भारत के बंगाल राज्य की राजधानी कोलकाता से 85 किलोमीटर की दूरी पर हुुगली जिले में तारकेश्वर नामक एक प्रमुख शहर है। यह शहर यहां स्थित ताड़केश्वर मंदिर के रूप में काफी प्रसिद्ध है। इस शहर का नाम भी इस मंदिर के ऊपर ही पड़ा है। तारकेश्वर मंदिर भगवान तारकनाथ को समर्पित है, जो भगवान शिव के ही एक रूप है। अपने इस लेख में हम तारकेश्वर महादेव की यात्रा करेगें और तारकेश्वर टेम्पल हिस्ट्री, ताड़केश्वर महादेव स्टोरी, तारकेश्वर महादेव की कहानी, तारकेश्वर मंदिर कहाँ है। ताडकेश्वर शिव मंदिर, तथा बाबा तारकनाथ मंदिर के बारें में विस्तार से जानेंगे।
तारकेश्वर महादेव कहानी , तारकेश्वर महादेव स्टोरी
Tarkeshwar Mahadev Temple story in hindi, About Tarkeshwar Mahadev temple kolkata तारकेश्वर महादेव
अधिक पैसा कमाना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें
तारकेश्वर महादेव मंदिर बंगाल का प्रमुख शिव मंदिर है। जिसके बारें में.कहा जाता है कि भारमल राव जो राजा विष्णु दास का भाई था, उसके महल में एक बहुत सुंदर गाय थी। जिसका नाम कपिला था। भारमल का महल तारकेश्वर महादेव से 3 मील दक्षिण में रामनगर गाँव में था। कपिला गाय को मुकन्द गोप जंगल में चराने के लिए तारकेश्वर में लाता था।। अचानक कपिला गाय का दूध बहुत कम हो गया। राजा भारमल ने मुकन्द गोप से उसका कारण पूछा, लेकिन मुकन्द गोप कुछ भी उत्तर नही दे सका। इस पर राजा भारमल ने मुकन्द गोप का तिरस्कार किया।
एक दिन मुकन्द ने देखा कि जंगल में एक बहुत सुंदर पत्थर है। और उस पत्थर में एक सुराख है। कपिला गाय ने वहां जाकर उस पत्थर के ऊपर अपने चारों थन कर दिये और उसके चारों थनों से दूध निकलकर पत्थर के सुराख में जाने लगा। मुकन्द को यह देखकर बहुत आश्चर्य हुआ।
उसने वापिस महल आकर राजा भारमल को यह सारी बात बताई। राजा भारमल को भी मुकन्द गोप की बात त सुंदर बहुत आश्चर्य हुआ। राजा भारमल ने स्वयं वहां जाकर वह पत्थर देखा। राजा भारमल को वह सुंदर पत्थर बहुत अच्छा लगा। उन्होंने पत्थर को महल ले जाने का निश्चय किया और वह पत्थर निकालने के लिए आदमी लगाए।
मजदूरों द्वारा बहुत गहराई तक खुदाई करने के बाद भी उस पत्थर का अंत दिखाई नही दिया। रात्रि में तारकनाथ महादेव ने राजा भारमल को स्वप्न में दर्शन देकर कहा कि तुमको मुझमें भक्ति है, तो उस पत्थर की जगह पर मेरा मंदिर बनवाओ। तत्पश्चात राजा भारमल ने उसी स्थान पर तारकेश्वर महादेव का यह मंदिर बनवाया।
तारकेश्वर मंदिर के सुंदर दृश्यतारकेश्वर मंदिर दर्शन, Tarkeshwar Temple darshan
तारकेश्वर महादेव टेम्पल ताडकेश्वर स्टेशन पर उतरने के बाद थोडी दूरी पर ही है। और पैदल का ही रास्ता है। यह अठारहवीं शताब्दी में बना था। मंदिर के पास ही में एक सरोवर है। जिसका नाम दूधपोखर अर्थात दूध का तालाब है। ताडकेश्वर महादेव दर्शन को आने वाले यात्री पहले इस पवित्र सरोवर में स्नान करते है। फिर तारकेश्वर महादेव पर जल, फल, फूल तथा प्रसाद चढाते है।
तारकनाथ के दर्शन के लिए यहां महिला और पुरुषों की अलग अलग बहुत लंबी लाईने होती है। यहां मंदिर के पूर्व में काली माँँ का मंदिर है। पश्चिम में शिव गंगा और उत्तर में दामोदर ठाकुर का मंदिर है। तारकेश्वर मंदिर के दक्षिण नौबतखाना तथा गद्दी घर है। यहां प्रति दिन कई हजार यात्री तारकेश्वर महादेव के दर्शन करने आते है।
बंगाल राज्य में जितने भी शिव तीर्थ है। उनमें से तारकेश्वर प्रधान तीर्थ है। यहां पर राजा भारमल का महल भी है जो देखने योग्य है। तारकेश्वर मंदिर के आसपास प्रसाद, जल, फल, फूल तथा मालाओं की अनेक दुकाने है। और खाने पीने के लिए कई भोजनालय है। ठहरने के लिए होटल और अच्छी धर्मशालाएं है। यहां पर फाल्गुन में शिवरात्रि मेला, चैत्र में गाजन मेला तथा श्रावण में मारवाड़ी मेला लगता है।
नोट:- तारकेश्वर महादेव टेम्पल पर आधारित हमारा यह लेख आपको कैसा लगा हमें कमेंट करके जरूर बताएं। यह जानकारी आप अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया पर भी शेयर कर सकते है।
भार के प्रमुख शिव मंदिरों पर आधारित हमारे यह लेख भी जरूर पढ़ें:—
श्री कालाहस्ती मंदिर आंध्रप्रदेश के चित्तूर जिले में
तिरूपति शहर के पास स्थित
कालहस्ती नामक कस्बे में एक शिव मंदिर
कुंभकोणम दक्षिण भारत का प्रसिद्ध तीर्थ है। यह तमिलनाडु राज्य में चिदंबरम से 32 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
त्रयम्बकेश्वर महादेव मंदिर महाराष्ट्र राज्य के नासिक जिले में स्थित है। नासिक से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर त्रयम्बकेश्वर
प्रिय पाठको संसार में भगवान शिव यूंं तो अनगिनत शिव लिंगो के रूप में धरती पर विराजमान है। लेकिन भंगवान
ओंकारेश्वर दर्शन:- प्रिय पाठको हमने अपनी द्वादश ज्योतिर्लिंग दर्शन यात्रा के अंतर्गत पिछली कुछ पोस्टो में द्वादश ज्योतिर्लिंलोंं में से
शिवपुराण में वर्णित है कि भूतभावन भगवान शंकर प्राणियो के कल्याण के लिए तीर्थ स्थानो में लिंग रूप में वास
नागेश्वर महादेव भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंगो में से एक है। यह एक पवित्र तीर्थ है। नागेश्वर महादेव ज्योतिर्लिंग कहा
भारत के मध्य प्रदेश राज्य का प्रमुख शहर
उज्जैन यहा स्थित महाकालेश्वर के मंदिर के प्रसिद्ध मंदिर के लिए जाना
शिवपुराण में वर्णित है कि भूतभावन भगवान शंकर प्राणियो के कल्याण के लिए तीर्थ स्थानो में लिंग रूप में वास
प्रिय पाठको अपनी उत्तर प्रदेश यात्रा के दौरान हमने अपनी पिछली पोस्ट में उत्तर प्रदेश राज्य के प्रमुख व धार्मिक
प्रिय पाठको पिछली ज्योतिर्लिंग दर्शन श्रृंख्ला में हमने महाराष्ट् के भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग की यात्रा की और उसके इतिहास व स्थापत्य
भारत के राज्य तमिलनाडु के
कांचीपुरम शहर की पश्चिम दिशा में स्थित
कैलाशनाथ मंदिर दक्षिण भारत के सबसे प्राचीन और भव्य
भारत देश मे अनेक मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। लेकिन उनमे 12 ज्योतिर्लिंग का महत्व ज्यादा है। माना जाता
उत्तराखण्ड के
चमोली जिले मे स्थित व आकाश की बुलंदियो को छूते नर और नारायण पर्वत की गोद मे बसे
भारत के गुजरात राज्य में स्थित सोमनाथ मदिर भारत का एक महत्वपूर्ण मंदिर है । यह मंदिर गुजरात के सोमनाथ