राजस्थान की राजधानी जयपुर नगर प्रासाद औरजय निवास उद्यान के उत्तरी छोर पर तालकटोरा है, एक बनावटी झील, जिसके दक्षिण मे बादल महल और तीन ओर चौडी मिट॒टी की पाल हुआ करती थी जिस पर अब जयपुर की बढती आबादी ने मकान ही मकान बनाकर इस चित्रोपम जलाशय के सारे सौन्दर्य को विकृत कर दिया है। इस पाल पर भी पहले बहुत सुन्दर बगीचा था जिसे पाल का बाग कहा जाता था। जयपुर के तीज और गणगौर के प्रसिद्ध मेलो का समापन पाल के बाग मे ही होता आया है। बादल महल के एकदम सामने वाली पाल पर जिसके कोनों पर अष्टकोणीय छतरिया, बीचों-बीच कमानीदार छतवाली लम्बी छतरी और इनके बीच मे समतल छतों वाली जालियों से बंद दो छतरिया और बनी हैं। तीज और गणगौर के जुलूस इसी जगह आकर समाप्त होते हैं। भोग के बाद तालकटोरा मे ही तीज और गणगौर को पधराने या विसर्जित करने का रिवाज रहा है। लह-लहाते बाग-बगीचो के बीच, तालकटोरा के किनारे तीज औरगणगौर के रगो से भरे जुलूसों का यह नजारा इस शहर के सबसे चित्रोपम नजारो मे गिना गया है। दूसरी पाल पर जब इस प्रकार मेले का समापन होता था तो बादल महल मे जुडी सभा या दरबार मे नाच-गान के कार्यकम चलते रहते थे। जिस जमाने में ब्रह्मपुरी और माधो विलास की दीवारों से टकराने वाला राजामल का तालाब तीन ओर से तालकटोरा को घेरता था, तो ताल कटोरा नाम सार्थक हो जाता था, बडे तालाब मे तैरता हुआ कटोरा, तालकटोरा।
तालकटोरा जयपुर – जयपुर का तालकटोरा
नगर-प्रासाद की सरहद मे आये हुए इस तालकटोरा मे कभी मगरमच्छो की भरमार थी। इन्हे रोजाना महाराजा की ओर से खुराक पहुंचाई जाती थी और यह जानवर बड़े पालतू हो गये थे। खुराक लेकर जाने वाले कर्मचारी जब तालकटोरा की पाल पर जाकर खडे होते तो बडे-बडे मगरमच्छ उनके हाथो अपना भोजन पाने के लिये सीढियां चढकर ऊपर पाल तक आ जाते। मगरमच्छो को खिलाने का यह नजारा भी खूब था। जिन्होने देखा है, उन्हे अब तक याद है।
खास-खास अवसरो पर तालकटोरा जयपुर में मगरमच्छो की खिलाने का एक तमाशा भी होता। लम्बी रस्सी से बांध कर कोई जिन्दा खुराक तालाब मे फेक दी जाती, उसी तरह जैसे शेर के लिये बकरा या पाडा बाध दिया जाता है। बस, मगरमच्छो मे घमासान लडाई छिड़ जाती। जब सबसे जोरदार जानवर इस खुराक को पकड़ लेता तो रस्साकशी होती। एक तरफ मगर और दूसरी तरफ रस्सी को थामने वाले आदमी। अपनी शिकार के पीछे पडे मगरमच्छ को खीच कर तालकटोरा तालाब से बाहर करने के लिए कई-कई लोगो को जोर आजमाना पडता। इस तरह वह जबरन खिच तो आता, लेकिन फिर झुंझला कर रस्सी को काट खाता और लौट जाता तालकटोरा के पानी में।
तालकटोरा जयपुर
राजामल का तालाब ओर जयपुर का तालकटोरा की जगह जयपुर बसने से पहले भी झील ही थी जिसके आसपास आमेर के राजा शिकार खेलने के लिए आया करते थे। जब सवाई जय सिंह ने जय निवास बाग और उसमे अपने महल बनवाये तो तालकटोरा को तो वह स्वरूप मिला जो आज भी हम देखते है ओर राजामल का तालाब नगर-प्रासाद की ‘सरहद’ से बाहर आम जनता के लिए छोड दिया गया। इस तालाब को तत्कालीन ग्रन्थों मे “जयसागर’ कहा गया है लेकिन जय सिंह के प्रधानमत्री राजमल की हवेली के पास होने के कारण जयपुर के लोगो ने इसे “राजामल का तालाब” ही कहा। इसमें पानी की आमद शहर के उत्तरी भाग ओर नाहरगढ़ की पहाडी से होती थी। बाला नन्द जी के मंदिर से लेकर तलाब तक पानी आने का रास्ता ‘नन्दी”’ कहलाता है जो फतहराम के टीबे के पास बारह मोरियो मे होकर जय सागर या राजामल के तालाब मे पहुंचता था। पूरा भराव हो जाने पर माधो विलास के पश्चिम से इसका अतिरिक्त पानी निकल कर मानसागर या जल महल के तालाब में पहुंचता था और यही जयपुर के उत्तरी शहर का “नेचरल ड्रेनेज -प्राकुतिक जल निकास था।
महाराजा रामसिंह के समय मे जब शहर की आबादी बढ चली थी, राजामल के तालाब को गन्दगी और बीमारी (मलेरिया) का घर समझ कर मिट॒टी से पाटना शुरू किया गया। पिछले राजाओं की उपेक्षा और जयपुर पर आये दिन आने वाली मुसीबतो के कारण तब जलेब चौक और जय निवास बाग का बुरा हाल था। रामसिह ने इन दोनों ही जगहों का सब कूडा-कचरा हटवाया और यह पास ही राजामल के तालाब मे भर दिया गया। गोविन्द देवजी की ड्योढी के बाहर ही तब रामसिंह ने बग्घी-खाने और रामप्रकाश नाटकघर की इमारते भी बनवाई। तब से शहर का कूडा-कचरा ढोने वाली भैसा-गाडियां भी इसी तालाब मे खाली होने लगी और इसके पूरा भर जाने तक होती रही। अब तो राजामल का तालाब कवर नगर नामक एक बस्ती बन गया है ओर यहां मकान ही मकान बन गये हैं। फिर भी सैकडो बरस जो जमीन तालाब के नीचे रही, उसमे आज भी सीलन और नमी है। इस नयी बस्ती के नीचे न जाने गन्दगी भी कितनी दबी पडी है। गिरधारी जी के मन्दिर की तरफ ट्रक वालो के पडाव है और सारी बस्ती मे एक अजीबो-गरीब दुर्गन्ध भरी रहती है। नयी बस्ती होकर भी यह एक ”स्लम” जैसी ही थी। हांलांकि अब काफी सुधार हुआ है।
हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:—-
पश्चिमी राजस्थान जहाँ रेगिस्तान की खान है तो शेष राजस्थान विशेष कर पूर्वी और दक्षिणी राजस्थान की छटा अलग और
जोधपुर का नाम सुनते ही सबसे पहले हमारे मन में वहाँ की एतिहासिक इमारतों वैभवशाली महलों पुराने घरों और प्राचीन
भारत के राजस्थान राज्य के प्रसिद्ध शहर अजमेर को कौन नहीं जानता । यह प्रसिद्ध शहर अरावली पर्वत श्रेणी की
प्रिय पाठकों पिछली पोस्ट में हमने हेदराबाद के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल व स्मारक के बारे में विस्तार से जाना और
प्रिय पाठकों पिछली पोस्ट में हमने जयपुर के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल हवा महल की सैर की थी और उसके बारे
प्रिय पाठको जैसा कि आप सभी जानते है। कि हम भारत के राजस्थान राज्य के प्रसिद् शहर व गुलाबी नगरी
प्रिय पाठको जैसा कि आप सब जानते है। कि हम भारत के राज्य राजस्थान कीं सैंर पर है । और
पिछली पोस्टो मे हमने अपने जयपुर टूर के अंतर्गत जल महल की सैर की थी। और उसके बारे में विस्तार
इतिहास में वीरो की भूमि चित्तौडगढ का अपना विशेष महत्व है। उदयपुर से 112 किलोमीटर दूर चित्तौडगढ एक ऐतिहासिक व
जैसलमेर भारत के राजस्थान राज्य का एक खुबसूरत और ऐतिहासिक नगर है। जैसलमेर के दर्शनीय स्थल पर्यटको में काफी प्रसिद्ध
अजमेर भारत के राज्य राजस्थान का एक प्राचीन शहर है। अजमेर का इतिहास और उसके हर तारिखी दौर में इस
अलवर राजस्थान राज्य का एक खुबसूरत शहर है। जितना खुबसूरत यह शहर है उतने ही दिलचस्प अलवर के पर्यटन स्थल
उदयपुर भारत के राज्य राजस्थान का एक प्रमुख शहर है। उदयपुर की गिनती भारत के प्रमुख पर्यटन स्थलो में भी
वैष्णव धर्म के वल्लभ सम्प्रदाय के प्रमुख तीर्थ स्थानों, मैं
नाथद्वारा धाम का स्थान सर्वोपरि माना जाता है। नाथद्वारा दर्शन
चंबल नदी के तट पर स्थित,
कोटा राजस्थान, भारत का तीसरा सबसे बड़ा शहर है। रेगिस्तान, महलों और उद्यानों के
राजा राणा कुम्भा के शासन के तहत, मेवाड का राज्य रणथंभौर से
ग्वालियर तक फैला था। इस विशाल साम्राज्य में
झुंझुनूं भारत के राज्य राजस्थान का एक प्रमुख जिला है। राजस्थान को महलों और भवनो की धरती भी कहा जाता
भारत के राजस्थान राज्य के अजमेर जिले मे स्थित
पुष्कर एक प्रसिद्ध नगर है। यह नगर यहाँ स्थित प्रसिद्ध पुष्कर
बीकानेर जंक्शन रेलवे स्टेशन से 30 किमी की दूरी पर,
करणी माता मंदिर राजस्थान के बीकानेर जिले के देशनोक शहर
जोधपुर से 245 किमी, अजमेर से 262 किमी, जैसलमेर से 32 9 किमी, जयपुर से 333 किमी,
दिल्ली से 435
भारत की राजधानी दिल्ली से 268 किमी की दूरी पर स्थित जयपुर, जिसे गुलाबी शहर (पिंक सिटी) भी कहा जाता
सीकर सबसे बड़ा थिकाना राजपूत राज्य है, जिसे शेखावत राजपूतों द्वारा शासित किया गया था, जो शेखावती में से थे।
भरतपुर राजस्थान की यात्रा वहां के ऐतिहासिक, धार्मिक, पर्यटन और मनोरंजन से भरपूर है। पुराने समय से ही भरतपुर का
28,387 वर्ग किमी के क्षेत्र के साथ
बाड़मेर राजस्थान के बड़ा और प्रसिद्ध जिलों में से एक है। राज्य के
दौसा राजस्थान राज्य का एक छोटा प्राचीन शहर और जिला है, दौसा का नाम संस्कृत शब्द धौ-सा लिया गया है,
धौलपुर भारतीय राज्य राजस्थान के पूर्वी क्षेत्र में स्थित है और यह लाल रंग के सैंडस्टोन (धौलपुरी पत्थर) के लिए
भीलवाड़ा भारत के राज्य राजस्थान का एक प्रमुख ऐतिहासिक शहर और जिला है। राजस्थान राज्य का क्षेत्र पुराने समय से
पाली राजस्थान राज्य का एक जिला और महत्वपूर्ण शहर है। यह गुमनाम रूप से औद्योगिक शहर के रूप में भी
जोलोर जोधपुर से 140 किलोमीटर और अहमदाबाद से 340 किलोमीटर स्वर्णगिरी पर्वत की तलहटी पर स्थित, राजस्थान राज्य का एक
टोंक राजस्थान की राजधानी जयपुर से 96 किमी की दूरी पर स्थित एक शांत शहर है। और राजस्थान राज्य का
राजसमंद राजस्थान राज्य का एक शहर, जिला, और जिला मुख्यालय है। राजसमंद शहर और जिले का नाम राजसमंद झील, 17
सिरोही जिला राजस्थान के दक्षिण-पश्चिम भाग में स्थित है। यह उत्तर-पूर्व में जिला पाली, पूर्व में जिला उदयपुर, पश्चिम में
करौली राजस्थान राज्य का छोटा शहर और जिला है, जिसने हाल ही में पर्यटकों का ध्यान आकर्षित किया है, अच्छी
सवाई माधोपुर राजस्थान का एक छोटा शहर व जिला है, जो विभिन्न स्थलाकृति, महलों, किलों और मंदिरों के लिए जाना
राजस्थान राज्य के जोधपुर और बीकानेर के दो प्रसिद्ध शहरों के बीच स्थित,
नागौर एक आकर्षक स्थान है, जो अपने
बूंदी कोटा से लगभग 36 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक शानदार शहर और राजस्थान का एक प्रमुख जिला है।
कोटा के खूबसूरत क्षेत्र से अलग बारां राजस्थान के हाडोती प्रांत में और स्थित है। बारां सुरम्य जंगली पहाड़ियों और
झालावाड़ राजस्थान राज्य का एक प्रसिद्ध शहर और जिला है, जिसे कभी बृजनगर कहा जाता था, झालावाड़ को जीवंत वनस्पतियों
हनुमानगढ़, दिल्ली से लगभग 400 किमी दूर स्थित है। हनुमानगढ़ एक ऐसा शहर है जो अपने मंदिरों और ऐतिहासिक महत्व
चूरू थार रेगिस्तान के पास स्थित है, चूरू राजस्थान में एक अर्ध शुष्क जलवायु वाला जिला है। जिले को। द
गोगामेड़ी राजस्थान के लोक देवता गोगाजी चौहान की मान्यता राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल, मध्यप्रदेश, गुजरात और दिल्ली जैसे राज्यों
भारत में आज भी लोक देवताओं और लोक तीर्थों का बहुत बड़ा महत्व है। एक बड़ी संख्या में लोग अपने
शीतला माता यह नाम किसी से छिपा नहीं है। आपने भी शीतला माता के मंदिर भिन्न भिन्न शहरों, कस्बों, गावों
सीताबाड़ी, किसी ने सही कहा है कि भारत की धरती के कण कण में देव बसते है ऐसा ही एक
गलियाकोट दरगाह राजस्थान के डूंगरपुर जिले में सागबाडा तहसील का एक छोटा सा कस्बा है। जो माही नदी के किनारे
यूं तो देश के विभिन्न हिस्सों में जैन धर्मावलंबियों के अनगिनत तीर्थ स्थल है। लेकिन आधुनिक युग के अनुकूल जो
प्रिय पाठकों अपने इस लेख में हम उस पवित्र धरती की चर्चा करेगें जिसका महाऋषि कपिलमुनि जी ने न केवल
मुकाम मंदिर या मुक्ति धाम मुकाम विश्नोई सम्प्रदाय का एक प्रमुख और पवित्र तीर्थ स्थान माना जाता है। इसका कारण
माँ कैला देवी धाम करौली राजस्थान हिन्दुओं का प्रसिद्ध तीर्थ स्थान है। यहा कैला देवी मंदिर के प्रति श्रृद्धालुओं की
राजस्थान के दक्षिण भाग में उदयपुर से लगभग 64 किलोमीटर दूर उपत्यकाओं से घिरा हुआ तथा कोयल नामक छोटी सी
राजस्थान के शिव मंदिरों में एकलिंगजी टेम्पल एक महत्वपूर्ण एवं दर्शनीय मंदिर है। एकलिंगजी टेम्पल उदयपुर से लगभग 21 किलोमीटर
भारत के राजस्थान राज्य के सीकर से दक्षिण पूर्व की ओर लगभग 13 किलोमीटर की दूरी पर हर्ष नामक एक
राजस्थान की पश्चिमी धरा का पावन धाम रूणिचा धाम अथवा
रामदेवरा मंदिर राजस्थान का एक प्रसिद्ध लोक तीर्थ है। यह
नाकोड़ा जी तीर्थ जोधपुर से बाड़मेर जाने वाले रेल मार्ग के बलोतरा जंक्शन से कोई 10 किलोमीटर पश्चिम में लगभग
केशवरायपाटन अनादि निधन सनातन जैन धर्म के 20 वें तीर्थंकर भगवान मुनीसुव्रत नाथ जी के प्रसिद्ध जैन मंदिर तीर्थ क्षेत्र
राजस्थान राज्य के दक्षिणी भूखंड में आरावली पर्वतमालाओं के बीच प्रतापगढ़ जिले की अरनोद तहसील से 2.5 किलोमीटर की दूरी
सती तीर्थो में राजस्थान का झुंझुनूं कस्बा सर्वाधिक विख्यात है। यहां स्थित
रानी सती मंदिर बहुत प्रसिद्ध है। यहां सती
राजस्थान के पश्चिमी सीमावर्ती जिले जोधपुर में एक प्राचीन नगर है ओसियां। जोधपुर से ओसियां की दूरी लगभग 60 किलोमीटर है।
डिग्गी धाम राजस्थान की राजधानी जयपुर से लगभग 75 किलोमीटर की दूरी पर टोंक जिले के मालपुरा नामक स्थान के करीब
सभी लोक तीर्थों की अपनी धर्मगाथा होती है। लेकिन साहिस्यिक कर्मगाथा के रूप में रणकपुर सबसे अलग और अद्वितीय है।
भारतीय मरूस्थल भूमि में स्थित राजस्थान का प्रमुख जिले जैसलमेर की प्राचीन राजधानी लोद्रवा अपनी कला, संस्कृति और जैन मंदिर
नगर के कोलाहल से दूर पहाडियों के आंचल में स्थित प्रकृति के आकर्षक परिवेश से सुसज्जित राजस्थान के जयपुर नगर के
राजस्थान के सीकर जिले में सीकर के पास सकराय माता जी का स्थान राजस्थान के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक
केतूबाई बूंदी के राव नारायण दास हाड़ा की रानी थी। राव नारायणदास बड़े वीर, पराक्रमी और बलवान पुरूष थे। उनके
जयपुर के मध्यकालीन सभा भवन, दीवाने- आम, मे अब जयपुर नरेश सवाई मानसिंह संग्रहालय की आर्ट गैलरी या कला दीर्घा
राजस्थान की राजधानी जयपुर के महलों में मुबारक महल अपने ढंग का एक ही है। चुने पत्थर से बना है,
राजस्थान की राजधानी जयपुर के ऐतिहासिक भवनों का मोर-मुकुट चंद्रमहल है और इसकी सातवी मंजिल ''मुकुट मंदिर ही कहलाती है।
राजस्थान की राजधानी और गुलाबी नगरी जयपुर के ऐतिहासिक इमारतों और भवनों के बाद जब नगर के विशाल उद्यान जय
जयपुर नगर बसने से पहले जो शिकार की ओदी थी, वह विस्तृत और परिष्कृत होकर बादल महल बनी। यह जयपुर
जयपुर में आयुर्वेद कॉलेज पहले महाराजा संस्कृत कॉलेज का ही अंग था। रियासती जमाने में ही सवाई मानसिंह मेडीकल कॉलेज