गुरुद्वारा मजनूं का टीला साहिब हिस्ट्री इन हिन्दी – मजनूं का टीला गुरुद्वारा साहिब का इतिहास Naeem Ahmad, June 20, 2021March 11, 2023 गुरुद्वारा मजनूं का टीला नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से 15 किलोमीटर एवं पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन से 6 किलोमीटर की दूरी पर आऊटर रिंग रोड़ पर मजनूं का टीला क्षेत्र में यमुना नदी के किनारे स्थित है। गुरुद्वारा मजनूं का टीला साहिब दिल्ली के पर्यटन स्थलों में प्रमुख स्थान रखता है। बड़ी संख्या में श्रृद्धालु और पर्यटक यहां आते है। इसके अलावा यह स्थान दिल्ली, एनसीआर क्षेत्र में सिख समुदाय का यमुना नदी में अस्थियाँ विसर्जन करने का भी प्रमुख स्थान भी है। गुरुद्वारा मजनूं का टीला हिस्ट्री इन हिन्दी – गुरुद्वारा मजनूं का टीला का इतिहास इस स्थान पर गुरु नानक देव जी सिकंदर लोधी के समय आए थे। एक सूफी फकीर अब्दुल्ला ईरान से प्रभु भक्ति का प्रचार करता हुआ इस स्थान टीले पर आया । वह इस टीले पर एक छोटी सी झुग्गी बनाकर भगवान की भक्ति करता था। उसके फटे कपड़े और भक्ति में बैराग्य हालत को देखकर लोग उसे मजनूं के नाम से पुकारा करते थे। वह फकीर गुरु नानक देव जी की महिमा सुनकर बहुत प्रभावित हुआ। श्री गुरु नानक देव जी ने 20 जुलाई सन् 1505 को फकीर को दर्शन दिये। गुरु जी ने बादशाह का मरा हाथी जिंदा कर दिया। बादशाह गुरु जी के चरणों में गिर गया। गुरु नानक देव जी 31 जुलाई 1505 तक इस स्थान पर रहे। गुरु जी ने जाते समय फकीर को आशीर्वाद दिया कि यह स्थान तुम्हारे नाम से प्रसिद्ध होगा। तब से यह स्थान और यह गुरुद्वारा मजनूं का टीला के नाम से जाना जाता है। यह दिल्ली में गुरु नानक देव का पहला मुस्लिम भक्त था। गुरुद्वारा मजनूं का टीला साहिब सन् (1595-1644) के बीच गुरु हरगोविंद जी इस स्थान पर आकर रूके थे। बादशाह जहांगीर को गुरु अर्जुन देव के विरुद्ध उसके सलाहकारों ने भड़का दिया था। जहांगीर ने गुरु अर्जुन देव का वध करने का फरमान जारी कर दिया। परंतु लाहौर के कुछ विद्वानों और संतों द्वारा सही जानकारी देने पर जहांगीर ने अपना फरमान वापस ले लिया और गुरु अर्जुन देव का भरपूर सम्मान किया। जब गुरु हरगोबिंद जी दिल्ली आये तब कुछ लोगों ने जहांगीर को फिर भड़का दिया और गुरु हरगोबिंद को ग्वालियर जेल में बंद कर दिया गया। जब गुरु हरगोबिंद जी ग्वालियर जेल से बाहर आये तो जहांगीर का संदेह समाप्त हो चुका था। उन्होंने गुरु को भरपूर सम्मान दिया और अपनी भूल स्वीकार कर ली। गुरु हरगोबिंद जी दिल्ली में गुरुद्वारा वाले स्थान में ही रहते थे। गुरु हर राय जी जब अपने पुत्र राम राय को औरंगजेब को सिक्ख धर्म के विषय में जानकारी देने के लिए भेजा तो राम राय भी गुरुद्वारा वाले स्थान पर ही रुके अतः यह गुरुद्वारा ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण है। गुरुद्वारा मजनूं का टीला का निर्माण जत्थेदार बघेल सिंह ने 1783 को दिल्ली फतेह करने के बाद इस स्थान पर गुरुदारा मजनूं का टीला का निर्माण कराया। गुरुदारे मे मुख्य दरबार हाल में 2 फुट ऊंचे संगमरमर के चबूतरे पर 8×8 लम्बे चौडे सिंहासन पर पालकी साहिब विराजमान है। पालकी साहिब में श्री गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ नित्य किया जाता है। पालकी साहिब की छतरी एवं शिखर स्वर्ण मंडित है। दरबार हाल की लम्बाई चौडाई 50×50 फुट है। सम्पूर्ण गुरुद्वारा मजनूं का टीला संगमरमर के श्वेत पत्थरों से निर्मित है। बाहर एक कोने में 100 फूट ऊंचा निशाना साहिब स्तंभ है। दरबार हाल के चारो ओर 25 फुट चौड़ा परिक्रमा मार्ग है। पीछे लंगर हाल एवं अतिथि गृह है। गुरुद्वारा का गुम्बद शिखर 80 फुट ऊंचा है। गुरुदारे में जूताघर, गठरी घर, प्रसाद घर, लंगर हाल तथा अतिथि गृह आदि स्थापित है। हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:—– [post_grid id=”6818″]Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like this:Like Loading... भारत के प्रमुख धार्मिक स्थल ऐतिहासिक गुरूद्वारेगुरूद्वारे इन हिन्दीदिल्ली पर्यटनभारत के प्रमुख गुरूद्वारे