गुरुद्वारा बेर साहिब सुल्तानपुर लोधी कपूरथला – गुरुद्वारा बेर साहिब हिस्ट्री इन हिन्दी
Naeem Ahmad
गुरुद्वारा बेर साहिब सुल्तानपुर लोधी नामक कस्बे में स्थित है। सुल्तानपुर लोधी, कपूरथला जिले का एक प्रमुख नगर है। तथा भारत के पंजाब राज्य में स्थित है। यह स्थान अपने ऐतिहासिक सिख महत्व के कारण भक्तों में काफी प्रसिद्ध है बड़ी संख्या में भक्तगण यहां दर्शन के लिए आते है।
गुरुद्वारा बेर साहिब हिस्ट्री इन हिन्दी – गुरुद्वारा बेर साहिब का इतिहास
सुल्तानपुर लोधी में रहने के दौरान गुरु नानक देव जी प्रतिदिन वेई नदी पर स्नान तथा भजन बंदगी करने के लिए जाते थे। वहां पर उन्होंने एक बेर का पौधा लगाया था, जो वृक्ष के रूप में अभी भी है। यहां पर बाबा जस्सा सिंह आहलूवालिया सिक्ख पंथ के महान जरनैल जो कपूरथला रियासत के हाकिम थे, ने गुरुनानक देव जी की याद में एक धर्मस्थान बनवाया था। इस स्थान का नया भवन 1938 में बनना शुरू हुआ तथा 1942 में इसका निर्माण पूरा हुआ। यह भवन संगमरमर का बना हुआ है। यही गुरुद्वारा बेर साहिब के नाम से प्रसिद्ध है।
गुरुद्वारा बेर साहिब सुल्तानपुर लोधी
एक दिन वेई नदी में करते हुए गुरु नानक देव जी ने एक विशेष रोशनी देखी, गुरु नानक देव जी रोशनी की तरफ वेई नदी में आगे बढ़ते गये तथा नदी में अलोप हो गये। लोगों ने समझा कि गुरु नानक देव जी डूब गए, परंतु तीन दिनों के उपरांत गुरु नानक देव जी नदी से बाहर प्रकट हुए तथा फरमान किया “ना मै हिन्दू न मैं मुसलमान”।
यह देखकर सुनकर लोग बहुत हैरान हुए, तथा बहुत सारे लोग उनके प्रवचन सुनने के लिए आने लगे। शहर का काजी मुस्लिमों में बहुत चालाक व्यक्ति था, उसने गुरु जी को कहा कि यदि आप हिन्दू तथा मुसलमान में कोई फर्क नहीं समझते तो मेरे साथ चलकर मस्जिद में नमाज पढ़े।
गुरु नानक देव जी उनके साथ मस्जिद मे चले गये। मस्जिद में जब लोग नमाज पढ़ रहे थे तो गुरु जी चुपचाप खड़े रहकर उन लोगों को देख रहे थे। नमाज के बाद काजी ने पूछा कि उन्होंने उसके साथ नमाज क्यों नहीं पढ़ी तो गुरु जी ने कहा कि आप तो नमाज़ पढ़ने की बजाय अपनी गाय के बारे में सोच रहे थे, जिसने बछड़े को जन्म दिया है कि कही वो बछड़ा घर के आंगन में कुएँ में ना गिर जाये तो मै नमाज किस के साथ पढ़ता।
काजी तथा बाकी लोग गुरु जी से बहुत प्रभावित हुए तथा उनको बहुत बड़ा महापुरुष मानने लगे। जो लोगों के मन की बात को भी पढ़ सकते थे। सुल्तानपुर लोधी की पवित्र नगरी जहाँ गुरु नानक देव जी ने पहली बार परमात्मा का तथा भाईचारे का उपदेश दिया, एक महान तीर्थ बन गया। और आज यह स्थान गुरुद्वारा बेर साहिब के नाम से जगत प्रसिद्ध है। जहाँ हजारों किया संख्या में श्रृद्धालुओं का आना जाना लगा रहता है।