गोपीजन वल्लभ जी मंदिर जयपुर राजस्थान Naeem Ahmad, September 18, 2022February 22, 2023 राजस्थान की राजधानी जयपुर में श्री जी की मोरी में प्रवेश करते ही बांयी ओर गोपीजन वल्लभ जी का मंदिर भी नगर-प्रासाद ओर इस नगर के विशाल और सुन्दर मंदिरों मे से एक है। कहते है कि यह मंदिर पहले निम्बार्क संप्रदाय का था। इस संप्रदाय के 39वे जगदगुरु श्री वृन्दावन देवाचार्य सवाई जयसिंह के अश्वमेघ यज्ञ मे जयपुर आये थे। आमेर की सडक पर परशुराम द्वारा नामक स्थान तभी का है और वृन्दावन देवाचार्य वही ठहरे थे। सवाई जयसिंह ने अपने नये नगर को सभी संप्रदायो के स्थानों से मण्डित किया था और वृन्दावन देवाचार्य को उसने यह मंदिर दिया था। गोपीजन वल्लभ जी मंदिर जयपुर राजस्थान रामसिंह द्वितीय के समय तक इस गोपीजन वल्लभ जी मंदिर देवस्थान के महन्त निम्बार्क संप्रदाय के ही होते रहे, फिर जब शैवों और वैष्णवों मे खटक गई ओर ब्रहमपुरी से गोकल नाथ जी तथा पुरानी बस्ती से गोकुल चन्द्र माजी के गोस्वामी अपने देव- विग्रहों के साथ जयपुर छोड गये तो निम्बार्काचार्य गोपेश्वरशरण देवाचार्य भी यहां से सलेमाबाद (किशनगढ) चले गये और फिर नही लौटे। गोपीजन वल्लभ जी मंदिर जयपुर महाराजा रामसिंह ने गोपीजन वल्लभ जी मंदिर फिर द्रविड विद्वान पंडित जयराम शेष की महन्ताई में दे दिया। फिर रामनाथ शास्त्री, जिन्हे जयपुर मे ‘मन्वाजी” के नाम से प्रसिद्धि प्राप्त थी, महन्त बने और 1872 ई मे महाराजा रामसिंह ने यह मंदिर उन्ही को भेंट कर दिया। तब से इस मंदिर को मन्वाजी के मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर का प्रवेशद्वार पूर्व की और देखता है, किंतु राधा-कृष्ण के सुन्दर विग्रह, जो ऊपर जाने पर हैं, नगर की ओर दक्षिणा भिमुखी है। भगवान के मंदिर का यहां वही रूप है जो गोविन्द देव जी के मंदिर मे देखा जाता है। पाच मेहराबो की विशाल बारहदरी के बीच मे चार स्तम्भों को बंद कर गर्भ-गृह बना है, जिसमे गोविन्द के समान मुंह बोलते राधा-कृष्ण विग्रह है। गर्भगृह के दोनो ओर चवरधारी द्वारपाल हैं। दीवानखाना या बारहदरी दो ओर से जालियों से बंद है और ऊपर छत पर गुम्बददार छत्रियां तथा आयताकार खुले दालान इमारत के देवस्थान होने की सूचना देते है। गोपीजन वल्लभ जी मंदिर के दिंवगत महत पंडित गोपीनाथ द्रविड साहित्याचार्य जयपुर के संस्कृत विद्वानों मे गणनीय थे।जयपुर के प्रसिद्ध वीतराग दक्षिणात्य विद्वान पण्डित वीरेश्वर शास्त्री भी इसी मंदिर मे रहे थे और उनसे साहित्य एव शास्त्र-चर्चा के लिए यहां अनेकानेक विद्वान, अध्यापक और धर्मशास्त्री आते ही रहते थे। हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:—- ईसरलाट जयपुर - मीनार ईसरलाट का इतिहास त्रिपोलिया गेट का निर्माण किसने करवाया था ब्रजराज बिहारी जी मन्दिर जयपुर राजस्थान गिरधारी जी का मंदिर जयपुर राजस्थान गोवर्धन नाथ जी मंदिर जयपुर राजस्थान लक्ष्मण मंदिर जयपुर - लक्ष्मण द्वारा जयपुर सीताराम मंदिर जयपुर - सीताराम मंदिर किसने बनवाया राजराजेश्वरी मंदिर कहां स्थित है - राजराजेश्वरी मंदिर जयपुर ब्रज निधि जी मंदिर जयपुर परिचय और इतिहास गोपाल जी मंदिर जयपुर - गंगा-गोपाल जी मंदिर का इतिहास गोविंद देव जी मंदिर जयपुर - गोविंद देव जी मंदिर का इतिहास रामप्रकाश थिएटर जयपुर - रामप्रकाश नाटकघर का इतिहास ईश्वरी सिंह की छतरी - महाराज सवाई ईश्वरी सिंह जनता बाजार जयपुर और जय सागर का इतिहास माधो विलास महल का इतिहास हिन्दी में बादल महल कहां स्थित है - बादल महल जयपुर तालकटोरा जयपुर - जयपुर का तालकटोरा सरोवर जय निवास उद्यान जयपुर - जय निवास गार्डन चंद्रमहल सिटी पैलेस जयपुर राजस्थान मुबारक महल कहां स्थित है - मुबारक महल सिटी प्लेस Amer fort jaipur आमेर का किला जयपुर का इतिहास हिन्दी में Jantar mantar jaipur history in hindi - जंतर मंतर जयपुर का इतिहास Hawamahal history in hindi- हवा महल का इतिहास भारत के प्रमुख धार्मिक स्थल जयपुर के दर्शनीय स्थलजयपुर पर्यटनजयपुर पर्यटन स्थलराजस्थान धार्मिक स्थलराजस्थान पर्यटन