जय निवास उद्यान जयपुर – जय निवास गार्डन Naeem Ahmad, September 14, 2022February 22, 2023 राजस्थान की राजधानी और गुलाबी नगरी जयपुर के ऐतिहासिक इमारतों और भवनों के बाद जब नगर के विशाल उद्यान जय निवास मे आते है तो चंद्रमहल के सामने ऐसा चित्रोपम दृश्य उपस्थित होता हैं जो मुगलो के शाही किलो मे भी नही है। किन्तु यह सही है कि जयपुर बसने के समय तक मुगल स्थापत्य और शिल्प आगरा के ताजमहल और एतमादुद्दौला के मकबरे, दिल्ली के लाल किले की शाही इमारतों और दूसरे उद्यान-भवनों मे अपनी सुन्दरता और भव्यता की पराकाष्ठा को पहुंच चुके थे। इसलिये यह स्वाभाविक था कि सवाई जयसिंह भी अपने महल की रूप रेखा मे बागायत को इमारत जितना ही महत्त्व देता। जिस तालाब के किनारे शिकार की ओदी मे बैठकर सभवत पहली बार उसने इस सुन्दर नगर की कल्पना की थी, वही “ताल कटोरा” उस विशाल उद्यान का उत्तरी छोर बना जिसे ”जय निवास उद्यान का नाम दिया गया। चंद्रमहल इस बाग के दक्षिणी छोर पर बनाया गया और पूर्व तथा पश्चिम मे ऊंची और मजबूत दीवारो से घेर कर इस राजसी उद्यान भवन की हदबंदी की गई। गोविन्द देव जी का मंदिर (सूरज महल) इस बाग के बीच मे विशाल बारादरी थी और दक्षिणी छोर पर ताल कटोरे में मुंह देखता बादल महल बनाया गया था। जय निवास उद्यान जयपुर जय निवास उद्यान अनिवार्यत एक मुगल बाग है और इसकी विशेषता बहते पानी की उन नहरों मे है जो पूरे बाग को अलग- अलग निचले तख्तों मे बांटती चली जाती है। चंद्रमहल के सामने संगमरमर का हौज अतीव सुन्दर है और जताता है कि बागानों की जिन्दगी पानी से ही है। रियासती तौर-तरीको और क्रब-कायदो ने जय निवास उद्यान, चंद्रमहल और बादल महल को कडे़ पहरे मे बंद पर्दानशीन सौंदर्य की तरह रखा और इस मनोरम जय निवास गार्डन तथा इसके भव्य भवनों की विशेषताओं को उजागर न होने दिया। जय निवास गार्डन मुगल-उद्यान-कला के सर्वोत्कृष्ट नमूनों मे गिना जा सकता है। इसकी योजना आज भी वैसी ही है जैसी जयसिंह के समय मे थी। अठारहवी सदी के आरंभ मे भारतीय रईसों की सुरुचि और सौंदर्य-प्रेम का अनुमान लगाने के लिए यह एक सशक्त उदाहरण है। भरतपुर मे डीग के गोपाल भवन के फव्वारो की छटा का बडा नाम है, लेकिन जय निवास उद्यान के फव्वारों को चलते हुए जिन्होने देखा है, वे मानेगे कि यह भी डीग से होड लगाने वाला है, यद्यपि यहां की जलधाराओं मे रंगो की वैसी छटा नही होती। जय निवास उद्यान चंद्रमहल के नीचे से दोनो ओर पत्थर जडे़ मार्गों के बीचो-बीच जो नहर गई है उसको दोनो ओर से आने वाली ऐसी ही नहरें समकोण पर काटती है। ठीक उसी तरह जिस तरह जयपुर नगर के मार्ग एक-दूसरे के आर-पार जाते है। इस प्रकार बाग मे जो चौराहे बनते है, वहा होज बने है। सभी नहरों के बीच मे थोडे- थोडे फासले से फव्वारे लगे हैं जिनकी सख्या हौजों मे और भी ज्यादा हो जाती है। चला देने पर सावन-भादो का दृश्य उपस्थित होता है और अच्छी हवा चलती हो तो फूहारों के आनन्द के क्या कहने। आमेर की पहाडी पथरीली भूमि मे बाग-बगीचो की वैसी गुंजाइश नही थी जैसी जयपुर बसाने पर हुई। जब इतना बडा बाग लगाया जाने लगा तो उसके लिए पेड-पौधो का चुनाव भी एक बडा काम था। जयपुर और चौमू के इतिहासकार स्वर्गीय हनुमान शर्मा का कथन है कि गुलाब, दाऊदी और सोनजाय के सैकडो पेड़ चौमू के मिया विलायत खां के बाग से यहां आये थे। मिया जी चौमू मे मुसाहव या कामदार थे जिन्हे जयपुर रियासत से भी जागीर थी। चौमू के बाहर ‘नाडा’ नामक स्थान मे उन्होने एक मस्जिद बनवाई थी और एक विशाल बाग भी जिसके सोन जाय, दाऊदी, कमरख और खिरनी के पेड़ बडे नामी थे। जिस मिली जुली हिन्दू-मुस्लिम शैली मे अन्य इमारतें तथा जय निवास उद्यान की योजना बनी, मिया विलायत खां उसके भी प्रतीक थे। अभिवादन मे ”राम-राम” या “सीताराम कहते, दान-पुण्य, पूजा-पाठ और ब्राहमण भोजन तक में श्रद्धा दिखाते और अपने स्वामी, चौमू-ठाकूर मोहनसिंह नाथावत की वफादारी के साथ नौकरी बजाते। सवाई जयसिंह ने भी इस “मुसलमान हरिभक्त को पन्द्रह सौ रुपये सालाना आय की जागीर बख्शी थी। जय निवास उद्यान मे गोविन्द देव जी के मंदिर के पिछवाडे का विशाल हौज सवाई प्रतापसिंह ने बनवाया था। रंग-बिरगे कांचो से बने झरने से गिरकर हौज का पानी आगे निचले बाग मे जाता था। इस हौज के पूर्व मे ‘सावन-भादो’ नामक फर्न-हाउस भी कभी बहुत सुन्दर और दर्शनीय था, जिसमे कल घुमाते ही सब ओर लगे छेददार नलो से पानी चलने लगता था और वर्षा का नजारा बन जाता था। प्रतापसिंह के बाद जयपुर को जो बुरे दिन देखने पडे उनमें जय निवास उद्यान की भी बडी उपेक्षा हुई। 1835 ई मे महाराजा रामसिंह गद्दी नशीन हुए और उन्होने सारे जयपुर के जीर्णोद्धार के साथ जय निवास उद्यान को भी वह सौंदर्य और गरिमा लौटाई जो उनके 60-70 साल पहले तक रही थी। बारहदरी या गोविन्द देवजी के मंदिर के सामने दाहिनी ओर जो पीली इमारत बनी हुई है, वह रामसिंह ने ही बनवाई थी। यह ‘ बिलियार्ड रूम है जिसका स्थापत्य चंद्रमहल या गोविन्द मंदिर से अलग-थलग मालूम होता है। इसकी छत बहुत ऊंची है और मेहराबे सुन्दर जो इटालियन संगमरमर के स्तभों पर उठी हैं। 1875 ई मे ग्वालियर का महाराजा जियाजी राव सिंधिया महाराजा रामसिंह का मेहमान बनकर जयपुर आया था तो उसने यही बिलियार्ड पर अपने हाथ आजमाये थे। महाराजा मानसिंह ने इसे ‘बेक्चेट हॉल’ का रूप दिया और यह आज भी इसी रूप मे सुसज्जित है। बिलियार्ड रूम के ठीक सामने बाग के दूसरे तख्ते मे ऊची दीवारों से घिरा एक बडा-सा अहाता है जिसमें तरणताल है। महाराजा मानसिंह (1922-70ई ) ने जय निवास उद्यान के पत्थर जडे मार्गों, पानी की नहरों और मध्यवर्ती भाग को तो नही छेडा, किंतु बाग को उन्होने आधुनिक उद्यान-कला के अनुरूप बनवाया। इससे नगर की शोभा मे अभिवृद्धि ही हुई है। जय निवास उद्यान चंद्रमहल से बादल महल तक फैला है और बाग के बीचो-बीच गोविन्द देव जी के मंदिर के पश्चिम मे एक छोटा दरवाजा निचले बाग मे जाने का रास्ता है, जो पहले ऊपर के सजावटी बाग की तुलना मे फलों का बगीचा था। अब तो यह बाग (निचला) कर्नल भवानी सिंह ने जयपुर नगर परिषद को दे दिया है जिससे नगर के दक्षिण मे रामनिवास बाग की तरह उत्तर मे यह जय निवास बाग एक सार्वजनिक उद्यान बनकर इस ओर के नागरिकों के विहार और मन-बहलाव का अच्छा स्थल बन गया है। हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:—- मांउट आबू के पर्यटन स्थल – माउंट आबू दर्शनीय स्थल पश्चिमी राजस्थान जहाँ रेगिस्तान की खान है तो शेष राजस्थान विशेष कर पूर्वी और दक्षिणी राजस्थान की छटा अलग और जोधपुर ( ब्लू नगरी) jodhpur blue city – जोधपुर का इतिहास जोधपुर का नाम सुनते ही सबसे पहले हमारे मन में वहाँ की एतिहासिक इमारतों वैभवशाली महलों पुराने घरों और प्राचीन अजमेर शरीफ दरगाह ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती ajmer dargaah history in hindi भारत के राजस्थान राज्य के प्रसिद्ध शहर अजमेर को कौन नहीं जानता । यह प्रसिद्ध शहर अरावली पर्वत श्रेणी की Hawamahal history in hindi- हवा महल का इतिहास प्रिय पाठकों पिछली पोस्ट में हमने हेदराबाद के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल व स्मारक के बारे में विस्तार से जाना और City place Jaipur history in hindi – सिटी प्लेस जयपुर का इतिहास – सिटी प्लेस 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प्राचीन शहर है। अजमेर का इतिहास और उसके हर तारिखी दौर में इस अलवर के पर्यटन स्थल – अलवर में घूमने लायक टॉप 5 स्थान अलवर राजस्थान राज्य का एक खुबसूरत शहर है। जितना खुबसूरत यह शहर है उतने ही दिलचस्प अलवर के पर्यटन स्थल उदयपुर दर्शनीय स्थल – उदयपुर के टॉप 15 पर्यटन स्थल उदयपुर भारत के राज्य राजस्थान का एक प्रमुख शहर है। उदयपुर की गिनती भारत के प्रमुख पर्यटन स्थलो में भी नाथद्वारा दर्शन – नाथद्वारा का इतिहास – नाथद्वारा टेम्पल हिसट्री इन हिन्दी वैष्णव धर्म के वल्लभ सम्प्रदाय के प्रमुख तीर्थ स्थानों, मैं नाथद्वारा धाम का स्थान सर्वोपरि माना जाता है। नाथद्वारा दर्शन कोटा दर्शनीय स्थल – टॉप 10 कोटा टूरिस्ट प्लेस चंबल नदी के तट पर स्थित, कोटा राजस्थान, भारत का तीसरा सबसे बड़ा शहर है। रेगिस्तान, महलों और उद्यानों के कुम्भलगढ़ का इतिहास – कुम्भलगढ़ का किला राजा राणा कुम्भा के शासन के तहत, मेवाड का राज्य रणथंभौर से ग्वालियर तक फैला था। इस विशाल साम्राज्य में झुंझुनूं के पर्यटन स्थल – झुंझुनूं के टॉप 5 दर्शनीय स्थल झुंझुनूं भारत के राज्य राजस्थान का एक प्रमुख जिला है। राजस्थान को महलों और भवनो की धरती भी कहा जाता पुष्कर सरोवर तीर्थ यात्रा – पुष्कर झील का धार्मिक महत्व भारत के राजस्थान राज्य के अजमेर जिले मे स्थित पुष्कर एक प्रसिद्ध नगर है। यह नगर यहाँ स्थित प्रसिद्ध पुष्कर करणी माता मंदिर – चूहों वाला मंदिर के अद्भुत रहस्य बीकानेर जंक्शन रेलवे स्टेशन से 30 किमी की दूरी पर, करणी माता मंदिर राजस्थान के बीकानेर जिले के देशनोक शहर बीकानेर पर्यटन स्थल – बीकानेर के टॉप 10 दर्शनीय स्थल जोधपुर से 245 किमी, अजमेर से 262 किमी, जैसलमेर से 32 9 किमी, जयपुर से 333 किमी, दिल्ली से 435 जयपुर पर्यटन स्थल – जयपुर टूरिस्ट प्लेस – जयपुर सिटी के टॉप 10 आकर्षण भारत की राजधानी दिल्ली से 268 किमी की दूरी पर स्थित जयपुर, जिसे गुलाबी शहर (पिंक सिटी) भी कहा जाता सीकर पर्यटन स्थल – सीकर का इतिहास व टॉप 6 दर्शनीय स्थल सीकर सबसे बड़ा थिकाना राजपूत राज्य है, जिसे शेखावत राजपूतों द्वारा शासित किया गया था, जो शेखावती में से थे। भरतपुर पर्यटन स्थल -भरतपुर के टॉप 8 टूरिस्ट प्लेस भरतपुर राजस्थान की यात्रा वहां के ऐतिहासिक, धार्मिक, पर्यटन और मनोरंजन से भरपूर है। पुराने समय से ही भरतपुर का बाड़मेर पर्यटन स्थल – बाड़मेर के टॉप 8 दर्शनीय स्थल 28,387 वर्ग किमी के क्षेत्र के साथ बाड़मेर राजस्थान के बड़ा और प्रसिद्ध जिलों में से एक है। राज्य के दौसा पर्यटन स्थल – दौसा राजस्थान के टॉप 7 दर्शनीय स्थल दौसा राजस्थान राज्य का एक छोटा प्राचीन शहर और जिला है, दौसा का नाम संस्कृत शब्द धौ-सा लिया गया है, धौलपुर पर्यटन स्थल – धौलपुर राजस्थान के टॉप10 आकर्षण धौलपुर भारतीय राज्य राजस्थान के पूर्वी क्षेत्र में स्थित है और यह लाल रंग के सैंडस्टोन (धौलपुरी पत्थर) के लिए भीलवाड़ा पर्यटन स्थल – भीलवाड़ा राजस्थान के टॉप20 दर्शनीय स्थल भीलवाड़ा भारत के राज्य राजस्थान का एक प्रमुख ऐतिहासिक शहर और जिला है। राजस्थान राज्य का क्षेत्र पुराने समय से पाली पर्यटन स्थल – पाली राजस्थान के टॉप टूरिस्ट प्लेस पाली राजस्थान राज्य का एक जिला और महत्वपूर्ण शहर है। यह गुमनाम रूप से औद्योगिक शहर के रूप में भी जालोर का इतिहास – जालोर के टॉप पर्यटन, धार्मिक, ऐतिहासिक स्थल जोलोर जोधपुर से 140 किलोमीटर और अहमदाबाद से 340 किलोमीटर स्वर्णगिरी पर्वत की तलहटी पर स्थित, राजस्थान राज्य का एक टोंक पर्यटन स्थल – टोंक जिले के टॉप 9 दर्शनीय स्थल टोंक राजस्थान की राजधानी जयपुर से 96 किमी की दूरी पर स्थित एक शांत शहर है। और राजस्थान राज्य का राजसमंद पर्यटन स्थल – राजसमंद जिले के टॉप 10 ऐतिहासिक व दर्शनीय स्थल राजसमंद राजस्थान राज्य का एक शहर, जिला, और जिला मुख्यालय है। राजसमंद शहर और जिले का नाम राजसमंद झील, 17 सिरोही का इतिहास – सिरोही पर्यटन स्थल – सिरोही के दर्शनीय स्थल सिरोही जिला राजस्थान के दक्षिण-पश्चिम भाग में स्थित है। यह उत्तर-पूर्व में जिला पाली, पूर्व में जिला उदयपुर, पश्चिम में करौली आकर्षक स्थल – करौली राजस्थान के टॉप दर्शनीय स्थल करौली राजस्थान राज्य का छोटा शहर और जिला है, जिसने हाल ही में पर्यटकों का ध्यान आकर्षित किया है, अच्छी सवाई माधोपुर आकर्षक स्थल – सवाई माधोपुर राजस्थान मे घूमने लायक जगह सवाई माधोपुर राजस्थान का एक छोटा शहर व जिला है, जो विभिन्न स्थलाकृति, महलों, किलों और मंदिरों के लिए जाना नागौर के ऐतिहासिक स्थल – नागौर का मौसम, तापमान राजस्थान राज्य के जोधपुर और बीकानेर के दो प्रसिद्ध शहरों के बीच स्थित, नागौर एक आकर्षक स्थान है, जो अपने बूंदी इंडिया दर्शनीय स्थल – बूंदी राजस्थान के ऐतिहासिक, पर्यटन स्थल बूंदी कोटा से लगभग 36 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक शानदार शहर और राजस्थान का एक प्रमुख जिला है। बारां जिला आकर्षक स्थल – बारां के टॉप पर्यटन, ऐतिहासिक, टूरिस्ट प्लेस कोटा के खूबसूरत क्षेत्र से अलग बारां राजस्थान के हाडोती प्रांत में और स्थित है। बारां सुरम्य जंगली पहाड़ियों और झालावाड़ के ऐतिहासिक स्थल – झालावाड़ के टॉप 12 दर्शनीय स्थल झालावाड़ राजस्थान राज्य का एक प्रसिद्ध शहर और जिला है, जिसे कभी बृजनगर कहा जाता था, झालावाड़ को जीवंत वनस्पतियों हनुमानगढ़ का किला – हनुमानगढ़ ऐतिहासिक स्थल – हनुमानगढ़ पर्यटन स्थल हनुमानगढ़, दिल्ली से लगभग 400 किमी दूर स्थित है। हनुमानगढ़ एक ऐसा शहर है जो अपने मंदिरों और ऐतिहासिक महत्व चूरू का इतिहास, किला, पर्यटन, दर्शनीय व ऐतिहासिक स्थलों की जानकारी चूरू थार रेगिस्तान के पास स्थित है, चूरू राजस्थान में एक अर्ध शुष्क जलवायु वाला जिला है। जिले को। द गोगामेड़ी का इतिहास, गोगामेड़ी मेला, गोगामेड़ी जाहर पीर बाबा गोगामेड़ी राजस्थान के लोक देवता गोगाजी चौहान की मान्यता राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल, मध्यप्रदेश, गुजरात और दिल्ली जैसे राज्यों तेजाजी की कथा – प्रसिद्ध वीर तेजाजी परबतसर पशु मेला भारत में आज भी लोक देवताओं और लोक तीर्थों का बहुत बड़ा महत्व है। एक बड़ी संख्या में लोग अपने शील की डूंगरी चाकसू राजस्थान – शीतला माता की कथा शीतला माता यह नाम किसी से छिपा नहीं है। आपने भी शीतला माता के मंदिर भिन्न भिन्न शहरों, कस्बों, गावों सीताबाड़ी का इतिहास – सीताबाड़ी का मंदिर राजस्थान सीताबाड़ी, किसी ने सही कहा है कि भारत की धरती के कण कण में देव बसते है ऐसा ही एक गलियाकोट दरगाह राजस्थान – गलियाकोट दरगाह का इतिहास गलियाकोट दरगाह राजस्थान के डूंगरपुर जिले में सागबाडा तहसील का एक छोटा सा कस्बा है। जो माही नदी के किनारे श्री महावीरजी टेम्पल राजस्थान – महावीरजी का इतिहास यूं तो देश के विभिन्न हिस्सों में जैन धर्मावलंबियों के अनगिनत तीर्थ स्थल है। लेकिन आधुनिक युग के अनुकूल जो कोलायत मंदिर के दर्शन – कोलायत का इतिहास प्रिय पाठकों अपने इस लेख में हम उस पवित्र धरती की चर्चा करेगें जिसका महाऋषि कपिलमुनि जी ने न केवल मुकाम मंदिर राजस्थान – मुक्ति धाम मुकाम का इतिहास मुकाम मंदिर या मुक्ति धाम मुकाम विश्नोई सम्प्रदाय का एक प्रमुख और पवित्र तीर्थ स्थान माना जाता है। इसका कारण कैला देवी मंदिर करौली राजस्थान – कैला देवी का इतिहास माँ कैला देवी धाम करौली राजस्थान हिन्दुओं का प्रसिद्ध तीर्थ स्थान है। यहा कैला देवी मंदिर के प्रति श्रृद्धालुओं की ऋषभदेव मंदिर उदयपुर – केसरियाजी ऋषभदेव मंदिर राजस्थान राजस्थान के दक्षिण भाग में उदयपुर से लगभग 64 किलोमीटर दूर उपत्यकाओं से घिरा हुआ तथा कोयल नामक छोटी सी एकलिंगजी टेम्पल उदयपुर – एकलिंगजी टेम्पल हिस्ट्री इन हिन्दी राजस्थान के शिव मंदिरों में एकलिंगजी टेम्पल एक महत्वपूर्ण एवं दर्शनीय मंदिर है। एकलिंगजी टेम्पल उदयपुर से लगभग 21 किलोमीटर हर्षनाथ मंदिर सीकर राजस्थान – जीणमाता मंदिर सीकर राजस्थान भारत के राजस्थान राज्य के सीकर से दक्षिण पूर्व की ओर लगभग 13 किलोमीटर की दूरी पर हर्ष नामक एक रामदेवरा का इतिहास – रामदेवरा समाधि मंदिर दर्शन, व मेला राजस्थान की पश्चिमी धरा का पावन धाम रूणिचा धाम अथवा रामदेवरा मंदिर राजस्थान का एक प्रसिद्ध लोक तीर्थ है। यह नाकोड़ा जी का इतिहास – नाकोड़ा जी भैरव चालीसा नाकोड़ा जी तीर्थ जोधपुर से बाड़मेर जाने वाले रेल मार्ग के बलोतरा जंक्शन से कोई 10 किलोमीटर पश्चिम में लगभग केशवरायपाटन का मंदिर – केशवरायपाटन मंदिर का इतिहास केशवरायपाटन अनादि निधन सनातन जैन धर्म के 20 वें तीर्थंकर भगवान मुनीसुव्रत नाथ जी के प्रसिद्ध जैन मंदिर तीर्थ क्षेत्र गौतमेश्वर महादेव मंदिर अरनोद राजस्थान – गौतमेश्वर मंदिर का इतिहास राजस्थान राज्य के दक्षिणी भूखंड में आरावली पर्वतमालाओं के बीच प्रतापगढ़ जिले की अरनोद तहसील से 2.5 किलोमीटर की दूरी रानी सती मंदिर झुंझुनूं राजस्थान – रानी सती दादी मंदिर हिस्ट्री इन हिन्दी सती तीर्थो में राजस्थान का झुंझुनूं कस्बा सर्वाधिक विख्यात है। यहां स्थित रानी सती मंदिर बहुत प्रसिद्ध है। यहां सती ओसियां का इतिहास – सच्चियाय माता मंदिर ओसियां राजस्थान के पश्चिमी सीमावर्ती जिले जोधपुर में एक प्राचीन नगर है ओसियां। जोधपुर से ओसियां की दूरी लगभग 60 किलोमीटर है। डिग्गी कल्याण जी की कथा – डिग्गी धाम कल्याण जी टेम्पल डिग्गी धाम राजस्थान की राजधानी जयपुर से लगभग 75 किलोमीटर की दूरी पर टोंक जिले के मालपुरा नामक स्थान के करीब रणकपुर जैन मंदिर समूह – रणकपुर जैन तीर्थ का इतिहास सभी लोक तीर्थों की अपनी धर्मगाथा होती है। लेकिन साहिस्यिक कर्मगाथा के रूप में रणकपुर सबसे अलग और अद्वितीय है। लोद्रवा जैन मंदिर का इतिहास – हिस्ट्री ऑफ लोद्रवा जैन टेंपल भारतीय मरूस्थल भूमि में स्थित राजस्थान का प्रमुख जिले जैसलमेर की प्राचीन राजधानी लोद्रवा अपनी कला, संस्कृति और जैन मंदिर गलताजी मंदिर का इतिहास – हिस्ट्री ऑफ गलताजी धाम जयपुर नगर के कोलाहल से दूर पहाडियों के आंचल में स्थित प्रकृति के आकर्षक परिवेश से सुसज्जित राजस्थान के जयपुर नगर के सकराय माता मंदिर या शाकंभरी माता मंदिर सीकर राजस्थान हिस्ट्री इन हिंदी राजस्थान के सीकर जिले में सीकर के पास सकराय माता जी का स्थान राजस्थान के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक बूंदी राजपूताना की वीर गाथा – बूंदी राजस्थान राजपूताना केतूबाई बूंदी के राव नारायण दास हाड़ा की रानी थी। राव नारायणदास बड़े वीर, पराक्रमी और बलवान पुरूष थे। उनके सवाई मानसिंह संग्रहालय जयपुर राजस्थान जयपुर के मध्यकालीन सभा भवन, दीवाने- आम, मे अब जयपुर नरेश सवाई मानसिंह संग्रहालय की आर्ट गैलरी या कला दीर्घा मुबारक महल कहां स्थित है – मुबारक महल सिटी प्लेस राजस्थान की राजधानी जयपुर के महलों में मुबारक महल अपने ढंग का एक ही है। चुने पत्थर से बना है, चंद्रमहल सिटी पैलेस जयपुर राजस्थान राजस्थान की राजधानी जयपुर के ऐतिहासिक भवनों का मोर-मुकुट चंद्रमहल है और इसकी सातवी मंजिल ''मुकुट मंदिर ही कहलाती है। तालकटोरा जयपुर – जयपुर का तालकटोरा सरोवर राजस्थान की राजधानी जयपुर नगर प्रासाद और जय निवास उद्यान के उत्तरी छोर पर तालकटोरा है, एक बनावटी झील, जिसके दक्षिण बादल महल कहां स्थित है – बादल महल जयपुर जयपुर नगर बसने से पहले जो शिकार की ओदी थी, वह विस्तृत और परिष्कृत होकर बादल महल बनी। यह जयपुर माधो विलास महल का इतिहास हिन्दी में जयपुर में आयुर्वेद कॉलेज पहले महाराजा संस्कृत कॉलेज का ही अंग था। रियासती जमाने में ही सवाई मानसिंह मेडीकल कॉलेज 1 2 Next » भारत के पर्यटन स्थल जयपुर के दर्शनीय स्थलजयपुर पर्यटनजयपुर पर्यटन स्थलराजस्थान पर्यटन