चंदेरी का किला किसने बनवाया – चंदेरी का इतिहास इन हिन्दी व दर्शनीय स्थल

चंदेरी का किला

भारत के मध्य प्रदेश राज्य के अशोकनगर जिले के चंदेरी में स्थित चंदेरी का किला शिवपुरी से 127 किमी औरललितपुर से 37 किमी और ईसागढ़ से लगभग 45 किमी और मुंगोली से 38 किमी की दूरी पर स्थित है। यह बेतवा नदी के दक्षिण-पश्चिम में एक पहाड़ी पर स्थित है। बड़ी संख्या में यहां पर्यटकों का आना जाना लगा रहता है।

चंदेरी का किला का इतिहास – चंदेरी फोर्ट हिस्ट्री इन हिन्दी

चंदेरी का किला भी बुन्देलखण्ड क्षेत्र का सुप्रसिद्ध किला है, तथा इसका भी प्राचीनतम इतिहास है। यहाँ अनेक स्थल ऐसे उपलब्ध होते है। जिनसे भारतीय इतिहास गरिमा मण्डित होता है। कहते है कि जब मुगल सम्राट बाबर ने चंदेरी का किला जीता उस समय उसने अपने लिये गाजी की पदवी धारण की, गाजी का तात्यपर्य धर्म युद्ध करने वाले व्यक्ति से होता है। जिसे मृत्यु के उपरान्त स्वर्ग की प्राप्ति होती है।

बाबर ने यह दुर्ग 1588 में जीता था बाबर तैमूर लंग का वंशज था। और उसके वंश के लोग समर कन्द में निवास किया करते थे। वह काबुल होता हुआ भारतवर्ष आया तथा उसने पानीपत के युद्ध में सन्‌ 1526-27 में राणासांगा को परास्त किया।

जिस समय बाबर भारतवर्ष आया उस समय चन्देरी नरेश और राणा सांगा के मस्तिष्क में ये विचार आया कि राजपूतो को आजाद रखने के लिये बाबर से किसी प्रकार की कोई सन्धि न की जाय। बाबर के आक्रमण के समय चन्देरी किले का परकोटा सुरक्षित नही रह सका और वह तोपो के द्वारा नष्ट कर दिया गया। हजारो की संख्या में राजपूत सैनिको ने लड़ते हुये अपने प्राणों की आहुति दी और वहाँ की औरतों में जौहर वृत किया। इस विजय के पश्चात बाबर दिल्‍ली लौट गया। चन्देरी राज्य की स्थापना 10वीं शताब्दी में हुई थी और तभी इस चंदेरी के किले का निर्माण हुआ।

चंदेरी का किला
चंदेरी का किला

यह दुर्ग प्रतिहार नरेशो के नियन्त्रण में रहा इस दुर्ग के पूर्व में एक कृत्रिम झील है जिसका नाम कीर्ति सागर है। सम्भवतः इसका निर्माण कीर्तिपाल ने कराया था तथा यहाँ के दुर्ग का नाम कीर्ति दुर्ग है। दुर्ग के चारो और लम्बा परकोटा है।

तेहरवीं शताब्दी में चंदेरी का पतन पांच बार हुआ। दिल्ली और मालवा के सुल्तानो ने इस दुर्ग में अपना अधिकार किया। यहाँ अनेक स्थलों में मुस्लिम वास्तु शिल्प के दर्शन होते है। मालवा के सुल्तानों ने दिल्ली से स्वतन्त्र होकर अपनी स्वतन्त्र राज्य सत्ता यहाँ स्थापित की और 30 वर्षों तक लगातार शासन किया। यहाँ का स्वतन्त्र प्रशासक महमूद खिलजी था। उसके शासन के दौरान यहां अनेक सुन्दर इमारतों का निर्माण यहाँ हुआ। सन्‌ 1445 में उसने कुशल महल का निर्माण कराया इसमें चार कक्ष थे, सात छज्जे, एवं अनेक मन्दिरों के अवशेष उपलब्ध होते है। इस महल की ऊँची-ऊँची दीवारे है इसमें अनेक झरोखो लगे हुए है इसी के समीप जामा मस्जिद, और बादल महल, दुर्ग वास्तु शिल्प, के उत्कृष्ठ नमूने है इसी स्थल पर अनेक मकबरे भी है जिनका निर्माण गुजराती शैली पर हुआ है। बाबर के पश्चात 7 बार यहाँ युद्ध हुए थे। युद्ध मुस्लिम अफगान राजपूत और अंग्रेजों से हुए यहाँ पर अनेक स्थल युद्ध स्मारक के रूप में उपलब्ध होते है।

तथा इसी के समीप जैन तीर्थाकरों की मूर्तियाँ उपलब्ध होती है ये खडी मुद्रा में है और तीन मूर्तियाँ बैठी मुद्र में है ये मूर्तियाँ एक गुफा में है। चन्देरी कभी एक वैभवशाली नगर था, तथा यहाँ बडे-बडे यात्री और व्यापारी रहा करते थे उनके मकान और महल जिन्हे हवेली के नाम से पुकारा जाता था आज भी यहां देखने को मिलते है। इस स्थान में रेशम और जरी की साड़ियाँ बहुत अच्छी किस्म की बनती थीं इसके अतिरिक्त भी कपड़े का बहुत सुन्दर कार्य होता था। कपडे के लिये यह स्थान दूर-दूर तक प्रसिद्ध था।

चन्देरी के दर्शनीय स्थल निम्नलिखित है-
1. चंदेरी का किला
2. चंदेरी किले का प्रवेशद्वार
3. कुशक महल
4. बादल महल
5. कीर्ति सागर
6. युद्ध स्मारक
7. चन्देरी बस्ती के अवशेष
8. जैन तीर्थाकरो-की प्रतिमाये

हमारे यह लेख भी जरूर पढ़ें:——

चौरासी गुंबद कालपी
चौरासी गुंबद यह नाम एक ऐतिहासिक इमारत का है। यह भव्य भवन उत्तर प्रदेश राज्य केजालौन जिले में यमुना नदी
श्री दरवाजा कालपी
भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के जालौन जिले में कालपी एक ऐतिहासिक नगर है, कालपी स्थित बड़े बाजार की पूर्वी सीमा
रंग महल कालपी
उत्तर प्रदेश राज्य के जालौन जिले के कालपी नगर के मिर्जामण्डी स्थित मुहल्ले में यह रंग महल बना हुआ है। जो
गोपालपुरा का किला जालौन
गोपालपुरा जागीर की अतुलनीय पुरातात्विक धरोहर गोपालपुरा का किला अपने तमाम गौरवमयी अतीत को अपने आंचल में संजोये, वर्तमान जालौन जनपद
रामपुरा का किला
जालौन जिला मुख्यालय से रामपुरा का किला 36 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। 46 गांवों की जागीर का मुख्य
जगम्मनपुर का किला
उत्तर प्रदेश राज्य के जालौन जिले में यमुना के दक्षिणी किनारे से लगभग 4 किलोमीटर दूर बसे जगम्मनपुर ग्राम में यह
तालबहेट का किला
तालबहेट का किला ललितपुर जनपद मे है। यह स्थान झाँसी – सागर मार्ग पर स्थित है तथा झांसी से 34 मील
कुलपहाड़ का किला
कुलपहाड़ भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के महोबा ज़िले में स्थित एक शहर है। यह बुंदेलखंड क्षेत्र का एक ऐतिहासिक
पथरीगढ़ का किला
पथरीगढ़ का किला चन्देलकालीन दुर्ग है यह दुर्ग फतहगंज से कुछ दूरी पर सतना जनपद में स्थित है इस दुर्ग के
धमौनी का किला
विशाल धमौनी का किला मध्य प्रदेश के सागर जिले में स्थित है। यह 52 गढ़ों में से 29वां था। इस क्षेत्र
बिजावर का किला
बिजावर भारत के मध्यप्रदेश राज्य केछतरपुर जिले में स्थित एक गांव है। यह गांव एक ऐतिहासिक गांव है। बिजावर का
बटियागढ़ का किला
बटियागढ़ का किला तुर्कों के युग में महत्वपूर्ण स्थान रखता था। यह किला छतरपुर से दमोह और जबलपुर जाने वाले मार्ग
राजनगर का किला
राजनगर मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में खुजराहों के विश्व धरोहर स्थल से केवल 3 किमी उत्तर में एक छोटा सा
पन्ना का किला
पन्ना का किला भी भारतीय मध्यकालीन किलों की श्रेणी में आता है। महाराजा छत्रसाल ने विक्रमी संवत् 1738 में पन्‍ना
सिंगौरगढ़ का किला
मध्य भारत में मध्य प्रदेश राज्य के दमोह जिले में सिंगौरगढ़ का किला स्थित हैं, यह किला गढ़ा साम्राज्य का
छतरपुर का किला
छतरपुर का किला मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में अठारहवीं शताब्दी का किला है। यह किला पहाड़ी की चोटी पर
ग्वालियर का किला
ग्वालियर का किला उत्तर प्रदेश के ग्वालियर में स्थित है। इस किले का अस्तित्व गुप्त साम्राज्य में भी था। दुर्ग
बड़ौनी का किला
बड़ौनी का किला,यह स्थान छोटी बड़ौनी के नाम जाना जाता है जोदतिया से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर है।
दतिया महल या दतिया का किला
दतिया जनपद मध्य प्रदेश का एक सुप्रसिद्ध ऐतिहासिक जिला है इसकी सीमाए उत्तर प्रदेश के झांसी जनपद से मिलती है। यहां
चौरासी खंभा कालपी का किला
कालपी का किला ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अति प्राचीन स्थल है। यह झाँसी कानपुर मार्ग पर स्थित है उरई
उरई का किला और माहिल तालाब
उत्तर प्रदेश के जालौन जनपद मे स्थित उरई नगर अति प्राचीन, धार्मिक एवं ऐतिहासिक महत्व का स्थल है। यह झाँसी कानपुर
एरच का किला
उत्तर प्रदेश के झांसी जनपद में एरच एक छोटा सा कस्बा है। जो बेतवा नदी के तट पर बसा है, या
चिरगाँव का किला
चिरगाँव झाँसी जनपद का एक छोटा से कस्बा है। यह झाँसी से 48 मील दूर तथा मोड से 44 मील
गढ़कुंडार का किला
गढ़कुण्डार का किला मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ जिले में गढ़कुंडार नामक एक छोटे से गांव मे स्थित है। गढ़कुंडार का किला बीच
बरूआ सागर का किला
बरूआ सागर झाँसी जनपद का एक छोटा से कस्बा है। यह मानिकपुरझांसी मार्ग पर है। तथा दक्षिण पूर्व दिशा पर
मनियागढ़ का किला
मनियागढ़ का किला मध्यप्रदेश के छतरपुर जनपद मे स्थित है। सामरिक दृष्टि से इस दुर्ग का विशेष महत्व है। सुप्रसिद्ध ग्रन्थ
मंगलगढ़ का किला
मंगलगढ़ का किला चरखारी के एक पहाड़ी पर बना हुआ है। तथा इसके के आसपास अनेक ऐतिहासिक इमारते है। यहहमीरपुर
जैतपुर का किला या बेलाताल का किला
जैतपुर का किला उत्तर प्रदेश के महोबा हरपालपुर मार्ग पर कुलपहाड से 11 किलोमीटर दूर तथा महोबा से 32 किलोमीटर दूर
सिरसागढ़ का किला
सिरसागढ़ का किला कहाँ है? सिरसागढ़ का किला महोबा राठ मार्ग पर उरई के पास स्थित है। तथा किसी युग में
महोबा का किला
महोबा का किलामहोबा जनपद में एक सुप्रसिद्ध दुर्ग है। यह दुर्ग चन्देल कालीन है इस दुर्ग में कई अभिलेख भी
कल्याणगढ़ का किला मंदिर व बावली
कल्याणगढ़ का किला, बुंदेलखंड में अनगिनत ऐसे ऐतिहासिक स्थल है। जिन्हें सहेजकर उन्हें पर्यटन की मुख्य धारा से जोडा जा
भूरागढ़ का किला
भूरागढ़ का किला बांदा शहर के केन नदी के तट पर स्थित है। पहले यह किला महत्वपूर्ण प्रशासनिक स्थल था। वर्तमान
रनगढ़ दुर्ग या जल दुर्ग
रनगढ़ दुर्ग ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक दृष्टि से अत्यन्त महत्वपूर्ण प्रतीत होता है। यद्यपि किसी भी ऐतिहासिक ग्रन्थ में इस दुर्ग
खत्री पहाड़ का दुर्ग व मंदिर
उत्तर प्रदेश राज्य के बांदा जिले में शेरपुर सेवड़ा नामक एक गांव है। यह गांव खत्री पहाड़ के नाम से विख्यात
मड़फा दुर्ग
मड़फा दुर्ग भी एक चन्देल कालीन किला है यह दुर्ग चित्रकूट के समीप चित्रकूट से 30 किलोमीटर की दूरी पर
रसिन का किला
रसिन का किला उत्तर प्रदेश के बांदा जिले मे अतर्रा तहसील के रसिन गांव में स्थित है। यह जिला मुख्यालय बांदा
अजयगढ़ का किला
अजयगढ़ का किला महोबा के दक्षिण पूर्व में कालिंजर के दक्षिण पश्चिम में और खुजराहों के उत्तर पूर्व में मध्यप्रदेश
कालिंजर का किला
कालिंजर का किला या कालिंजर दुर्ग कहा स्थित है?:— यह दुर्ग बांदा जिला उत्तर प्रदेश मुख्यालय से 55 किलोमीटर दूर बांदा-सतना
ओरछा दर्शनीय स्थल के सुंदर दृश्य
शक्तिशाली बुंदेला राजपूत राजाओं की राजधानी ओरछा शहर के हर हिस्से में लगभग इतिहास का जादू फैला हुआ है। ओरछा

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *