You are currently viewing जेम्स क्लर्क मैक्सवेल बायोग्राफी – मैक्सवेल के आविष्कार?
जेम्स क्लर्क मैक्सवेल

जेम्स क्लर्क मैक्सवेल बायोग्राफी – मैक्सवेल के आविष्कार?

दो पिन लीजिए और उन्हें एक कागज़ पर दो इंच की दूरी पर गाड़ दीजिए। अब एक धागा लेकर दोनों पिनों के गिर्द एक घेरा-सा डाल दीजिए, यह घेरा ढीला हो। इस घेरे में किसी बिन्दु पर एक पेंसिल की नोक टिकाकर धागे को कस लीजिए और धागे को तानते हुए कागज़ पर चारों ओर एक रेखा खींच दीजिए। अभी वह 14 बरस का ही था जब जेम्स क्लर्क मैक्सवेल ने इस चतुरता का परिचय दिया था और एक पूर्ण ‘इलिप्स’ या दीर्घवृत्त की रचना कर दिखाई थी। एडिनबरा की रॉयल सोसाइटी के एक अधिवेशन में उसका पिता भी उसके साथ गया था जहां विश्व विद्यालय के एक प्रोफेसर को गणित के इस नूतन आविष्कार पर एक निबन्ध पढ़ना था।

किन्तु इतिहास में यदि हम जेम्स क्लर्क मैक्सवेल का स्मरण करते हैं तो फकत इलिप्स बनने की उसकी इस सुन्दर विधि के कारण नहीं अपितु विज्ञान एवं गणित में कुछ नियम, कुछ सूत्र, प्रस्तुत कर सकने के कारण। 1868 में उसकी पुस्तक- ए डाइनेमिक थ्योरी ऑफ इलेक्ट्रो-मैग्नेटिक फील्ड’ का प्रकाशन हुआ था। यही ग्रन्थ वह कुंजी हैं जिसने अन्ततः रेडियो, टेलीविजन, रेडार तथा विद्युत-चुम्बकीय तरंगों के उत्पादन एवं नियंत्रण पर निर्भर करने वाले अन्यान्य अद्भुत उपकरणों को सम्भव कर दिखाया। मैक्सवेल की प्रतिष्ठा, न्यूटन तथा आइन्सटाइन के साथ एक गणितज्ञ एवं भौतिको विशारद के रूप में स्थायी हो चुकी है।

जेम्स क्लर्क मैक्सवेल का जीवन परिचय

विज्ञान की इस विभूति जेम्स क्लर्क मैक्सवेल जन्म 13 नवम्बर, 1831 को,स्कॉटलैंड के एडिनबरा शहर में हुआ था। परिवार समृद्ध और प्रतिष्ठित था, जिसके कितने ही सदस्य अपनी प्रतिभा एवं सफलता द्वारा ही नहीं, कुछ व्यक्तित्व की विलक्षणताओं द्वारा भी ख्याति प्राप्त कर चुके थे। स्वयं जेम्स के पिता ने कानून पढ़ा किन्तु वकालत कभी नहीं की, उसकी निजी अभिरुचि अपनी छोटी-सी जायदाद को संभालने में और अपने बेटे को पढाने लिखाने मे ज्यादा थी। खुद उसने भी मैक्सवेल की यन्त्र-निर्माण आदि की प्रवृत्ति की कम प्रोत्साहित नही किया। जेम्स की कौतूहलता को तृप्त करना मुश्किल था , क्‍योंकि ये भौतिक यन्त्र, और किस प्रकार, इसी तरह कार्य करते है। लडके जैसे आज भी छोटे-छोटे मॉडल बनाया करते हैं, जेम्स को भी शुरू से यह शौक था। लेकिन उन दिनो कोई हॉबी-शॉप नही हुआ करती थी कि इन चीजों के हिस्से खरीदे जा सके हर हिस्सा, हर पुर्जा जेम्स को खुद बनाना पडता।

जेम्स क्लर्क मैक्सवेल
जेम्स क्लर्क मैक्सवेल

मां बालक को नौ बरस का अनाथ छोडकर चल दी। इस क्षति को पूरा करने के लिए पिता उसके और निकट खिच आया और उसने बालक की एक अविवाहित बुआ को साथ बुला लिया। 10 वर्ष की आयु से जेम्स को एडिनबरा एकेडमी में दाखिल कर दिया गया । उसकी सारी पोशाक यहा तक कि चौडे पजे वाले उसके जूते भी खुद बाप के अपने हाथ के बनाए हुए थे। हम अन्दाजा लगा सकते है कि इससे मेक्सवेल को स्कूल मे कितनी मुश्किल पडती होगी। साथियों की हमेशा निगाह रहती कि जेम्स को छेडें, किन्तु उसकी अद्भुत बुद्धि, प्रत्युत्यन्तमति उसे कभी मात न होने देती। लड़को ने उसका नाम रख दिया था–“डेफ्टी” घुन्ना।

16 वर्ष की आयु मे जेम्स क्लर्क मैक्सवेल एडिनबरा विश्वविद्यालय में दाखिल हुआ। गणित में उसकी प्रतिभा को हर कोई जान चुका था। अब उसने विज्ञान में हर किस्म के परीक्षण भी करने शुरू कर दिए। कविता करने का शौक भी उसे था। कोई पाए की शायरी नहीं– किन्तु यह शौक जिन्दगी-भर उसे कभी छूटा नही। 1850 में मैक्सवेल स्काटलैंड छोड कैम्बिज मे पढ़ने आ गया। उन दिनों गणित के श्रेष्ठ विद्यार्थियो में एक तरह का मुकाबला हर साल हुआ करता था, मैक्सवेल को उस परीक्षा के लिए विलियम हॉपकिन्स ने खास तैयारी कराई। मैक्सवेल के बारे में हॉपकिन्स के प्रसिद्ध शब्द हैं “भौतिकी-सम्बन्धी प्रश्नों में उसके लिए गलत चिन्तन कर सकना ही असम्भव प्रतीत होता है। किन्तु परीक्षा मे मेक्सवेल दूसरे नम्बर पर था, पहले पर नही। एकदम एपॉसल्ज ने मैक्सवेल को अपने कैम्ब्रिज के श्रेष्ठ गणितज्ञों में चुन लिया।

जेम्स क्लर्क मैक्सवेल की खोज

खैर, छात्रावास में अपने साथियों के लिए मेक्सवेल एक मुसीबत ही अधिक रहता होगा क्योकि नींद के बारे मे उसके अपने ही ख्याल थे, दिन के चौबीस घंटों को दो हिस्सो में बाट दिया, एक सोने का और दूसरा जागने का हिस्सा और उसमे भी दो से अढाई तक होस्टल के बरामदे मे दौड़ लगाना कि जिस्म में कुछ फुर्ती आ जाए। 1854 में स्नातक हो चुकने पर भी मैक्सवेल ने निश्चय किया कि अभी पढाई चलनी चाहिए। ट्रिनिटी कॉलिज मे आगे पढाई करते हुए उसने एक रंगीन लटटू ईजाद किया जिसका मकसद यह साबित करना था कि तीन मूल वर्णो के मेल से किसी भी किस्म का रंग॒ तैयार किया जा सकता है। ये तीन मूल वर्ण थे–लाल, हरा ओर नीला। इस आविष्कार को प्रस्तुत करते हुए जो वैज्ञानिक निबन्ध मैक्सवेल ने तब पढ़ा था वही टैलीविजन में ‘रंग’ ला सका है. टेलीविजन का हर रंग लाल, हरे ओर नीले के मेल द्वारा ही मुमकिन हो सका है। इन अध्ययनों की बदौलत उसे रॉयल सोसाइटी का रूमफोर्ड मेडल भी मिला था।

उधर उसका पिता बीमार रहते लगा, सो सेवा-शुश्रूषा के लिए जेम्स की इच्छा हुई एकदम घर पहुंच जाए। किन्तु एबरडीन मे मेरीशल कालिज मे प्रोफेसरी अभी मिली थी कि उधर पिता का देहान्त हो गया। अभी पुत्र ने यह नया पद संभाला भी नही था।सामान्य विद्यार्थी को मैक्सवेल के व्याख्यानों से कुछ बहुत लाभ नही होता था। उसे समझने के लिए भी कुछ प्रतिभा अपेक्षित होती थी। किन्तु, हां मैक्सवेल को इससे अवश्य कुछ लाभ हुआ। मेरीशल कालिज में पढ़ाते हुए ही कालिज के प्रिसिपल की पुत्री का उसकी भावी पत्नी के रूप में उससे मेल हुआ। मैक्सवेल ने बुआ को लिखा, “गणित में उसकी रुचि नही है किन्तु गणित के अतिरिक्त भी तो कितनी ही चीज़े और होती हैं, यह निश्चित है कि मेरी गणित में वह दखल नहीं दिया करेगी।” महान प्रतिभा में परिहास-बुद्धि भी, और स्वाभाविक मानव-प्रेम भी कुछ कम नही हुआ करते। शनिग्रह के वलयो के सम्बन्ध मे, तथा गैसो की गति के विषय मे, मैक्सवेल ने कुछ मौलिक एवं महत्त्वपूर्ण कार्य किया था। दोनो प्रश्नों का गणित के अनुसार सूक्ष्म विश्लेषण भी, और गैसों के भौतिक कणों की गति एवं परस्पर संघर्षमयता को चित्रित कर दिखाने वाला उसका मॉडल आधुनिक विज्ञान की चमत्कारी प्रगति के बावजूद विज्ञान को आज भी मान्य है। किन्तु विद्युत तथा चुम्बक के क्षेत्र मे मैक्सवेल के अनुसंधानों की छाया में उसका शेष सब कार्य फीका पड जाता है।

माइकल फैराडेके विद्युत-चुम्बकीय अभ्युत्पादन की स्थापना ने मैक्सवेल को चकित कर दिया। चुम्बक द्वारा विद्युत की उत्पत्ति परिस्थिति का वर्णन करते हुए फैराडे का कहना था कि चुंबक के गिर्द शक्ति रेखाओ अथवा ‘शक्ति-धाराओ’ द्वारा परिसीमित एक क्षेत्र-सा कुछ बन जाता है। मैक्सवेल ने इस स्थापना को अपने मन में चित्रित करना शुरू किया छोटे-छोटे गोलों द्वारा पृथक अवस्थापित से कुछ अक्षों पर चक्कर काटते सिलिंडर से कि एक सिलिंडर चक्कर काटना शुरू करे नही कि गोलों द्वारा वही गति दूसरे तीसरे चौथे सिलिंडर मे सक्रान्त होकर सारे क्षेत्र को ही गतिमय कर दे। इन ‘आदर्श’ कल्पनाओं के आधार पर वह इन चार मौलिक नियमो पर पहुचा, जो आज कितने सरल प्रतीत होते हैं–

  • चुम्बकीय शक्ति की रेखा सदा एक बन्द सी रेखा हुआ करती है। एक खुले चक्कर से में।
  • विद्युत की शक्ति-रेखा भी एक बन्द रेखा ही हुआ करती है, किन्तु घूम-फिरकर अपने में ही परिसमाप्त एक वलय-सी।
  • एक परिवर्तनमान चुम्बक-क्षेत्र, स्वत एक विद्युत-क्षेत्र का जनक बन जाता है।
  • एक परिवर्तमान विद्युत-क्षेत्र भी उसी प्रकार एक चुम्बक-क्षेत्र का जनक बन जाता है।

फैराडे की स्थापना थी कि एक निरन्तर परिवर्तित हो रहा चुम्बकीय क्षेत्र किसी कंडक्टर मे बिजली पैदा कर देगा, जब कि मैक्सवेल का निष्कर्ष यह था कि चुम्बकीय क्षेत्र मे यह परिवर्तन एक विद्युत-क्षेत्र मे और उसी प्रकार किसी विद्युत-क्षेत्र मे जरा सा भी परिवर्तन परिणामत एक चुम्बक-क्षेत्र मे परिवर्तन ले आएगा। जेम्स क्लर्क मैक्सवेल इसके भी एक कदम आगे गया और उसने सिद्ध कर दिखाया कि चुम्बक तथा विद्युत के इन प्रभावों के लिए एक स्थान से चलकर दूसरे स्थान तक पहुंचने के लिए कुछ समय अपेक्षित होता है। मैक्सवेल की गणनाओं का निष्कर्ष था कि इन दोनों की गति भी साथ ही, और प्रकाश की गति के समान होती है।

जेम्स क्लर्क मैक्सवेल की मृत्यु के 70 साल बाद हाइनरिख हेत्श ने विश्व में प्रथम रेडियो ट्रान्समिटर तथा रिसीवर आविष्कृत करके मैक्सवेल की विद्युत-चुम्बकीय स्थापना को मृत प्रमाणित कर दिया। मैक्सवेल की मृत्यु के 78 वर्ष पश्चात आज भी इलेक्ट्रॉनिक
इंजीनियर तथा परीक्षणकर्ता मैक्सवेल के सूत्रो का ही अध्ययन करते है कि रेडार और माइक्रोवेव्ज की प्रकृति कुछ समझ में आ सके। आज हमें पता है कि मैक्सवेल की स्थापना का अर्थ क्या था–ताप अथवा प्रकाश की तरंगें हों या रेडियो, एक्स-रे, गामा-रे की तरंगें हों–हर विद्युत-चुम्बकीय तरंग के मूल-नियम एक ही होते हैं।

कुछ वक्त के लिए मैक्सवेल ने विद्युत चुम्बक सम्बन्धी अपनी स्थापना को पूर्ण करने के लिए नौकरी छोड़ दी और वह ग्लिनेयर में अपनी जमीनों पर आकर रहने लगा। ताप और गणित के विषय पर भौतिकी पर तथा वर्ण-विश्रम पर उसने प्रामाणिक निबन्धों की रचना की। पड़ोसियों से भी मिल-जुल चुका था, उनके बच्चों के साथ मिलने का उसे शौक था, बीच-बीच में एक परीक्षक के तौर पर कैम्ब्रिज जाना भी होता, और कभी-कभी कुछ कविता रचना भी। 1871 में जनता की पुकार थी कि कैम्ब्रिज के अधिकारियों को चाहिए वे युग को नई दिशाओं–ताप, विद्युत तथा चुम्बक का समावेश विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में समुचित रूप से प्रचलित करने के लिए परीक्षणात्मक विज्ञान की एक चेयर स्थापित करें। विश्वविद्यालय के चांसलर, तथा हेनरीहेनरी कैवेंडिश के एक वंशज, डेवनशायर के ड्यूक ने कैवेण्डिश प्रयोगशाला की स्थापना तथा सज्जा के लिए पैसा जुटाया, और मैक्सवेल से अनुरोध किया गया कि वह इस नये विभाग का अध्यक्ष पद आकर संभाले। प्रयोगशाला का निर्माण, तथा उसमें परीक्षणादि के साधन-उपकरण की व्यवस्था का भार भी, अध्यक्ष के जिम्मे ही था।

जेम्स क्लर्क मैक्सवेल ने प्रत्यक्ष कर दिखाया कि किस प्रकार विद्युत चुम्बक शक्ति को जन्म दे सकती है। छल्ले में विद्यमान धारा पतरी के गिर्द एक चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न कर देती है। अब भी मैक्सवेल तरह-तरह के विषयों पर लेख लिखता रहता। हेनेरी कैवेण्डिश के निबन्धों का सम्पादन भी जिससे कि विद्युत के सम्बन्ध में जो महत्त्वपूर्ण कार्य वह कर गया था उसका कुछ श्रेय तो, मृत्यु के बाद ही सही उसे मिल सके। जीवन के अन्तिम दो वर्ष मैक्सवेल के उसकी पत्नी की परिचर्या में गुज़रे हालांकि उसकी अपनी सेहत भी उन दिनों लगातार गिर ही रही थी। उसे मालूम था कि एक नामुराद बीमारी (कैंसर) उसे लग चुकी है, न डाक्टरों का कुछ मशवरा ही लिया, न अपने साथी दोस्तों को ही बड़ा अरसा अपनी हालत की कुछ खबर दी। एक धैर्यशाली उदार एवं निःस्वार्थ वैज्ञानिक मैक्सवेल की प्रकृति वह विनोदश्रियता भी इस तकलीफ में जल्द ही उसे छोड़ गई। 5 नवम्बर 1879 को जेम्स क्लर्क मैक्सवेल का देहान्त हुआ, अभी वह 48 वर्ष भी पूरे नहीं कर पाया था।

आज तक भी हम पूर्ण रूप में मैक्सवेल की कल्पना तथा गणित बुद्धि द्वारा आविष्कृत निधि का प्रयोग शायद नहीं कर पाए।कितने ही आविष्कार अभी भविष्य के गर्भ में हैं जिनकी उत्थापना जेम्स क्लर्क मैक्सवेल की प्रतिभा से ही संभव होगी। रेडियो स्पेक्ट्रम की, एक्स-रे तथा गामा-रे की संभावना उसके लघु-सूत्रों में कितनी पहले ही निबद्ध हो चुकी थी और उनके द्वारा अणु के अन्तःकरण से भी मानव बुद्धि को परिचित करा गई।

हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े—-

एनरिको फर्मी
एनरिको फर्मी--- इटली का समुंद्र यात्री नई दुनिया के किनारे आ लगा। और ज़मीन पर पैर रखते ही उसने देखा कि Read more
दरबारी अन्दाज़ का बूढ़ा अपनी सीट से उठा और निहायत चुस्ती और अदब के साथ सिर से हैट उतारते हुए Read more
एलेग्जेंडर फ्लेमिंग
साधारण-सी प्रतीत होने वाली घटनाओं में भी कुछ न कुछ अद्भुत तत्त्व प्रच्छन्न होता है, किन्तु उसका प्रत्यक्ष कर सकने Read more
अल्बर्ट आइंस्टीन
“डिअर मिस्टर प्रेसीडेंट” पत्र का आरम्भ करते हुए विश्वविख्यात वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने लिखा, ई० फेर्मि तथा एल० जीलार्ड के Read more
हम्फ्री डेवी
15 लाख रुपया खर्च करके यदि कोई राष्ट्र एक ऐसे विद्यार्थी की शिक्षा-दीक्षा का प्रबन्ध कर सकता है जो कल Read more
मैरी क्यूरी
मैंने निश्चय कर लिया है कि इस घृणित दुनिया से अब विदा ले लूं। मेरे यहां से उठ जाने से Read more
दोस्तो आप ने सचमुच जादू से खुलने वाले दरवाज़े कहीं न कहीं देखे होंगे। जरा सोचिए दरवाज़े की सिल पर Read more
हेनरिक ऊ
रेडार और सर्चलाइट लगभग एक ही ढंग से काम करते हैं। दोनों में फर्क केवल इतना ही होता है कि Read more
जे जे थॉमसन
योग्यता की एक कसौटी नोबल प्राइज भी है। जे जे थॉमसन को यह पुरस्कार 1906 में मिला था। किन्तु अपने-आप Read more
अल्बर्ट अब्राहम मिशेलसन
सन् 1869 में एक जन प्रवासी का लड़का एक लम्बी यात्रा पर अमेरीका के निवादा राज्य से निकला। यात्रा का Read more
इवान पावलोव
भड़ाम! कुछ नहीं, बस कोई ट्रक था जो बैक-फायर कर रहा था। आप कूद क्यों पड़े ? यह तो आपने Read more
विलहम कॉनरैड रॉटजन
विज्ञान में और चिकित्साशास्त्र तथा तंत्रविज्ञान में विशेषतः एक दूरव्यापी क्रान्ति का प्रवर्तन 1895 के दिसम्बर की एक शरद शाम Read more
दिमित्री मेंडेलीव
आपने कभी जोड़-तोड़ (जिग-सॉ) का खेल देखा है, और उसके टुकड़ों को जोड़कर कुछ सही बनाने की कोशिश की है Read more
ग्रेगर जॉन मेंडल
“सचाई तुम्हें बड़ी मामूली चीज़ों से ही मिल जाएगी।” सालों-साल ग्रेगर जॉन मेंडल अपनी नन्हीं-सी बगीची में बड़े ही धैर्य Read more
लुई पाश्चर
कुत्ता काट ले तो गांवों में लुहार ही तब डाक्टर का काम कर देता। और अगर यह कुत्ता पागल हो Read more
लियोन फौकॉल्ट
न्यूयार्क में राष्ट्रसंघ के भवन में एक छोटा-सा गोला, एक लम्बी लोहे की छड़ से लटकता हुआ, पेंडुलम की तरह Read more
“कुत्ते, शिकार, और चूहे पकड़ना इन तीन चीज़ों के अलावा किसी चीज़ से कोई वास्ता नहीं, बड़ा होकर अपने लिए, Read more
फ्रेडरिक वोहलर
“यूरिया का निर्माण मैं प्रयोगशाला में ही, और बगेर किसी इन्सान व कुत्ते की मदद के, बगैर गुर्दे के, कर Read more
जोसेफ हेनरी
परीक्षण करते हुए जोसेफ हेनरी ने साथ-साथ उनके प्रकाशन की उपेक्षा कर दी, जिसका परिणाम यह हुआ कि विद्युत विज्ञान Read more
माइकल फैराडे
चुम्बक को विद्युत में परिणत करना है। यह संक्षिप्त सा सूत्र माइकल फैराडे ने अपनी नोटबुक में 1822 में दर्ज Read more
जॉर्ज साइमन ओम
जॉर्ज साइमन ओम ने कोलोन के जेसुइट कालिज में गणित की प्रोफेसरी से त्यागपत्र दे दिया। यह 1827 की बात Read more
ऐवोगेड्रो
वैज्ञानिकों की सबसे बड़ी समस्याओं में एक यह भी हमेशा से रही है कि उन्हें यह कैसे ज्ञात रहे कि Read more
आंद्रे मैरी एम्पीयर
इतिहास में कभी-कभी ऐसे वक्त आते हैं जब सहसा यह विश्वास कर सकता असंभव हो जाता है कि मनुष्य की Read more
जॉन डाल्टन
विश्व की वैज्ञानिक विभूतियों में गिना जाने से पूर्वी, जॉन डाल्टन एक स्कूल में हेडमास्टर था। एक वैज्ञानिक के स्कूल-टीचर Read more
काउंट रूमफोर्ड
कुछ लोगों के दिल से शायद नहीं जबान से अक्सर यही निकलता सुना जाता है कि जिन्दगी की सबसे बड़ी Read more
एडवर्ड जेनर
छः करोड़ आदमी अर्थात लन्दन, न्यूयार्क, टोकियो, शंघाई और मास्कों की कुल आबादी का दुगुना, अनुमान किया जाता है कि Read more
आपने कभी बिजली 'चखी' है ? “अपनी ज़बान के सिरे को मेनेटिन की एक पतली-सी पतरी से ढक लिया और Read more
एंटोनी लेवोज़ियर
1798 में फ्रांस की सरकार ने एंटोनी लॉरेंस द लेवोज़ियर (Antoine-Laurent de Lavoisier) के सम्मान में एक विशाल अन्त्येष्टि का Read more
जोसेफ प्रिस्टले
क्या आपको याद है कि हाल ही में सोडा वाटर की बोतल आपने कब पी थी ? क्‍या आप जानते Read more
हेनरी कैवेंडिश
हेनरी कैवेंडिश अपने ज़माने में इंग्लैंड का सबसे अमीर आदमी था। मरने पर उसकी सम्पत्ति का अन्दाजा लगाया गया तो Read more
बेंजामिन फ्रैंकलिन
“डैब्बी", पत्नी को सम्बोधित करते हुए बेंजामिन फ्रैंकलिन ने कहा, “कभी-कभी सोचता हूं परमात्मा ने ये दिन हमारे लिए यदि Read more
सर आइज़क न्यूटन
आइज़क न्यूटन का जन्म इंग्लैंड के एक छोटे से गांव में खेतों के साथ लगे एक घरौंदे में सन् 1642 में Read more
रॉबर्ट हुक
क्या आप ने वर्ण विपर्यास की पहेली कभी बूझी है ? उलटा-सीधा करके देखें तो ज़रा इन अक्षरों का कुछ Read more
एंटोनी वॉन ल्यूवेनहॉक
सन् 1673 में लन्दन की रॉयल सोसाइटी के नाम एक खासा लम्बा और अजीब किस्म का पत्र पहुंचा जिसे पढ़कर Read more
क्रिस्चियन ह्यूजेन्स
क्रिस्चियन ह्यूजेन्स (Christiaan Huygens) की ईजाद की गई पेंडुलम घड़ी (pendulum clock) को जब फ्रेंचगायना ले जाया गया तो उसके Read more
रॉबर्ट बॉयल
रॉबर्ट बॉयल का जन्म 26 जनवरी 1627 के दिन आयरलैंड के मुन्स्टर शहर में हुआ था। वह कॉर्क के अति Read more
इवेंजलिस्टा टॉरिसेलि
अब जरा यह परीक्षण खुद कर देखिए तो लेकिन किसी चिरमिच्ची' या हौदी पर। एक गिलास में तीन-चौथाई पानी भर Read more
विलियम हार्वे
“आज की सबसे बड़ी खबर चुड़ैलों के एक बड़े भारी गिरोह के बारे में है, और शक किया जा रहा Read more
महान खगोलशास्त्री योहानेस केप्लर
“और सम्भव है यह सत्य ही स्वयं अब किसी अध्येता की प्रतीक्षा में एक पूरी सदी आकुल पड़ा रहे, वैसे Read more
गैलीलियो
“मै गैलीलियो गैलिलाई, स्वर्गीय विसेजिओ गैलिलाई का पुत्र, फ्लॉरेन्स का निवासी, उम्र सत्तर साल, कचहरी में हाजिर होकर अपने असत्य Read more
आंद्रेयेस विसेलियस
“मैं जानता हूं कि मेरी जवानी ही, मेरी उम्र ही, मेरे रास्ते में आ खड़ी होगी और मेरी कोई सुनेगा Read more
निकोलस कोपरनिकस
निकोलस कोपरनिकस के अध्ययनसे पहले-- “क्यों, भेया, सूरज कुछ आगे बढ़ा ?” “सूरज निकलता किस वक्त है ?” “देखा है Read more
लियोनार्दो दा विंची
फ्लॉरेंस ()(इटली) में एक पहाड़ी है। एक दिन यहां सुनहरे बालों वाला एक नौजवान आया जिसके हाथ में एक पिंजरा Read more
गैलेन
इन स्थापनाओं में से किसी पर भी एकाएक विश्वास कर लेना मेरे लिए असंभव है जब तक कि मैं, जहां Read more
आर्किमिडीज
जो कुछ सामने हो रहा है उसे देखने की अक्ल हो, जो कुछ देखा उसे समझ सकने की अक्ल हो, Read more
एरिस्टोटल
रोजर बेकन ने एक स्थान पर कहा है, “मेरा बस चले तो मैं एरिस्टोटल की सब किताबें जलवा दू। इनसे Read more
हिपोक्रेटिस
मैं इस व्रत को निभाने का शपथ लेता हूं। अपनी बुद्धि और विवेक के अनुसार मैं बीमारों की सेवा के Read more
यूक्लिड
युवावस्था में इस किताब के हाथ लगते ही यदि किसी की दुनिया एकदम बदल नहीं जाती थी तो हम यही Read more

Naeem Ahmad

CEO & founder alvi travels agency tour organiser planners and consultant and Indian Hindi blogger

Leave a Reply