दौसा पर्यटन स्थल – दौसा राजस्थान के टॉप 7 दर्शनीय स्थल
Naeem Ahmad
दौसा राजस्थान राज्य का एक छोटा प्राचीन शहर और जिला है, दौसा का नाम संस्कृत शब्द धौ-सा लिया गया है, जिसका शाब्दिक अर्थ स्वर्ग की तरह सुंदरहै। राष्ट्रीय राजमार्ग 11 पर जयपुर से 55 किमी दूर स्थित यह शहर देव नागरी के रूप में भी जाना जाता है। शहर पूर्व कच्छवाहा राजवंश का पहला मुख्यालय था और दौसा का इतिहास बहुत प्राचीन है और पुरातात्विक महत्व इससे जुड़ा हुआ है। दौसा जिला राजस्थान में एक प्रामाणिक ग्रामीण जीवन का अनुभव प्रदान करता है। यदि आप दौसा के पर्यटन स्थल की सैर की योजना बना रहे है तो हम यहां दौसा के टॉप 7 टूरिस्ट पैलेस के बारे मे नीचे विस्तार से जानेंगें। जिन्हें आप अपने दौसा टूर पैकेज मे शामिल कर सकते है।
दौसा की यात्रा पर जाने से पहले एक हल्की सी नजर, (ज्यादा प्राचीन समय मे ना जाते हुए) दौसा के इतिहास पे डाल लेते है।
1991 से पहले, दौसा जयपुर जिले का हिस्सा था। जब जयपुर का पुनर्निर्माण हुआ, तो दौसा ललसोट, सीकर और बसवा के साथ एक अलग जिला बन गया था। 1992 में, एक बार फिर बदलाव हुआ जब सीकर को जिला बनाया गया। और महावा तहसील को दौसा जिले में भी शामिल किया गया था। इससे पहले, महवा सवाई माधोपुर का हिस्सा था।
दौसा राजस्थान के धुंधर क्षेत्र में स्थित है और राज्य की उत्तर-पूर्वी सीमा का निर्माण करता है। यह जगह 10 वीं शताब्दी ईस्वी में चौहान राजपूत और बडगुर्जर्स के शासन में थी। दौसा उस समय धुंधर की राजधानी थी। चौहान शासक राजा सुधा देव ने 996 ईस्वी से 1006 ईस्वी तक इस जगह पर शासन किया। 1006 ईस्वी से 1036 ईस्वी तक, यह जगह राजा दुल राय के शासन में थी।
भारत की आजादी के संघर्ष के दौरान, कई स्वतंत्रता सेनानी दौसा से संबंधित थे। स्वर्गीय श्री राम करण जोशी और स्वर्गीय श्री टिकाराम पालीवाल उनमें से एक थे। आजादी के बाद, स्वर्गीय श्री टीकरम पालीवाल राजस्थान के पहले मुख्यमंत्री बने थे, जबकि स्वर्गीय श्री राम करण जोशी पहले पंचायती राज मंत्री के रूप में निर्वाचित हुए थे।
दौसा पर्यटन स्थल – दौसा के टॉप 7 पर्यटक आकर्षण
Dausa tourism – Top 7 place visit in Dausa Rajasthan
दौसा पर्यटन स्थलों के सुंदर दृश्य
चांद बावड़ी आभानेरी (Chand baori Abhaneri)
चांद बावड़ी यह पुराने जमाने का एक सीढीनुमा कुंआ है। जिसे जिसे स्टेप वेल (Step well)के नाम से भी जाना जाता है। चांद बावड़ी राजस्थान के दौसा जिले की बांदीकुई तहसील के आभानेरी गांव मे स्थित है। चांद बावड़ी दौसा से 35 किमी कि दूरी पर,और बांदीकुई से 7 किमी की दूरी पर स्थित है। चांद बावड़ी आगरा और जयपुर के नजदीकी पर्यटन स्थलों मे से भी एक है। आगरा से चांद बावड़ी 164 किमी की दूरी पर और जयपुर से 95 किमी की दूरी पर नजदीकी आकर्षण है। चांद बावड़ी घूमने का प्रोग्राम आप अपने जयपुर टूर पैकेज और आगरा टूर पैकेज मे भी शामिल कर सकते है।
चांद बावड़ी का निर्माण निकुम्भ वंश के राजा चांद या चंद्रा ने 7 वी – 9 ईसवीं मे करवाया था। उन्हीं के नाम पर इसका नाम चांद बावड़ी पडा। चांद बावड़ी प्राचीन और भारत की सबसे बडी बावड़ी है। जिसकी गहराई लगभग 100 फीट गहरी है। जिसमें नीचे उतरने को तीन तरफ लगभग 3500 सीढियां है। 35 मीटर के वर्गाकार मे बनी यह बावड़ी वास्तुकला का अद्भुत नमूना है। बडी संख्या में पर्यटक यहां आते है।
हर्षत माता मंदिर (Harshat mata temple Abhaneri)
चांद बावड़ी से लगभग 100 मीटर की दूरी पर हर्षत माता मंदिर स्थित है। गुम्बदाकार बना यह छोटा सा मंदिर खुशी की देवी हर्षत माता को समर्पित है। मंदिर को देखने से लगता है कि यह भी बावड़ी के समकालीन वर्षों मे निर्मित है। मंदिर के खंभों और दिवारों पर नक्काशी का एक अद्भुत नमूना देखने को मिलता है। लोगों का मानना है कि हर्षत माता की पूजा अर्चना करने से माता भक्तों के जीवन मे खुशियां भर देती है। इसी मान्यता के चलते भक्त निरंतर माता के दर्शन के लिए आते है।
झाझी रामपुरा (Jhajhirampura)
झाझी रामपुरा अपने प्राकृतिक जल सरोवर के साथ-साथ रुद्र (शिव), बालाजी (हनुमान), और अन्य देवताओं और देवियों के मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। यह जिला मुख्यालय से बसवा (बांदीकुई) की ओर दौसा से 45 किमी दूर स्थित है। पहाड़ियों और जल संसाधनों से घिरा हुआ, इस जगह में प्राकृतिक और आध्यात्मिक महिमा है।
दौसा पर्यटन स्थलों के सुंदर दृश्य
भंडारेज (Bhandarej
भंडारेज जयपुर से 65 किलोमीटर दूर जयपुर–आगरा राजमार्ग पर और दौसा से करीब 10 किमी दूर स्थित है। भंडारेज का प्राचीन इतिहास है। प्राचीन समय में भंडारेज को चंपवती के रूप में जाना जाता था, लेकिन एक बड़ी आपदा के समय इसे बर्बाद कर दिया गया था और बाद में भद्रावती के नाम से जाना जाता था। अब इसे भंडारेज के नाम से जाना जाता है। इसमें चार दरवाजे हैं परिधीय भंवर दरवाजा के रूप में जाना जाता है; खेदली दरवाजा; मीना दरवाजा और बवरी द्वारजा। प्राचीनता के अनुसार भंडारेज को देव-नगरी भी कहा जाता है क्योंकि यहां इतने सारे मंदिर हैं और 2011 के नवम्बर में यहां एक भव्य अश्वमेघ याज्ञ 1008 कुंडिया यज्ञ का आयोजन किया गया था और यह बड़ी सफलता थी और भारतीय मंत्रियों और भारत के अनेक साधुओं ने इसमे भाग लिया था।
यहा खुदाई में पाए जाने वाली दीवारों, मूर्तियों, सजावटी जाली के काम जलिस, टेराकोटा बर्तन, आदि, इस जगह के प्राचीन गौरव के बारे में बताते हैं। भंडारेज बाओरी और भद्रावती पैलेस यहां यात्रा के लिए लोकप्रिय स्थान हैं, और इस क्षेत्र के भव्य इतिहास के अच्छे उदाहरण हैं। इसका इतिहास 11 वीं शताब्दी में देखा जा सकता है, जब कच्छवाहा चीफटन दुल्हा राय ने बरगूजर को हराया और भंडारेज पर विजय प्राप्त की। यह क्षेत्र कालीन बनाने के लिए भी प्रसिद्ध है।
लोटवाड़ा (Lotwara)
लोटवाड़ा गांव जयपुर से 110 किमी दूर, और दौसा से 44 किमी कि दूरी पर स्थित है। इस गांव का सबसे बड़ा आकर्षण लोटवाड़ा गढ़ (किला) है, जिसे 17 वीं शताब्दी में ठाकुर गंगा सिंह द्वारा बनाया गया था, साथ ही साथ गांव में मोर की बड़ी आबादी भी थी।
बांदीकुई चर्च (Bandikui church)
दौसा से 35 किमी की दूरी पर बांदीकुई में सुंदर सेंट फ्रांसिस रोमन कैथोलिक चर्च है, जो राजा शिशिर शमशेर बहादुर द्वारा बनाया गया है, जो रेलवे स्टेशन के पास स्थित है। यह खूबसूरत चर्च वास्तुकला का बेहतरीन नमूना है।
मेंहदीपुर बालाजी मंदिर (Mehandipur balaji temple)
दौसा से 49 किमी की दूरी पर मेहंदीपुर बालाजी मंदिर एक भव्य और दिव्य मंदिर है। यह मंदिर भगवान हनुमान को समर्पित है। मंदिर राजपूत वास्तुकला शैली से निर्मित है। लोगों की इस मंदिर मे बडी आस्था है। यहां बालाजी की मूर्ति से एक जल धारा निकलती है। जिसका जल एक टैंक मे एकत्र कर भक्तों को प्रसाद स्वरूप वितरित किया जाता है। एक अन्य मान्यता के अनुसार मंदिर मे भूत, प्रेत, बुरी आत्माओं से भी मुक्ति मिलती है।
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