जगम्मनपुर का किला – जगम्मनपुर का इतिहास Naeem Ahmad, August 23, 2022March 10, 2023 उत्तर प्रदेश राज्य के जालौन जिले में यमुना के दक्षिणी किनारे से लगभग 4 किलोमीटर दूर बसे जगम्मनपुर ग्राम में यह किला स्थित है जोकि जगम्मनपुर का किला के नाम से जाना जाती है। जगम्मनपुर का इतिहास देखें तो पता चलता है कि यह किला राजा जगम्मनशाह द्वारा 1593 ई० में उस समय बनवाया गया था जब उनका कनार स्थित किला ध्वस्त हो गया था। यहाँ कनार से उत्तर पूर्व की ओर लगभग 3 किलोमीटर दूर पर आकर उन्होंने अपने नाम से जगम्मनपुर ग्राम को बसाया एवं अपने रहने के लिए एक किले का निर्माण कराया था। महाराजा कर्णदेव जोकि सन 936 ई० में हुए थे से प्रारंभ होकर आगे बढ़ते है और उसी क्रम के 29 वें महाराज जगम्मन शाह हुए। महाराज जगम्मन शाह के पश्चात जगम्मनपुर राज्य का दायित्व महाराज उदित शाह के ऊपर आया। तत्पश्चात महाराजा मानशाह तत्पश्चात महाराज भीमशाह तत्पश्चात महाराजा प्रतापशाह तत्पश्चात महाराजा सुमेरशाह, तत्पश्चात महाराजा रत्नशाह तत्पशचात महाराज बख्तशाह तत्पश्चात महाराजा महीपतशाह तत्पश्चात् महाराजा रूपशाह तत्पश्चात् महाराजा लोकेन्द्रशाह और सन 1919 में महाराजा वीरेन्द्रशाह एवं वर्तमान में उनके पुत्र महाराजा राजेन्द्र शाह हैं। ये सेंगर क्षत्रिय चन्द्रवंशी हैं। इनका गोत्र-गोतम, प्रवर तीन गौतम, वशिष्ठ , बा्स्पत्य, वेद-यजुर्वेद, शाखा-वाजसनेही, मूत्र-पारस्कर ग्रहसूत्र, कुलदेवी- विन्ध्य-वासिनी, ध्वजा-लाल, नदी-सेंगर, गुरू-विस्वामित्र, ऋषि-शृंगी। ये लोग विजयादशमी को कटारपूजन करते हैं। Contents1 जगम्मनपुर का इतिहास2 जगम्मनपुर का किला3 हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:—- जगम्मनपुर का इतिहास कर्ण के पुत्र विकर्ण ने गंगा यमुना के दक्षिण गंगासागर से चम्बल नदी तक के प्रदेश पर अपना अधिकार जमाया और उनके वंशजों की शातकर्णि सज्ञा हुयी। क्रमश इस शतकीर्ण शब्द का अपभ्रृंश लोंकभाषा में पहले सातकर्णि फिर सेगणी और फिर सेंगर या सैंगर हो गया। मध्यकाल में मुगल सम्राट बाबर ने कनार को विध्वंश किया तब कनार के तत्कालीन (विशोकदेव से वीसवें ) ने नई राजधानी जगम्मनपुर यमुना से एक कोस हटकर बसाई जो आज तक सत्तावन ग्रामों और कनार के भग्नावशेषों सहित महाराजा कर्ण देव के वंशजों के अधिपत्य में है और जगम्मनपुर के महाराजा अद्यावधि ‘कनार धनी’ कहाते हैं। जगम्मनपुर का किला अकबर के समय में जब रामचरित मानष के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज वृन्दावन से प्रस्थान करके यमुनातट के मार्ग द्वारा चित्रकूट कीओर जा रहे थे तो उन्होंने जगम्मनपुर के तत्कालीन राजा उदोतशाह का आतिथ्य स्वीकार किया था तथा उन्हें एक दक्षिणावर्ती शंख, एक एकमुखी रुद्राक्ष और एक सालिगराम शिला प्रदान की थी। सन 1134 में जगम्मनपुर के राजा वत्सराज सेंगर थे। इस सेंगर वंश का प्रारभ शृंगी ऋषि एवं अयोध्या के महाराज दशरथ की भतीजी से माना जाता है। इस वंशावली के एक राजा विशोकदेव ने कन्नौज के राजा जयचन्द्र की पुत्री से विवाह करके दहेज में एक बहुत बड़ा राज्य क्षेत्र प्राप्त किया तब वे कनार कहलाये और सन 1100 ई० में अपना राज्य स्थापित किया। जगम्मनपुर का किला यह सम्पूर्ण किला खाई सहित लगभग सात एकड़ क्षेत्र पर स्थित है।जिसके चारों ओर 100 फुट चौड़ी तथा 50 फुट गहरी खाई है जो कि इसकी सुरक्षा का कवच बना हुआ है। यह किला पहले पूर्वाभिमुख था परन्तु वर्तमान में उत्तराभिमुख है। पूर्व की ओर यह किला आधार तल के ऊपर तीन मंजिला तक बना हुआ है तथा आधारतल के नीचे भूमि तल है। जगम्मनपुर किले के परकोटे पर चारों ओर चार गुम्बद बनें हुए हैं।परकोटे के दक्षिणी दीवार के मध्य में एक पाँचवाँ गुम्बद बना हुआ है जो कि यह प्रदर्शित करता है कि दक्षिणी द्वार को आक्रान्ताओं के आक्रमण से विशेष रूप से सम्भाला गया था एवं दुश्मनों को अच्छा सबक सिखाया जा सकता था। इसके परकोटे में विभिन्न स्थानों में मारें भी बनी हुई हैं। इस प्रकार से सुरक्षा एवं युद्ध की दृष्टि से जगम्मनपुर का किला एक ऐसा किला है जो कि अभेद प्रतीत होता है। इसका पूर्वी द्वार विशाल मेहराबदार है इसके ऊपर बालकनी नुमा कोविल बनी हुई है। कोबिल के आसपास ईट चूना प्लास्टर से मूर्तियों का भी निर्माण किया गया था। मुख्य दरबाजे के दोनों पल्ले लकड़ी के बने हुए है जिन पर पीतल चढ़ा हुआ था । ऊपर हाँथी से सुरक्षा लिए सूजे इत्यादि लगे हुए हैं मुख्य दरबाजे के दोनों ओर एक बडी सुरक्षा भित्ती है। जगम्मनपुर किले के प्रथम तल में भी मुख्य दरवाजे के दोनों ओर क्रमवार कक्षों का निर्माण हुआ है और यही स्थिति द्वितीय व तृतीय तल में भी है। पूरा किलाबाहर से देखने में अत्यन्त सुन्दर तथा समानुपातिक है। यह किला वनक्षेत्र में स्थित होने के कारण वन दुर्ग की श्रेणी में आता है। राजा रूपशाह जब बनारस में पढ़ते थे वहीं से वह इस किले को महल का स्वरूप प्रदान करने के लिए एक नक्शा बनवा लाये और इसी के आधार पर इस किले को महल का स्वरूप उन्हीं के समय में प्रदान किया गया। यह किला पतली ईटों से बना है तथा गारे, चूने की जुड़ाई है और बाहर भी पुच्दर बेलपत्तियों का अलंकरण है तथा कुछ स्थान पर बेलबूटों का चित्रण भी है। जगम्मनपुर के किले द्वारा कलाकारों को खूब संरक्षण प्रदान किया गया तब से आजतक चित्रकला के विभिन्न नमूने यहाँ पर देखने को मिलते हैं। हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:—- चौरासी गुंबद कालपी – चौरासी गुंबद का इतिहास चौरासी गुंबद यह नाम एक ऐतिहासिक इमारत का है। यह भव्य भवन उत्तर प्रदेश राज्य के जालौन जिले में यमुना नदी श्री दरवाजा कालपी – श्री दरवाजे का इतिहास भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के जालौन जिले में कालपी एक ऐतिहासिक नगर है, कालपी स्थित बड़े बाजार की पूर्वी सीमा रंग महल कहा स्थित है – बीरबल का रंगमहल उत्तर प्रदेश राज्य के जालौन जिले के कालपी नगर के मिर्जामण्डी स्थित मुहल्ले में यह रंग महल बना हुआ है। जो गोपालपुरा का किला जालौन – गोपालपुरा का इतिहास गोपालपुरा जागीर की अतुलनीय पुरातात्विक धरोहर गोपालपुरा का किला अपने तमाम गौरवमयी अतीत को अपने आंचल में संजोये, वर्तमान जालौन जनपद रामपुरा का किला और रामपुरा का इतिहास जालौन जिला मुख्यालय से रामपुरा का किला 36 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। 46 गांवों की जागीर का मुख्य तालबहेट का किला किसने बनवाया – तालबहेट फोर्ट हिस्ट्री इन हिन्दी तालबहेट का किला ललितपुर जनपद मे है। यह स्थान झाँसी - सागर मार्ग पर स्थित है तथा झांसी से 34 मील कुलपहाड़ का किला – कुलपहाड़ का इतिहास इन हिन्दी कुलपहाड़ सेनापति महल कुलपहाड़ भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के महोबा ज़िले में स्थित एक शहर है। यह बुंदेलखंड क्षेत्र का एक ऐतिहासिक पथरीगढ़ का किला किसने बनवाया – पाथर कछार का किला का इतिहास इन हिन्दी पथरीगढ़ का किला चन्देलकालीन दुर्ग है यह दुर्ग फतहगंज से कुछ दूरी पर सतना जनपद में स्थित है इस दुर्ग के धमौनी का किला किसने बनवाया – धमौनी का युद्ध कब हुआ और उसका इतिहास विशाल धमौनी का किला मध्य प्रदेश के सागर जिले में स्थित है। यह 52 गढ़ों में से 29वां था। इस क्षेत्र बिजावर का किला किसने बनवाया – बिजावर का इतिहास इन हिन्दी बिजावर भारत के मध्यप्रदेश राज्य के छतरपुर जिले में स्थित एक गांव है। यह गांव एक ऐतिहासिक गांव है। बिजावर का बटियागढ़ का किला किसने बनवाया – बटियागढ़ का इतिहास इन हिन्दी बटियागढ़ का किला तुर्कों के युग में महत्वपूर्ण स्थान रखता था। यह किला छतरपुर से दमोह और जबलपुर जाने वाले मार्ग राजनगर का किला किसने बनवाया – राजनगर मध्यप्रदेश का इतिहास इन हिन्दी राजनगर मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में खुजराहों के विश्व धरोहर स्थल से केवल 3 किमी उत्तर में एक छोटा सा पन्ना का इतिहास – पन्ना का किला – पन्ना के दर्शनीय स्थलों की जानकारी हिन्दी में पन्ना का किला भी भारतीय मध्यकालीन किलों की श्रेणी में आता है। महाराजा छत्रसाल ने विक्रमी संवत् 1738 में पन्ना सिंगौरगढ़ का किला किसने बनवाया – सिंगौरगढ़ का इतिहास इन हिन्दी मध्य भारत में मध्य प्रदेश राज्य के दमोह जिले में सिंगौरगढ़ का किला स्थित हैं, यह किला गढ़ा साम्राज्य का छतरपुर का किला हिस्ट्री इन हिन्दी – छतरपुर का इतिहास की जानकारी हिन्दी में छतरपुर का किला मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में अठारहवीं शताब्दी का किला है। यह किला पहाड़ी की चोटी पर चंदेरी का किला किसने बनवाया – चंदेरी का इतिहास इन हिन्दी व दर्शनीय स्थल भारत के मध्य प्रदेश राज्य के अशोकनगर जिले के चंदेरी में स्थित चंदेरी का किला शिवपुरी से 127 किमी और ललितपुर ग्वालियर का किला हिस्ट्री इन हिन्दी – ग्वालियर का इतिहास व दर्शनीय स्थल ग्वालियर का किला उत्तर प्रदेश के ग्वालियर में स्थित है। इस किले का अस्तित्व गुप्त साम्राज्य में भी था। दुर्ग बड़ौनी का किला किसने बनवाया – बड़ौनी का इतिहास व दर्शनीय स्थल बड़ौनी का किला,यह स्थान छोटी बड़ौनी के नाम जाना जाता है जो दतिया से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर है। दतिया का इतिहास – दतिया महल या दतिया का किला किसने बनवाया था दतिया जनपद मध्य प्रदेश का एक सुप्रसिद्ध ऐतिहासिक जिला है इसकी सीमाए उत्तर प्रदेश के झांसी जनपद से मिलती है। यहां कालपी का इतिहास – कालपी का किला – चौरासी खंभा हिस्ट्री इन हिंदी कालपी का किला ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अति प्राचीन स्थल है। यह झाँसी कानपुर मार्ग पर स्थित है उरई उरई का किला किसने बनवाया – माहिल तालाब का इतिहास इन हिन्दी उत्तर प्रदेश के जालौन जनपद मे स्थित उरई नगर अति प्राचीन, धार्मिक एवं ऐतिहासिक महत्व का स्थल है। यह झाँसी कानपुर एरच का किला किसने बनवाया था – एरच के किले का इतिहास हिन्दी में उत्तर प्रदेश के झांसी जनपद में एरच एक छोटा सा कस्बा है। जो बेतवा नदी के तट पर बसा है, या चिरगांव का किला किसने बनवाया – चिरगांव किले का इतिहास का इतिहास चिरगाँव झाँसी जनपद का एक छोटा से कस्बा है। यह झाँसी से 48 मील दूर तथा मोड से 44 मील गढ़कुंडार का किला का इतिहास – गढ़कुंडार का किला किसने बनवाया गढ़कुण्डार का किला मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ जिले में गढ़कुंडार नामक एक छोटे से गांव मे स्थित है। गढ़कुंडार का किला बीच बरूआ सागर का किला – बरूआसागर झील का निर्माण किसने और कब करवाया बरूआ सागर झाँसी जनपद का एक छोटा से कस्बा है। यह मानिकपुर झांसी मार्ग पर है। तथा दक्षिण पूर्व दिशा पर मनियागढ़ का किला – मनियागढ़ का किला किसने बनवाया था तथा कहाँ है मनियागढ़ का किला मध्यप्रदेश के छतरपुर जनपद मे स्थित है। सामरिक दृष्टि से इस दुर्ग का विशेष महत्व है। सुप्रसिद्ध ग्रन्थ मंगलगढ़ का किला किसने बनवाया था – मंगलगढ़ का इतिहास हिन्दी में मंगलगढ़ का किला चरखारी के एक पहाड़ी पर बना हुआ है। तथा इसके के आसपास अनेक ऐतिहासिक इमारते है। यह हमीरपुर जैतपुर का किला या बेलाताल का किला या बेलासागर झील हिस्ट्री इन हिन्दी, जैतपुर का किला उत्तर प्रदेश के महोबा हरपालपुर मार्ग पर कुलपहाड से 11 किलोमीटर दूर तथा महोबा से 32 किलोमीटर दूर सिरसागढ़ का किला – बहादुर मलखान सिंह का किला व इतिहास हिन्दी में सिरसागढ़ का किला कहाँ है? सिरसागढ़ का किला महोबा राठ मार्ग पर उरई के पास स्थित है। तथा किसी युग में महोबा का किला – महोबा दुर्ग का इतिहास – आल्हा उदल का महल महोबा का किला महोबा जनपद में एक सुप्रसिद्ध दुर्ग है। यह दुर्ग चन्देल कालीन है इस दुर्ग में कई अभिलेख भी कल्याणगढ़ का किला मानिकपुर चित्रकूट उत्तर प्रदेश, कल्याणगढ़ दुर्ग का इतिहास कल्याणगढ़ का किला, बुंदेलखंड में अनगिनत ऐसे ऐतिहासिक स्थल है। जिन्हें सहेजकर उन्हें पर्यटन की मुख्य धारा से जोडा जा भूरागढ़ का किला – भूरागढ़ दुर्ग का इतिहास – भूरागढ़ जहां लगता है आशिकों का मेला भूरागढ़ का किला बांदा शहर के केन नदी के तट पर स्थित है। पहले यह किला महत्वपूर्ण प्रशासनिक स्थल था। वर्तमान रनगढ़ दुर्ग – रनगढ़ का किला या जल दुर्ग या जलीय दुर्ग के गुप्त मार्ग रनगढ़ दुर्ग ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक दृष्टि से अत्यन्त महत्वपूर्ण प्रतीत होता है। यद्यपि किसी भी ऐतिहासिक ग्रन्थ में इस दुर्ग खत्री पहाड़ विंध्यवासिनी देवी मंदिर तथा शेरपुर सेवड़ा दुर्ग व इतिहास उत्तर प्रदेश राज्य के बांदा जिले में शेरपुर सेवड़ा नामक एक गांव है। यह गांव खत्री पहाड़ के नाम से विख्यात मड़फा दुर्ग के रहस्य – जहां तानसेन और बीरबल ने निवास किया था मड़फा दुर्ग भी एक चन्देल कालीन किला है यह दुर्ग चित्रकूट के समीप चित्रकूट से 30 किलोमीटर की दूरी पर रसिन का किला प्राकृतिक सुंदरता के बीच बिखरे इतिहास के अनमोल मोती रसिन का किला उत्तर प्रदेश के बांदा जिले मे अतर्रा तहसील के रसिन गांव में स्थित है। यह जिला मुख्यालय बांदा अजयगढ़ का किला किसने बनवाया था व उसका इतिहास अजयगढ़ की घाटी का प्राकृतिक सौंदर्य अजयगढ़ का किला महोबा के दक्षिण पूर्व में कालिंजर के दक्षिण पश्चिम में और खुजराहों के उत्तर पूर्व में मध्यप्रदेश कालिंजर का किला – कालिंजर का युद्ध – कालिंजर का इतिहास इन हिन्दी कालिंजर का किला या कालिंजर दुर्ग कहा स्थित है?:--- यह दुर्ग बांदा जिला उत्तर प्रदेश मुख्यालय से 55 किलोमीटर दूर बांदा-सतना ओरछा का किला – ओरछा दर्शनीय स्थल – ओरछा के टॉप 10 पर्यटन स्थल शक्तिशाली बुंदेला राजपूत राजाओं की राजधानी ओरछा शहर के हर हिस्से में लगभग इतिहास का जादू फैला हुआ है। ओरछा भारत के पर्यटन स्थल उत्तर प्रदेश पर्यटनऐतिहासिक धरोहरेंबुंदेलखंड के किले