लक्ष्मण टीले वाली मस्जिद लखनऊ की प्रसिद्ध मस्जिदों में से एक है। बड़े इमामबाड़े के सामने मौजूद ऊंचा टीला लक्ष्मण टीले के नाम से मशहूर है। इतिहास को अपने दामन में संजोये तमाम पुरातात्विक अवशेष आज भी इस विशाल टीले के नीचे दफन हैं। लखनऊ गज़ेंटियर’ में इसे शहर का केन्द्र बताया गया है। कहा जाता है कि यहां काफी ऊंचाई पर एक मन्दिर था जिसको बड़ी मान्यता थी।
टीले वाली मस्जिद लखनऊ
मुगल शासक औरंगजेब ने जब सुल्तान अली शाह कुली खाँ को अवध के देखभाल की जिम्मेदारी सौंपी तो उसने इसी टीले पर एक विशाल मस्जिद बनवायी तो कि ‘टीले वाली मस्जिद’ के नाम से मशहूर हुई। इस टीले को ‘शाहपीर मुहम्मद का टीला’ भी कहते हैं। शाहपीर मुहम्मद एक लम्बे समय तक इसी खास टीले पर रहे और यहीं उनका इन्तकाल भी हुआ।
टीले की लम्बाई 200 मीटर और ऊंचाई 20 मीटर है । ऊंचाई पर मौजूद सफेद चूने से पूती मस्जिद बड़ी आकर्षक नज़र आती है। इसके सामने की ओर फैले विशाल क्षेत्र में हरी घास की चादर और उसके बीच बनी क्यारियों में मुस्कराते फूल बड़ा दिलकश नज़ारा पैदा करते हैं। इसी हरी चादर के मध्य से एक छोटा सा रास्ता ऊपर स्थित मस्जिद तक चला जाता है।
टीले वाली मस्जिद
टीले के ठीक पीछे बाँई तरफ दो बड़े कमरों वाली एक छोटी सी इमारत है। जिस पर शायद ही किसी ने कभी खासकर गौर फरमाया हो। यह इमारत “हसैनाबाद वाटर वर्क्स” के नाम से मशहूर थी। 1 अप्रैल सन् 1901 ई० को आयुक्त आर० डी० हर्डी ने इस वाटर वर्क्स का उद्घाटन किया था। तत्कालीन जिला जज, सी० एच० बथाउड, ट्रस्टी आगा अब्बास साहब, सचिव सैय्यद मोहम्मद जावेद एवं आयुक्त आर० डी० हार्डी साहब ने मिलकर एक मीटिंग में तय किया कि लखनऊ वासियों को पानी की दिक्कत से छुटकारा दिलाने के वास्ते नदी के किनारे ही एक वाटर वर्क्स तैयार कराया जाये। इस प्रकार मंजूरी मिलते के बाद सन् 1897 में वाटर वक्त का निर्माण शुरू हुआ। इसमें लगी सभी मशीने इंग्लैंड से मंगवायी गयी थीं।
इमारत के पिछले भाग में आज भी बलुए पत्थर की एक लम्बी स्केल लगी है जोकि जलस्तर नापने के काम में आती थी।तकरीबन कुछ साल हुए इसमें लगी सारी मशीनें कबाड़ के रूप में 65, 500 रुपये में बंच दी गयी थी। जिस बड़े कमरे में काफी बड़ी और भारी मशीन लगी थी लोग उसे अब खूनी कमरा कहते हैं। बताया जाता है कि इस मशीन को लगाते वक्त तीन-चार आदमी बेमौत मारे गये थे। तब से जो भी आदमी इस कमरे में पैर रखता है उसका कुछ न कुछ अनिष्ट जरूर होता है। इस तथ्य में कितनी हकीकत है यह पता नहीं।
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