गुरूद्वारा गुरू का महल अमृतसर पंजाब की जानकारी हिंदी में Naeem Ahmad, June 26, 2019March 11, 2023 गुरूद्वारा गुरू का महल कटड़ा बाग चौक पासियां अमृतसर मे स्थित है। श्री गुरू रामदास जी ने गुरू गद्दी काल में 500 बीघे जमीन 700 रूपये के हिसाब से खरीद कर अमृतसर के मध्य अपने परिवार के आवास के लिए 18 जून 1573 मे यह निवास स्थान बनवाया था। पहले इस स्थान पर बेरी तथा आम के वृक्षों का घना जंगल था।बाबा बुड्ढा जी ने अरदास करके पहले सरकंडे का एक छप्पर तैयार कराया। गुरू साहिब के साथ आसपास के गांवों की संगत इकट्ठा थी। सन् 1574 से लेकर गुरू रामदास जी अपने परिवार बीबी भानी तथा तीन सुपुत्रों के साथ इस स्थान पर रहने लगे। आपने यहां एक कुआँ बनवाया।गुरूद्वारा गुरू का महल के सुंदर दृश्यगुरूद्वारा गुरू का महलअमृतसर सिफ्ती दा घर के स्थान पर यह सबसे पहला आवास स्थान बनाया गया था। मंजी साहिब के स्थान पर गुरूवाणी का कीर्तन, दीवान तथा गुरू का लंगर लगता था। रबाबियों के आवास के लिए भी मकान बनाये गये। जो बाद में गली रबाबियों के नाम से प्रसिद्ध हुई।इसी स्थान पर ही गुरू अर्जुन देव जी की शादी हुई। श्री गुरू रामदास जी ने लाहौर से प्रत्येक प्रकार के कारीगर मंगवा कर अमृतसर नगर को बसाया तथा गुरू के महल के साथ बत्तीस हटट्स बनवाये, इस इस बाजार का नाम गुरू का बाजार के नाम से प्रसिद्ध हो गया।गुरू रामदास जी ने अपने छोटे पुत्र श्री अर्जुन देव जी की सेवा तथा नाम स्मरण को देखते हुए एक सितंबर 1581 को गुरू गद्दी सौंपकर दो सितंबर 1581 को श्री गोइंदवाल साहिब के स्थान पर ज्योति ज्योत मे समा गये।बाबा प्रिथी चंद गुरू रामदास जी के सबसे बडे पुत्र थे। परंतु उनका मन लौकिक अहंभावमय था। इसलिए आप गुरू पदवी से वंचित रहे। प्रत्येक परिवारिक कार्य में प्रिथी चंद तथा उनकी पत्नी बीबी करमों गुरू के महल माता गंगा के साथ क्लेश, कटुवचन तथा दुव्र्यवहार करती थी। इसलिए गुरू अर्जुन देव जी माता गंगा को साथ लेकर गुरू के महल को छोड़कर अन्य स्थान पर रहने लगे, परंतु बाबा बुड्ढढा सिंह जी, भाई गुरदास जी तथा गुरू घराने के प्रेमीजन नर नारी उन्हें शीघ्र ही वापिस ले आए। श्री गुरू हरगोविंद सिंह जी इस स्थान पर सन् 1634 तक रहे।सन् 1604 में पुत्र हरगोविंद सिंह जी की शादी गुरू के महल के स्थान पर हुई थी। यहां उनके पुत्र बाबा गुरदत्ता जी, सूरजमल जी, अणीराय जी, बाबा अटल राय जी, तेग बहादुर जीतथा बीबी वीरो जी पैदा हुए।हमारे यह लेख भी जरूर पढ़ें:—खालसा पंथ का अर्थपांच तख्त साहिबगुरू ग्रंथ साहिबदमदमा साहिब का इतिहासगुरूद्वारा पांवटा साहिबगुरूद्वारा बाबा अटल राय जीदुख भंजनी बेरीअकाल तख्त का इतिहासहरमंदिर साहिब का इतिहास15 मई सन् 1629 को बीबी वीरो की शादी के समय शाहजहां की मुगल सेना की ओर से भारी आक्रमण किया गया। फिर भी गुरु जी की जीत हुई। गुरू साहिब करतापुर सोढ़ियो के पास चले गये। गुरू के महल के स्थान पर 57 वर्ष भारी रौनक रहीं। परंतु सन् 1634 में गुरू हरगोविंद सिंह जी के यहाँ से प्रस्थान के कारण प्रिथी चंद का पुत्र सोढी मिहरबान मुगल शासकों की सहायता से पूर्णतः इस स्थान पर तथा श्री हरिमंदिर साहिब पर अधिकृत हो गया।इस स्थान पर महंत मूल सिंह कथा कीर्तन का प्रवाह चलाते रहे। सन् 1972 से इस स्थान के बहुत सुंदर बनाने की सेवा संत सेवा सिंह नौहरा गांव बंगा वाले तथा लाभ सिंह व बाबा भाग सिंह जी करते रहे। नौ मंजिलों वाली भव्य इमारत 113 फुट ऊंची बनाई गई। इस सुंदर महल के ऊपर सोने का कलश भी सुसज्जित कराया गयाइस स्थान पर माता भानी का जन्मदिन, गुरू तेगबहादुर जी का प्रकाश दिवस, गुरू तेगबहादुर जी का शहीदी दिवस बडे़ उत्साह पूर्वक मनाया जाता है। प्रत्येक महीने संक्रांति तथा सप्ताह के प्रत्येक रविवार दीवान सुशोभित होते है। और यहा गुर का लंगर आठों पहर चलता है।भारत के प्रमुख गुरूद्वारों पर आधारित हमारे यह लेख भी जरूर पढ़ें:—-[post_grid id=’6818′]Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like this:Like Loading... भारत के प्रमुख धार्मिक स्थल ऐतिहासिक गुरूद्वारेगुरूद्वारे इन हिन्दीगुरूद्वारे जन्म स्थानपंजाब की सैरपंजाब टूरिस्ट पैलेसपंजाब दर्शनपंजाब यात्राभारत के प्रमुख गुरूद्वारे