जामा मस्जिद दिल्ली मुस्लिम समुदाय का एक पवित्र स्थल है । सन् 1656 में निर्मित यह मुग़ल कालीन प्रसिद्ध मस्जिद जिसका निर्माण मुग़ल सम्राट शाहजहाँ द्वारा कराया गया था । यह पवित्र स्थल भारत की राजधानी दिल्ली के पुरानी दिल्ली इलाके में लाल किले के सामने 500 मीटर की दूरी पर स्थित है । इसके निर्माण में 6 वर्ष का समय लगा था तथा उस समय के 10 लाख रूपये का खर्च आया था । इस मस्जिद को बनाने में सफेद संगमरमर तथा लाल बलुआ पत्थर का प्रयोग किया गया है । मस्जिद एक बड़े तथा ऊचे चबूतरे पर बनायी गयी है । मस्जिद के तीन बड़े द्वार है जिनपर लाल पत्थरों पर बढियां नक्काशी की गई है ।
जामा मस्जिद दिल्ली के सुंदर दृश्यउत्तर और दक्षिण द्वार से ही प्रवेश किया जा सकता है । पूर्वी द्वार केवल शुक्रवार को ही खुलता है ।ऐसा माना जाता है की यह बादशाह का प्रवेश द्वार था । नीचे मार्ग से प्रवेश द्वार तक अनेकों सिढियां बनी है । जहाँ बैठकर अच्छा समय बिताया जा सकता है । प्रवेश द्वार से होकर निकलते ही एक लम्बा चौड़ा मैदान है जिसके फर्श पर लाल पत्थर लगा है। जहाँ लगभग 2500 व्यक्ति इबादत कर सकते है ।
दिल्ली लाल किले का इतिहास
जामा मस्जिद दिल्ली
Jama masjid dehli history in hindi – जामा मस्जिद का निर्माण किसने कराया- जामा मस्जिद का इतिहास – जामा मस्जिद की कहानी – जामा मस्जिद का निर्माण कब हुआ
(*जामा मस्जिद दिल्ली*) के दो मिनार है जिनकी ऊचाई लगभग 41 मीटर है । मीनार की चोटी पर पहुँचने के लिए मीनार के अन्दर घुमावदार सिढियां बनी है । मीनार की चोटी से
लाल किला तथा आसपास के बजारों का सुंदर दृश्य दिखाई देता है । मस्जिद में तीन गुम्बद बने है । दोनों साइडों वाले गुम्बद छोटे है तथा बीच वाला गुम्बद बड़ा है। गुम्बद की छतों में संगमरमर की सुंदर नक्काशी की गई है तथा इनमें लटके बड़े झूमर इसकी सुंदरता में चार चांद लगा देते है । जामा मस्जिद दिल्ली के अन्दर फर्श में सफेद तथा काले संगमरमर का प्रयोग किया गया है। हिन्दुस्तान की इस सबसे बड़ी तथा प्राचीन मस्जिद को देखने हर रोज हजारों पर्यटक यहाँ आते है।
दिल्ली पर्यटन पर आधारित हमारे यह लेख भी जरूर पढ़ें:—

यमुना नदी के तट पर भारत की प्राचीन वैभवशाली नगरी दिल्ली में मुगल बादशाद शाहजहां ने अपने राजमहल के रूप
भारत की राजधानी दिल्ली के हजरत निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन तथा हजरत निजामुद्दीन दरगाह के करीब
मथुरा रोड़ के निकट हुमायूं का मकबरा स्थित है।
पिछली पोस्ट में हमने हुमायूँ के मकबरे की सैर की थी। आज हम एशिया की सबसे ऊंची मीनार की सैर करेंगे। जो
भारत की राजधानी के नेहरू प्लेस के पास स्थित एक बहाई उपासना स्थल है। यह उपासना स्थल हिन्दू मुस्लिम सिख
पिछली पोस्ट में हमने दिल्ली के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल कमल मंदिर के बारे में जाना और उसकी सैर की थी। इस पोस्ट
इंडिया गेट भारत की राजधानी शहर, नई दिल्ली के केंद्र में स्थित है।( india gate history in Hindi ) राष्ट्रपति
यमुना नदी के किनारे पर बसे महानगर दिल्ली को यदि भारत का दिल कहा जाए तो कोई अनुचित बात नही
गुरुद्वारा
शीशगंज साहिब एक ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण गुरुद्वारा है जो सिक्खों के नौवें
गुरु तेग बहादुर को समर्पित है।
दिल्ली भारत की राजधानी है। भारत का राजनीतिक केंद्र होने के साथ साथ समाजिक, आर्थिक व धार्मिक रूप से इसका
कालकाजी मंदिर दिल्ली के सबसे व्यस्त हिंदू मंदिरों में से एक है, श्री कालकाजी मंदिर देवी काली को समर्पित है,
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से 5 किलोमीटर दूर लोकसभा के सामने गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब स्थित है। गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब की स्थापना
मोती बाग गुरुद्वारादिल्ली के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। गुरुद्वारा मोती बाग दिल्ली के प्रमुख गुरुद्वारों में से
गुरुद्वारा मजनूं का टीला नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से 15 किलोमीटर एवं पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन से 6 किलोमीटर की दूरी
भारत शुरू ही से सूफी, संतों, ऋषियों और दरवेशों का देश रहा है। इन साधु संतों ने धर्म के कट्टरपन
देश राजधानी दिल्ली में स्थित फिरोज शाह कोटला किला एक ऐतिहासिक धरोहर है, जो दिल्ली के इतिहास का एक महत्वपूर्ण अंग
पुराना किला इन्द्रप्रस्थ नामक प्राचीन नगर के राज-महल के स्थान पर बना है। इन्द्रप्रस्थ प्रथम दिल्ली नगर था। यहाँ कौरवों और
मोठ की मस्जिद जिसे
मस्जिद मोठ भी कहा जाता है, नई दिल्ली के साउथ एक्सटेंशन द्वितीय के मस्जिद मोठ नामक गांव
दिल्ली के ऐतिहासिक स्मारकों में सफदरजंग का मकबरा या सफदरजंग की समाधि अपना एक अलग महत्व रखता है। मुगलकालीन स्मारकों
सफदरजंग के मकबरे के समीप सिकंदर लोदी का मकबरा स्थित है। यह आज कल नई दिल्ली में विलिंगटन पार्क में पृथ्वीराज
दिल्ली में विश्व प्रसिद्ध कुतुबमीनार स्तम्भ के समीप ही कुव्वतुल इस्लाम मस्जिद है। इसे कुव्वतुल-इस्लाम मसजिद (इस्लाम की ताक़त वाली) अथवा
हौज खास राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली का एक गांव है यह गांव यहां स्थित ऐतिहासिक हौज खास झील और और उसके किनारे
दिल्ली में हौज़ खास के मोड़ से कुछ आगे बढ़ने पर एक नई सड़क बाई ओर घूमती है। वहीं पर
दिल्ली में स्थित जंतर मंतर दिल्ली एक खगोलीय वैधशाला है। जंतर मंतर अथवा दिल्ली आवज़स्वेट्री दिल्ली की पार्लियामेंट स्ट्रीट (सड़क
तुगलकाबाद किला दिल्ली स्थित तुगलकाबाद में स्थित है। शब्द तुग़लकाबाद का संकेत तुग़लक़ वंश की ओर है। हम अपने पिछले लेखों
लालकोट का किला दिल्ली महरौली पहाड़ी पर स्थित है। वर्तमान में इस किले मात्र भग्नावशेष ही शेष है। इस पहाड़ी
कुतुब सड़क पर हौज़ खास के मोड़ के कुछ आगे एक लम्बा चौकोर स्तम्भ सा दिखाई पड़ता है। इसी स्तम्भ