गुरुद्वारा शहीदगंज साहिब बाबा दीप सिंह जी सिक्खों की तीर्थ नगरी अमृतसर में स्थित है। गुरूद्वारा शहीदगंज साहिब वह जगह है जहाँ बाबा दीप सिंह जी ने अन्य सिंह साथियों के साथ मिलकर श्री हरमंदिर साहिब का अनादर कर रही मुगल सेना से लड़ते हुए शहादत हासिल की। महान सिख विद्वान और शहीद बाबा दीप सिंह उस समय बुरी तरह से घायल हो गए जब अफगान आक्रमणकारी अहमद शाह अब्दाली ने हरमंदिर साहिब को उड़ा दिया और पवित्र तालाब को मिट्टी से भर दिया। बाबा दीप सिंह ने सिखों की पवित्रता को बहाल करने के लिए हरिमंदिर साहिब के प्रांगण में मरने की शपथ लेकर तलवार उठाई। और उसने पाँच हज़ार वफादार सिखों के साथ जहान खान की मुस्लिम सेना के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी, और शहादत हासिल की थी।
गुरूद्वारा शहीदगंज साहिब
बाबा दीप सिंह कौन थे
बाबा दीप सिंह जी का जन्म 26 जनवरी 1682 को पहुविण्ड गांव में सरदार भगत सिंह के घर हुआ था। सन् 1706 में दमदमा साहिब तलवंडी साबो के स्थान पर आपने गुरू गोविंद सिंह जी की देखरेख में भाई मनी सिंह के साथ मिलकर श्री गुरू ग्रंथ साहिब की बीड़ लिखकर तैयार की थी। बाबा दीप सिंह जी अनेक भाषाओं के उच्चकोटि के विद्वान भी थे।
गुरूद्वारा शहीद गंज साहिब के सुंदर दृश्यश्री गुरू ग्रंथ साहिब की प्रतिलिपियाँ तैयार कराकर सभी तख्तों पर प्रचार के लिए भेजी गई, परंतु आप श्री दमदमा साहिब के स्थान पर जत्थेदार की पदवी पर रहते हुए गुरमति प्रचार में लगे। बाबा दीप सिंह जी प्रत्येक वर्ष दीपावली तथा वैशाखी के अवसरों पर समूह संगत को लेकर श्री अमृतसर साहिब के दर्शन के लिए पहुंचते थे। सन् 1708 से सन् 1716 तक बाबा दीप सिंह जी ने अनेक युद्ध लडे और जीते। बाबा दीप सिंह जी गुरूधामो की पवित्रता को बनाये रखने के लिए सदा तत्पर रहते थे।
बाबा दीप सिंह जी की शहादत
सन् 1756 की बात है, अफगानी शासक अहमद शाह अब्दाली ने अपने सेनापति कपूर शाह को आज्ञा दी कि सिक्खों के हरिमंदिर साहिब को धराशायी करके अमृत सरोवर को मिटटी से भर दिया जाये। मुस्लमान सेना ने अमृतसर पर आक्रमण कर 18 जनवरी 1756 को अमृत सरोवर को मिट्टी से भर दिया। जत्थेदार भाग सिंह जी ने दमदमा साहिब पहुंच कर मुसलमान आक्रमणकारियों के बारें में सारी बात बाबा दीप सिंह जी को बताई। मुस्लिम आक्रमणकारियों के हरमंदिर साहिब को धराशायी और अमृत सरोवर को मिट्टी से भरने की बात सुनकर बाबा दीप सिंह जी क्रोध से भर उठे। और उसी समय एक प्रतिज्ञा की कि वह अपने प्राण हरमंदिर साहिब के प्रागंण मे त्यागेंगे।
हमारे यह लेख भी जरूर पढ़ें:—–
गुरूद्वारा गुरू का महल
खालसा पंथ का अर्थ
पांच तख्त साहिब के नाम
दमदमा साहिब का इतिहास
पांवटा साहिब का इतिहास
गुरूद्वारा बाबा अटल राय जी
गोल्डन टेम्पल का इतिहास
अकाल तख्त का इतिहास
हजूर साहिब हिस्ट्री इन हिन्दी
हेमकुंड साहिब का इतिहास
बाबा दीप सिंह जी पांच हजार सिंह शूरवीरों को लेकर तरनतारन पहुंच गये। बडा घमासान युद्ध हुआ। चब्बा गाव के निकट बाबा नौध सिंह जूझते हुए शहीद हो गये। परंतु बाबा दीप सिंह जी ने अपना दो धारा खण्डा चलाया, गोहलवड़ के स्थान पर मुगलों की सेना के साथ लडते हुए आप का शीश धड़ से अलग हो गया। परंतु आप ने प्राण नहीं त्यागे क्योंकि आपने प्रण किया था कि हरमंदिर साहिब को आजाद करवाकर ही अपने प्राण त्यागूगा।
बाबा दीप सिंह जी ने अपना शीश अपने बांये हाथ पर टिकाया तथा दायें हाथ से खड्ग चलाते हुए दुश्मनों का संहार करते हुए हरिमंदिर साहिब की ओर आगे बढ़ते गये। ह चमत्कार देखकर दुश्मन सेना में खलबली मच गई और दुश्मन सेना के पैर उखड गये। बाबा दीप सिंह जी ने श्री हरिमंदिर साहिब की परिक्रमा में पहुंचकर प्राण त्यागे तथा हरिमंदिर साहिब को आजाद कराने की अपनी प्रतीज्ञा पूरी की। इस स्थान पर अब टाहली साहिब स्थित है।
चाटिविण्ड के स्थान पर बाबा दीप सिंह के धड़ तथा अन्य शहीद सिंहों की अंत्येष्टि की गई।
जहां बाद में एक शहीद स्मारक बनाया गया, जिसको आगे चलकर गुरूद्वारे में बदल दिया गया और यह गुरूद्वारा शहीदगंज साहिब के रूप मे वर्तमान में जाना जाता है। हजारों कीसंख्या में सिक्ख संगत यहा दर्शन के लिये आती है।
भारत के प्रमुख गुरूद्वारों पर आधारित हमारे यह लेख भी जरूर पढ़ें:—-

बिहार की राजधानी
पटना शहर एक धार्मिक और ऐतिहासिक शहर है। यह शहर सिख और जैन धर्म के अनुयायियों के
Read more समुद्र तल से लगभग 4329 मीटर की हाईट पर स्थित गुरूद्वारा श्री
हेमकुंड साहिब (Hemkund Sahib) उतराखंड राज्य (Utrakhand state)
Read more नानकमत्ता साहिब सिक्खों का पवित्र तीर्थ स्थान है। यह स्थान उतराखंड राज्य के उधमसिंहनगर जिले (रूद्रपुर) नानकमत्ता नामक नगर में
Read more आनंदपुर साहिब, जिसे कभी-कभी बस आनंदपुर आनंद का शहर" कहा जाता है के रूप में संदर्भित किया जाता है, यह
Read more हजूर साहिब गुरूद्वारा महाराष्ट्र राज्य के नांदेड़ जिले में स्थापित हैं। यह स्थान गुरु गोविंद सिंह जी का कार्य स्थल
Read more स्वर्ण मंदिर क्या है? :- स्वर्ण मंदिर सिक्ख धर्म के अनुयायियों का धार्मिक केन्द्र है। यह सिक्खों का प्रमुख गुरूद्वारा
Read more दुख भंजनी बेरी ट्री एक पुराना बेर का पेड़ है जिसे पवित्र माना जाता है और इसमें चमत्कारी शक्ति होती
Read more यह ऐतिहासिक तथा पवित्र पांच मंजिलों वाली भव्य इमारत श्री हरमंदिर साहिब की दर्शनी ड्योढ़ी के बिल्कुल सामने स्थित है।
Read more गुरूद्वारा
बाबा अटल राय जी अमृतसर का एक प्रसिद्ध गुरुद्वारा है। हर साल हरमंदिर साहिब जाने वाले लाखों तीर्थयात्रियों में
Read more गुरुद्वारा
पांवटा साहिब, हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के पांवटा साहिब में एक प्रसिद्ध गुरुद्वारा है। पांवटा साहिब पर्यटन स्थल
Read more यह
तख्त साहिब भटिंडा ज़िला मुख्यलय से 35 किमी दूर तलवांडी साबो में बस स्टेशन के बगल में स्थापित है
Read more जिस तरह हिन्दुओं के लिए रामायण, गीता, मुसलमानों के लिए कुरान शरीफ, ईसाइयों के लिए बाइबल पूजनीय है। इसी तरह
Read more जैसा की आप और हम जानते है कि सिक्ख धर्म के पांच प्रमुख तख्त साहिब है। सिक्ख तख्त साहिब की
Read more "खालसा पंथ" दोस्तों यह नाम आपने अक्सर सुना व पढ़ा होगा।
खालसा पंथ क्या है। आज के अपने इस लेख
Read more गुरूद्वारा गुरू का महल कटड़ा बाग चौक पासियां अमृतसर मे स्थित है। श्री गुरू रामदास जी ने गुरू गद्दी काल
Read more अमृतसर शहर के कुल 13 द्वार है। लोहगढ़ द्वार के अंदर लोहगढ़ किला स्थित है। तत्कालीन मुगल सरकार पर्याप्त रूप
Read more प्रिय पाठकों अपने इस लेख में हम सिख धर्म के उन पांच प्रतीक चिन्हों के बारें में जानेंगे, जिन्हें धारण
Read more तरनतारन गुरूद्वारा साहिब, भारत के पंजाब राज्य में एक शहर), जिला मुख्यालय और तरन तारन जिले की नगरपालिका परिषद है।
Read more मंजी साहिब गुरूद्वारा हरियाणा के कैथल शहर में स्थित है। कैथल भारत के हरियाणा राज्य का एक जिला, शहर और
Read more दुख निवारण गुरूद्वारा साहिब पटियाला रेलवे स्टेशन एवं बस स्टैंड से 300 मी की दूरी पर स्थित है। दुख निवारण
Read more गुरूद्वारा
नानकसर कलेरा जगराओं लुधियाना जिले की जगराओं तहसील में स्थापित है।यह लुधियाना शहर से 40 किलोमीटर और जगराओं से
Read more गुरूद्वारा चरण कंवल साहिब लुधियाना जिले की माछीवाड़ा तहसील में समराला नामक स्थान पर स्थित है। जो लुधियाना शहर से
Read more मुक्तसर फरीदकोट जिले के सब डिवीजन का मुख्यालय है। तथा एक खुशहाल कस्बा है। यह प्रसिद्ध तीर्थ स्थान भी है।
Read more गुरूद्वारा श्री तेगबहादुर साहिब या
धुबरी साहिब भारत के असम राज्य के धुबरी जिले में ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे स्थित
Read more गुरूद्वारा नानक झिरा साहिब कर्नाटक राज्य के बीदर जिले में स्थित है। यह सिक्खों का पवित्र और ऐतिहासिक तीर्थ स्थान
Read more नाड़ा साहिब गुरूद्वारा चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन से 5किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। नाड़ा साहिब गुरूद्वारा हरियाणा प्रदेश के पंचकूला
Read more गुरुद्वारा
पिपली साहिब अमृतसर रेलवे स्टेशन से छेहरटा जाने वाली सड़क पर चौक पुतलीघर से आबादी इस्लामाबाद वाले बाजार एवं
Read more गुरुद्वारा
पातालपुरी साहिब, यह गुरुद्वारा रूपनगर जिले के किरतपुर में स्थित है। यह सतलुज नदी के तट पर बनाया गया
Read more गुरुद्वारा कतलगढ़ साहिब श्री चमकौर साहिब में स्थापित है। यह गुरुद्वारा ऐतिहासिक गुरुद्वारा है। इस स्थान पर श्री गुरु गोबिंद
Read more गुरुद्वारा
बेर साहिब सुल्तानपुर लोधी नामक कस्बे में स्थित है। सुल्तानपुर लोधी, कपूरथला जिले का एक प्रमुख नगर है। तथा
Read more गुरुद्वारा
हट्ट साहिब, पंजाब के जिला कपूरथला में सुल्तानपुर लोधी एक प्रसिद्ध कस्बा है। यहां सिख धर्म के संस्थापक गुरु
Read more मुक्तसर जिला फरीदकोट के सब डिवीजन का मुख्यालय है तथा एक खुशहाल कस्बा है। यह प्रसिद्ध तीर्थ स्थान भी है।
Read more नई
दिल्ली रेलवे स्टेशन से 5 किलोमीटर दूर लोकसभा के सामने गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब स्थित है। गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब की स्थापना
Read more गुरुद्वारा बिलासपुर साहिब हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर शहर मे स्थित है बिलासपुर, कीरतपुर साहिब से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर
Read more गुरुद्वारा मजनूं का टीला नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से 15 किलोमीटर एवं पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन से 6 किलोमीटर की दूरी
Read more उत्तर प्रदेश की की राजधानी लखनऊ के जिला मुख्यालय से 4 किलोमीटर की दूरी पर यहियागंज के बाजार में स्थापित लखनऊ
Read more नाका गुरुद्वारा, यह ऐतिहासिक गुरुद्वारा नाका हिण्डोला लखनऊ में स्थित है। नाका गुरुद्वारा साहिब के बारे में कहा जाता है
Read more आगरा भारत के शेरशाह सूरी मार्ग पर उत्तर दक्षिण की तरफ यमुना किनारे वृज भूमि में बसा हुआ एक पुरातन
Read more गुरुद्वारा बड़ी संगत गुरु तेगबहादुर जी को समर्पित है। जो बनारस रेलवे स्टेशन से लगभग 9 किलोमीटर दूर नीचीबाग में
Read more