जॉर्ज साइमन ओम ने कोलोन के जेसुइट कालिज में गणित की प्रोफेसरी से त्यागपत्र दे दिया। यह 1827 की बात है, जब प्रोफेसर ओम की आयु 40 वर्ष थी। हाल ही में उसका एक ग्रन्थ विद्युत धाराओं का गणितीय माप-तोल प्रकाशित हुआ था। ओम को आशा थी मेरे अनुसन्धान की विद्वज्जगत में सराहना होगी, किन्तु उस पर शायद किसी की निगाह भी नहीं पड़ी। कुछ ने उसे पढ़ा भी परन्तु उनकी दृष्टि में उसमें विज्ञान विषयक कुछ भी नई चीज़ नहीं थी। जॉर्ज साइमन ओम गणित का प्राध्यापक था, और प्रकृति से भावुक था। उसे उम्मीद थी कि प्रस्तुत पुस्तक के प्रकाशन की बदौलत उसे कुछ तरक्की मिलेगी, किन्तु संस्कृति मंत्रालय के साथ उलटे उसकी कुछ झड़प हो गई और नतीजा यह हुआ कि उसके पास अब कोई नौकरी नहीं थी।
जॉर्ज साइमन ओम का जीवन परिचय
जॉर्ज साइमन ओम का जन्म दक्षिण-पूर्वी जर्मनी की बावेरिया रियासत में 16 मार्च 1787 को हुआ था। ताले और बन्दूकें बनाना परिवार का पुश्तेनी पेशा-सा बन चुका था। दादा और बाप कम से कम यही कुछ करते आ रहे थे। पीढ़ी दर पीढ़ी यही तिजारत थी उनकी, आखिर योहान ओम ने आकर यह परम्परा तोड़ दी। वह अपनी उम्र के चालीसवें साल तक जर्मनी औरफ्रांस में घूम-घूमकर अपनी शिल्प-कला से आजीविका अर्जित करता रहा। आखिर अपनी जन्म भूमि एलॉगिन में आकर उसने विवाह किया और वहीं बसेरा कर लिया। यहीं उसके दो पुत्र जॉर्ज और मार्टिन हुए। और इसी समय उसका झुकाव विज्ञान तथा गणित के अध्ययन की ओर हुआ। यही स्वाध्याय-वृत्ति वह अपने पुत्रों में भी संक्रांत कर गया। स्थानीय विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त करके दोनों गणित के अध्यापक बन गए।
जॉर्ज तो 18 साल की ही उम्र में बर्ने के स्विस’ केण्टन में गाटस्टाड्ट शहर में अध्यापक हो गया। जिस सुपरवाइज़र ने उसे प्रार्थनापत्र के आधार पर ही नियुक्त दे दी थी वह इस नाटे-कद के, दुबले-पतले व्यक्ति को अपने स्कूल के गणित के अध्यापक के रूप में देखकर बड़ा ही निराश हुआ। किन्तु कुछ ही दिनों बाद इस नौजवान युवक की योग्यता प्रकट हो आई। ओम का स्वाध्याय अप्रमाद चलता रहा, और 1811 में उसे गणित में डाक्टरेट मिल गई। अब उसे शौक उठा कि नैपोलियन के विरुद्ध सेना में भर्ती हो जाए। किन्तु पिता ने समझाया और वह अध्यापक पद पर ही यथापूर्व बना रहा। 30 वर्ष की आयु में कोलोन के जेसुइट कॉलिज की फैकल्टी में वह गणित विभाग का अध्यक्ष हो गया।
जॉर्ज साइमन ओम की विद्युत विज्ञान को सबसे बड़ी देन 1827 में दुनिया के सामने आई। यही निबन्ध था वह, जिसकी समकालीन विद्वत्समाज ने तो उपेक्षा की किन्तु जिसे विद्युत सर्किट की गणनाओं में इतिहास में एक नया मोड़ समझा जा सकता है। ओम की स्थापना इतनी सरल प्रतीत होती है कि उसे एक मूल सिद्धान्त समझना मुश्किल लगता है, इतनी सर्वसाधारण और प्रत्यक्ष की वस्तु सी लगती है। किन्तु आज हाई स्कूलों में भौतिकी का हर विद्यार्थी उसे ओम का सूत्र कहकर जानता है। सूत्र में गणित की भाषा के संकेत इस प्रकार अभिव्यक्त किए जा सकते है ध=श/अ अर्थात किसी भी सर्किट में विद्युत की धारा (धा) उसकी इलेक्ट्रोमोटिव शक्ति (श) में अभिवृद्धि के अनुरूप तथा अवरोध (अ) में अभिवृद्धि के प्रतिरूप घटा-बढा करती है। एक प्रकार से यह इस विश्वजनीन प्राकृतिक नियम का ही प्रस्ताव है कि कोई काम जितना ही मुश्किल हुआ करता है उसे पूरा करने के लिए उतनी ही ज्यादा कोशिश हमे उसमें खपानी पडती है।
जॉर्ज साइमन ओमअध्यापक पद से त्यागपत्र देकर ओम के लिए अब ट्यूटरी वगैरह करके रोटी जुटाना भी बडा मुश्किल हो गया। अध्यापन कार्य में फिर से आने में उसे छः साल लग गए। जर्मनी में तो उसके वैज्ञानिक कार्य की सराहना नही हुई किन्तु ग्रेट ब्रिटेन में उसके पारखी थे। 1841 में लन्दन की रायल सोसाइटी ने उसे काप्ले पारितोषिक देकर सम्मानित किया।
जॉर्ज साइमन ओम की मृत्यु 1854 में म्यूनिख में हुई। तब उसकी आयु 67 थी। 1881 में पेरिस इलेक्ट्रिकल इंजीनियर्स की अन्तर्राष्ट्रीय कांग्रेस मे निश्चय हुआ कि विद्युत अवरोध की इकाई का नाम आज से “ओम” होगा। वर्षों की उपेक्षा का कुछ परिहार इस प्रकार इतिहास ने वैज्ञानिक की मृत्यु के बाद ही सही कर दिखाया। अद्भुत संयोग है कि विद्युत की तीनो बडी इकाइयों का नामकरण–एम्पियर, बाल्ट, ओम–एक ऐतिहासिक अन्तर्राष्ट्रीय त्रिमूर्ति की प्रतिष्ठा में ही शांत हो गया। इनमे एक फ्रेंच था, दूसरा इटेलियन, और तीसरा जर्मन। जर्मनी के ओम ने ही इन तीनो में वह परस्पर सूत्र-सम्बन्ध स्थापित किया था जिसे इस प्रकार भी तो प्रस्तुत किया जा सकता था— एम्पीयर= वोल्टस/ओम।
हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े—-

एनरिको फर्मी--- इटली का समुंद्र यात्री नई दुनिया के किनारे आ लगा। और ज़मीन पर पैर रखते ही उसने देखा कि
Read more दरबारी अन्दाज़ का बूढ़ा अपनी सीट से उठा और निहायत चुस्ती और अदब के साथ सिर से हैट उतारते हुए
Read more साधारण-सी प्रतीत होने वाली घटनाओं में भी कुछ न कुछ अद्भुत तत्त्व प्रच्छन्न होता है, किन्तु उसका प्रत्यक्ष कर सकने
Read more “डिअर मिस्टर प्रेसीडेंट” पत्र का आरम्भ करते हुए विश्वविख्यात वैज्ञानिक
अल्बर्ट आइंस्टीन ने लिखा, ई० फेर्मि तथा एल० जीलार्ड के
Read more 15 लाख रुपया खर्च करके यदि कोई राष्ट्र एक ऐसे विद्यार्थी की शिक्षा-दीक्षा का प्रबन्ध कर सकता है जो कल
Read more मैंने निश्चय कर लिया है कि इस घृणित दुनिया से अब विदा ले लूं। मेरे यहां से उठ जाने से
Read more दोस्तो आप ने सचमुच जादू से खुलने वाले दरवाज़े कहीं न कहीं देखे होंगे। जरा सोचिए दरवाज़े की सिल पर
Read more रेडार और सर्चलाइट लगभग एक ही ढंग से काम करते हैं। दोनों में फर्क केवल इतना ही होता है कि
Read more योग्यता की एक कसौटी नोबल प्राइज भी है।
जे जे थॉमसन को यह पुरस्कार 1906 में मिला था। किन्तु अपने-आप
Read more सन् 1869 में एक जन प्रवासी का लड़का एक लम्बी यात्रा पर अमेरीका के निवादा राज्य से निकला। यात्रा का
Read more भड़ाम! कुछ नहीं, बस कोई ट्रक था जो बैक-फायर कर रहा था। आप कूद क्यों पड़े ? यह तो आपने
Read more विज्ञान में और चिकित्साशास्त्र तथा तंत्रविज्ञान में विशेषतः एक दूरव्यापी क्रान्ति का प्रवर्तन 1895 के दिसम्बर की एक शरद शाम
Read more आपने कभी जोड़-तोड़ (जिग-सॉ) का खेल देखा है, और उसके टुकड़ों को जोड़कर कुछ सही बनाने की कोशिश की है
Read more दो पिन लीजिए और उन्हें एक कागज़ पर दो इंच की दूरी पर गाड़ दीजिए। अब एक धागा लेकर दोनों
Read more “सचाई तुम्हें बड़ी मामूली चीज़ों से ही मिल जाएगी।” सालों-साल ग्रेगर जॉन मेंडल अपनी नन्हीं-सी बगीची में बड़े ही धैर्य
Read more कुत्ता काट ले तो गांवों में लुहार ही तब डाक्टर का काम कर देता। और अगर यह कुत्ता पागल हो
Read more न्यूयार्क में राष्ट्रसंघ के भवन में एक छोटा-सा गोला, एक लम्बी लोहे की छड़ से लटकता हुआ, पेंडुलम की तरह
Read more “कुत्ते, शिकार, और चूहे पकड़ना इन तीन चीज़ों के अलावा किसी चीज़ से कोई वास्ता नहीं, बड़ा होकर अपने लिए,
Read more “यूरिया का निर्माण मैं प्रयोगशाला में ही, और बगेर किसी इन्सान व कुत्ते की मदद के, बगैर गुर्दे के, कर
Read more परीक्षण करते हुए जोसेफ हेनरी ने साथ-साथ उनके प्रकाशन की उपेक्षा कर दी, जिसका परिणाम यह हुआ कि विद्युत विज्ञान
Read more चुम्बक को विद्युत में परिणत करना है। यह संक्षिप्त सा सूत्र माइकल फैराडे ने अपनी नोटबुक में 1822 में दर्ज
Read more वैज्ञानिकों की सबसे बड़ी समस्याओं में एक यह भी हमेशा से रही है कि उन्हें यह कैसे ज्ञात रहे कि
Read more इतिहास में कभी-कभी ऐसे वक्त आते हैं जब सहसा यह विश्वास कर सकता असंभव हो जाता है कि मनुष्य की
Read more विश्व की वैज्ञानिक विभूतियों में गिना जाने से पूर्वी, जॉन डाल्टन एक स्कूल में हेडमास्टर था। एक वैज्ञानिक के स्कूल-टीचर
Read more कुछ लोगों के दिल से शायद नहीं जबान से अक्सर यही निकलता सुना जाता है कि जिन्दगी की सबसे बड़ी
Read more छः करोड़ आदमी अर्थात लन्दन, न्यूयार्क, टोकियो, शंघाई और मास्कों की कुल आबादी का दुगुना, अनुमान किया जाता है कि
Read more आपने कभी बिजली 'चखी' है ? “अपनी ज़बान के सिरे को मेनेटिन की एक पतली-सी पतरी से ढक लिया और
Read more 1798 में फ्रांस की सरकार ने एंटोनी लॉरेंस द लेवोज़ियर (Antoine-Laurent de Lavoisier) के सम्मान में एक विशाल अन्त्येष्टि का
Read more क्या आपको याद है कि हाल ही में सोडा वाटर की बोतल आपने कब पी थी ? क्या आप जानते
Read more “डैब्बी", पत्नी को सम्बोधित करते हुए बेंजामिन फ्रैंकलिन ने कहा, “कभी-कभी सोचता हूं परमात्मा ने ये दिन हमारे लिए यदि
Read more आइज़क न्यूटन का जन्म इंग्लैंड के एक छोटे से गांव में खेतों के साथ लगे एक घरौंदे में सन् 1642 में
Read more क्या आप ने वर्ण विपर्यास की पहेली कभी बूझी है ? उलटा-सीधा करके देखें तो ज़रा इन अक्षरों का कुछ
Read more सन् 1673 में लन्दन की रॉयल सोसाइटी के नाम एक खासा लम्बा और अजीब किस्म का पत्र पहुंचा जिसे पढ़कर
Read more रॉबर्ट बॉयल का जन्म 26 जनवरी 1627 के दिन आयरलैंड के मुन्स्टर शहर में हुआ था। वह कॉर्क के अति
Read more अब जरा यह परीक्षण खुद कर देखिए तो लेकिन किसी चिरमिच्ची' या हौदी पर। एक गिलास में तीन-चौथाई पानी भर
Read more “आज की सबसे बड़ी खबर चुड़ैलों के एक बड़े भारी गिरोह के बारे में है, और शक किया जा रहा
Read more “और सम्भव है यह सत्य ही स्वयं अब किसी अध्येता की प्रतीक्षा में एक पूरी सदी आकुल पड़ा रहे, वैसे
Read more “मै
गैलीलियो गैलिलाई, स्वर्गीय विसेजिओ गैलिलाई का पुत्र, फ्लॉरेन्स का निवासी, उम्र सत्तर साल, कचहरी में हाजिर होकर अपने असत्य
Read more “मैं जानता हूं कि मेरी जवानी ही, मेरी उम्र ही, मेरे रास्ते में आ खड़ी होगी और मेरी कोई सुनेगा
Read more निकोलस कोपरनिकस के अध्ययनसे पहले-- “क्यों, भेया, सूरज कुछ आगे बढ़ा ?” “सूरज निकलता किस वक्त है ?” “देखा है
Read more फ्लॉरेंस ()(इटली) में एक पहाड़ी है। एक दिन यहां सुनहरे बालों वाला एक नौजवान आया जिसके हाथ में एक पिंजरा
Read more इन स्थापनाओं में से किसी पर भी एकाएक विश्वास कर लेना मेरे लिए असंभव है जब तक कि मैं, जहां
Read more जो कुछ सामने हो रहा है उसे देखने की अक्ल हो, जो कुछ देखा उसे समझ सकने की अक्ल हो,
Read more रोजर बेकन ने एक स्थान पर कहा है, “मेरा बस चले तो मैं एरिस्टोटल की सब किताबें जलवा दू। इनसे
Read more मैं इस व्रत को निभाने का शपथ लेता हूं। अपनी बुद्धि और विवेक के अनुसार मैं बीमारों की सेवा के
Read more युवावस्था में इस किताब के हाथ लगते ही यदि किसी की दुनिया एकदम बदल नहीं जाती थी तो हम यही
Read more