जैतपुर का किला उत्तर प्रदेश के महोबा हरपालपुर मार्ग पर कुलपहाड से 11 किलोमीटर दूर तथामहोबा से 32 किलोमीटर दूर और हमीरपुर से 117 किलोमीटर दूर है। यहाँ झाँसी मानिकपुर मार्ग पर एक रेलवे स्टेशन भी है। जिसे बेलाताल के नाम से जाना जाता है। यह जैतपुर से 3 किलोमीटर दूर है। जैतपुर किले को बेलाताल का किला या बेलासागर का किला के नाम से भी पुकारा जाता है। इस दुर्ग के आस पास निम्नलिखित स्थल दर्शनीय महत्व के है।
बेलाताल या बेलासागर
बेलाताल यहाँ का सबसे बडा जलाशय है। जिसका निर्माण चन्देल वंशीय शासक बलराम ने कराया था। उसका पूरा नाम बलवर्मन था। ऐसा कहा जाता है कि उसी के नाम पर इस जलाशय का नाम बेलाताल पड़ा। यह सरोवर 9 मील की लम्बाई चौडाई में स्थित है। तथा सिचांई के लिए इससे नहरें भी निकाली गई है।
जैतपुर का किला के भग्नावशेष दर्शनीय स्थल
जैतपुर दुर्ग स्थल पर एक प्राचीन दुर्ग के भग्नावशेष हैं। जो बेलाताल के पश्चिमी किनारे पर स्थित है। इस दुर्ग का निर्माण बुन्देलखण्ड केसरी छत्रसाल ने कराया था। लेकिन स्थानीय लोग यह मानते है कि इस दुर्ग के निर्माता केसरी सिंह थे इस किले में छत्रसाल के पुत्र जगतराय के महलो के अवशेष उपलब्ध होते है।
जैतपुर का किला या बेलाताल का किलासन् 1729 में पेशवा बाजीराव इस स्थल में छत्रसाल की सहायतार्थ आये थे। इस समय इलाहाबाद के सूबेदार मुहम्मद बंगस ने आक्रमण कर दिया था। बाजीराव पेशवा की सहायता की वजह से मुहम्मद बंगस पराजित हुआ, तथा इसी स्थल पर बंगस का पुत्र कयूम खाँ भी आया था। भीषण मार-काट के पश्चात जून सन् 1729 को मुहम्मद बंगस पराजित होकर वापस चला गया। और छत्रशाल ने अपनी पुत्री मस्तानी का विवाह बाजीराव पेशवा से कर दिया था।
धौनसा मंदिर
यह मन्दिर रेलवे स्टेशन के समीप है। तथा अत्यन्त प्रसिद्ध मन्दिर है बडी श्रद्धा के साथ भक्त यहाँ दर्शनों के लिए आते हैं।
जैतपुर का किला प्राचीन बेष्ठित दुर्ग था तथा इसमें प्रवेश करने के लिये अनेक द्वार थे और व्यक्तियों के निवास करने के अनेक भवन और महल थे। किन्तु आज काल के गाल सभी खंड़हर बन चुके है। लेकिन आज भी ये खंड़हर अपने इतिहास को संजोए है।
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