थर्मामीटर का आविष्कारइटली के प्रसिद्ध वैज्ञानिक गेलिलियो ने लगभग सन् 1593 में किया था। गेलिलियो ने सबसे पहले वायु का तापमान मापने वाले थर्मामीटर का आविष्कार किया था। उसके बाद मौसम और शरीर का तापमान मापने के लिए अनेक प्रकार के थर्मामीटरो का विकास हुआ। सन् 1714 मेंगेलिलियो के थर्मामीटर से प्रभावित होकर जर्मनी के एक भौतिकशास्त्री गेब्रिल फारनहाइट ने शरीर का तापमान लेने वाला थर्मामीटर बनाया जो फारनहाइट थर्मामीटर कहलाता है।
थर्मामीटर का आविष्कार किसने किया और कब हुआ
आज कई प्रकार के थर्मामीटर प्रचलित हैं, जो भिन्न-भिन्न कार्यो मे प्रयोग होते है। एल्कोहल थर्मामीटर निम्न तापमान मापने के काम में इस्तेमाल किए जाते है। इस थर्मामीटर में कांच की पतली सूराख वाली नली में एल्कोहल भरा होता है, जिसमें थोडा-सा लाल रंग मिला दिया जाता है, ताकि स्केल पर तापमान ठीक से पढा जा सके। गर्मी के कारण एल्कोहल का प्रसार होता है और सर्दी पहुंचने पर इसका आयतन घट जाता है। इसका उपयोग मौसम का तापमान ज्ञात करने के लिए किया जाता है।
अन्य कई प्रकार के थर्मामीटरो में पारे का इस्तेमाल किया जाता हैं। पारा भी गर्मी-सर्दी पाकर शीघ्र ही फैलता है ओर सिकुडता है। पारे वाले थर्मामीटरों का उपयोग 300 डिग्री सेल्सियस तक तापमान ज्ञात करने के लिए प्रयोग किया जाता है।
थर्मामीटरशरीर का तापमान ज्ञात करने के लिए एक विशेष प्रकार के पारद थर्मामीटर का उपयोग किया जाता है। इस थर्मामीटर को जब जीभ के नीचे या बगल में लगाकर शरीर का तापमान लिया जाता है, तो पारा संकरी नली में ऊपर चढकर शरीर के तापमान के अनुसार एक निश्चित स्थान तक पहुंचकर ठहर जाता है। इस प्रकार इसे शरीर से हटाकर आसानी से पढ़ा जा सकता है। नीचे उतारने के लिए इसे पांच-छह झटके दिए जाते हैं। जिससे पारा फिर अपनी घुंडी वाली जगह पर आ जाता है।
कुछ अन्य प्रकार के थर्मामीटर विशेष धातुओं के तारों से बनाए जाते हैं। ये थर्मामीटर तारों की कुंडली के कसने और ढ़ीले पड़ने से तापमान मापते हैं। जब तापमान बढ़ता है तो तार की कुंडली कस जाती है और तापमान के घटने पर ढ़ीली पड़ जाती है। तार की कुंडली के एक छोर पर निर्देशक लगा होता है। यह निर्देशक एक चिंहित डायल पर घुमकर तापमान बताता है। कुछ थर्मामीटरो में निर्देशक के छोर पर पेंसिल लगीं होती है। जिसकी मदद से कागज के ग्राफ पर तापमान के घटने बढ़ने को अंकित भी करते रहते हैं।
तापमान डिग्री में मापा जाता है, परंतु सभी थर्मामीटरो की डिग्रीयों का पैमाना एक सा नहीं होता है। उदाहरणार्थ मनुष्य के शरीर का तापमान सेंटीग्रेड थर्मामीटर में 37° होता है। जबकि फारेनहाइट थर्मामीटर में 98.4 डिग्री।
फारेनहाइट थर्मामीटर में हिमांक (Freezing point of water) 32 डिग्री और क्वथनाक (Boiling point of water) 212 डिग्री होता है, जबकि सेंटीग्रेड थर्मामीटर में हिमांक शून्य होता है। और क्वथनाक 100 डिग्री। औद्योगिक क्षेत्र के हर उत्पादन और नियंत्रण कार्य में विभिन्न प्रकार के थर्मामीटरो की आवश्यकता पड़ती है।
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