गोइंदवाल साहिब हिस्ट्री इन हिन्दी – श्री बाउली साहिब गुरूद्वारा गोइंदवाल
Naeem Ahmad
गुरू श्री अंगद देव जी के हुक्म से श्री गुरू अमरदास जी ने पवित्र ऐतिहासिक नगर श्री गोइंदवाल साहिब को सिक्ख धर्म का प्रचार प्रसार के केंद्र के रूप में स्थापित किया। श्री गुरू अमरदास जी ने संगतो की आत्मिक एवं सांसारिक तृप्ति, तन मन की पवित्रता, ऊंच नींच, जात पात के भेदभाव को दूर करने के लिए चौरासी सिद्धियों वाली बाउली साहिब की रचना करवायी।
ये ऐतिहासिक स्थान जहाँ सुंदर प्राकृतिक नजारो से भरपूर है, व अति सुंदर और रमणीक है, वहीं प्रबंध के नजरिये से भी एक आदर्श स्थान है। गोइंदवाल के ऐतिहासिक महत्व का अंदाजा इसी कहावत से लगाया जा सकता है कि आज गोइंदवाल को सिक्खी का धुरा कहा जाता है।
श्री गुरू ग्रंथ साहिब जी की पावन स्वरूप वाणी का संग्रह इसी स्थान पर बाबा मोहन जी वाली पोथियों से प्रारंभ हुआ था। पांचवें गुरु अर्जुन देव जी का जन्म भी इस पावन स्थान पर हुआ था। गुरु अमरदास जी सन् 1552 मे इसी स्थान पर गुरू गद्दी पर विराजमान हुए थे।
गोइंदवाल साहिब के सुंदर दृश्य
बादशाह अकबर भी गुरू अमरदास जी के दर्शन के लिए तथा आत्मिक शांति के लिए उनके दरबार में यही हाजिर हुए थे। पंजाब का प्रसिद्ध त्यौहार वैशाखी को मनाने की शुरुआत भी जोड़ मेले के रूप में इसी स्थान से आरंभ हुई थी।
गोइंदवाल साहिब की बाउली साहिब तथा और गुरू स्थानों की सेवा पहले मिसलों के सरदारों तथा बाद में बाद में महाराजा रणजीत सिंह ने करवायी। गुरूद्वारा बाउली साहिब गोइंदवाल का मुख्य स्थान है। यहां देश विदेश से संगत भारी संख्या में दर्शन व स्नान के लिए आती हैं।
प्रकाश स्थान, श्री गुरू ग्रंथ साहिब जी के चार मंजिला शानदार इमारत सन् 1938 से 1944 के बीच बनायी गई थी। यहां यात्रियों की सुविधाओं के लिए गुरू अमरदास एवं गुरू अर्जुन देव निवास में लगभग 60 कमरे सभी सुविधाओं सहित है। गोइंदवाल साहिब मे लंगर का प्रबंध भी बडे़ पैमाने पर और बड़ा ही आकर्षक है।
गुरूद्वारा श्री बाऊली साहिब या गोइंदवाल साहिब तहसील खडूर साहिब जनपद अमृतसर में है।यह स्थान तरनतारन रेलवे स्टेशन से 25किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। बस स्टैंड गोइंदवाल से केवल 400 मीटर की दूरी पर गुरूद्वारा साहिब शोभायमान है।
श्री गोइंदवाल साहिब के स्थान के आसपास गुरू अमरदास जी का कुआँ, गुरूद्वारा चौबारा साहिब आदि दर्शनीय स्थान है। गुरू अमरदास जी का प्रकाश पर्व एवं शहीदी दिवस यहां बड़े स्तर पर मनाया जाता है। इसके साथ ही सभी गुरू साहिबानों का आगमन पर्व भी बडी शानोशौकत से मनाया जाता है।
समान्य दिनो में गोइंदवाल साहिब मे लगभग 3 से 4 हजार भक्त दर्शन करते है तथा विशेष पर्वों पर लगभग 25 से 35 हजार श्रद्धालु प्रतिदिन दर्शन करते है। साल भर में लगभग यहां 40 से 50 लाख भक्त दर्शन करते है।
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