चित्तौडगढ का किला – चित्तौडगढ दुर्ग भारत का सबसे बडा किला Naeem Ahmad, February 12, 2018February 26, 2023 इतिहास में वीरो की भूमि चित्तौडगढ का अपना विशेष महत्व है। उदयपुर से 112 किलोमीटर दूर चित्तौडगढ एक ऐतिहासिक व दर्शनीय स्थान है। चित्तौडगढ का किला अपनी वैभवता और विशालता के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है। अपनी विशालता के कारण ही भारत में स्थित सभी किलो में क्षेत्रफल की दृष्टि से यह भारत देश का सबसे बडा किला माना जाता है। इसकी विशालता, वैभवता और प्रसिद्धि से प्रभावित होकर देश और दुनिया के कोने कोने से लाखो पर्यटक प्रतिवर्ष इस खुबसूरत व ऐतिहासिक इमारत को देखने के लिए आते है। यह “चित्तौडगढ का किला” बेडच और गंभीरी नदियो के संगम के पास लगभग 500 फुट ऊंचे एक भीमकाय पहाड पर स्थित है। यह विशाल किला 5 किलोमीटर लंबे तथा 1 किलोमीटर चौडे क्षेत्रफल में फैला हुआ है। जिसमे 7 प्रवेशद्वार है। यह किला समुंद्रतल से लगभग 1850 फुट कि ऊंचाई पर स्थित है। चित्तौडगढ का किला के सुंदर दृश्य इस भव्य व विशाल दुर्ग में भामा जैसे देशभक्त और कर्मवती जैसी बहनो की गौरव गाथाएं आज भी गूंजती है। इस किले के अंदर अनेक प्राकृतिक झीले, झरने, कुंड, अनेक महल व स्तम्भ है। चित्तौडगढ का किला बाहर से दूर से देखने पर एक ऐसा लगता है कि एक पहाड एक सुंदर महल है। परंतु इस भव्य किले में प्रवेश करने पर ऐसा लगता है कि एक चारदीवारी के भीतर कोई नगर बसा हो। तभी तो इसके बारे में कहा जाता है कि चित्तौडगढ का किला देखना कोई आसान बात नही है। यह किला एक शहर जैसा है। इस किले का इतिहास बहुत प्राचीन है। समय के साथ साथ बदलते शासको ने यहा अपने अपने शासन में अनेक निर्माण कराए। इसलिए आपको यहा विभिन्न स्थापत्य कलाओ के नमूने भी आपको देखने को मिलेगें चित्तौडगढ का किला और चित्तौगढ के दर्शनीय स्थल तुलजा भवानी का मंदिर किले पर पहुंचने पर राम पोल के भीतर से एक सडक मार्ग दक्षिण दिशा की ओर जाता है। तुलजा भवानी का मंदिर इसी मार्ग पर स्थित है। इस भव्य मंदिर का निर्माण दासी पुत्र बनवीर ने करवाया था। बनवीर मां भवानी का उपासक था। उसने इस मंदिर का निर्माण अपने वजन के बराबर सोना तुलवाकर (तुला दान) करवाया था। इसी कारण इसे तुलजा भवानी मंदिर कहते है। नौलखा भंडार यहा से कुछ आगे एक गढनुमा इमारत नौलखा भंडार के नाम से जानी जाती है। इस इमारत में मेहराबी छत वाले कमरे है। कहा जाता है कि इसे राणा बनवीर ने भीतरी किला बनाने के विचार से एक विशाल बुर्ज सहित बनवाया था। इसी के निकट तोपखाना है, जहा कई तरह की छोटी बडी तोपो का संग्रह है। चित्तौडगढ का किला के सुंदर दृश्य श्रृंगार चंवरी यह एक मंदिर है जो नौलखा भंडार के पास स्थित है। यह मंदिर जैन एवं राजपूत स्थापत्य कला का बेजोड नमूना है। मंदिर के बीच में एक छोटी वेदी पर चार खंभो वाली छतरी बनी हुई है। ऐसा माना जाता है कि यह महाराणा कुंभा की राजकुमारी के विवाह की चंवरी है। अर्थात पाणिग्रहण संस्कार स्थल, इसलिए यह श्रृंगार चंवरी के नाम से जाना जाता है। महाराणा कुंभा का महल नौलखा भंडार के पास स्थित 13 वी शताब्दी में बना यह प्राचीन महल वर्तमान में भग्नावस्था में है। यह महल भारतीय भारतीय स्थापत्य कला का उत्कृष्ट नमूना है। महाराणा कुंभा द्वारा इस महल का जीर्णोद्वार करवाने एवं नए भवनो का निर्माण करवाने की वजह से इसे कुंभा महल कहा जाता है।इस महल के अहाते में बने जनाना महल, दीवान-ए-आम, सूरज गोखडा, मीराबाई महल, शिव मंदिर आदि विशेष रूप से दर्शनीय है। कहा जाता है कि रानी पद्मिनी का जौहर इसी स्थान पर हुआ था। फतह प्रकाश महल कुंभा महल के प्रमुख द्वार बडी पोल से बाहर निकलते ही यह महल स्थित है। जैसा की नाम से ही प्रतीत होता है। इस महल का निर्माण उदयपुर के महाराणा फतह सिंह ने करवाया था। अब वर्तमान समय में यहा एक संग्रहालय संचालित है।जिसमे पुरातन समय की कुछ चीजें संग्रहित करके रखी गई है। लेकिन अंधिकांश वस्तुएं यहा से अन्य संग्रहालयो में भिजवा देने के कारण यहा ज्यादा वस्तुए नही है। इसलिए इसे भीतर से देखने की बजाए बाहर से ही देखना उचीत रहता है। यदि आपकी इच्छा हो तो अंदर जाकर भी देख सकते है। ताकि मन में शंका न रहें की अंदर क्या था। जैन मंदिरचित्तौडगढ का किला के भीतर 11 वी शताब्दी में निर्मित यह मंदिर फतह प्रकाश महल के दक्षिण-पश्चिम में स्थित है। इस मंदिर में 27 देवरिया है। जिसकी वजह से इसे सतबीस देवरी के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर के अंदर की गुम्बदनुमा छत व खंभो पर की गई खुदाई दिलवाडा जैन मंदिर ( माउंट आबू) से मेल खाती है। विजय स्तंभचित्तौडगढ का किला और उसके ऐतिहासिक युद्ध का गवाह इस भव्य विजय स्तंभ का निर्माण महाराणा कुंभा ने मालवा के सुल्तान महमूद खिलजी व गुजरात के सुल्तान कुतुबुद्दीन की संयुक्त सेना पर विजय प्राप्त करने की स्मृति में बनवाया था। नौ मंजिला यह इमारत भारतीय स्थापत्य कला की बारीक एवं सुंदर कारीगरी का बेजोड नमूना है। इसमे ऊपर तक जाने के लिए 57 सीढियां है। इस स्तंभ के आंतरिक व बाहरी भागो पर भारतीय देवी देवताओ, महाभारत और रामायण के सैकडो किरदारो की सुंदर मूर्तिया नक्काशी द्वारा उकेरी गई है। इसके साथ ही इस विजय स्तंभ पर भारतीय जन जीवन से संबंधित झांकियो का भी सुंदर अंकन किया गया है। समिद्वेश्वर महादेव का मंदिरयह मंदिर विजय स्तंभ के पास ही स्थित है। इसके भीतरी तथा बाहरी भागो पर खुदाई का कार्य बहुत ही सुंदर व काबिले तारिफ है। इसका निर्माण मालवा के सुप्रसिद्ध विद्यानुरागी परमार राजा भोज ने करवाया था। मंदिर के गर्भगृह के नीचे के भाग में शिवलिंग और पीछे की दीवार में भगवान शिव की विशाल मूर्ति बनी हुई है। इस मंदिर को त्रिभुवन नारायण और भोज जगती के नामो से भी जाना जाता है। गोमुख कुंडयह चित्तौडगढ का किला का पवित्र तीर्थ माना जाता है। यहा दो दालानो में तीन जगह गोमुखो से शिवलिंग पर जल गिरता है। यहा से एक सुरंग कुंभा महल को जाती है। लेकिन सुरक्षा की दृष्टि से पर्यटको के लिए यह सुरंग बंद है। राजस्थान पर्यटन के हमारे यह लेख भी पढे—-हवा महल का इतिहासजल महल जयपुरमाउंट आबू के दर्शनीय स्थलसिटी प्लैस जयपुररानी पद्मिनी महल चित्तौडगढ का किला रानी पद्मिनी के नाम से भी इतिहास में सुर्खियो में रहता है। इसी विशाल चित्तौडगढ दुर्ग के अंदर दक्षिण की तरफ एक जलाशय के किनारे रावल रतन सिंह की रानी पद्मिनी का महल है। इसी महल के पास एक अन्य महल पानी भीतर बना हुआ है। जिसे जनाना महल कहते है।कहते है कि इसी महल में अलाउद्दीन खिलजी ने रानी पद्मिनी का विशाल प्रतिबिम्ब दर्पण के माध्यम से देखा था। इस महल में लगे कुछ विशेष किस्म के गुलाब विशेष रूप से पर्यटको को आकर्षित करते है। चित्तौडगढ का किला के सुंदर दृश्य किर्ति स्तंभ लगभग 75 फुट ऊंची और सात मंजिला इस इमारत का निर्माण 12 वी शताब्दी में दिगंबर जैन संप्रदाआय के बघेरवाल महाजन सानाम के पुत्र जीजा ने करवाया था। इस स्थल के ऊपर जाने के लिए कुल 54 सीढिया है। लेकिन वर्तमान में यह पर्यटको के लिए बाहर से ही देखने के लिए है। चलफिर शाह की दरगाहशहर के बीच गोल प्याऊ चौराहे के निकट बनी यह दरगाह लगभग 70 साल पुरानी है। इस दरगाह का प्रवेशद्वार संगमरमर द्वारा निर्मित है। यहा हर साल चलफिर शाह बाबा का उर्स मनाया जाता है। चित्तौडगढ का किला शीर्षक पर आपको हमारा यह लेख कैसा लगा आप हमे कमेंट करके बता सकते है। आप यह जानकारी सोशल मीडिया के माध्यम से अपने दोस्तो के साथ भी शेयर कर सकते है। यदि आप हमारे नए लेख की सुचना पाना चाहते है तो आप हमारे बलॉग को सब्सक्राइब भी कर सकते है। Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like this:Like Loading... भारत के पर्यटन स्थल ऐतिहासिक धरोहरेंराजस्थान पर्यटन