गोवर्धन नाथ जी मंदिर जयपुर राजस्थान Naeem Ahmad, September 17, 2022February 22, 2023 राजस्थान राज्य की राजधानी जयपुर के व्यक्तित्व के प्रतीक झीले जाली-झरोखों से सुशोभित हवामहल की कमनीय इमारत से जुड़ा हुआ जो देवालय है उसे इस नगर के प्रमुख वैष्णव मंदिरो मे गिना जाता है। यह गोवर्धन नाथ जी का मंदिर है।जिसे 1790 ई में हवामहल के साथ ही साथ महाराज सवाई प्रताप सिंह ने बनवाया था। श्री गोवर्धन नाथ जी मंदिर के कीर्ति स्तम्भ पर उत्कीर्ण लेख इस प्रकार है:– “श्री गोवर्धन नाथ जी को मीदर बणायो हवामहल श्री मन्महाराजाधिराज राजे श्री सवाई प्रतापसिहजी देव नामाजी मिती माह सुदी 13 बुधवार सवत 1847। श्री गोवर्धन नाथ जी मंदिर जयपुर जयपुर का श्री गोवर्धन नाथ जी मंदिर उन अनेक देवालयों मे से एक है जिन्हे स्वयं सवाई प्रताप सिंह ने बनवाकर इस नगर को (जो तब गुलाबी नही था अत गुलाबी नगर भी नही कहलाता था) मंदिरों का नगर बना दिया था। नगर-प्रासाद की परिधि के भीतर ब्रज निधि जी, आनंद कृष्ण जी, प्रतापेश्वर और आनन्देश्वर महादेव के मंदिर तो उस समय बने ही थे, सिरह ड्योढी बाजार मे गोवर्धन नाथ जी के आगे पीछे ही मदनमोहन, अमृत रघुनाथ और रत्नेश्वर महादेव के मंदिर भी बने और माणक चौक पुलिस थाने वाला आनन्द बिहारी का मंदिर भी उसी समय बना था। श्री गोवर्धन नाथ जी का मंदिर उस काल के अन्य मंदिरो से अपेक्षाकृत छोटा है, किंतु संगमरमर के सुंडाकार स्निग्ध स्तम्भों और पलस्तर मे फूल-पत्तियो के अलंकरण की जिस कला ने जयपुर शैली के मंदिरों को प्रतापसिंह के समय मे इतना सुन्दर बनाया था, वह गोवर्धन नाथ जी के मंदिर मे भी कम नही है। हवामहल के प्रवेश द्वार के बराबर ही इसका प्रवेश द्वार भी जयपुर शैली की सभी विशेषताओं को सुरक्षित रखता है। फिर खुले चौक के पार इसका छोटा किंतु सुघड अनुपात से बना जगमोहन और निज-मंदिर या गर्भगृह है जिसमे गोवर्धन धारी कृष्ण का विग्रह विराजमान है। गोवर्धन नाथ जी मंदिर जयपुर सावन के महीने मे जब सभी मंदिरों मे भगवान हिडौंले मे झूलते हैं, गोवर्धन नाथ जी की भी हिडौंले की झांकी होती है और श्रद्धालु भक्तों की भीड आकर्षित करती है। इस मंदिर में हवामहल की बगल में सिरह ड्योढी बाजार से भी रास्ता गया है। माधोसिंह प्रथम के गरू भट्॒टराजा सदाशिव से प्रश्नय प्राप्त और सवाई प्रतापसिंह द्वारा ‘महाकवि’ उपाधि से सम्मानित भोलानाथ शुक्ल ने जो दो संस्कृत ग्रन्थ उस समय लिखे थे, उनमें से एक- श्री कृष्ण लीलामृतम् की रचना का निमित्त यह नव-निर्मित मंदिर ही था। इस कृति मे 104 पद हैं और उनका विषय है श्रीकृष्ण की लीलाये। समूची रचना का आधार है श्रीमद्भागवत का दशम स्कंध जिसने सूरदास सहित ब्रज भाषा के अनेक छोटे-बडे कवियो को बालकृष्ण के चरित्-गान के लिये प्रेरित किया था। भोलानाथ की कृति का महत्व न केवल इसके संस्कृत काव्य होने मे, वरन् इसलिये भी है कि सारा वर्णन सरस ओर सललित है। अपनी कृति के अंत में कवि ने इसका सबंध गोवर्धन नाथ जी के मंदिर से इस प्रकार इंगित किया है:– श्री प्रतापस्य नृपते, न्यवसन सुखसद्यतनि। श्री रामस्वामिनो भर्त्ता, गोवर्धनधर प्रभु ।। यह रामस्वामी सभंवत इस मंदिर के गोस्वामी थे। हवामहल के निर्माता सवाई प्रताप सिंह ने भी इस महल के साथ मंदिर का सम्बंध जोडते हुए ही यह दोहा लिखा होगा:– हवामहल याते कियो, सब समझो यह भाव। राधे-कृष्ण सिधारसी, दरस-परस को हाव।। हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:— ईसरलाट जयपुर - मीनार ईसरलाट का इतिहास त्रिपोलिया गेट का निर्माण किसने करवाया था गोपीजन वल्लभ जी मंदिर जयपुर राजस्थान ब्रजराज बिहारी जी मन्दिर जयपुर राजस्थान गिरधारी जी का मंदिर जयपुर राजस्थान लक्ष्मण मंदिर जयपुर - लक्ष्मण द्वारा जयपुर सीताराम मंदिर जयपुर - सीताराम मंदिर किसने बनवाया राजराजेश्वरी मंदिर कहां स्थित है - राजराजेश्वरी मंदिर जयपुर ब्रज निधि जी मंदिर जयपुर परिचय और इतिहास गोपाल जी मंदिर जयपुर - गंगा-गोपाल जी मंदिर का इतिहास गोविंद देव जी मंदिर जयपुर - गोविंद देव जी मंदिर का इतिहास रामप्रकाश थिएटर जयपुर - रामप्रकाश नाटकघर का इतिहास ईश्वरी सिंह की छतरी - महाराज सवाई ईश्वरी सिंह जनता बाजार जयपुर और जय सागर का इतिहास माधो विलास महल का इतिहास हिन्दी में बादल महल कहां स्थित है - बादल महल जयपुर तालकटोरा जयपुर - जयपुर का तालकटोरा सरोवर जय निवास उद्यान जयपुर - जय निवास गार्डन चंद्रमहल सिटी पैलेस जयपुर राजस्थान मुबारक महल कहां स्थित है - मुबारक महल सिटी प्लेस Amer fort jaipur आमेर का किला जयपुर का इतिहास हिन्दी में Jantar mantar jaipur history in hindi - जंतर मंतर जयपुर का इतिहास Hawamahal history in hindi- हवा महल का इतिहास भारत के प्रमुख धार्मिक स्थल जयपुर के दर्शनीय स्थलजयपुर पर्यटनजयपुर पर्यटन स्थलराजस्थान धार्मिक स्थलराजस्थान पर्यटन