पूर्व-मध्य यूनान में एक बड़ा ही सेकरा दर्रा है- थर्मापायली। यह दर्रा उत्तरी मार्ग से यूनान में आने-जाने का मुख्य मार्ग रहा है। ई.पू. पांचवी शताब्दी में इसी दर्रे के निकट लेओनिडस (Leonidas) के नेतृत्व में एक छोटी-सी यूनानी सेना ने आक्रमणकारी फ़ारसी फौजों के साथ वीरतापूर्वक तीन दिनों तक लड़ाई की थी और उन्हें रोक रखा था। चूँकि थर्मापायली के दर्रे के निकट यह युद्ध हुआ था, इसलिए इसे थर्मापायली का युद्ध कहते हैं। अपने इस लेख में हम इसी थर्मापायली की लड़ाई का उल्लेख करेंगे और निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर विस्तार से जानेंगे:—
थर्मापायली का युद्ध कब हुआ था? थर्मापायली का युद्ध किस किस के मध्य हुआ था? थर्मापायली के युद्ध के कारण क्या थे? थर्मापायली के युद्ध के परिणाम? थर्मापायली का युद्ध कहां हुआ था?
थर्मापायली युद्ध का कारण
मैराथन की लड़ाई (The Battle of Marathon) में डैरियस की फारसी सेनाओं को यूनानी सेनाओं से भयंकर पराजय मिली थी। इस पराजय से फारस का बादशाह डेरियस प्रथम (Darius l, 522-486BC) जीवन भर दुखी और क्रुंद्ध रहा और यूनान को पाने और जीतने के लिए निरंतर प्रयास करता रहा। दुर्भाग्यवश अपना अधूरा स्वप्न लिये उसे दुनिया से जाना पड़ा।
डेरियस की मृत्यु के बाद जरकलीज प्रथम (Xerxes l, 486-465 BC) ईरान का सम्राट बना परन्तु वह अपने पिता के समान साहसी और वीर सैनिक न था। वह ऐसे सैनिक सलाहकारों से घिरा था जो हर समय उसे एथेंस पर आक्रमण करने के लिए उकसाते रहते थे। फलत: उसके भीतर अपने पिता के अपमान का प्रतिशोध लेने की ललक बढ़ती गयी और एक विशाल सेना लेकर वह एथेंस की और चल दिया।
थर्मापायली युद्ध का प्रारम्भ
इस युद्ध का वर्णन सुप्रसिद्ध यूनानी इतिहासकार हेरोडोटस (Herodotus, 484-425 B.C.) ने किया है। उसके अनुसार ईरानी सेना की सख्या 50 लाख थी, जिसने हेलीस्पंत मुहाना पार करके यूरोप में प्रवेश किया और जरक्सीजू के नेतृत्व:
में थ्रेस और मैसीडोनिया जीत लिये। थर्मापायली यूनान के पूर्व-मध्य भाग में एक तंग दर्रा था, जहां 480 ई,पू, में थर्मापायली का युद्ध लड़ा गया। दर्रा इतना तंग और संकरा था कि उसके दोनो ओर के ऊंचे पहाड़ो के बीच से सिर्फ एक जहाज गुजर सकता था। यूनानियों ने मोर्चे के लिए इसी स्थान को उपयुक्त समझा। दूसरे, एथेंस और स्पार्टा अपने पुराने बैर और द्वेष को भुलाकर एकसूत्र हो गये क्योकि स्पार्टावासी युद्धप्रय भी थे और कौशल में भी एथेंस से बढ़कर थे, जबकि थार्ब्स राज्य द्वेपवश एथेंस को हराने की इच्छा से ईरान के साथ जा मिला। सिर्फ एथेंस और स्पार्टा दो राज्यो ने ईरान की विशाल सेना का मुकाबला किया। एथेंस के पास एक विशाल जलसेना थी, जिसे एथेंस-जनरल थेमिस्टोक्लीज ने अपने प्रतिद्वंद्वी एरिस्टाइडीज के विरोध के बावजूद तैयार किया था। यूनानी सेना का नेतृत्व स्पार्टा के राजा लेओनिडस ने किया।
थर्मापायली का युद्धदोनों सेनाएं विरता पूर्वक लड़ी।ईरानी सेना अकस्मात वहां
पहुच गयी और यूनानी वीर एक-एक कर वीरतापूर्वक लडते हुए मारे जाने लगे, जिनमे स्पार्टा का राजा लेओनिडस भी था। एथेंस नगर खाली होने लगा। उन्हे अपनी पूर्ण पराजय होती जान पड़ी
परन्तु कुछ समय बाद उस की जलसेना ने युद्ध की दिशाएं बदल दी। थेमिस्टोक्लीज सेना के साथ आगे बढ़ा। विशाल ईरानी सेना को अपनी विजय मे विश्वास था परन्तु उसे ऐसी तंग खाड़ियों मे लडने का अनुभव नही था, जैसा यूनानियो को था। इसलिए सख्या मे अधिक होते हुए भी वे बुरी तरह हार गये।
थर्मापायली युद्ध का परिणाम
यूनान के लिए यह गौरवपूर्ण विजय थी। मैराथन की लडाई की भांति इस बार भी यूनान की स्वतन्त्रता और सभ्यता नष्ट होते-होते बची। जरक्सीज का यूनान-विजय का स्वप्न अधूरा रह गया। यूनान ने अपने पडोसी प्रदेशों को भी ईरान की पराधीनता से मुक्त करवाया।
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