ग्वालियर के पर्यटन स्थल का महत्तव इसलिए नही है कि यह अति प्राचीन नगर है। बल्कि इसका महत्तव इसलिए भी है क्योकि भारतीय इतिहास में यह एक प्रमुख सांस्कृतिक केंद्र के रूप जगमगाता रहा है। साहित्य, संगीत, काव्य, चित्रकला, स्थापत्य, शिल्प, हस्तकला आदि में यह नगर सर्वोपरि रहा है। तानसेन और बैजू बावरा जैसे महान संगीतकार इसी धरती के लाल थे। मध्य प्रदेश राज्य का यह शहर अपने भव्य पहाडी किले के लिए सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है। जिसे भारत के सभी किलो में मोती के रूप में वर्णित किया जाता है। अपने इस लेख में हम आपने पाठको को इस ऐतिहासिक व प्राचीन शहर ग्वालियर के पर्यटन स्थल के बारे में विस्तार से बताएंगे और उनकी सैर करेगें।
ग्वालियर के पर्यटन स्थल
ग्वालियर का किला
ऐतिहासिक रूप से ग्वालियर कई राजवंशो का गढ रहा है। जिन्होने वर्षो तक यहा शासन किया। जिनका प्रभाव स्पष्ट रूप से यहा की राजशाही संरचनाओ में देखा जा सकता है। जिनमे से एक विश्व प्रसिद्ध ग्वालियर का किला भी है। यह किला ग्वालियर के पर्यटन स्थल ओ में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। भारत के प्रसिद्ध किलो के साथ साथ इस किले की गणना अजेय एवं अभेद्य किलो में भी की जाती है। इसका ऐतिहासिक, पुरातात्विक और सामरिक महत्तव भारत के तमाम दुर्गो में अप्रतिम व अद्धितीय है। गोपाचल पहाडी पर बना यह किला ग्वालियर शहर से ही दिखाई दे जाता है।
ग्वालियर के पर्यटन स्थल के सुंदर दृश्यइतिहासकारो के अनुसार इस किले का निर्माण 7वी या 8वी शाताब्दी के बीच हुआ था। वर्तमान किले का जीर्णोद्वार राजा मानसिंह द्वारा करवाया गया था। इस किले में स्थित मान मंंदिर को किले का ह्रदयस्थल कहा जाता है। इस किले में स्थित दूसरी भव्य इमारत है गूजरी महल जिसे इस किले का ताज कहा जाता है। इस किले के अंदर और भी कई इमारते बनी हुई है जिनमे कर्ण महल, विक्रम महल, कीर्ति मंदिर आदि भी पर्यटको के लिए दर्शनीय स्थल है।
सास-बहू का मंदिर
ग्वालियर के पर्यटन स्थल में सास- बहू का मंदिर भी दर्शनीय है। हांलाकि इस मंदिर में अब कोई प्रतिमा नही है। फिर भी इस मंदिर की बनावट में कारीगरो ने जो अमिट छाप छोडी है। वो दर्शनीय है।
मुहम्मद गौस का मकबरा
बादशाह अकबर के समय में बना यह मुगलकालीन मकबरा सुप्रसिद्ध सूफी संत हजरत मुहम्मद गौस को सम्रपित है। यह मकबरा मुगलकालीन स्थापत्य शैली का बेहतरीन नमूना है।
रानी लक्ष्मीबाई का स्मारक
1857 के स्वत्रंता संग्राम की वीरागंना रानी लक्ष्मीबाई का यह स्मारक रेलवे ओवर ब्रिज के निकट स्थित है। यहा घोडे पर सवार तलवार ताने रानी लक्षमीबाई की प्रतिमा से तेज, ओज और शौर्य की एक वीरोचित शान झलकती है।
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गांधी उद्यान (ग्वालियर का चिडियाघर)
रानी लक्षमीबाई के स्मारक के ठीक सामने महाराजा ग्वालियर द्वारा बनवाया गया शानदार बाग है। जो कभी किंग जॉर्ज पब्लिक पार्क के नाम से जाना जाता था। बाद में इस बाग का नाम फूल बाग पडा। जिसको बाद में बदलकर गांधी उद्यान कर दिया गया। अब यह पार्क गांधी उद्यान के नाम से जाना जाता है। यहा संगमरमर से बनी ऐतिहासिक मोती मस्जिद, राधा कृष्ण का खुबसूरत मंदिर, थियोसोफिकल लॉज, गुरूद्वारा सर्वधर्म सदभाव का पैगाम सुनाते है। इस गांधी उद्यान में एक खूबसूरत चिडियाघर भी है। जहा आप शेर, भालू, मगरच्छ और भी कई प्रकार के वन्य पशु पक्षी देख सकते है।
ग्वालियर के पर्यटन स्थल में पर्यटक इनके अलावा ग्वालियर में हाईकोर्ट भवन, जय विलास महल और जीवाजी म्यूजियम भी देखने जा सकते है।
कैसे पहुंचे
ग्वालियर वायु, रेल, व सडक मार्ग द्वारा देश भर के सभी प्रमुख शहरो से जुडा है। यहा सभी मार्गो द्वारा बहुत ही सुविधाजनक व आसानी से पहुंचा जा सकता है।
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