गाज बीज माता की कथा – गाज बीज माता का व्रत कैसे करते है और पूजा विधि Naeem Ahmad, August 20, 2021March 10, 2023 भाद्र शुक्ला द्वितीया को अधिकांश गृहस्थो के घर बापू की पूजा होती है। यह बापू की पूजा असल में कुल-देवता की पूजा है। इस पूजा में कच्ची रसोई बनाकर बापू देव को भोग लगाया जाता है। फिर सब उसी प्रसाद को खाते हैं। यह प्रसाद प्रायः उन्ही लोगों को दिया जाता है, जो एक कुल गौत्र के होते है। दोपहर को बापू की पूजा के बाद स्नानकर कायस्थ लोगों मे लड़के की माँ दीवार मे गाज बीज की रचना करती है। एक मढ़ी बनाकर उसमें एक बालक बिठाया जाता है और एक दूसरा बालक वृक्ष के नीचे खड़ा दिखलाया जाता है। मढ़ी के ऊपर गाज बीज का गिरना और वृक्ष का गाज से बचना भी दिखाया जाता है। इसको गाज बीज की पूजा कहते है। पूजा के बाद कथा होती है। गाज बीज माता की कथा – गाज बीज व्रत की कहानी गाज बीज की कथा इस प्रकार है :– गाजबीज की कथा एक समय बरसात के दिनों मे भादो सुदी द्वितीया को एक राजा का लड़का शिकार खेलने जंगल को गया। उसी जंगल में एक गरीब ग्वालिन का लड़का गाये चराता था। देवात् बड़े जोर से पानी बरसने लगा। तब राजा का लड़का हाथी से उतरकर जंगल मे एक मढ़ी बनी थी, उसमे चला गया। उसी समय मढ़ी पर गाज गिरी, जिससे मढ़ी तो फट गई, साथ ही राजा का लड़का बिलकुल लापता हो गया। गाज बीज माता की पूजा गरीब लड़का जो गायें चराता था, उसकी माता नित्य एक रोटी गाय या बछिया को खिलाती थी या किसी भूखी-दूखीयारी कन्या को दिया करती थी। वह लड़का जिस पेड़ के नीचे खड़ा था, उस पर भी गाज गिरने को आती, परन्तु माता की दी हुईं रोटी उस पर इस तरह छा जाती थी कि गाज वृक्ष तक पहुँच ही नहीं सकती थी। कुछ देर बाद वर्षा बन्द हुई ओर लड़का आनन्द से अपने घर चला गया। राजा के सपाही कुँवर को खोजते हुए उसी जंगल में आये, जहाँ यह घटना हुई थी। वहाँ जिन लोगों ने यह सब हाल अपनी आँखों से देखा था, उन्होने सब सैनिकों को कह सुनाया कि गरीब का लड़का तो बच गया, परन्तु राजा का लड़का मारा गया है। यह समाचार पाकर राजा को मन से बड़ा दुःख हुआ कि मे इतना पुण्य और धर्म करता हूँ, फिर भी मेरा लड़का मर गया ओर गरीबिनी स्त्री जो एक रोटी रोजाना देती है, उसका लड़का केवल रोटी की बदौलत बच गया। वह उसी शौक से मलिन-मन हो रहा था। तब राजा के गुरु ने आकर समझाया—राजन! आप जो पुण्य-धर्म करते हो, वह अभिमानपूर्वक करते है। इसी कारण वह क्षय हो जाता है। परन्तु गरीबिनी स्त्री जो कुछ करती है, श्रद्धापूर्वक करती हैं। राजा ने गुरु के चरणो मे नमस्तक हो करके संतोष किया और आगे के लिये अमूल्य शिक्षा ली। हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:—- [post_grid id=”6671″]Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like this:Like Loading... भारत के प्रमुख त्यौहार हमारे प्रमुख व्रतहिन्दू धर्म के प्रमुख व्रत