गोरा बादल की वीरता की कहानी व कथा Naeem Ahmad, October 19, 2022February 18, 2024 गोरा बादल :– राजस्थान की भूमि वीरों की जननी है। इस प्रान्त के राजा ही नहीं अपितु साधारण सरदारों ने भी अनुपम वीरता का परिचय दिया है।उनमें देशभक्ति, स्वामी भक्ति व जाति-प्रेम विशेष रूप से कूट- कूट कर भरा हुआ था। वे देशहित, अपने स्वामी की रक्षार्थ बलिदान होना सोभाग्य समझते थे। मृत्यु को त्यौहार समझने वाले रण बांकुरे सरदारों को कौन भूल सकता है, सत्य तो यह है कि ऐसे महान व्यक्तियों के नाम स्मृति-पटल पर आते ही श्रद्धा से सिर झुक जाता है, आंसू ही पुष्प बन कर अर्पित होते हैं। ऐसे ही एक सरदार थे गोरा बादल।क्रिप्टो करंसी में इंवेस्ट करें और अधिक लाभ पाएं अलाउद्दीन खिलजी, जो दिल्ली का सम्राट था, जिसके पास शक्ति व साधनों का अतुल भंडार विद्यमान था, उसकी आशाओं पर पानी फेरने वाले, स्वप्नों को धूमिल करने वाले, मंसूबों को उजाड़ने वाले तथा युद्ध स्थल में करारा जवाब देने वाले गोरा बादल को कौन नहीं जानता ?।महाराजा भूपेन्द्र सिंह का जीवन परिचय और इतिहासराजस्थान की भूमि वीरों की जननी है। इस प्रान्त के राजा ही नहीं अपितु साधारण सरदारों ने भी अनुपम वीरता का परिचय दिया है।उनमें देशभक्ति, स्वामी भक्ति व जाति-प्रेम विशेष रूप से कूट- कूट कर भरा हुआ था। वे देशहित, अपने स्वामी की रक्षार्थ बलिदान होना सोभाग्य समझते थे। मृत्यु को त्यौहार समझने वाले रण बांकुरे सरदारों को कौन भूल सकता है, सत्य तो यह है कि ऐसे महान व्यक्तियों के नाम स्मृति-पटल पर आते ही श्रद्धा से सिर झुक जाता है, आंसू ही पुष्प बन कर अर्पित होते हैं। ऐसे ही एक सरदार थे गोरा बादल।गोरा बादल की वीरता की कहानीराजस्थान की भूमि वीरों की जननी है। इस प्रान्त के राजा ही नहीं अपितु साधारण सरदारों ने भी अनुपम वीरता का परिचय दिया है।उनमें देशभक्ति, स्वामी भक्ति व जाति-प्रेम विशेष रूप से कूट- कूट कर भरा हुआ था। वे देशहित, अपने स्वामी की रक्षार्थ बलिदान होना सोभाग्य समझते थे। मृत्यु को त्यौहार समझने वाले रण बांकुरे सरदारों को कौन भूल सकता है, सत्य तो यह है कि ऐसे महान व्यक्तियों के नाम स्मृति-पटल पर आते ही श्रद्धा से सिर झुक जाता है, आंसू ही पुष्प बन कर अर्पित होते हैं। ऐसे ही एक सरदार थे गोरा बादल।महाराजा नरेंद्र सिंह पटियाला परिचय और इतिहासअलाउद्दीन खिलजी, जो दिल्ली का सम्राट था, जिसके पास शक्ति व साधनों का अतुल भंडार विद्यमान था, उसकी आशाओं पर पानी फेरने वाले, स्वप्नों को धूमिल करने वाले, मंसूबों को उजाड़ने वाले तथा युद्ध स्थल में करारा जवाब देने वाले गोरा बादल को कौन नहीं जानता ?।महाराजा अमरसिंह पटियाला का परिचय और इतिहासमदान्ध खिलजी ने जब परम सुन्दरी चित्तौड़ की महारानी, राजा रतन सिंह की प्रिय रानी साहिबा-पद्मिनी को अपनी बेगम बनाने का पूर्ण निश्चय कर लिया। फलत: छल कपट का सहारा लेकर रानी के दर्शन किए तथा शक्ति के नशे में चूर बादशाह ने रानी को प्राप्त करने की दृढ़ प्रतिज्ञा भी की।गोरा बादल काल्पनिक चित्रअलाउद्दीन खिलजी राजपूतों की वीरता से परिचित था उनसे लोहा लेना उसकी शक्ति के बाहर था, अत: उसने छलपूर्ण उपाय अपनाएं। जब अलाउद्दीन राजा रतन सिंह से मिलने आया तब उसका बहुत स्वागत किया तथा सभ्यता के नाते बाहर दूर तक बादशाह को पहुंचाने भी आया, परन्तु बादशाह ने कपट से राजा को गिरफ्तार कर लिया तथा अपने डेरे में ले गया। इसके साथ ही साथ रानी पद्मीनी से कहलवा दिया कि अगर वो राजा को जीवित देखना चाहती है तो वह (रानी) स्वयं मेरी सेवा में आ जाये। इस विषम परिस्थिति में राजपूतों में रोष और भय व्याप्त हो गया। परन्तु इस दुःख पूर्ण घड़ी में धेर्य और विवेक की आवश्यकता होती हैं। रानी ने भी पूर्ण चिंतन व धेर्य से काम लिया। अपने चुने हुए सरदारों से परामर्श किया, इनमें प्रमुख गोरा और बादल थे।महाराजा सरदार सिंह बीकानेर परिचय और इतिहासऐसे कठिन समय में रानी पद्मनी, गोरा बादल ने मिलकर बड़ी दूरदर्शिता से काम लिया। उन्होंने निश्श्चय किया कि इस विकट परिस्थिति में राजा रतन सिंह को कूटनीति से छुड़ाना चाहिये और युद्ध करके अलाउद्दीन के छक्के छुड़ाना चाहिये। अतः उन्होंने अलाउद्दीन खिलजी के पास कहला भेजा कि, “रानी साहिबा दिल्ली के बादशाह की सेवा में पहुंचने को अहोभाग्य मानती है। परन्तु वे मान-प्रतिष्ठा का ध्यान रखती हुई सात सौ बांदियों के साथ पालकियों में बैठकर आयेंगी। इसके साथ ही साथ “उसकी हार्दिक अभिलाषा है कि वह अपने पति, मेवाड़ सूर्य, के अन्तिम दर्शन भी कर लें। अत: कारागार में उनसे मिलने की व्यवस्था एकान्त रूप में की जानी चाहिये। यदि आप यह शर्ते मंजूर करने को तेयार तो अनुकूल व्यवस्था की जाये।महाराजा अमरसिंह पटियाला का परिचय और इतिहासइस संदेश को पढ़कर मदान्ध व अदूरदर्शी अलाउद्दीन खिलजी कुछ भी नही समझ सका वरन मारे खुशी के उछल पड़ा। उसकी बुद्धि पर अन्धकार छा गया, अपनी सूझबूझ खो बैठा। उसने सहर्ष वह शर्ते मंजूर की। बादशाह का स्वीकृति-पत्र प्राप्त होते ही सात सौ पालकियों की तैय्यारी प्रारम्भ हुई। प्रत्येक पालकी में दो-दो चुनें हुए सशस्त्र राजपूत वीर बैठे और छः छ: वीर कहारों के भेष में शस्त्रों को छिपाये प्रत्येक पालकी को उठाकर चल दिये। यह गुप्त वीरों का कारवां गोरा बादल के नेतृत्व में चल पड़ा। रानी महलों में ईश्वर से प्रार्थना कर रही थी कि ईश्वर उन्हें सफलता दे।महाराजा सूरत सिंह बीकानेर जीवन परिचय और इतिहासबादशाह ने भी शर्त के अनुसार कारागार में राजा से रानी को मिलने के लिये उचित व्यवस्था कर दी। बादशाह नवविवाह के स्वप्नों में डूबा था और वह निकाह के लिये काजी को बुलाने की व्यवस्था में लीन था। इधर महाराजा को मुक्त करते ही, वह कुछ वीरों को अपने साथ ले महलों की ओर चल पड़े। सभी सशस्त्र नौजवान राजपूत वीर अपनी अपनी पालकियों से निकल कर यवनों पर टूट पड़े। अलाउद्दीन खिलजी चिल्ला उठा “दगा ! दगा ! ”लड़ाई प्रारम्भ हो गई। गोरा बादल ने अपूर्व वीरता का परिचय दिया। वे बुद्धिमान व दूरदर्शी के साथ साथ वीर भी थे। उन्होंने मुसलमानों को गाजर-मूली की तरह काटना प्रारम्भ कर दिया। बादशाह इन दो बहादुरों के भयंकर वारों को देखकर घबरा उठा। उसने अपने डेरे को वहां से उठाने का भी फैसला किया।महाराजा किशन सिंह भरतपुर रियासतयद्यपि इस युद्ध में बादल लड़ता-लड़ता मारा गया परन्तु दोनों बहादुरों ने अपने स्वामी की सफलता के साथ रक्षा की तथा बादशाह को भी वहां से कूच करवाया। यह थी गोरा बादल की अनुपम वीरता की कथा। पृथ्वी पावन हो उठी अपने सपूत की आहुति से“ वाड़ी वीरो ने उचित सम्मान दिया। राजा रतनसिंह ने कहा, “हमें आज ऐसे अनुपम-देशभक्त व स्वामी भक्त वीरों पर गर्व है। ऐसे अनूठे सपूतों ने हमारे इतिहास को गौरवान्वित किया है। मेवाड़ इनके ऋण को कभी नहीं चुका सकता। में वीर बादल की दिवंगत आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना करता हूं तथा वीर गोरा की सेवाओं को प्राप्त करने के लिये आह्वान करता हूं। वह नौजवान मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करें। जय एकलिंगी। हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:—-[post_grid id=”8179″]Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like this:Like Loading... भारत के महान पुरूष