चित्रकूट धाम वह स्थान है। जहां वनवास के समय श्रीराजी ने निवास किया था। इसलिए चित्रकूट महिमा अपरंपार है। यह सदा से ही तपो भूमि रही है। महर्षि अत्रि का आश्रम यही था। आस पास बहुत से ऋषि- मुनि रहते थे।वहां महर्षियै के कुल रहा करते थे। किसी एक तेजस्वी, तपोधन, शास्त्रज्ञ ऋषि के सहारे आस-पास दूसरे तपस्वी, साधनिष्ट व मुनिगण आश्रम बना लेते थे। तथा सत्संग का आनंद लेते थे।
चित्रकूट में मुनियो का एक प्रकार से एक बडा समाज था, और उसके संचालक थे“महर्षि अत्रि”।वहा की पूरी भूमि उन देवोत्तर पुरूषो की पद-रज से पवित्र है। चित्रकूट भगवान श्रीराम चंद्र जी की नित्य-क्रीडा भूमि है। वे न कभी चित्रकूट छोडते है और न ही अयोध्या। वहा वे नित्य निवास करते है। भगवान के कई भक्त यहा उनका साक्षात्कार कर पाते है। अनेको संत भगवद्भक्तो को इस क्षेत्र में भगवान श्रीराम के दर्शन हुए है। यहां तपस्वी, भगवद्भक्त, विरक्त महापुरूष सदा से रहते है। उनकी परंपरा अविच्छिन्न चलती आई है।
अपने इस लेख में हम इसी पवित्र तीर्थ चित्रकूट धाम की यात्रा करेगें। और चित्रकूट महिमा के साथ साथ चित्रकूट दर्शन, चित्रकूट के मंदिर, चित्रकूट आश्रम, चित्रकूट के दर्शनीय स्थल, चित्रकूट का इतिहास, हिस्ट्री अॉफ चित्रकूट इन हिंदी, चित्रकूट तीर्थ यात्रा, चित्रकूट घाट आदि की सम्पूर्ण जानकारी विस्तारपूर्वक जानेगें।
अपने इस लेख के आरंभ में हम सबसे पहले हम चित्रकूट के बारे में जानते है कि चित्रकूट कहा है? चित्रकूट किस राज्य में है? चित्रकूट किस जिले में है? चित्रकूट कैसे जाएं।
चित्रकूट भारत के राज्य उत्तर प्रदेश का एक जिला है। जिसका जिला मुख्यालय चित्रकूट है। चित्रकूट जिले का क्षेत्रफल 3202 वर्ग किमी में फैला हुआ है। चित्रकूट जिले की सीमा एक ओर भारत के राज्य मध्य प्रदेश से लगती है। तथा तीनन ओर उत्तर प्रदेश राज्य के जिले इलाहाबाद, कौशांबी, फतेहपुर, तथा बांदा जिले से लगती है। चित्रकूट की जनसंख्या 2011 की जनगणना के अनुसार 991730 थी। चित्रकूट एक वनसंपदा और खेती प्रधान जिला है। चित्रकूट जिले के प्रमुख नगर कर्वी से लगभग 8 किलोमीटर की दूरी पर चित्रकूट धाम स्थित है। हांलाकि मनिकपुर झांसी रेलवे लाइन पर चित्रकूट और कर्वी स्टेशन है। चित्रकूट स्टेशन से चित्रकूट धाम तक का मार्ग अच्छा नही है। इसलिए कर्वी स्टेशन पर उतरना यात्रियो के लिए सुविधाजनक रहता है। कर्वी से चित्रकूट धाम के लिए बस व तांगे आसानी से मिल जाते है।
प्रिय पाठको अपनी चित्रकूट यात्रा का शुभारंभ करने से पहले हम चित्रकूट का माहात्मय या चित्रकूट की महिमा के बारे में जान लेते है।
चित्रकूट धाम के सुंदर दृश्यचित्रकूट धाम का माहात्मय
रामायण में गोस्वामी तुलसीदास ने लिखा है कि- “कलियुग ने समस्त संसार पर अपना जाल बिछा दिया, परंतु प्रभु की कृपा से चित्रकट उससे मुक्त है”। उनके इस कथन से महर्षि वाल्मीकि के ये वचन भी प्रमाण है– “मनुष्य जब तक चित्रकूट के शिखरो का अवलोकन करता रहता है, जब तक वह कल्याण मार्ग पर चलता रहता है, तथा उनका मन, मोह-अविवेक में नही फंसता”
2 मील दूर भीमकुंड है, जिसके बारे में कहा जाता है कि परिक्षित को राज्य देकर पांडव इसी मार्ग से हिमालय गए थे। यहा बैजू नाम के एक भक्त हो गए है, पहले बैजू की पूजा करके तब पांडेश्वर की पूजा होती है। यहां शिवरात्रि के अवसर पर मेला भी लगता है।
चित्रकूट दर्शन – चित्रकूट के दर्शनीय स्थल
चित्रकूट धाम दर्शन के अंतर्गत सबसे पहले हम चित्रकूट चारो धाम, चित्रकूट परिक्रमा, कादमगिरी की परिक्रमा, चित्रकूट तीर्थ यात्रा कैसे करे, चित्रकूट तीर्थ यात्रा का धार्मिक व सही तरीका क्या है आदि के बारे में जानते है।
चित्रकूट में कामदगिरि की परिक्रमा तथा देव दर्शन ही मुख्य है। चित्रकूट के संपूर्ण तीर्थो के दर्शन 5 दिन में सुगमता से हो जाते है। जिस का क्रम इस प्रकार है–
पहले दिन:– सीतापुर में राघव प्रयाग में स्नान, कामदगिरि की परिक्रमा तथा वहा के और सीतापुर के मंदिरो के दर्शन, यह मार्ग लगभग 11 किलोमीटर है।
दूसरे दिन:– राघव प्रयाग में स्नान करके कोटितीर्थ, सीतारसोई, हनुमानधारा होकर सीतापुर लौट आए, यह मार्ग लगभग 20 किलोमीटर है।
तीसरे दिन:– राघव प्याग में स्नान करके केशवगढ़, प्रमोदवन, जानकीकुंड,सिरसा वन, स्फटिकशिला तथा अनसूया होते हुए बाबूपुर में रहें। यह मार्ग लगभग 16 किलोमीटर है।
चौथे दिन:– बाबूपुर से गुप्तगोदावरी जाकर स्नान करें और कैलाश पर्वत का दर्शन करके चौबेपुर में विश्राम करे। यह मार्ग लगभग 16 किलोमीटर है।
पांचवेंं दिन:– चौबेपुर से भरतकूप जाकर स्नान करें और राम शैया होकर सीतापुर लौंटे। यह मार्ग लगभग 16 किलोमीटर है।
चित्रकूट के प्रमुख दर्शनीय स्थल
सीतापुर
यह छोटा सा कस्बा है। यह पयोष्णी के किनारे है। सीतापुर का पुराना नाम जैसिंहपुर था। यही चित्रकूट की मुख्य बस्ती है। यहा पयस्विनी पर चौबीस पक्के घाट है। जिनमें चार घाट मुख्य है जो इस प्रकार है:–
1- राघवप्रयाग घाट
2- कैलाश घाट
3- रामघाट
4- घृतकुल्वा घाट
गोस्वामी तुलसीदिस का निवास स्थान
गोस्वामी तुलसीदास के निवास के 2 स्थान चित्रकूट में है। पहला स्थान रामघाट के पास गली में है, और दूसरा निवास स्थान कामतानाथ ( कामदगिरि) की परिक्रमा में चरण-पादुका के पास स्थित है।
रामघाट
रामघाट के ऊपर यज्ञ वेदी है, कहते है कि यहां ब्रह्मा जी ने यज्ञ किया था। इसी मंदिर के जगमोहन में उत्तर की ओर पर्णकुटी का स्थान है। जहां पर भगवान श्रीराम वनवास के समय निवास करते थे।रामघाट
राघवप्रयाग घाट
राघवप्रयाग यहा का मुख्यघाट है। यहा पयस्विनी में धनुषाकार बहता एक नाला है, जिसको लोग मंदाकिनी कहते है। यह गर्मी के मौसम में सूख जाता है। कहते है कि भगवान श्रीराम ने इसी घाट पर स्वर्गीय महाराज दशरथ को तिलांजलि दी थी। इस घाट के ऊपर मतगजेन्द्रेश्वर का मंदिर है।
चित्रकूट धाम के सुंदर दृश्यकामतनाथ (कामदगिरि)
सीतापुर से डेढ़ मील दूर कामतानाथ या कामदगिरि नाम की एक पहाडी है। यह अत्यंत पवित्र मानी जाती है। इस पर ऊपर नही चढ़ा जाता। इसी की परिक्रमा की जाती है। परिक्रमा तीन मील की है, परिक्रमा का पूरा मार्ग पक्का है। परिक्रमा में पहला स्थान मुखारविंद है, जो अत्यंत पवित्र माना जाता है। इसके बाद कई छोटे बडे मंदिर परिक्रमा मार्ग में मिलते है।
चरणचिन्ह
चित्रकूट धाम में कई स्थानो पर चरण चिन्ह मिलते है, जिनमें से तीन प्रमुख माने जाते है जो इस प्रकार है:–
1- चरण पादुका
2- जानकी कुंड
3- स्फटिकशिला
लक्ष्मण पहाड़ी
चरण पादुका के पास ही लक्ष्मण पहाड़ी है। इस पर लक्ष्मण जी का मंदिर है। ऊपर मंदिर तक जाने के लिए लगभग 150 सीढ़िया चढ़नी पडती है। इस स्थान के बारे में कहा जाता है कि यह स्थान लक्ष्मण जी को प्रीय था। वे रात में यही बैठकर पहरा दिया करते थे।
सीतारसोई और हनुमान धारा
चित्रकूट से पूर्व संकर्घण पर्वत है। इसी पर कोटि तीर्थ है। कोटि तीर्थ के समीप जाकर ऊपर चढने पर चढाई कम पडती हैं। कुछ उतरने पर हनुमान धारा हैं। यहाँ से एक पतली धारा हनुमानजी के आगे कुंड मैं गिरती है। हनुमान धारा से 100 सीढी ऊपर सीता रसोई हैं।
जानकी कुंड
पयस्विनी नदी के किनारे बाएं तट से जाने पर पहले प्रमोद वन मिलता है। इसके चारों ओर पक्की तथा कोठियां बनीं हुई हैं। बीच मैं दो मंदिर है। प्रमोद वन से आगे पयस्विनी तट पर जानकी कुंड हैं। नदी के तट पर यहाँ बहुत से चरण चिन्ह है। कहते है कि श्री जानकी जी यहाँ प्रायः स्नान किया करती थी।
स्फटिक शिला
जानकी कुंड से डेढ़ मील पर स्फटिक शिला स्थान है। यहीँ इंद्र के पुत्र जयंत ने कौएं का रूप धारण करके श्री सीताजी को चोंच मारी थी। अब यहाँ दो शिलाएँ हैं। जो पयस्विनी के तट पर है। इनमें बडी शिला पर श्रीराम जी के चरण चिन्ह है।
अनसूया धाम (अत्रि आश्रम)
स्फटिक शिला से लगभग 5 मील और सीतापुर से लगभग 8 मील दूर दक्षिण की ओर पहाड़ी पर अनसूया धाम तथा अत्रि आश्रम स्थित हैं। यहाँ अत्रि-अनसूया, दत्तात्रेय, दुर्वासा, और चंद्रमा की मूर्ति हैं। पास ही दूसरी पहाड़ी पर हनुमानजी की मूर्तियां है। यह स्थान घने जंगलों के बीच मैं हैं। यहाँ प्रायः जंगली पशु आते है। यात्री यहाँ दर्शन करके या तो सीतापुर लौट जाते है। या फिर चार मुल दूर बाबूपुर गाँव चले जाते है। यह गाँव गुप्तगोदावरी के मार्ग मे है।
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गुप्त गोदावरी
अनसूयाजी धाम से 6 मील की दूरी पर गुप्त गोदावरी हैं। यहाँ एक अंधेरी गुफा में 15-16 गज भीतर सीताकुंड हैं। इसमें झरने का जल सदा गिरता रहता हैं। इस कुंड की गहराई कम हैं। गुफा के अंदर अंधेरा होने के कारण दीपक लेकर जाना पड़ता हैं।
भरतकूप
भरतकूप चित्रकूट से चआर मील की दूरी पर हैं। श्रीराम राज्याभिषेक के लिए समस्त तीर्थों का जल भरतजी यहीं से ले गए थे। भरतकूप से थोडी ही दूरी पर भरतजी का मंदिर भी है। जो चित्रकूट धाम की यात्रा मे विषेश रूप से दर्शनीय है।
राम शैया
भरतकूप से सीतापुर लौटते समय यह स्थान मिलता हैं। यहाँ एक शिला पर दो व्यक्तियों के लेटने के चिन्ह हैं। इसके बारे मैं कहते हैं कि राम-सीता ने यहाँ एक रात्रि विश्राम किया था। मर्यादा पुरुषोत्तम ने अपने और जानकी के मध्य मैं पार्थक्य के लिए धनुष रख लिया था।
बाल्मीकि आश्रम
भगवान श्रीराम जब प्रयाग से चित्रकूट की ओर चले थे। तब मार्ग मैं महर्षि वाल्मीकि के आश्रम पर पहुंचे थे। महर्षि ने ही श्रीराम को चित्रकूट में निवास करने को कहा था। चित्रकूट के आस-पास महर्षि वाल्मीकि के दो स्थान बताए जाते है। देश मैं तो कई स्थान बताए जाते है।
चित्रकूट मे कहाँ ठहरे
चित्रकूट धाम मैं कई अच्छी धर्मशालाएं हैं। तीर्थ यात्री यहाँ मंदिरों और मठो मे भी ठहर सकते है। इसके अलावा यहा अच्छे होटल भी है। यहा की कुछ अच्छी धर्मशालाओं की सूची इस प्रकार है:–
1- श्री मनुलाल की धर्मशाला, रेलवेस्टेशन के सामने, बांदा
2- जैन धर्मशाला, चोटी बाजार।
3- श्री भैरोप्रसाद बद्रीदास अग्रवाल की धर्मशाला, करवी स्टेशन के पास
4- श्री साधुराम तुला की धर्मशाला, सीतापुर बाजार ।
5- सेठ गोवर्धन दास तुमसर वाले की धर्मशाला, रामघाट
6- भाई रामप्रसाद अग्रवाल धर्मशाला, करवी।
7- श्रीराम धर्मशाला, सीतापुर।
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