दूरदर्शी या दूरबीन या टेलिस्कोप का आविष्कार सन् 1608 मे नीदरलैंड के हैंस लिपरशी नामक एक ऐनकसाज ने किया था। यद्यपि यह दूरदर्शी बहुत ही साधारण किस्म का था परंतु इसे संसार का प्रथम दूरदर्शी कहा जा सकता है। इस टेलिस्कोप का आविष्कार किसी विशेष प्रयास के फलस्वरूप नही हुआ, बल्कि यह एक आकस्मिक घटना का परिणाम था। घटना इस प्रकार है कि एक दिन हैंस की एनक की दूकान पर एक युवक आया। उसने संयोग से कांच के दो लेंसो को एक-दूसरे के समानातर रखकर आगे-पीछे किया। उसके आश्चर्य का ठिकाना न रहा, जब उसने देखा कि इस तरह करने से दूर की वस्तुएं बहुत ही पास दिख रही है। उसने यह बात हैंस को बतायी। हैंस भी इस बात से चकित रह गया। बाद में उसने दो लैंसो के संयोजन से एक छोटी सी दूरबीन बनाई। जो भी ग्राहक उसके पास आता, बह उसे अपनी बनाई हुई दूरबीन का चमत्कार अवश्य दिखाता।
टेलिस्कोप का आविष्कार किसने किया था
उन्ही दिनो इटली के वैज्ञानिकगैलीलियो भी टेलिस्कोप बनाने मे लगे हुए थे। उन्होने पहला सफल टेलिस्कोप सन् 1609 मे बनाया। इसके बाद उन्होने इसमे कई सुधार किए। अंत में वह एक ऐसा टेलिस्कोप बनाने में सफल हो गए, जिससे चंद्रमा के पर्वत और सूर्य के धब्बे आसानी से देखे जा सकते थे। सूर्य, चंद्रमा ओर तारों को इतने पास दिखाने वाला यह विश्व का पहला टेलिस्कोप था।
अपने टेलिस्कोप की सहायता से गेलिलियो ने कई खोजे की। उन्होने इस टेलिस्कोप से बृहस्पति के उपग्रहों तथा शनि के वलयो का पता लगाया। उन्होने यह भी देखा कि हमारी आकाश गंगा अरबो दूरवर्ती तारों का समूह है, चंद्रमा पर अनेक पर्वत और गड्ढे हैं तथा सूर्य पर बहुत से धब्बे हैं। गैलिलियो ने लैंसो के समायोजन से जिस प्रकार की दूरबीने बनाई थीं, वे अपवर्तक दूरबीन ( Refractor Telescope ) कहलाती हैं।
टेलिस्कोप का आविष्कारइसके बाद अंग्रेंज वैज्ञानिकआइज़क न्यूटन ने एक दूसरे प्रकार के टेलिस्कोप का आविष्कार किया, जिसे परावर्तक दूरबीन (Reflactor Telescope) कहते हैं। इसमें लैंसो के साथ दर्पणों का भी इस्तेमाल किया गया था। इसके पश्चात् एन कैसीग्रेन ने उत्तम प्रकार के परावर्ती दूरबिनों का विकास किया जो बहुत ही शक्तिशाली थे। इनमें लैंसो के साथ अवतल ओर उत्तल दर्पगों का प्रयोग होता था। इस किस्म का एक बड़ा टेलिस्कोप अमेरीका कीकैलिफोर्निया में स्थित वैधशाला में लगा है। इस टेलिस्कोप का सबसे बडा दर्पण लगभग 200 इंच ब्यास का है और इसका भार 5 टन है। पूरी दूरबीन का वजन लगभग 500 टन है। यह अस्सी लाख डालर की लागत से बीस वर्षो में बनकर तैयार हुईं थी।
विश्व का सबसे बड़ा परावर्तक टेलिस्कोप रूस में पार्शम पर्वत पर 2080 मीटर थी ऊचाई पर लगा हुआ हैं। इसके लैंस का व्यास छ मीटर (19.8 फुट) है। इसका वजन लगभग 70 टन है। इस दूरबीन के पूरे उपकरणों का बल भार 827 टन है। यह दूरबीन इतनी शक्तिशाली है कि 5000 मील दूर जल रही एक मामूली-सी मोमबत्ती से आने वाले प्रकाश का भी पता लगा सकती है। एक अन्य इससे भी बडी दूरबीन का निर्माण कार्य चल रहा है, जिसका परावर्तक लैंस 10 मीटर (लगभग 32 फूट) का होगा।
विश्व का सबसे बड़ा अपवर्तक टेलिस्कोप (Reflecting Telescope) अमेरिका की यर्कीज वेधशाला में सन् 1897 में लगाया गया। इसकी लम्बाई 18.90 मी तथा व्यास 101.6 सेमी है।
विश्व की सबसे बडी डिश वाली रेडियो दूरबीन पोर्टो रिको के आरेसियो नामक बदरगाह में एक पहाडी पर लगायी गयी है। इसके निर्माण पर लगभग नौ करोड रुपया खर्च हुआ था। इसकी डिश का व्यास 1000 फुट है। यह दूरबीन 1500 करोड प्रकाश वर्ष तक की दूरी से आने वाली रेडियो-तरंगों को ग्रहण कर सकती है।
विश्व का सबसे बड़ा सौर (solor) टेलिस्कोप अमेरिका के टैक्सन नगर के पास किट पीक नेशनल ऑब्जर्वेटरी में लगा है। इसके दर्पण का व्यास 80 इंच है। इसका दर्पण इस प्रकार निरंतर घूमता रहता है कि सूरज हमेशा इसके सामने ही रहता है।
हमारे यह लेख भी जरूर पढ़ें:—-

एनरिको फर्मी--- इटली का समुंद्र यात्री नई दुनिया के किनारे आ लगा। और ज़मीन पर पैर रखते ही उसने देखा कि
Read more दरबारी अन्दाज़ का बूढ़ा अपनी सीट से उठा और निहायत चुस्ती और अदब के साथ सिर से हैट उतारते हुए
Read more साधारण-सी प्रतीत होने वाली घटनाओं में भी कुछ न कुछ अद्भुत तत्त्व प्रच्छन्न होता है, किन्तु उसका प्रत्यक्ष कर सकने
Read more “डिअर मिस्टर प्रेसीडेंट” पत्र का आरम्भ करते हुए विश्वविख्यात वैज्ञानिक
अल्बर्ट आइंस्टीन ने लिखा, ई० फेर्मि तथा एल० जीलार्ड के
Read more 15 लाख रुपया खर्च करके यदि कोई राष्ट्र एक ऐसे विद्यार्थी की शिक्षा-दीक्षा का प्रबन्ध कर सकता है जो कल
Read more मैंने निश्चय कर लिया है कि इस घृणित दुनिया से अब विदा ले लूं। मेरे यहां से उठ जाने से
Read more दोस्तो आप ने सचमुच जादू से खुलने वाले दरवाज़े कहीं न कहीं देखे होंगे। जरा सोचिए दरवाज़े की सिल पर
Read more रेडार और सर्चलाइट लगभग एक ही ढंग से काम करते हैं। दोनों में फर्क केवल इतना ही होता है कि
Read more योग्यता की एक कसौटी नोबल प्राइज भी है।
जे जे थॉमसन को यह पुरस्कार 1906 में मिला था। किन्तु अपने-आप
Read more सन् 1869 में एक जन प्रवासी का लड़का एक लम्बी यात्रा पर अमेरीका के निवादा राज्य से निकला। यात्रा का
Read more भड़ाम! कुछ नहीं, बस कोई ट्रक था जो बैक-फायर कर रहा था। आप कूद क्यों पड़े ? यह तो आपने
Read more विज्ञान में और चिकित्साशास्त्र तथा तंत्रविज्ञान में विशेषतः एक दूरव्यापी क्रान्ति का प्रवर्तन 1895 के दिसम्बर की एक शरद शाम
Read more आपने कभी जोड़-तोड़ (जिग-सॉ) का खेल देखा है, और उसके टुकड़ों को जोड़कर कुछ सही बनाने की कोशिश की है
Read more दो पिन लीजिए और उन्हें एक कागज़ पर दो इंच की दूरी पर गाड़ दीजिए। अब एक धागा लेकर दोनों
Read more “सचाई तुम्हें बड़ी मामूली चीज़ों से ही मिल जाएगी।” सालों-साल ग्रेगर जॉन मेंडल अपनी नन्हीं-सी बगीची में बड़े ही धैर्य
Read more कुत्ता काट ले तो गांवों में लुहार ही तब डाक्टर का काम कर देता। और अगर यह कुत्ता पागल हो
Read more न्यूयार्क में राष्ट्रसंघ के भवन में एक छोटा-सा गोला, एक लम्बी लोहे की छड़ से लटकता हुआ, पेंडुलम की तरह
Read more “कुत्ते, शिकार, और चूहे पकड़ना इन तीन चीज़ों के अलावा किसी चीज़ से कोई वास्ता नहीं, बड़ा होकर अपने लिए,
Read more “यूरिया का निर्माण मैं प्रयोगशाला में ही, और बगेर किसी इन्सान व कुत्ते की मदद के, बगैर गुर्दे के, कर
Read more परीक्षण करते हुए जोसेफ हेनरी ने साथ-साथ उनके प्रकाशन की उपेक्षा कर दी, जिसका परिणाम यह हुआ कि विद्युत विज्ञान
Read more चुम्बक को विद्युत में परिणत करना है। यह संक्षिप्त सा सूत्र माइकल फैराडे ने अपनी नोटबुक में 1822 में दर्ज
Read more जॉर्ज साइमन ओम ने कोलोन के जेसुइट कालिज में गणित की प्रोफेसरी से त्यागपत्र दे दिया। यह 1827 की बात
Read more वैज्ञानिकों की सबसे बड़ी समस्याओं में एक यह भी हमेशा से रही है कि उन्हें यह कैसे ज्ञात रहे कि
Read more इतिहास में कभी-कभी ऐसे वक्त आते हैं जब सहसा यह विश्वास कर सकता असंभव हो जाता है कि मनुष्य की
Read more विश्व की वैज्ञानिक विभूतियों में गिना जाने से पूर्वी, जॉन डाल्टन एक स्कूल में हेडमास्टर था। एक वैज्ञानिक के स्कूल-टीचर
Read more कुछ लोगों के दिल से शायद नहीं जबान से अक्सर यही निकलता सुना जाता है कि जिन्दगी की सबसे बड़ी
Read more छः करोड़ आदमी अर्थात लन्दन, न्यूयार्क, टोकियो, शंघाई और मास्कों की कुल आबादी का दुगुना, अनुमान किया जाता है कि
Read more आपने कभी बिजली 'चखी' है ? “अपनी ज़बान के सिरे को मेनेटिन की एक पतली-सी पतरी से ढक लिया और
Read more 1798 में फ्रांस की सरकार ने एंटोनी लॉरेंस द लेवोज़ियर (Antoine-Laurent de Lavoisier) के सम्मान में एक विशाल अन्त्येष्टि का
Read more क्या आपको याद है कि हाल ही में सोडा वाटर की बोतल आपने कब पी थी ? क्या आप जानते
Read more हेनरी कैवेंडिश अपने ज़माने में इंग्लैंड का सबसे अमीर आदमी था। मरने पर उसकी सम्पत्ति का अन्दाजा लगाया गया तो
Read more “डैब्बी", पत्नी को सम्बोधित करते हुए बेंजामिन फ्रैंकलिन ने कहा, “कभी-कभी सोचता हूं परमात्मा ने ये दिन हमारे लिए यदि
Read more आइज़क न्यूटन का जन्म इंग्लैंड के एक छोटे से गांव में खेतों के साथ लगे एक घरौंदे में सन् 1642 में
Read more क्या आप ने वर्ण विपर्यास की पहेली कभी बूझी है ? उलटा-सीधा करके देखें तो ज़रा इन अक्षरों का कुछ
Read more सन् 1673 में लन्दन की रॉयल सोसाइटी के नाम एक खासा लम्बा और अजीब किस्म का पत्र पहुंचा जिसे पढ़कर
Read more रॉबर्ट बॉयल का जन्म 26 जनवरी 1627 के दिन आयरलैंड के मुन्स्टर शहर में हुआ था। वह कॉर्क के अति
Read more अब जरा यह परीक्षण खुद कर देखिए तो लेकिन किसी चिरमिच्ची' या हौदी पर। एक गिलास में तीन-चौथाई पानी भर
Read more “आज की सबसे बड़ी खबर चुड़ैलों के एक बड़े भारी गिरोह के बारे में है, और शक किया जा रहा
Read more “और सम्भव है यह सत्य ही स्वयं अब किसी अध्येता की प्रतीक्षा में एक पूरी सदी आकुल पड़ा रहे, वैसे
Read more “मै
गैलीलियो गैलिलाई, स्वर्गीय विसेजिओ गैलिलाई का पुत्र, फ्लॉरेन्स का निवासी, उम्र सत्तर साल, कचहरी में हाजिर होकर अपने असत्य
Read more “मैं जानता हूं कि मेरी जवानी ही, मेरी उम्र ही, मेरे रास्ते में आ खड़ी होगी और मेरी कोई सुनेगा
Read more निकोलस कोपरनिकस के अध्ययनसे पहले-- “क्यों, भेया, सूरज कुछ आगे बढ़ा ?” “सूरज निकलता किस वक्त है ?” “देखा है
Read more फ्लॉरेंस ()(इटली) में एक पहाड़ी है। एक दिन यहां सुनहरे बालों वाला एक नौजवान आया जिसके हाथ में एक पिंजरा
Read more इन स्थापनाओं में से किसी पर भी एकाएक विश्वास कर लेना मेरे लिए असंभव है जब तक कि मैं, जहां
Read more जो कुछ सामने हो रहा है उसे देखने की अक्ल हो, जो कुछ देखा उसे समझ सकने की अक्ल हो,
Read more रोजर बेकन ने एक स्थान पर कहा है, “मेरा बस चले तो मैं एरिस्टोटल की सब किताबें जलवा दू। इनसे
Read more मैं इस व्रत को निभाने का शपथ लेता हूं। अपनी बुद्धि और विवेक के अनुसार मैं बीमारों की सेवा के
Read more युवावस्था में इस किताब के हाथ लगते ही यदि किसी की दुनिया एकदम बदल नहीं जाती थी तो हम यही
Read more