धर्मशाला हिमाचल प्रदेश की कांगडा घाटी का प्रमुख पर्यटन स्थल है। इसके एक ओर जहां धौलाधार पर्वत श्रृंखला है वही दूसरी ओर उपजाऊ घाटी व शिवालिक पर्वतमाला है। धर्मशाला के पर्यटन स्थल हिमाचल के पर्यटन स्थलो में अपनी खुबसुरती और सुंदरता के लिए जाने जाते है। यहा की हरी भरी वादिया झीले झरने और यहा का खुशनुमा मौसम पर्यटको को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करते है। सन 1815 से 1947 तक में अंग्रेजो द्वारा बसाए गए 80 हिल्स स्टेशनो में से धर्मशाला प्रमुख है। यहा सुंदर प्राकृतिक नजारो के साथ सूर्यास्त का भी मनोरम दृश्य दिखाई पडता है।
जिसे देखने के लिए देश विदेश से हजारो की संख्या में पर्यटक यहा आते है। शहर के शुरू में ही एंट्री करते ही भारत चीन तथा भारत पाकिस्तान युद्ध के शहीदो का वार मेमोरियल पडता है। जोकि दर्शनीय है। इस शहर को दो भागो में बांटा गया है एक – निचली धर्मशाला तथा दूसरा ऊपरी धर्मशाला जिसे मैक्लोडगंज के नाम से भी जाना जाता है। नीचली धर्मशाला जहा ओधोगिक व्यापार का केंद्र है वही ऊपरी धर्मशाला यहा की जीवनशैली का आधार और तिब्बती संस्कृति का आधार माना जाता है।
धर्मशाला के पर्यटन स्थल – tourist place in dharmshala
कुनाल पथरी
यहा पत्थरो से बना एक मंदिर है जिसे कुनाल पथरी कहते है। इस मंदिर में पत्थरो पर की गई नक्काशी बहुत ही शानदार और कला का अनमोल नमूना है। जिसे देखकर पर्यटक दांतो तले उंगली दबाए बिना नही रह सकते यह मंदिर कोतवाली बाजार से 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
धर्मशाला के सुंदर दृश्यधर्मकोट
धर्मशाला के पर्यटन स्थल में यह स्थान काफी प्रसिद्ध है। यहा वर्ष भर सैलानियो का तांता लगा रहता है। यह एक व्यू प्वाइंट है जहां से कांगडा घाटी सहीत धौलाधार पर्वतमाला साफ दिखाई देती है।यहा का प्राकृतिक सौंदर्य बैमिसाल है जिसे निहारे बिना पर्यटक नही रह सकते। यह स्थान समुंद्र तल से लगभग 2100 मीटर की ऊंचाई पर धर्मशाला से मात्र 11 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
करेरी
यह एक आकर्षक व मनमोहक पिकनिक स्थल है। जोकि समुंद्र तल से 3250 मीटर की ऊचांई पर बसा है। धर्मशाला से करेरी की दूरी लगभग 20 किलोमीटर है। यहा की करेरी झील तथा मखमली चारागाहें पर्यटको को दूर से ही लुभाती है।
मछरियाल व तत्तवानी
यह स्थान धर्मशाला से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह स्थल अपने खुबसुरत झरने व गर्म पानी के चश्मे के लिए जाना जाता है।
चामुंडा देवी मंदिर
यह स्थान हिन्दुओ का धार्मिक स्थल है यहा चामुंड देवी का एक प्रसिद्ध मंदिर है। इस मंदिर से आप धर्मशाला शहर के प्राकृतिक नजारो का आनंद उठा सकते है चामुंडा देवी मंदिर की धर्मशाला से दूरी लगभग 15 किलोमीटर है।
त्रियूंड
यह स्थान एक बेहद आकर्षक पिकनिक स्थल है। यहा से आप धौलाधार पर्वतमाला का भरपूर नजारा कर सकते है यह स्थल समुंद्र तल से लगभग 2975 मीटर की उचांई पर धर्मशाला से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
ऊपरी धर्मशाला या मैक्लॉडगंज के दर्शनीय स्थल
अंग्रेजो ने लगभग 150 वर्ष पहले इस छोटे से पहाडी प्रदेश की तलाश की थी वे अपना नागरिक प्रशासन तथा छावनी मैक्लॉडगंज में ले आए किन्तु 1905 में भूकंप ने अंग्रजो को निचली धर्मशाला की ओर आने को मजबूर कर दिया। अक्टूबर 1959 में चीन द्वारा तिब्बत पर अधिकार कर लेने के बाद ल्हासा से निर्वासित 14वें दलाई लामा यहा आकर बसे। एक दशक से भी कम समय में मैक्लॉडगंज नष्ट होते ब्रटिश जिला शहर से भारत का उन्नतिशील छोटा सा ल्हासा बन गया । इन चंद वर्षो ने इसे दलाई लामा की लोकप्रियता के साथ मात्र एक दुकान वाले शहर से एक सार्वभौमिक केंद्र में बदलते देखा। जहां गंभीर बौद्ध विद्धान और दलाई लामा के अंतर्राष्ट्रिय प्रशंसको की भीड रहती है। समुद्र तल से 1700 मीटर की ऊचाई पर बसे मैक्लॉडगंज को छोटा तिब्बत भी कहा जाता है। ऊपरी धर्मशाला के पर्यटन स्थल में भी कई सुंदर ऐतिहासिक व खुबसूरत दर्शनीय है।
ऊपरी धर्मशाला के पर्यटन स्थल – मैक्लॉडगंज के दर्शनीय स्थल
सुगलाखांग
यह शहर का केंद्र बिंदु दलाई लामा का निवास है जो अपने निजी कार्यालय तथा मंदिर के साथ इतना साधारण है कि वह आसानी से यहा के प्राकृतिक दृश्य में मिल जाता है। प्राकृतिक हरियाली को बाधित न करने के दलाई लामा के सिद्धांतो के अनुकूल गरिमामय दो तल वाले मंदिर सुगलाखांग को बनाने के लिए एक भी वृक्ष नही काटा गया। यह मंदिर ट्रेफिक और शोर से दूर स्वर्ग की तरह है। यहा के हर कोने से आप प्राकृति के मनोहारी दृश्य देख सकते है। हर वर्ष मार्च के महिने में दलाई लामा यहा शिक्षा प्रदान करते है। जिसके लिए देश विदेश से हजारो की संख्या में अनुयायी यहा आते है।
धर्मशाला के सुंदर दृश्यशिमला के दर्शनीय स्थल
डलहौजी के पर्यटन स्थल
नामग्येमा स्तूप
मंदिर के विपरित नागयेमा स्तूप अपने प्रार्थना चक्रो की पंक्तियो के साथ उसी बाजार की तरह ही भडकीला और रंगबिरंगा है जिसमें वह स्थित है। यह सातूप उन तिब्बतियो का स्मारक है जो अपने गृहदेश में संघर्ष करते हुए मृत्यु को प्राप्त हुए थे।
सेंट जॉन चर्च
धर्मशाला के पर्यटन स्थल में सेंट जॉन चर्च का प्रमुख स्थान है। उत्कृष्ट रंगीन कांच की खिडकियो वाला मजबूत सेंट जॉन चर्च जिसमे बैप्टिस्ट जॉन को ईशू के साथ प्रदर्शित किया गया है। यह चर्च 1852 में अंग्रेजो द्वारा यहा बनवाई गई आरंभिक ईमारतो मे से एक है। सेट जॉन उस समय का एक मात्र बचा हुआ भवन है ज्यादातर यहा आये 1905के विनाशकारी भूकंप में नष्ट हो गए थे। चर्च की कब्रगाह में पूर्व वाइसराय लॉर्ड एलगिन को दफनाया गया था। उसकी विधवा ने यहा संगमरमर का एक स्मारक बनवाया था। जो अब एएसआई द्वारा संरक्षित है।
डल झील धर्मशाला
डल झील का नाम सुनकर आप सोच रहे हों डल झील तो कश्मीर में है जी हा एक डल झील कश्मीर में है और दूसरी जो धर्मशाला में है इसको भी डल झील के नाम से जाना जाता है इस डल झील के पीछे एक कथा प्रचलित है कथा के अनुसार जब कैलाश पर्वत के नीचे स्थित पवित्र मणिमहेश झील में स्नान के लिए गए एक राजा की सोने की अंगूठी खो गई । वह अंगूठी फिर डल झील में ऊपर आयी जिसे उस समय गरीबो का मणिमहेश माना जाता था जो लोग कैलाश जाने का खर्च वहन नही कर सकते थे वे इस झील में नहाकर मोक्ष प्राप्त करते थे। हांलाकि पुराने लोगो का कहना था कि पुरानी डल झील एक बिल्कुल भिन्न झील थी। जिसका नीला हरा पानी इतना गहरा था कि उसमें नौकायन कर सकते थे।
भगसुनाग मंदिर
स्थानीय लोगो के अनुसार भगसुनाग मंदिर की आयु दस हजार वर्ष से भी अधिक है। शहर से केवल डेढ किलोमीटर की दूरी पर दापर युग में दानव राज भगसुनाग द्वारा स्थापित शिव मंदिर है। इसके परिवेश में पानी के स्त्रोतो और जलप्रपात है जिसमे लोग स्नान भी करते है। इस मंदिर का एक सै अधिक बार पुननिर्माण हुआ है। और अपने वर्तमान रूप में यह सफेद टाइलो से ढका है। मंदिर से थोडा आगे चलने पर भगसुनाग वाटर फॉल है जहा की सुंदरता पर्यटको का मन मोह लेती है।
खरीदारी
धर्मशाला के पर्यटन स्थल की सैर करने के साथ साथ आप यहा के बाजारो में खरीदारी का भी लुफ्त उठा सकते है। ऊपरी धर्मशाला यानी मैक्लॉडगंज के बाजारो में आपको तिब्बती कालीनो, थांगका, पोंचो, जैकेट, चुबा, मुखौटौ, प्रतिमाओ, बैग,फ्रूट और बोतल बंद उत्पाद ताहिनी तथा मुसली आदि की दुकाने मिलेगीं। यहा से आप ऊनी गर्म वस्त्र तिब्बती पनीर तथा चाय, झंडे आदि की खरीदारी भी कर सकते है।
धर्मशाला कैसे जाएं और कब जाएं
कब जाएं- अप्रैल से जून व सितंबर से अक्टूबर के महीने के बीच का समय धर्मशाला के पर्यटन स्थल भ्रमण के लिए अनुकूल समझा जाता है। क्योकि चेरापूंजी के बाद भारत का सर्वाधिक वर्षा वाला क्षेत्र धर्मशाला ही है। इसलिए गर्मियो में भी अपने साथ हल्के ऊनी वस्त्रो के साथ साथ एक छाता जरूर लेकर जाएं।
हवाई मार्ग द्वारा- यहा से सबसे नजदीकी हवाई अड्डा गग्गल है जो ऊपरी धर्मशाला से 21 किलोमीटर तथा नीचली धर्मशाला से 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
रेल मार्ग द्वारा- यहा से निकटतम रेलवे स्टेशन पठानकोट है जो कि धर्मशाला से 80 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
सडक मार्ग द्वारा- धर्मशाला भारत के प्रमुख सडक मार्गो से जुडा हुआ है। दिल्ली चंडीगढ देहरादून पठानकोट शिमला आदि प्रमुख शहरो से सिधी बस सेवाए उपल्ब्ध है।
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