ग्रामोफोन का आविष्कार किसने किया – ग्रामोफोन क्या होता है Naeem Ahmad, June 28, 2022March 5, 2024 ग्रामोफोन किसे कहते है? ग्रामोफोन का नाम सुनते ही सबसे पहले हमारे दिमाग में यही सवाल आता है। आपने अस्सी के दशक से पहले की अधिकतर फिल्मों में देखा हो कि रईसों के घरों में एक पुराना संगीत सुनने का बाजा होता है। जिसमें एक घुमती हुई कैसेट होती है। और उस घुमती हुई कैसेट के उपर एक पतली सी रॉड में लगा कोई यंत्र उस कैसेट के ऊपर रख दिया जाता है। और उस कैसेट में रिकार्ड आवाजें या संगीत हमें उसी बाजे की तरह लगे यंत्र से सुनाई पड़ती थी। इसी पूरे यंत्र को ग्रामोफोन कहते हैं। अपने इस लेख में हम इसी ग्रामोफोन का उल्लेख करेंगे और निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर विस्तार से जानेंगे:– ग्रामोफोन का आविष्कार किसने किया था? ग्रामोफोन का आविष्कार कब हुआ? ग्रामोफोन का दूसरा नाम क्या है? ग्रामोफोन का रिकार्ड कहानी? ग्रामोफोन को हिन्दी में क्या बोलते हैं? ग्रामोफोन के खोजकर्ता कौन थे?ग्रामोफोन का आविष्कार किसने किया थाअमेरीका के महान आविष्कारक टॉमस एल्वा एडिसन का नाम हम सभी ने सुना है। वे बहुत से महत्त्वपूर्ण आविष्कार कर चुके थे। एक दिन उनके मन मे विचार उठा कि क्या ध्वनि-तरंगों को किसी नरम प्लास्टिक पर इस प्रकार अंकित किया जा सकता है कि उन्हे पुन उसी रुप मे सुना जा सके। यह विचार उनके दिमाग में सहसा उस समय उत्पन हुआ, जब वे अपनी प्रयोगशाला में तार संकेतों के लिए एक रिकार्डिंग मशीन बनाने में जुटे हुए थे। इस मशीन में एक मोम का सिलिंडर था, जिसमे एक सूई मोर्स कोड के बिन्दुओं और डेशो को अंकित करती जाती थी। एक दिन जब वे इस पर कार्य करते समय अपने एक सहायक से बात कर रहे थे, तो सहायक के मुंह से बात करते समय जो आवाज निकली, उसके कंपन से सूई हिल गयी ओर एडिसन थी अंगुली में जा चुभी। बस, एडिसन के दिमाग में उक्त विचार कौंध गया कि अगर मनुष्य की आवाज द्वारा उत्पन्न प्रेरित कम्पन इतने शक्तिशाली है कि सूई को हिला सकते है और चिन्ह अंकित कर सकते हैं, तो किसी उपयुक्त पटल पर ध्वनि को अंकित कर, फिर इस प्रक्रिया को उलटकर और चिन्हों पर सूई चलाकर ध्वनि को पुनः उत्पन्न किया जा सकता है।ट्रांसफार्मर का आविष्कार किसने किया और यह कैसे काम करता हैएडिसन के दिमाग में एक मशीन का जो रूप उभरा, उसने उसका एक खाका खींचकर अपने सहयोगियो से उसे तुरत तैयार करवाया। वैसे बुनियादी तौर पर यह एक बहुत सरल-सीधा विचार था, परंतु इसे वास्तविक रूप देने मे एडिसन को कई वर्ष लग गए।शुरू में पीतल का एक सिलिंडर लिया गया था, जिसे एक तिरछे स्पिडल पर लगाया गया। इसे घुमाने के लिए एक हेंडिल लगाया गया। सिलिंडर के पिवट (धुरी) पर एक प्रकार का कान का छिद्र था, जिसमें पर्दे के तौर पर एक पार्चमेंट का टुकडा लगाया गया था। एडिसन ने एक नर्म टीन की पन्नी सिलिंडर पर लपेट दी ओर हैडिल से उसे घुमाना शुरू किया। फिर सूई को पन्नी पर स्पर्श कराकर बोलना शुरू किया। यह एक बालगीत था-‘मेरी हेड ए लिटिल लेम्ब, इट्स फ्लीस वाज व्हाइट एज स्नो। उसके बाद सूई को उसने पुन शुरू से अंकित चिन्हो पर लगाकर हेडिल घुमाया तो उसमे से धीमी किन्तु स्पप्ट ध्वनि निकली। एडिसन इस प्रयोग से फूला न समाया। यही ग्रामोफोन का आविष्कार रिकार्ड का प्रथम सरल रूप था।ग्रामोफोनअगर हम किसी रिकार्ड को ध्यान से देखे तो हमे उस पर टेढ़ी मेढ़ी नालिया सी दिखायी देगी। इन नालियां मे कही ज्यादा ओर कही कम गहरायी भी नजर आयेगी। जब भारी आवाज रिकार्ड की जाती है, तो इन नालियो का टेढ़ा-मेढ़ापन अधिक होता है ओर हल्की आवाज की रिकार्डिंग में कम। अर्थात आवाज के कम ज्यादा कम्पन के साथ नालियां भी उसी तरह का रूप लेती जाती है। जब ध्वनि भारी होती है, तो हवा के अणु एक दूसरे से अधिक तेजी से टकराते है और वे ध्वनि अंकित करने वाले डायफ्राम पर अधिक बल से टकराते हैं। इस प्रकार सुई अधिक चौडाई मे या आयाम मे चलती प्रभावशाली और टिकाऊ साबित हुआ। इस पर अंकित ध्वनि भी स्पष्ट होती थी।डायनेमो का आविष्कार किसने किया और डायनेमो का सिद्धांतअब तक टेपों के निर्माण तथा रिकार्डिग के क्षेत्र में बहुत उन्नति हो चुकी है। टेप की नई विकसित प्रणाली के जरिये अब केवल ध्वनि ही नही, चित्र भी टेप किए जा सकते है, जिन्हें फिल्म की तरह वीडियो कैसेट रिकाडर की सहायता से टी वी स्क्रीन पर देखा जा सकता है।बैटरी का आविष्कार किसने किया और कब हुआटेप-रिकार्डिग का सिद्धांत यह है कि कुछ पदार्थ चुम्बकीय क्षेत्र में आने पर चुम्बवीय गुणों से प्रभावित हो जाते हैं। जब तक वे किसी अन्य चुम्बकीय क्षेत्र के प्रभाव में न आए चुम्बकीय बने रहते हैं। इसके अलावा उन पदार्थो के भिन्न-भिन्न स्थानों पर चुम्बकत्व भी अलग-अलग होता है। चुम्बकीय ध्वनि रिकार्डिंग इन्ही दो तथ्यों पर आधारित है।बैटरी का आविष्कार किसने किया और कब हुआटेप पर जिस व्यक्ति की आवाज को रिकार्ड करना होता है वह माइक्रोफोन के सामने बोलता है। माइक्रोफोन द्वारा व्यक्त की ध्वनि विद्युत-धारा में बदल जाती है। यह विद्युत-धारा काफी कम होती है। इसे एम्पलीफायर द्वारा प्रवर्धित करके लोहे पर लिपटी तार की एक कुंडली से गुजारा जाता है। इससे लोहे का टुकडा चुम्बक बन जाता है। इसका चुम्बकीय क्षेत्र ध्वनि के अनुसार ही बदलता है। इसी दौरान आयरन आक्साइड से युकत टेप को एक मोटर द्वारा चुम्बक के बीच से गुजारा जाता है। इस पर लगा आयरन आक्साइड ध्वनि के द्वारा पैदा हुई विद्युत से चुम्बक मे बदलता जाता है। इस प्रकार टेप पर ध्वनि चुम्बकीय क्षेत्र के रूप में अंकित हो जाती है। इसलिए इस प्रणाली को चुम्बकीय रिकार्डिग कहते हैं। ध्वनि अंकित इस टेप को लम्बे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है।हमारे यह लेख भी जरूर पढ़ें:—[post_grid id=”9237″]Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like this:Like Loading... विश्व के प्रमुख आविष्कार प्रमुख खोजें