टेलिस्कोप का आविष्कार किसने किया – दूरबीन का आविष्कार किसने किया
Naeem Ahmad
दूरदर्शी या दूरबीन या टेलिस्कोप का आविष्कार सन् 1608 मे नीदरलैंड के हैंस लिपरशी नामक एक ऐनकसाज ने किया था। यद्यपि यह दूरदर्शी बहुत ही साधारण किस्म का था परंतु इसे संसार का प्रथम दूरदर्शी कहा जा सकता है। इस टेलिस्कोप का आविष्कार किसी विशेष प्रयास के फलस्वरूप नही हुआ, बल्कि यह एक आकस्मिक घटना का परिणाम था। घटना इस प्रकार है कि एक दिन हैंस की एनक की दूकान पर एक युवक आया। उसने संयोग से कांच के दो लेंसो को एक-दूसरे के समानातर रखकर आगे-पीछे किया। उसके आश्चर्य का ठिकाना न रहा, जब उसने देखा कि इस तरह करने से दूर की वस्तुएं बहुत ही पास दिख रही है। उसने यह बात हैंस को बतायी। हैंस भी इस बात से चकित रह गया। बाद में उसने दो लैंसो के संयोजन से एक छोटी सी दूरबीन बनाई। जो भी ग्राहक उसके पास आता, बह उसे अपनी बनाई हुई दूरबीन का चमत्कार अवश्य दिखाता।
टेलिस्कोप का आविष्कार किसने किया था
उन्ही दिनो इटली के वैज्ञानिकगैलीलियो भी टेलिस्कोप बनाने मे लगे हुए थे। उन्होने पहला सफल टेलिस्कोप सन् 1609 मे बनाया। इसके बाद उन्होने इसमे कई सुधार किए। अंत में वह एक ऐसा टेलिस्कोप बनाने में सफल हो गए, जिससे चंद्रमा के पर्वत और सूर्य के धब्बे आसानी से देखे जा सकते थे। सूर्य, चंद्रमा ओर तारों को इतने पास दिखाने वाला यह विश्व का पहला टेलिस्कोप था।
अपने टेलिस्कोप की सहायता से गेलिलियो ने कई खोजे की। उन्होने इस टेलिस्कोप से बृहस्पति के उपग्रहों तथा शनि के वलयो का पता लगाया। उन्होने यह भी देखा कि हमारी आकाश गंगा अरबो दूरवर्ती तारों का समूह है, चंद्रमा पर अनेक पर्वत और गड्ढे हैं तथा सूर्य पर बहुत से धब्बे हैं। गैलिलियो ने लैंसो के समायोजन से जिस प्रकार की दूरबीने बनाई थीं, वे अपवर्तक दूरबीन ( Refractor Telescope ) कहलाती हैं।
टेलिस्कोप का आविष्कार
इसके बाद अंग्रेंज वैज्ञानिकआइज़क न्यूटन ने एक दूसरे प्रकार के टेलिस्कोप का आविष्कार किया, जिसे परावर्तक दूरबीन (Reflactor Telescope) कहते हैं। इसमें लैंसो के साथ दर्पणों का भी इस्तेमाल किया गया था। इसके पश्चात् एन कैसीग्रेन ने उत्तम प्रकार के परावर्ती दूरबिनों का विकास किया जो बहुत ही शक्तिशाली थे। इनमें लैंसो के साथ अवतल ओर उत्तल दर्पगों का प्रयोग होता था। इस किस्म का एक बड़ा टेलिस्कोप अमेरीका कीकैलिफोर्निया में स्थित वैधशाला में लगा है। इस टेलिस्कोप का सबसे बडा दर्पण लगभग 200 इंच ब्यास का है और इसका भार 5 टन है। पूरी दूरबीन का वजन लगभग 500 टन है। यह अस्सी लाख डालर की लागत से बीस वर्षो में बनकर तैयार हुईं थी।
विश्व का सबसे बड़ा परावर्तक टेलिस्कोप रूस में पार्शम पर्वत पर 2080 मीटर थी ऊचाई पर लगा हुआ हैं। इसके लैंस का व्यास छ मीटर (19.8 फुट) है। इसका वजन लगभग 70 टन है। इस दूरबीन के पूरे उपकरणों का बल भार 827 टन है। यह दूरबीन इतनी शक्तिशाली है कि 5000 मील दूर जल रही एक मामूली-सी मोमबत्ती से आने वाले प्रकाश का भी पता लगा सकती है। एक अन्य इससे भी बडी दूरबीन का निर्माण कार्य चल रहा है, जिसका परावर्तक लैंस 10 मीटर (लगभग 32 फूट) का होगा।
विश्व का सबसे बड़ा अपवर्तक टेलिस्कोप (Reflecting Telescope) अमेरिका की यर्कीज वेधशाला में सन् 1897 में लगाया गया। इसकी लम्बाई 18.90 मी तथा व्यास 101.6 सेमी है।
विश्व की सबसे बडी डिश वाली रेडियो दूरबीन पोर्टो रिको के आरेसियो नामक बदरगाह में एक पहाडी पर लगायी गयी है। इसके निर्माण पर लगभग नौ करोड रुपया खर्च हुआ था। इसकी डिश का व्यास 1000 फुट है। यह दूरबीन 1500 करोड प्रकाश वर्ष तक की दूरी से आने वाली रेडियो-तरंगों को ग्रहण कर सकती है।
विश्व का सबसे बड़ा सौर (solor) टेलिस्कोप अमेरिका के टैक्सन नगर के पास किट पीक नेशनल ऑब्जर्वेटरी में लगा है। इसके दर्पण का व्यास 80 इंच है। इसका दर्पण इस प्रकार निरंतर घूमता रहता है कि सूरज हमेशा इसके सामने ही रहता है।