ददरी का मेला कहां लगता है और ददरी मेले का इतिहास Naeem Ahmad, August 6, 2022March 18, 2023 सरयू का तट पर स्थितबलिया जनपद अपनी अखंडता, निर्भीकता, बौद्धिकता, सांस्कृतिक एकता तथा साहित्य साधना के लिए प्रसिद्ध है। इसका ऐतिहासिक तथा पौराणिक महत्व है। बलिया शहर से 5 किलोमीटर की दूरी पर ददरी का प्रसिद्ध मेला लगता है। ददरी के मेले के बारे में कहा जाता है कि ददरी मेला भारत का दूसरा सबसे बड़ा पशु मेला है।Contents1 बलिया ददरी का मेला2 ददरी का मेला का महत्व3 ददरी का मेला और भव्यता4 हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:—बलिया ददरी का मेलाखाटी भोजपुरी के लिए बलिया, गाजीपुर, देवरिया प्रसिद्ध है। इसे भृगुक्षेत्र कहते है। गंगा और सरयू के पावन हाथों में स्थित इस क्षेत्र का सांस्कृतिक और पौराणिक महत्व है। यह ऋषियो-महर्षियों की तपस्थली रही है। इन ऋषियों में भृगु का नाम मुख्य है। वैसे महर्षि विश्वामित्र, परशुराम और जमदग्नि ने भी यहां अपने आश्रम बसाये थे। शुक्ल यजुर्वेद के अनुसार भृगु वैदिक ऋषि है। “गीता ‘ में श्रीकृष्ण ने कहा था कि में ऋषियों में भृगु हूं। इससे सिद्ध होता है कि भृगु तपे-तपाये ऋषि थे।ददरी का मेला का महत्वइन्होंने भृगु सरिता की रचना की थी। एक प्रकरण के अनुसार भृगु ने शिवजी को लिंग का रूप धारण करने का शाप दिया था। ब्रह्म द्वारा अपने को उपेक्षित महसूस किया था और विष्णु को अपने स्थान पर सोते हुए देखकर उन पर क्रुद्ध हो कर उनकी छाती पर लात मारा थी। “पद्मपुराण” का प्रसंग ऐसा हैं कि एक बार यज्ञ में सभी ऋषिगण एकत्र हुए। वहा ऋषियों ने एकमत होकर भृगु को यह कार्य सौंपा कि वे इस बात का पता लगाये कि देवताओं मे सबसे ऊंचा चरित्र किसका है ?।ददरी का मेलाभृगु ने इसी प्रसंग में ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों को अनुचित अवस्था में ही पाया था और तीनो को परीक्षा में अनुत्तीर्ण पाया था ? तब भी पवाघात से उठे विष्णु ने भृगु के पावो को सहलाते हुए विनम्रता पूर्वक क्षमा याचना करते हुए कहा था कि कही आप के चरणों को चोट तो नहीं लगी। इस विनम्रता से प्रसन्न होकर विष्णु को ही मनुष्य और देवताओं द्वारा पूजा के योग्य घोषित कर दिया। किंतु पदाघात का प्रायश्चित तो भृगु को भी करना ही था। विष्णु भगवान ने एक छडी काठ की दी और कहा कि आप जाये। यह छड़ी जहां हरी हों जायेगी, वहीं आपका प्रायश्चित पूर्ण हो जायेगा। भृगु अन्यान्य तीर्थों का भ्रमण करते हुए जब गंगा-सरयू के संगम पर बलिया पहुंचे तो अपनी छड़ी संगम पर गाड दी। गड़ते ही छड़ी हरी हो गयी, तब इसी स्थान पर भृगु ने घोर तपस्या की जो भृगु क्षेत्र के नाम से प्रसिद्ध हो गया। भृगु ने यहां एक शिष्य-परंपरा कायम की, जिनमे एक दर्दर भी थे। दर्दर ने भृगु की स्मृति में एक मेले का आयोजन किया जिसमे तमाम ऋषियों ने भाग लिया। उसी के नाम पर इस मेले का नाम ददरी मेला पड़ा।ददरी का मेला और भव्यताकालान्तर में यह मेला ददरी का मेला के नाम से प्रसिद्ध है। यह मेला अब लगभग तीन सप्ताह तक चल कर कार्तिक पूर्णिमा को समापन पर पहुंचता है। कहते है कि यहां गंगा-सरयू स्नान तथा भृगु आश्रम का दर्शन करने से मनुष्य जन्म-जन्म के पापों से मुक्त हो जाता है। ददरी का मेला पशु-मेला के लिए बहुत प्रसिद्ध है। यहां हाथी, घोड़ा, बैल, गाय, से लेकर चिडिया-पक्षी भी भारी सख्या मे बिकने के लिए आते है। यहां मीना बाजार लगती है जिसमे प्राय सभी वस्तुएं खरीदी-बेची जाती है। इसके अलावा मनोरजन के साधन भी पर्याप्त उपलब्ध रहते है। नौटंकी, सर्कस, नाच-गान, तमाशा, प्रदर्शनी, खेलकूद, कुश्ती, सांस्कृतिक कार्यक्रम, प्रवचन, कवि-सम्मेलन, गोष्ठी, बिरहा, दंगल, मुशायरा, कब्वाली आदि का वृहद आयोजन किया जाता है, जिसे देखने-सुनने के लिए दूर-दराज के दर्शक-श्रोता उपस्थित होते है। ददरी का मेला भोजपुरी क्षेत्र का सबसे बडा मेला कहलाता है। वैसे ददरी मेला भारत का प्रसिद्ध मेला है।हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:— ओणम पर्व की रोचक तथ्य और फेस्टिवल की जानकारी हिन्दी में विशु पर्व, केरल के प्रसिद्ध त्योहार की रोचक जानकारी हिन्दी में थेय्यम नृत्य फेस्टिवल की रोचक जानकारी हिन्दी में theyyam festival केरल नौका दौड़ महोत्सव - केरल बोट रेस फेस्टिवल की जानकारी हिन्दी में अट्टूकल पोंगल केरल में महिलाओं का प्रसिद्ध त्योहार तिरूवातिरा कली नृत्य फेस्टिवल केरल की जानकारी हिन्दी में मंडला पूजा उत्सव केरल फेस्टिवल की जानकारी हिन्दी में अष्टमी रोहिणी केरल का प्रमुख त्यौहार की जानकारी हिन्दी में लोहड़ी का इतिहास, लोहड़ी फेस्टिवल इनफार्मेशन इन हिन्दी दुर्गा पूजा पर निबंध - दुर्गा पूजा त्योहार के बारें में जानकारी हिन्दी में तेजाजी की कथा - प्रसिद्ध वीर तेजाजी परबतसर पशु मेला मुहर्रम क्या है और क्यो मनाते है - कर्बला की लड़ाई - मुहर्रम के ताजिया गणगौर व्रत कथा - गणगौर क्यों मनाई जाती है तथा गणगौर व्रत विधि बिहू किस राज्य का त्यौहार है - बिहू किस फसल के आने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है हजरत निजामुद्दीन दरगाह - हजरत निजामुद्दीन औलिया दरगाह का उर्स नौरोज़ त्यौहार का मेला - नवरोज त्योहार किस धर्म का है तथा मेला फूलवालों की सैर त्यौहार कब मनाया जाता है - फूलवालों की सैर का इतिहास हिन्दी में ईद मिलादुन्नबी कब मनाया जाता है - बारह वफात क्यों मनाते है और कैसे मनाते है ईद उल फितर क्यों मनाया जाता है - ईद किस महिने के अंत में मनाई जाती है बकरीद क्यों मनाया जाता है - ईदुलजुहा का इतिहास की जानकारी इन हिन्दी बैसाखी का पर्व किस दिन मनाया जाता है - बैसाखी का त्योहार क्यों मनाया जाता है अरुंधती व्रत रखने से पराये मर्द या परायी स्त्री पाप से मुक्ति रामनवमी का महत्व - श्रीराम का जन्मदिन चैत्र रामनवमी कैसे मनाते हैं हनुमान जयंती का महत्व - हनुमान जयंती का व्रत कैसे करते है और इतिहास आसमाई व्रत कथा - आसमाई की पूजा विधि वट सावित्री व्रत की कथा - वट सावित्री की पूजा कैसे करते है गंगा दशहरा का महत्व - क्यों मनाया जाता है गंगा दशहरा की कथा रक्षाबंधन क्यों मनाते है - रक्षाबंधन पूजा विधि और रक्षा-बंधन की कथा नाग पंचमी कब मनायी जाती है - नाग पंचमी की पूजा विधि व्रत और कथा कजरी की नवमी कब और कैसे मनाते है - कजरी पूर्णिमा का व्रत और कथा हरछठ का व्रत कैसे करते है - हरछठ में क्या खाया जाता है - हलषष्ठी व्रत कथा हिंदी गाज बीज माता की कथा - गाज बीज माता का व्रत कैसे करते है और पूजा विधि सिद्धिविनायक व्रत कथा - सिद्धिविनायक का व्रत कैसे करते है तथा व्रत का महत्व कपर्दि विनायक व्रत - कपर्दि विनायक व्रत कैसे करते है और व्रत कथा हरतालिका तीज व्रत कथा - हरतालिका तीज का व्रत कैसे करते है तथा व्रत क्यो करते है संतान सप्तमी व्रत कथा पूजा विधि इन हिन्दी - संतान सप्तमी व्रत मे क्या खाया जाता है जीवित्पुत्रिका व्रत कथा और महत्व - जीवित्पुत्रिका व्रत क्यों रखा जाता है अहोई आठे व्रत कथा - अहोई अष्टमी का व्रत कैसे करते है बछ बारस पूजन कैसे करते है - बछ बारस व्रत कथा इन हिन्दी करमा पूजा कैसे की जाती है - करमा पर्व का इतिहास जइया पूजा आदिवासी जनजाति का प्रसिद्ध पर्व डोमकच नृत्य समारोह क्यों मनाया जाता है छेरता पर्व कौन मनाते हैं तथा छेरता नृत्य कैसे करते है दुर्वासा धाम मेला आजमगढ़ उत्तर प्रदेश भैरव जी मेला महराजगंज आजमगढ़ उत्तर प्रदेश बाबा गोविंद साहब का मेला आजमगढ़ उत्तर प्रदेश कामाख्या देवी मेला गहमर गाजीपुर उत्तर प्रदेश शेख शाह सम्मन का मजार व उर्स सैदपुर गाजीपुर उत्तर प्रदेश गोरखनाथ का मेला गोरखपुर उत्तर प्रदेश तरकुलहा का मेला - तरकुलहा देवी मंदिर गोरखपुर 1 2 Next » भारत के प्रमुख त्यौहार उत्तर प्रदेश के त्योहारउत्तर प्रदेश के मेलेत्यौहारमेले