नवाब यार मोहम्मद खानके पाँच पुत्र थे। सब से बढ़े पुत्र का नाम फैज मोहम्मद था। मसनद के लिये फिर झगड़ा खड़ा हुआ। भोपाल रियासत में एक पार्टी ऐसी थी जो पदच्युत नवाब सुल्तान मोहम्मद खान को मसनद पर बैठाना चाहती थी। दूसरी पार्टी नवाब फैज मोहम्मद खान के पक्ष में थी। इन दोनों में परस्पर खूब झगड़ा हुआ।
आखिर में स्वर्गीय नवाब यार मोहम्मद खान की विधवा बेगम ममोला बीबी और रियासत के दीवान विजयराम ने बीच में पड़ कर यह समझौता करवाया कि, नवाब सुलतान मोहम्मद को रियासत में जागीर दे दी जावे और वह मसनद का हक छोड़ दे। यह समझौता दोनों पार्टियों ने मंजूर कर लिया।

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नवाब फैज मोहम्मद खान भोपाल रियासत के तीसरे नवाब
नवाब फैज मोहम्मद खान जो इस वक्त नवाबी की मसनद पर थे, वे भोपाल रियासत के तीसरे नवाब थे, वे अत्यधिक धार्मिक प्रवृत्ति के थे, वह अपना बहुत सा समय ईश्वर की भक्ति में लगाते थे, भोपाल रियासत के राजकाज की ओर उनका ध्यान विशेष न था। जिसके चलते भोपाल रियासत में अव्यवस्थाएं फैल गई। इन अव्यवस्थाओं को सुधारने के लिए उन्होंने राज्य के शासन-सूत्र का भार अपनी माता ममोला बीबी और अपने वजीर पर डाल दिया। और खुद अपने धार्मिक कर्मकांडो में व्यस्त रहने लगे। बेगम ममोला बीबी और वजीर के शासन सूत्र के समय में भोपाल राज्य पर मरहठों के कई हमले हुए और इनमें भोपाल रियासत का बहुत सा मुल्क मरहठों के
हाथ चला गया।
इसवी सन् 1777 में नवाब फैज मोहम्मद खान की मृत्यु हो गई। भोपाल रियासत के तीसरे नवाब के तौर पर नवाब फैज मोहम्मद खान ने भोपाल रियासत की गद्दी पर आसीन सन् 1742 से ईसवी सन् 1777 तक राज किया। उनके राज्य शासन के दौरान भोपाल रियासत कोई खास उन्नति न कर सकी बल्कि अपना बहुत सा मुल्क मरहठों के कब्जे में ले दिया। नवाब फैज मोहम्मद खां के कोई पुत्र नहीं था उनकी मृत्यु के बाद उनके भाई नवाब हयात मोहम्मद खानभोपाल रियासत की गद्दी पर बैठे।