टेलीग्राफ का आविष्कार किसने किया – टेलीग्राफ का आविष्कार कब हुआ
Naeem Ahmad
टेलीग्राफ प्रणाली द्वारा संदेश भेजने की विधि का आविष्कार अमेरीका के एक वेज्ञानिक, चित्रकार सैम्युएल फिन्ले ब्रीस मोर्स ने सन् 1837 में किया। एक बार चित्रकला से संबधित कार्य के लिए उसे यूरोप जाना पडा। तीन वर्ष बाद लौटते समय जहाज पर उसने किसी व्यक्ति के पास विद्युत-चुम्बक देखा। बातचीत के दौरान मोर्स को यह पता चला कि विद्युत-चुम्बक में बिजली की धारा बडी तेजी से प्रवाहित होती है। मोर्स के दिमाग में तुरत एक विचार कोंध गया कि ऐसे तेज वाहक से क्यो न संदेश भेजने का कार्य लिया जाए। उसने वापस लौटते ही इस पर कार्य करना आरम्भ कर दिया। अपने इस लेख में हम इसी टेलीग्राफ का उल्लेख करेंगे और निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर विस्तार से जानेंगे।
टेलीग्राफ का आविष्कार किसने किया था
टेलीग्राफ का आविष्कार कब हुआ
टेलीग्राफ का उपयोग क्या है
टेलीग्राफ के जनक कौन थे
भारत में टेलीग्राफ की शुरुआत कब हुई
टेलीग्राफ के संस्थापक कौन थे
टेलीग्राफ क्या है
संदेश भेजने के यंत्र के साथ संकेत-लिपि बनाने की भी आवश्यकता थी। उन्होने बिन्दु ओर डेश के माध्यम से विभिन्न अक्षरों के लिए संकेत-प्रणाली का विकास किया। इस प्रणाली को मोर्स-कोड कहते है। 24 जनवरी 1838 को एक विश्वविद्यालय मे ‘मोर्स-कोड’ यानी मोर्स-संकेत लिपि को प्रदर्शित किया गया इसके बाद मोर्स ने संदेश भेजने के लिए तार बिछाने के लिए सरकार से सहायता की मांग की, जो 1843 में स्वीकृत हुई। अमेरीका में धीरे धीरे तार लाइनों की व्यवस्था होने लगी और संदेश भेजे जाने लगे। यूरोप मे पहली मोर्स तार लाइन 1848 मे हैम्बर्ग और कुक्सहैवेन के मध्य बिछायी गयी।
मोस वी टेलीग्राफ प्रणाली में अमरीका के एडिसन, जर्मनी के वनर साइंमेस तथा इग्लैंड के विलियम ने काफी सुधार किए। एक अंग्रेज सर चार्ल्स व्हीटस्टोन ने सन् 1867 मे तेज रफ्तार की एक स्वचालित प्रणाली का आविष्कार कर तार-संदेश के क्षेत्र में एक महत्त्वपूर्ण विकास किया। उनके यंत्र में एक छिद्गरण मशीन की व्यवस्था थी। छिद्रण मशीन से आपरेटर छिद्ग काटता था, जो कि कागज की रील में मास-संकेतो को दर्शाता जाता था। इस रील को एक ट्रांसमीटर में लगा दिया जाता था जो छिद्रों का विद्युत सवगा में बदलता रहना था। रिसीवर में मास-संकेत वास्तविक संदेश में बदल जाते थे।
इसके बाद फ्रांस के एक तार अधिकारी बादा ने मल्टीग्लक्स (बहधारा) तार-प्रणाली का आविष्कार किया।टेलीग्राफ के आविष्कार और विकास के साथ वैज्ञानिकों ने दूरस्थ स्थानों तक संदेश भेजने के लिए प्रयोग में आने वाले तारों की समस्या कम करने की कई विधियां खोजी क्यांकि अधिक देरी के लिए तार और समय लगाना बहुत जटिल और मंहगा काम था। अतः वैज्ञानिकों ने एक ही तार से संदेश लाने ले जाने की विधि ढूंढ़ी। उसके बाद एक ही तार पर दो फिर अनेक संदेश भेजे जाने की विधियां भी विकषित कर ली गयी। समुद्री केबल से संदेश एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप मे भेजने की विधि का भी विकास हुआ।
टेलीग्राफ
आज तार से संदेश भेजने और पाने के कई आधुनिक तरीके हैं। इनमें टेलीप्रिंटर मशीन बहुत ही महत्त्वपूर्ण है और इसका प्रयोग लगभग विश्व के सभी देशो में हो रहा है।
टेलीप्रिंटर मशीन का आविष्कार
टेलीप्रिंटर का आविष्कारब्रिटेन के डेविड एडवर्ड ह्यूजेन्स ने सन् 1854 मे किया था। इस मशीन के आविष्कार ने मोर्स-संकेतो को अक्षरों और शब्दों में अनुवाद करने की समस्या को हल कर दिया। टेलीप्रिंटर 52 भिन्न-भिन्न अक्षरो, अंकों और आवश्यक चिन्हों को सीधे प्रषित करता है। इन सबको प्रदर्शित करने के लिए इसमें सफेद और काले रंग की कुंजिया लगी रहती है। जब इनमें से किसी एक कुंजी को दबाया जाता है, तो गंतव्य स्थान पर इसके अनुरूप अक्षर छप जाता है।
टेलीप्रिंटर ऊपर से देखने में एक बडे टाइपराइटर जैसा दिखायी देता है। इसमे समान अवधि के पांच विद्युत-सवगा (Electrical Impulse) की शक्ल में हर एक अक्षर प्रेषित होता है। ये संकेतग्राही (Receiver) वाले भाग में पहुंचने के बाद फिर से अक्षरो में परिवर्तित हो जाते है।
टेलीप्रिंटर आज के सर्वाधिक जटिल उपकरणों मे से एक है। विश्व के अधिकतर देशों में पुरानी पद्धति को छोड अब इसी का उपयोग होता है। आधुनिक टेलीप्रिंटरों में एक टलीफोन भी साथ जुड़ा रहता है। जिसे संदेश भेजना हो उसका नम्बर-डायल कर सम्पर्क स्थापित कर संदेश भेज दिया जाता है। दूसरी ओर का टेलीप्रिंटर उस संदेश को अक्षरो-शब्दों में ढालकर उसे टाइप कर लेता है।
टेलीप्रिंटर में जो पांच कार्ड विद्युत-सवेगा के रूप में उपयोग में आते हैं उनके आपस में संयोग से अक्षरों को प्रदर्शित किया जाता हैं। टाइप यूनिट की सरकान अक्षर की सरकान, काटिज का आगे-पीछे करने लाइनों को ऊपर-नीचे व्यवस्थित करने और शब्दों के मध्य स्पेस छोडने की व्यवस्था टेलीप्रिंटर में रहती है।
टेलीप्रिंटर में केवल अंग्रेजी के केपिटल अक्षरों की ही व्यवस्था हाती है अब हिन्दी टेलीप्रिंटर भी प्रचलित हो गए है। एक ओर से जब पूरा संदेश जा चुका होता है, तो की रिलीज हो जाती है। दूसरे संदेश के लिए इस पुन दबाकर संकेत बटनों द्वारा दूसरा संदेश भेजा जाता है। जाने वाले संदेश जो संकेत रूप में हाते है, दूसरी ओर अक्षरों और शब्दों में टाइप होते जाते हैं और दूसरी और से आने वाल संकेत इस ओर अक्षरों और शब्दो के रूप में टाइप हाते जाते हैं। संकेत आने पर मशीन में लगा इंडीकेटर सूचना देता है और संकेत एक कागज के टेप पर छिंद्वित हाते जाते हैं। उसके बाद ये संकेत शब्दों में टाइप होते जाते हैं। और इस प्रकार टेलीग्राफ से टेलीप्रिंटर का सफर यह हुआ।