गुरुद्वाराबिलासपुर साहिब हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर शहर मे स्थित है बिलासपुर, कीरतपुर साहिब से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। कभी यह कहिलूर रियासत की राजधानी थी। अक्टूबर 1611 में श्री गुरु हरगोबिंद साहिब जी ने यहां के राजा कलियाणा चंद और कुंवर तारा चंद को ग्वालियर के किले से मुक्त करवाया था। छठे से दसवें पातशाह के साथ तक के इस रियासत के साथ सम्बंध रहे थे। सन् 1613 तक गुरु साहिब राजघराने के सभी पारिवारिक अवसरों पर बिलासपुर पहुंचा करते थे। इस नगर में नौवें और दसवें नानक ने कई बार दर्शन दिये थे।
गुरु साहिब की याद में शाही महल में एक गुरुद्वारा बना हुआ था। भाखड़ा बांध बनने के समय यह ऐतिहासिक शहर झील का एक हिस्सा बन गया, किंतु सारा सागर ही गुरु साहिब की यादगार बन गया है। आजकल पुराने बिलासपुर से दूर ऊपर की पहाडियों के बीच नये बसाये गये बिलासपुर में दसवीं पातशाही की याद में एक नये स्थल पर बिलासपुर साहिब गुरुद्वारा बनाया गया है।
इस नगर में नौवें तथा दसवें गुरु साहिब ने कई बार दर्शन दिये थे। गुरु गोबिंद सिंह जी यहां चार बार गये थे। गुरु साहिब की याद में शाही महल में एक गुरुद्वारा बना हुआ था। लेकिन बिलासपुर के कुछ सिक्ख दुश्मन राजाओं ने इस स्थान को बंद किया हुआ था। तथा सिखों को यहां आने भी नहीं दिया जाता था। वाहिगुरू ने बिलासपुर के इस परिवार को ऐसी सजा दी कि वह बिलासपुर शहर, जिसमें शाही महल थे, भाखड़ा बांध के लिए बने सागर में 80 फुट पानी के नीचे चला गया तथा उस सागर का नाम गुरु गोबिंद सिंह जी की याद में गोबिंद सागर रखा गया है। सिक्खों को गुरु साहिब की यादगार के पास न आने देने वालों का महल, राजधानी, रियासत तथा खानदान भी समाप्त हो गया।
वह गुरुद्वारा शाही महल के साथ ही गोबिंद सागर का भले ही हिस्सा बन गया किंतु सारा सागर ही गुरु गोबिंद सिंह जी साहिब की यादगार बन गया है। आजकल पुराने बिलासपुर से दूर ऊपर वाली पहाडियों के बीच नये बसाये गये शहर में दसवीं पातशाही की याद में गुरुद्वारा बिलासपुर साहिब बनाया गया है। इसकी इमारत नई तथा खूबसूरत है तथा इसका प्रबंध शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पास है। बिलासपुर में सिखों के बहुत कम घर है ज्यादातर यात्री ही गुरुद्वारा बिलासपुर साहिब जाते है।इसके अलावा बिलासपुर के दूसरी ओर पहाड़ियों में बसे छोटे छोटे गांवों में भी कुछ घर सिखों के है।
गुरुद्वारा बिलासपुर साहिब
गुरुद्वारा बिलासपुर साहिब हिस्ट्री इन हिन्दी
गुरुद्वारा बुद्धा साहिब हिमाचल प्रदेश के पुराने बिलासपुर शहर में स्थित था। गुरु तेग बहादुर बकाला में रहते थे और उन्होंने असम, बंगाल और बिहार में सात साल (1656-64) से अधिक समय बिताया था। गुरु तेग बहादुर ने कुछ समय तलवंडी साबो और धमतान में भी बिताया था।
अप्रैल 1665 के मध्य में, गुरु तेग बहादुर ने किरतपुर साहिब की यात्रा की। जब गुरु तेग बहादुर किरतपुर में थे, तब 27 अप्रैल 1665 को बिलासपुर के शासक राजा दीप चंद की मृत्यु हो गई। बिलासपुर का शासक बहुत ही समर्पित सिख था। 10 मई 1665 को, गुरु साहिब राजा दीप चंद के लिए अंतिम प्रार्थना करने के लिए बिलासपुर गए। गुरु साहिब 13 मई तक वहीं रहे। इस समय तक रानी चंपा को पता चल गया था कि गुरु साहिब ने अपना मुख्यालय धमतान स्थानांतरित करने का फैसला किया है।
इससे रानी चंपा मायूस हो गई। रानी चंपा माता नानकी (गुरु साहिब की मां) के पास गईं और उनसे विनती की कि वे गुरु साहिब से बिलासपुर राज्य से दूर न जाने के लिए कहें। माता नानकी भावुक रानी चंपा की मदद करने से नहीं रोक सकीं। माता जी ने गुरु साहिब से रानी की इच्छा पूरी करने का अनुरोध किया। जब गुरु साहिब सहमत हुए, रानी चंपा ने गुरु साहिब को कुछ जमीन दान करने की पेशकश की ताकि वह एक नया शहर स्थापित कर सकें। गुरु साहिब ने नया शहर बसाने का फैसला किया लेकिन जमीन का दान स्वीकार करने से इनकार कर दिया।
शिवलाक पहाड़ियों के निचले हिस्सों पर आनंदपुर साहिब शहर की साइट को गुरु तेग बहादुर ने पांच सौ रुपये के भुगतान पर खरीदा था। गुरु तेग बहादुर ने लोदीपुर, मियांपुर और सहोटा गांवों के बीच जमीन का एक टुकड़ा चुना और उसके लिए नियमित कीमत चुकाई। रानी चंपा ने झिझकते हुए जमीन की कीमत स्वीकार कर ली, लेकिन उनकी खुशी इस विचार से कम नहीं थी कि गुरु जी ने बिलासपुर राज्य के पास अपना मुख्यालय स्थापितकरने के लिए चुनी गई मखोवाल के प्राचीन गांव के खंडहरों के आसपास, गुरु साहिब द्वारा चुना गया स्थल, रणनीतिक दृष्टि से बहुत उल्लेखनीय था क्योंकि यह एक तरफ सतलज नदी से घिरा हुआ था और साथ ही इसके चारों ओर पहाड़ियों और जंगल भी थे। चक नानकी क्षेत्र के रूप में जाना जाने लगा का नाम गुरु जी की मां के नाम पर रखा गया। यह ध्यान के साथ-साथ कला और बौद्धिक गतिविधियों के लिए एक शांतिपूर्ण क्षेत्र साबित हुआ।
पुराना बिलासपुर बिलासपुर का ऐतिहासिक शहर 1954 में जलमग्न हो गया था जब सतलुज नदी को गोबिंद सागर (और भाखड़ा बांध) बनाने के लिए बांध दिया गया था, और पुराने के ऊपर एक नया शहर बनाया गया था। तो वास्तविक गुरुद्वारा सुलभ नहीं है लेकिन सरकार ने एक नए स्थान और वर्तमान गुरुद्वारे के लिए जमीन दी है।
हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:——

बिहार की राजधानी
पटना शहर एक धार्मिक और ऐतिहासिक शहर है। यह शहर सिख और जैन धर्म के अनुयायियों के
Read more समुद्र तल से लगभग 4329 मीटर की हाईट पर स्थित गुरूद्वारा श्री
हेमकुंड साहिब (Hemkund Sahib) उतराखंड राज्य (Utrakhand state)
Read more नानकमत्ता साहिब सिक्खों का पवित्र तीर्थ स्थान है। यह स्थान उतराखंड राज्य के उधमसिंहनगर जिले (रूद्रपुर) नानकमत्ता नामक नगर में
Read more गुरुद्वारा
शीशगंज साहिब एक ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण गुरुद्वारा है जो सिक्खों के नौवें गुरु तेग बहादुर को समर्पित है।
Read more आनंदपुर साहिब, जिसे कभी-कभी बस आनंदपुर आनंद का शहर" कहा जाता है के रूप में संदर्भित किया जाता है, यह
Read more हजूर साहिब गुरूद्वारा महाराष्ट्र राज्य के नांदेड़ जिले में स्थापित हैं। यह स्थान गुरु गोविंद सिंह जी का कार्य स्थल
Read more स्वर्ण मंदिर क्या है? :- स्वर्ण मंदिर सिक्ख धर्म के अनुयायियों का धार्मिक केन्द्र है। यह सिक्खों का प्रमुख गुरूद्वारा
Read more दुख भंजनी बेरी ट्री एक पुराना बेर का पेड़ है जिसे पवित्र माना जाता है और इसमें चमत्कारी शक्ति होती
Read more यह ऐतिहासिक तथा पवित्र पांच मंजिलों वाली भव्य इमारत श्री
हरमंदिर साहिब की दर्शनी ड्योढ़ी के बिल्कुल सामने स्थित है।
Read more गुरूद्वारा
बाबा अटल राय जी अमृतसर का एक प्रसिद्ध गुरुद्वारा है। हर साल हरमंदिर साहिब जाने वाले लाखों तीर्थयात्रियों में
Read more गुरुद्वारा
पांवटा साहिब, हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के पांवटा साहिब में एक प्रसिद्ध गुरुद्वारा है। पांवटा साहिब पर्यटन स्थल
Read more यह
तख्त साहिब भटिंडा ज़िला मुख्यलय से 35 किमी दूर तलवांडी साबो में बस स्टेशन के बगल में स्थापित है
Read more जिस तरह हिन्दुओं के लिए रामायण, गीता, मुसलमानों के लिए कुरान शरीफ, ईसाइयों के लिए बाइबल पूजनीय है। इसी तरह
Read more जैसा की आप और हम जानते है कि सिक्ख धर्म के पांच प्रमुख तख्त साहिब है। सिक्ख तख्त साहिब की
Read more "खालसा पंथ" दोस्तों यह नाम आपने अक्सर सुना व पढ़ा होगा।
खालसा पंथ क्या है। आज के अपने इस लेख
Read more गुरूद्वारा गुरू का महल कटड़ा बाग चौक पासियां अमृतसर मे स्थित है। श्री गुरू रामदास जी ने गुरू गद्दी काल
Read more गुरुद्वारा
शहीदगंज साहिब बाबा दीप सिंह जी सिक्खों की तीर्थ नगरी अमृतसर में स्थित है। गुरूद्वारा शहीदगंज साहिब वह जगह
Read more अमृतसर शहर के कुल 13 द्वार है। लोहगढ़ द्वार के अंदर लोहगढ़ किला स्थित है। तत्कालीन मुगल सरकार पर्याप्त रूप
Read more प्रिय पाठकों अपने इस लेख में हम सिख धर्म के उन पांच प्रतीक चिन्हों के बारें में जानेंगे, जिन्हें धारण
Read more तरनतारन गुरूद्वारा साहिब, भारत के पंजाब राज्य में एक शहर), जिला मुख्यालय और तरन तारन जिले की नगरपालिका परिषद है।
Read more मंजी साहिब गुरूद्वारा हरियाणा के कैथल शहर में स्थित है। कैथल भारत के हरियाणा राज्य का एक जिला, शहर और
Read more दुख निवारण गुरूद्वारा साहिब पटियाला रेलवे स्टेशन एवं बस स्टैंड से 300 मी की दूरी पर स्थित है। दुख निवारण
Read more गुरूद्वारा
नानकसर कलेरा जगराओं लुधियाना जिले की जगराओं तहसील में स्थापित है।यह लुधियाना शहर से 40 किलोमीटर और जगराओं से
Read more गुरूद्वारा चरण कंवल साहिब लुधियाना जिले की माछीवाड़ा तहसील में समराला नामक स्थान पर स्थित है। जो लुधियाना शहर से
Read more मुक्तसर फरीदकोट जिले के सब डिवीजन का मुख्यालय है। तथा एक खुशहाल कस्बा है। यह प्रसिद्ध तीर्थ स्थान भी है।
Read more गुरूद्वारा श्री तेगबहादुर साहिब या
धुबरी साहिब भारत के असम राज्य के धुबरी जिले में ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे स्थित
Read more गुरूद्वारा नानक झिरा साहिब कर्नाटक राज्य के बीदर जिले में स्थित है। यह सिक्खों का पवित्र और ऐतिहासिक तीर्थ स्थान
Read more नाड़ा साहिब गुरूद्वारा चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन से 5किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। नाड़ा साहिब गुरूद्वारा हरियाणा प्रदेश के पंचकूला
Read more गुरुद्वारा
पिपली साहिब अमृतसर रेलवे स्टेशन से छेहरटा जाने वाली सड़क पर चौक पुतलीघर से आबादी इस्लामाबाद वाले बाजार एवं
Read more गुरुद्वारा
पातालपुरी साहिब, यह गुरुद्वारा रूपनगर जिले के किरतपुर में स्थित है। यह सतलुज नदी के तट पर बनाया गया
Read more गुरुद्वारा कतलगढ़ साहिब श्री चमकौर साहिब में स्थापित है। यह गुरुद्वारा ऐतिहासिक गुरुद्वारा है। इस स्थान पर श्री गुरु गोबिंद
Read more गुरुद्वारा
बेर साहिब सुल्तानपुर लोधी नामक कस्बे में स्थित है। सुल्तानपुर लोधी, कपूरथला जिले का एक प्रमुख नगर है। तथा
Read more गुरुद्वारा
हट्ट साहिब, पंजाब के जिला कपूरथला में सुल्तानपुर लोधी एक प्रसिद्ध कस्बा है। यहां सिख धर्म के संस्थापक गुरु
Read more मुक्तसर जिला फरीदकोट के सब डिवीजन का मुख्यालय है तथा एक खुशहाल कस्बा है। यह प्रसिद्ध तीर्थ स्थान भी है।
Read more नई
दिल्ली रेलवे स्टेशन से 5 किलोमीटर दूर लोकसभा के सामने गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब स्थित है। गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब की स्थापना
Read more गुरुद्वारा मजनूं का टीला नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से 15 किलोमीटर एवं पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन से 6 किलोमीटर की दूरी
Read more उत्तर प्रदेश की की राजधानी लखनऊ के जिला मुख्यालय से 4 किलोमीटर की दूरी पर यहियागंज के बाजार में स्थापित लखनऊ
Read more नाका गुरुद्वारा, यह ऐतिहासिक गुरुद्वारा नाका हिण्डोला लखनऊ में स्थित है। नाका गुरुद्वारा साहिब के बारे में कहा जाता है
Read more आगरा भारत के शेरशाह सूरी मार्ग पर उत्तर दक्षिण की तरफ यमुना किनारे वृज भूमि में बसा हुआ एक पुरातन
Read more गुरुद्वारा बड़ी संगत गुरु तेगबहादुर जी को समर्पित है। जो बनारस रेलवे स्टेशन से लगभग 9 किलोमीटर दूर नीचीबाग में
Read more