीदा स्थापत्य पैटर्न के बारे में बहुत कुछ बीबीयापुर कोठी कहा है, बीबीयापुर कोठी का निर्माण किसने करवाया बीबीयापुर कोठी ऐतिहासिक लखनऊ की कोठियां में प्रसिद्ध स्थान रखती है। नवाब आसफुद्दौला जब फैजाबाद छोड़कर लखनऊ तशरीफ लाये तो इस रेजीडेंसी इन लखनऊ रेजीडेंसी हिस्ट्री इन हिन्दी नवाबों के शहर के मध्य में ख़ामोशी से खडी ब्रिटिश रेजीडेंसी लखनऊ में एक लोकप्रिय ऐतिहासिक स्थल है। यहां शांत बड़ा इमामबाड़ा कहां स्थित है – बड़ा इमामबाड़ा किसने बनवाया था? ऐतिहासिक इमारतें और स्मारक किसी शहर के समृद्ध अतीत की कल्पना विकसित करते हैं। लखनऊ में बड़ा इमामबाड़ा उन शानदार स्मारकों शाह नज़फ इमामबाड़ा लखनऊ हिस्ट्री इन हिन्दी शाही नवाबों की भूमि लखनऊ अपने मनोरम अवधी व्यंजनों, तहज़ीब (परिष्कृत संस्कृति), जरदोज़ी (कढ़ाई), तारीख (प्राचीन प्राचीन अतीत), और चेहल-पहल छोटा इमामबाड़ा कहां है – छोटा इमामबाड़ा किसने बनवाया था? लखनऊ पिछले वर्षों में मान्यता से परे बदल गया है लेकिन जो नहीं बदला है वह शहर की समृद्ध स्थापत्य रामकृष्ण मठ लखनऊ – रामकृष्ण मठ की स्थापना कब हुई लखनऊ शहर के निरालानगर में राम कृष्ण मठ, श्री रामकृष्ण और स्वामी विवेकानंद को समर्पित एक प्रसिद्ध मंदिर है। लखनऊ में चंद्रिका देवी मंदिर लखनऊ – चंद्रिका देवी मंदिर का इतिहास चंद्रिका देवी मंदिर-- लखनऊ को नवाबों के शहर के रूप में जाना जाता है और यह शहर अपनी धर्मनिरपेक्ष संस्कृति के रूमी दरवाजा का इतिहास – रूमी दरवाजा किसने बनवाया था? 1857 में भारतीय स्वतंत्रता के पहले युद्ध के बाद लखनऊ का दौरा करने वाले द न्यूयॉर्क टाइम्स के एक रिपोर्टर श्री भूल भुलैया का रहस्य – भूल भुलैया का निर्माण किसने करवाया इस बात की प्रबल संभावना है कि जिसने एक बार भी लखनऊ की यात्रा नहीं की है, उसने शहर के मकबरा सआदत अली खां लखनऊ – नवाब सआदत अली खां की कब्र उत्तर प्रदेश राज्य की राजधानी लखनऊ बहुत ही मनोरम और प्रदेश में दूसरा सबसे अधिक मांग वाला पर्यटन स्थल, गोमती नदी सफेद बारादरी लखनऊ शोक से खुशियों तक का सफर लखनऊ वासियों के लिए यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है यदि वे कहते हैं कि कैसरबाग में किसी स्थान पर लाल बारादरी लखनऊ – लाल बारादरी का इतिहास इस निहायत खूबसूरत लाल बारादरी का निर्माण सआदत अली खांने करवाया था। इसका असली नाम करत्न-उल सुल्तान अर्थात- नवाबों का जनेश्वर मिश्र पार्क लखनऊ – कुछ पल शुद्ध वातावरण में लखनऊ में हमेशा कुछ खूबसूरत सार्वजनिक पार्क रहे हैं। जिन्होंने नागरिकों को उनके बचपन और कॉलेज के दिनों से लेकर उस लखनऊ चिड़ियाघर शहर के बीच प्राणी उद्यान एक भ्रमण सांसारिक जीवन और भाग दौड़ वाली जिंदगी से कुछ समय के लिए आवश्यक विश्राम के रूप में कार्य 1 2 Next » Uncategorized अवध के नवाबजीवनीलखनऊ के नवाब