चुनी गोस्वामी भारतीय फुटबॉल खिलाड़ी – चुनी गोस्वामी बायोग्राफी इन हिन्दी

चुनी गोस्वामी फुटबॉलर

चुनी गोस्वामी का जन्म 15 जनवरी 1938 को किशोरगंज पश्चिम बंगाल में हुआ था। चुनी गोस्वामी एक महान फुकबॉलर है। उनका नाम भारतीय फुटबॉल के इतिहास में बहुत सम्मान के साथ लिया जाता है। उन्होंने 1962 के जकार्ता एशियाई खेलों में उस भारतीय फुटबॉल टीम का नेतृत्व किया था, जिसने पहली बार एशियाई स्तर पर स्वर्ण पदक जीता था।



भारतीय फुटबॉल के स्वर्ण युग में चुनी गोस्वामी भारत की राष्ट्रीय टीम के मुख्य खिलाड़ियों में से रहे है। वे स्ट्राइकर पोजीशन पर खेलते रहे। उनका पूरा नाम सुबिमल गोस्वामी है। जिन्हें फुटबॉल प्रेमी प्यार से चुनी गोस्वामी के नाम से जानते है।

चुनी गोस्वामी का जीवन परिचय



चुनी गोस्वामी के पिता का नाम प्रमोथोनाथ गोस्वामी था। उन्होंने तीर्थोवाटी इंस्टीट्यूट कलकत्ता स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की थी। प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्होंने कलकत्ता स्कूल से कुमार आशुतोष कॉलेज से शिक्षा प्राप्त की। उनके स्कूल के फुटबॉल कोच सिबदास बनर्जी थे, तथा उनके प्रथम फुटबॉल कोच का नाम बलईदास चटर्जी था।



गोस्वामी बाईं ओर के भीतरी भाग तथा दाईं ओर के भीतरी सिरे पर स्ट्राइकर पोजीशन पर खेलते रहे। उन्होंने 1953 में अपना पहला महत्वपूर्ण मैच कलकत्ता लीग के किसी भी क्लब में शामिल होने के पूर्व खेला था। यह मैच रांची में एक प्रदर्शन मैच था, जो उन्होंने आई.एफ.ए इलेवन की ओर से खेला था। 1954 में उन्होंने प्रोफेशनल कैरियर की शुरुआत मोहन बागान जैसे महत्वपूर्ण क्लब के जूनियर खिलाडी के रूप में की। 29 मई 1954 को मोहन बागान तथा ईस्टर्न रेलवे के बीच हुए इस मैच में वे मोहन बागान की ओर से खेले और टीम ने 3-0 से जीत हासिल की।

चुनी गोस्वामी फुटबॉलर
चुनी गोस्वामी फुटबॉलर



भारतीय फुटबॉल की स्थिति 1950 तथा 1960 के दशक में काफी संतोष जनक रही। इस समय टीम ने अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान कायम की। इसका श्रेय गोस्वामी तथा कुछ अन्य कुशल फुटबॉल खिलाडियो को जाता है। तब भारतीय फुटबॉल टीम की स्थिति आज से कहीं बेहतर थी। वे 1955 में पहली बार मोहन बागान की ओर से विदेश दौरे पर गए। 1955 से 1956 के बीच वे इंडोनेशिया, सिंगापुर तथा हांगकांग दौरे पर मोहन बागान की ओर से खेले। उनके 1955 में हुए प्रथम अंतरराष्ट्रीय मैच में मोहन बागान का मुकाबला इंडोनेशिया टीम से था। जिसमें 4-4 से मैच बराबरी पर रहा।


1956 में वे भारत की ओलंपिक टीम के सदस्य रहे और टीम ने चीन की टीम को हराकर 1-0 से मुकाबला जीत लिया। गोस्वामी ने 1957 में आल इंडिया यूनिवर्सिटी फुटबॉल चैम्पियनशिप में हिस्सा लिया, बंगाल टीम के वह कप्तान थे और टीम ने मुम्बई यूनिवर्सिटी टीम को 1-0 से हराकर मुकाबला जीत लिया।


उनके कैरियर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन तब देखने को मिला, जब 1962 में जकार्ता में हुए एशियाई खेलों में भारतीय टीम ने स्वर्ण पदक जीता। उस समय टीम के कप्तान चुनी गोस्वामी थे, और फाइनल में भारत ने कोरिया को 2-1 से हराया था। भारत की ओर से ये गोल जरनैल सिंह तथा प्रदीप कुमार बनर्जी ने किए थे। गोस्वामी को वेटरन्स स्पोर्ट्स क्लब कलकत्ता द्वारा 1958 में बेस्ट फुकबॉलर पुरस्कार दिया गया। इसी साल यानी 1958 के एशियाई खेलों में तथा 1960 के रोम ओलंपिक खेलों में गोस्वामी भारतीय टीम के सदस्य थे। गोस्वामी ने मोहन बागान टीम का 1960 से 1964 तक नेतृत्व किया। उनकी कप्तानी के दौरान टीम ने राष्ट्रीय स्तर पर हुई सभी प्रतियोगिताओं में बेहद अच्छा प्रदर्शन किया और डुरंड कप में भी टीम का प्रदर्शन लाजवाब रहा।


1983 से 1989 तक गोस्वामी टाटा फुटबॉल अकादमी झारखंड राज्य के डारेक्टर रहे। 2005 में वे कोलकाता कारपोरेशन के शेरिफ रहे तथा 2005 में मोहन बागान ने उन्हें रत्न सम्मान प्रदान किया। वर्षों तक भारतीय फुटबॉल को नई ऊचाईयाँ देने वाले गोस्वामी खेल के दौरान स्वयं पर बहतरीन नियंत्रण रखते थे, जो इस खेल में अनिवार्य हैं। उनका खेल में गेंद पर कमाल का नियंत्रण रहता था और उन्हें यह पता रहता था कि अपने साथी खिलाड़ी को कैसे और कब गेंद देनी है। यदि उन्हें फुटबॉल के इतिहास में सर्वकालिक सर्वश्रेष्ठ फुटबॉल खिलाड़ी कहा जाए तो शायद गलत नहीं होगा।

खेल जीवन की महत्वपूर्ण उपलब्धियां



• चुनी गोस्वामी ने जूनियर मोहन बागान क्लब के लिए 1946 से 1954 तक खेला।
• उन्होंने सीनियर मोहन बागान क्लब में 1954 से 1968 तक खेला तथा पांच बार वे मोहन बागान क्लब के कप्तान रहे।
• 17 साल की आयु में बंगाल टीम की ओर से खेला और टीम ने मैसूर को हराकर 1995 में संतोष ट्रॉफी जीती।
• वे 1956 में पहली बार टीम में शामिल हुए और भारतीय टीम का मुकाबला चीन की ओलंपिक टीम से था जिसमे भारतीय टीम 1-0 से जीत गई।
• 1957 में उन्होंने बंगाल टीम की कप्तानी की और ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी फुटबॉल में मुम्बई यूनिवर्सिटी को 1-0 से हराकर मुकाबला जीता।
• 1958 में गोस्वामी को कोलकाता वेटरन्स स्पोर्ट्स क्लब की ओर से बेस्ट फुकबॉलर का अवार्ड दिया गया।
• 1962 मे जकार्ता एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली टीम के कप्तान गोस्वामी थे।
• 1962 में उन्हें बेस्ट स्ट्राइकर ऑफ एशिया चुना गया।
• तेल अवीव एशियाई कप में रजत पदक जीतने वाली भारतीय टीम के वे कप्तान थे।
• 1963 में चुनी गोस्वामी को अर्जुन पुरस्कार दिया गया।
• 1983 में उन्हें पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया गया।
• 1986 से 1989 तक वह झारखंड राज्य के टाटा फुटबॉल अकादमी के डारेक्टर रहे।
• 2005 में वे कोलकाता कारपोरेशन के शेरिफ बने।
• 2005 में मोहन बागान रत्न चुने गए।


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