पूर्वी उत्तर प्रदेश, झारखंड, बिहार , छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश के आदिवासी जनजाति समुदाय में दशहरा, दीवाली, होली आदि अवसरों पर घसिया तथा अन्य जनजातियो द्वारा डोमकच नृत्य या डमकच नृत्य समारोह का आयोजन किया जाता है। इन समारोह मे स्त्री-पुरुष, बालक, वृद्ध सभी सम्मिलित होते है। छत्तीसगढ़ राज्य का तो यह खास नृत्य है, जो आदिवासी युवक युवतियों द्वारा बेहद पसंद किया जाता है। जिसका कारण यह है कि यहां होने वाले विवाहों में यह नृत्य प्रमुख स्थान रखता है। यहां के नवयुवक युवतियां शादी समारोह के खुशी के अवसर डोमकच नृत्य करना पसंद करते है। डोमकच नृत्य को युवक और युवतियां दोनों साथ मिलकर करते हैं। जिसके कारण यह विवाह नृत्य के रूप में भी प्रसिद्ध है।
डोमकच नृत्य समारोह क्यों मनाया जाता है
विवाह के अवसर पर भी इस डोमकच नृत्य समारोह का आयोजन किया जाता है। इस अक्सर पर गांव के लोग किसी एक स्थान पर एकत्र होते है। मादल की थाप पर वे वृत्त्त या अर्द्धवृत्त बना लेते है। स्त्रियां भी हाथ में हाथ जोड कर खडी होती है और गीत की पक्तियां गुनगुनाने लगती है। इतने मे पुरुष उन्हें अपने घेरे के अंदर ले लेते हैं, फिर वे सभी झूमकर नाचना-गाना प्रारम्भ कर देते है।

उछलते-कूदते, कलाबाजी करते, पीछे मुडकर वे जमीन से पैसा या सुई जीभ से उठाने का अभिनय करते है। इसी बीच दूल्हा के रूप में वर बाबा आते है जिन्हें चूमकर स्त्रियां अपने कन्धे पर उठा लेती है और फिर नाचती-गाती बाहर चली जाती है।
इनका यह डोमकच नृत्य समारोह चार-पांच घटे तक चलता है। मादल, डफला, निशान, बांसुरी, शहनाई आदि वाद्यो से उनके संगीत स्वर के साथ आकाश गूंज उठता है। इस अवसर पर घर को साफ-सुथरा करके सजाया जाता है। सभी नया वस्त्र धारण- करने का प्रयास करते हैं।
डोमकच नृत्य पर्व पर गाये जाने वाले अनेक गीत होते है, यहां दो पक्तियां डोमकच नृत्य गीतों की प्रस्तुत है:–
डाग डोले बंशी डोले डोलत है तलैया।
सात खण्डा मच्छर मारे, केउना रचवैया।।