चरण कंवल साहिब माछीवाड़ा – Gurudwara Charan Kanwal Sahib
Naeem Ahmad
गुरूद्वारा चरण कंवल साहिब लुधियाना जिले की माछीवाड़ा तहसील में समराला नामक स्थान पर स्थित है। जो लुधियाना शहर से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर है। माछीवाड़ा बस स्टैंड से गुरूद्वारा चरण कंवल साहिब मात्र 500 मीटर की दूरी पर स्थित है। यह सिखों का पवित्र और ऐतिहासिक स्थान है। जहाँ हजारों की संख्या में श्रद्धालु मथ्था टेकने आते है।
गुरूद्वारा चरण कंवल साहिब माछीवाड़ा का स्थान वो पवित्र स्थान है। जहाँ सिख धर्म के दसवें गुरू, श्री गुरू गोबिंद सिंह जी महाराज चमकौर के ऐतिहासिक युद्ध के समय अपने दोनो पुत्रों और कुछ सिखों की शहादत के बाद पांच प्यारो के हुक्मों को मानते हुए, चमकौर की किले को छोड़कर कांटेदार झाड़ियों, उजाड़ वनों का सफर करते हुए माछीवाड़ा के जंगल मे पहुंचे थे। गुरू साहिब के पावन चरण कमल लहुलुहान थे, पर आप परमात्मा को याद करते हुए शबद बोल रहे थे- मितर प्यारे नूं हाल मुरीद दा कहना।
वहां से वह मेकवारा गाव के जंगलों में आये। गुरू साहिब कुएं के पास पहुंचे। उन्होंने उस कुएं से पानी पिया और फिर रात को बिताने के लिए झाड के पेड़ के नीचे कुएँ से पानी निकालने वाले बर्तन का तकिया बनाकर इस्तेमाल किया। वह पुराना झाड का पेड़ अभी भी मौजूद है।
गुरूद्वारा चरण कंवल साहिब माछीवाड़ा के सुंदर दृश्य
इस स्थान पर ही भाई दया सिंह जी, भाई धर्म सिंह जी तथा भाई मान सिंह जी जो चमकौर की गढ़ी से चलते समय बिछड़ गये थे, यहां आकर आन मिले थे। गुरू घर के श्रदावान भाई गुलाब चंद मसंद को जब गुरू देव के आने का पता चला तो आप आदर सत्कार के साथ गुरू जी को अपने घर ले आये,
घोड़ों के सौदागर भाई गनी खां और भाई नबी खां भी माछीवाड़ा के रहने वाले थे। जिन्होंने बडी श्रद्धा के साथ गुरू गोबिंद सिंह जी की सेवा की।
गुरू गोबिंद सिंह जी इसी स्थान से नीले वस्त्र धारण करके उच्च के पीर के रूप में अपने अगले मार्ग पर चलते रहे। गुरूदेव जी की पालकी को भाई धर्म सिंह, भाई मान सिंह, भाई गनी खां, और भाई नबी खां ने उठाया हुआ था। तथा भाई दया सिंह जी गुरू जी को चवंर कर रहे थे।
गुरू गोबिंद सिंह जी के चरण रज की याद में इसी स्थान पर गुरूद्वारा श्री चरण कंवल साहिब की नई व सुंदर इमारत बनी हुई है। पहले, पांचवें, नौवें तथा दसवें गुरू के प्रकाशोत्सव तथा वैशाखी का सालाना जोड़ मेला यहां बडे स्तर पर मानाया जाता है। गुरूद्वारे के नजदीक ही ऐतिहासिक गुरूद्वारा गनी खां और नबी खां मुख्य रूप से दर्शनीय है।
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